JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: sociology

बिनय कुमार सरकार | Benoy Kumar Sarkar in hindi contribution to indian sociology

indian sociology : the role of benoy kumar sarkar in hindi बिनय कुमार सरकार ?

बिनय कुमार सरकार
बिनय कुमार सरकार तर्कवादी (rationalist) थे। वे इस मत से सहमत नहीं थे कि पश्चिमी दुनिया भौतिकवादी है (materialistic) और पूर्व आध्यात्मवादी (spiritualistic) है। सरकार ने यह तर्क दिया है कि भारतीय समाज में भौतिकवादी और धर्मनिरपेक्षता दोनों तत्व मौजूद थे। भारत के पिछले इतिहास को देखें तो यह पता चलता है कि भारतीय समाज की सकारात्मक भौतिकवादी दृष्टि से व्याख्या की जा सकती है। वे इस मत से सहमत नहीं थे भारत की संस्कृति रहस्यवादी (mystical) या पारलौकिक (otherworldly) है। भारत के सामंतवादी कृषि-प्रधान अतीत से पँजीवादी वर्तमान में परिवर्तन का सरकार ने समर्थन किया है। उपनिवेशिक शासन ने भारत के एकाकीपन को समाप्त कर उसे विश्व की मुख्य धारा से जोड़ा। पँूजीवादी या बुर्जुआ संस्कृति इस युग की मुख्य शक्ति थी। भारत के तर्कसंगत आधार की खोज में बिनय कुमार सरकार के विचार मैक्स वेबर के विचारों से मेल खाते हैं। वेबर ने पूँजीवाद का समाजशास्त्र विकसित किया, परंतु सरकार (1922) ने पँजीवाद के राजनैतिक पक्ष पर जोर दिया जबकि वेबर ने अपना ध्यान नौकरशाही (bureaucracy) पर केंद्रित किया था।

विश्व के विकसित समाजों के समकक्ष आने के लिये भारत को आत्म विश्वास और संतुलन की आवश्यकता थी। सरकार स्वयं तो नास्तिक थे किन्तु उन्होंने भारत की धार्मिक परंपरा को कभी नहीं नकारा। उनके अनुसार भारत के धर्मों का भी एक धर्म निरपेक्ष आधार था। उदाहरण के लिये शिव, पार्वती या गणेश जैसे देवी-देवता, वास्तव में मनुष्य की ही परिकल्पनाएं थीं। त्याग और रहस्यवाद पर बे-हिसाब जोर देने वाली भारतीय परंपरा भारत को बदलते हुए समय के साथ नहीं चलने देगी। अतरू भारत के शिक्षित वर्गों के लिए यह आवश्यक था कि वे अपने तर्क संगत और धर्मनिरपेक्ष अतीत को पुनर्जीवित करके स्वयं को एक शहरी औद्योगिक समाज की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करें। इसलिये बिनय कुमार सरकार धार्मिक पुनर्जागरण के विरोधी थे।

पश्चिमी देशों का बुर्जुआ वर्ग अपने सामंती अतीत से छुटकारा पाने में सफल हो गया था। औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप चर्च व उसके रहस्यवाद और त्याग का आधिपत्य समाज पर से जाता रहा। व्यक्ति अब समूह के दंत चक्र का अंग नहीं रहा। नये युग में उत्पादन की पद्धतियाँ ही नयी नहीं थी, बल्कि नई सामाजिक स्थितियों का भी उदय हुआ। यूरोप के औद्योगिक समाज में व्यक्तिवाद को प्रधानता मिली। व्यक्ति को कर्म और सफलता के लिये उद्यम और प्रेरणा की आवश्यकता थी। इसलिये पुरानी सामूहिक अस्मिताओं को छोड़कर नये व्यक्तिवादी उद्देश्यों और आकांक्षाओं ने फलना-फूलना शुरू किया।

यूरोप के मैकियावेली और हॉब्स जैसे राजनैतिक दार्शनिकों से बिनय कुमार सरकार प्रभावित थे। मैकियावेली (चैदहवीं शताब्दी) ने आधुनिक पँूजीवाद के उदय के आरंभिक दिनों में अपना राजनैतिक दर्शन लिखा था। पँूजीवादी व्यक्ति अपेक्षाकृत अधिक उद्यमी, आत्म विश्वासी और आर्थिक लाभ के प्रति अधिक आकृष्ट था। राजनैतिक शासकों के लिए उसके ये आदेश थे कि वे अवसर का पूरा लाभ उठाएं और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अनवरत काम करें। सत्रहवीं शताब्दी के राजनैतिक दार्शनिक थॉमस हॉब्स ने सामाजिक अनुबंध (social contract) का सिद्धांत दिया। मैकियावेली द्वारा चित्रित आत्मावलंबी व्यक्ति अब अपेक्षाकृत विकसित पँजीवाद के लिए उपयुक्त नहीं था क्योंकि पँजीवाद में अधिक व्यवस्था और संतुलन की आवश्यकता थी। इसलिये मनुष्य को अपने स्वार्थी लक्ष्यों को त्याग कर एक सामाजिक अनुबंध में बंधकर समाज के नियमों के अनुसार रहना आवश्यक था। इस प्रकार वैयक्तिक उत्तेजना को नियंत्रण में रखा जा सकता था। सरकार का कहना था कि भारतीयों को अपनी रहस्यवादी प्रवृत्ति का त्याग करके पँूजीवादी व्यवस्था के लिए एक नये सामाजिक परिप्रेक्ष्य का विकास करना चाहिए। बिनय कुमार सरकार की महत्वपूर्ण रचनाएं हैं-पॉजिटिव बैकग्राउंड आफ हिंदू सोसायटी, 4 खंड (1914 से 1937 के बीच प्रकाशित) और पोलिटिकल इंस्टीट्यूशंस एंड थ्योरीज, ऑफ हिंदूज (1922)। वे कलकत्ता विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ाते थे।

प्रस्तावना
अब तक आपने इस खंड की इकाई 1 में यूरोप में समाजशास्त्र का उदय, इकाई 2 में समाजशास्त्र के प्रवर्तक ऑगस्ट कॉम्ट और हर्बर्ट स्पेंसर के विषय में तथा इकाई 3 में जॉर्ज जिमेल, विल्फ्रेडो परेटो, और थोस्र्टीन वेब्लेन के विषय में पढ़ा हैं।

इस इकाई में हमने भारत में समाजशास्त्र के इतिहास और विकास की सामाजिक तथा वैचारिक पृष्ठभूमि का विवेचन किया है। भारतीय जनसमूह के मनन-चिंतन, रहन-सहन और तौर-तरीकों पर अंग्रेजों के प्रभाव का भी वर्णन किया है। सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों ने समाज में फैली हुई कुरीतियों और कट्टरपंथी मूल्यों को दूर करने का प्रयास किया। स्वाधीनता आंदोलन और आंदोलन के नेताओं का भी समाज और संस्कृति पर काफी प्रभाव पड़ा। भारत में समाजशास्त्र और सामाजिक नृशास्त्र का विकास इन्हीं सामाजिक परिवर्तनों की पृष्ठभूमि में हुआ था।

भाग 4.2 में भारत में समाजशास्त्र चिंतन की सामाजिक पृष्ठभूमि का विवेचन है, भाग 4.3 में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन की चर्चा की गई है जबकि भाग 4.4 में स्वाधीनता आंदोलन की सामाजिक पृष्ठभूमि और साथ ही धार्मिक और राजनैतिक आंदोलनों की संपूरक प्रवृत्ति की भी चर्चा है। भाग 4.5 में भारत के समाजशास्त्रीय चिंतन की वैचारिक पृष्ठभूमि का विवेचन है और अंततः भाग 4.6 में भारतीय समाजशास्त्र और सामाजिक नृशास्त्र के उदय की रूपरेखा प्रस्तुत की गई है। इस से आगे इसी खंड की इकाई 5 में आपको भारतीय समाजशास्त्र के तीन मुख्य पथ प्रदर्शक राधाकमल मुकर्जी, डी. पी. मुकर्जी और जी.एस. घुर्ये के विषय में जानकारी प्राप्त होगी।

सारांश
इस इकाई में आपने भारत की समाजशास्त्रीय विचारधारा की पृष्ठभूमि के विषय में पढ़ा। इस इकाई में सुधार के लिए सामाजिक धार्मिक आंदोलन तथा स्वाधीनता के लिए राजनैतिक आंदोलन की विवेचना की गई है। धार्मिक और राजनैतिक आंदोलन एक दूसरे के संपूरक थे। स्वाधीनता आंदोलन का नेतृत्व मुख्य रूप से मध्यमवर्ग ने किया। ये मध्यम वर्ग भारत में अंग्रेजी राज के प्रभाव के कारण उभरे।

हमने भारत की समाजशास्त्रीय विचारधारा की बौद्धिक पृष्ठभूमि का विवेचन किया है। और अंततः हमने भारत में समाजशास्त्र और नृशास्त्र के उदय और विकास की रूपरेखा दी है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now