JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: sociology

नास्तिक किसे कहते हैं | नास्तिक की परिभाषा अर्थ मतलब क्या है Atheist in hindi meaning definition

Atheist in hindi meaning definition नास्तिक किसे कहते हैं | नास्तिक की परिभाषा अर्थ मतलब क्या है ? 

शब्दावली
धर्म संस्था (Ecclesia) ः चर्च का संगठन
धर्म सिद्धांत (Dogma) ः विश्वास या अनेक विश्वासों का तंत्र, जिसे किसी विशेषाधिकारी द्वारा बिना कोई संदेह रहे स्वीकार करने के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
जन-सामान्य (Laity) ः ऐसे सभी साधारण लोग जो पादरी अथवा पुजारी नहीं हैं।
ईश्वरवादी (Literati) ः ऐसे विद्वान व्यक्ति जिन्होंने ग्रंथों का अध्ययन किया है।
पारलौकिक (Transcendental) ः मानवीय ज्ञान से परे जिससे व्यावहारिक अनुभव के आधार पर जाना अथवा समझा नहीं जा सकता।
धार्मिक धारणा (Creed) ः विश्वास अथवा विचारों की, विशेष रूप से धार्मिक सिद्धांत पर आधारित पद्धति तथा ईसाई सिद्धांत का सार।
नास्तिक (Atheist) ः जो ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखता।
त्याग (Renunciation) ः सांसारिक व भौतिक संपति, इच्छाओं सुखों से मुक्त व बंधनों से परे रहना।

धार्मिक समूहों की उत्पत्ति (The Genesis of Religious Groups)
मोटे तौर पर हम धर्म को विश्वास तथा रीतियों की पद्धति के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। यह लोगों में सामान्य रूप से स्वीकार्य होती है तथा बीतते समय के साथ जीवित भी रहती है। सामान्य रूप से स्वीकार्य तथा समान रीति के रूप में धर्म अपने आप को संगत व व्यवस्थित रूप में संगठित करता है। आगे के अनुभागों में हम उस स्थिति को समझने का प्रयास करेंगे जिसमें से निर्धारित समयावधि में धार्मिक समूहों की उत्पत्ति होती है तथा जिसके कारण वे बने रहते हैं।

 सामाजिक कारक (Social Factors)
धार्मिक संगठनों की उत्पत्ति का कारण सामाजिक समूहों में निहित है जो कि समाज का एक अंग है। इसकी उत्पत्ति चमत्कार के संस्थागत व नियमगत होने में तथा समाज के ढांचागत विभाजन में भी निहित है। किसी धार्मिक संगठन का ठोस आधार अक्सर संस्थापक द्वारा नहीं वरन शिष्यों द्वारा रखा जाता है। उसके धार्मिक अनुभव मार्गदर्शन का कार्य करते हैं।

धार्मिक संगठन के प्रवर्तक की मृत्यु निरंतरता तथा उतराधिकार की समस्या खड़ी कर देती है। जिस तरह से इस समस्या को सुलझाया जाता है उससे संगठन की आगे की व्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। इस समूह की पृष्ठभूमि जिसमें प्रवर्तक ने कार्य किया इसके सदस्य व राजनीतिक ढ़ांचा तथा अनुयायियों की आदर्शवादी तथा भौतिकवादी अभिरुचियां विशेषकर उसके नेता तथा प्रवर्तक की शिक्षाएं धार्मिक समूह की संरचना को प्रभावित करते हैं।

निरंतरता की समस्या को सामान्यतः संस्थापक के कथनों, उपदेशों, शिक्षाओं तथा कृत्यों को एकत्रित, अभिलेखित व संप्रेषित कर सुलझाया जाता है। बाइबिल, ईसा मसीह व मोहम्मद के मृत्यु के बहुत बाद सामने आया पर सामाजिक तौर पर अधिक महत्वपूर्ण है पूजा-उपासना की पद्धति की उत्पत्ति, पंथागत दर्शन जो कि उस धार्मिक समूह विशेष से जुड़े लोगो को प्रेरित करते हैं व आपस में बांधते हैं।

उत्तराधिकार की समस्या कई प्रकार से सुलझाई जा सकती है – विरासत के प्रचलित नियम के द्वारा (प्रायः ज्येष्ठ संतान) अथवा शिष्यों में आम सहमति द्वारा अथवा नियुक्ति द्वारा अथवा शिष्यों/सहचरों/ समूह के सदस्यों में गद्दी के लिए संघर्ष के द्वारा । यह बहुत कुछ स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। यहाँ हम कह सकते हैं कि धार्मिक समूह में गद्दी सौंपना या उत्तराधिकारी बनना आमतौर पर इतना आसान और समुचित नहीं होता। इससे पहले की उत्तराधिकारी का फैसला हो या नेतृत्व या सत्ता हासिल करने वाले गुटों द्वारा यह तय किया जाए, समूह के भीतर ही अंतरूवंद उत्पन्न हो सकते हैं।

इस्लाम के प्रवर्तक का कोई उत्तराधिकारी नहीं था, इसलिए इस्लामी संगठन में खिलाफत का एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया। ईसा मसीह का भी कोई उत्तराधिकारी नहीं था, न ही उन्होंने किसी का नामकरण किया था। पर ईसाई धर्म एक धर्मसंस्था-शिष्य की व्यवस्था के रूप में विकसित हुआ। भगवान बुद्ध ने यह निर्देश दिया कि उनके द्वारा स्थापित संघ उनके बाद ‘धम्म‘ (धर्म) तथा ‘विनय‘ द्वारा संचालित किया जाए। यह कहा जाता है कि संघ की विशिष्ट समूहगत प्रजातांत्रिक परम्परा का विकास उन जातियों की गणतांत्रिक परम्पराओं के बीच से हुआ जिनमें, बुद्ध लोकप्रिय थे।

 विकास प्रक्रिया (Development Process)
पंथ की संरचना इस प्रक्रिया का एक चरण है। दूसरा चरण है मिथकों तथा आध्यात्मिक ज्ञान संबंधी दृष्टिकोण की संरचना। समूह की संरचना तीसरा चरण है। ये तीनों चरण साथ-साथ तथा पारस्परिक संबंध रखते हुए कार्य करते हैं। मिथक एक नाटकीय कहानी है जिसमें दैवीय शक्ति सांसारिक व्यक्तियों से सांसारिक व्यक्ति के रूप में ही संबंध स्थापित करती है। मिथक पंथ पद्वति में विश्वास को अधिक दृढ़ करता है। आध्यात्मिक ज्ञान विकास की प्रक्रिया को अधिक तर्कसंगत बनाता है। दोनों ही धर्म की तर्कसंगतता को बौद्धिक परिवेश प्रदान करते हैं। आध्यात्मिक ज्ञान का विकास व्यावसायिक पुजारी वर्ग-धर्म विशेषज्ञ के विकास के साथ चलता है। आध्यात्मिक ज्ञान के साथ ही नैतिक संहिता का विकास होता है। ( ओ. डी. 1969: 41-46)

आध्यात्मिक ज्ञान धार्मिक अंधविश्वास के रूप में विकसित हो सकता है। परिणामस्वरूप यह बहुधा वर्ग परिवर्तन तथा शक्ति तंत्र की क्रियाओं से टकराव की स्थिति में आ जाता है। यह विरोध तथा विभिन्न व्याख्याओं को जन्म देने की विशेषता रखता है। अतः यह धर्म, भेद तथा खंडनों को जन्म देता है जिनका संबंध अक्सर सामान्य लोगों अथवा जनसाधारण तथा विद्वानों दोनों के स्वार्थों से होता है।

जब किसी पंथ का विकास होता है तथा पूजा, रीति के नियमों, दीक्षा तथा सदस्यता के नियमों का प्रमाणीकरण होता है तथा निरंतरता व उत्तराधिकार और सिद्धांत संबंधी विषयों की समस्याओं के निवारण के लिए व इसके प्रसार संबंधी नियमों का निर्धारण होता है, तब यह कहा जा सकता है कि इसने धार्मिक संगठन का रूप ले लिया है। पूजा की पद्वति तथा विश्वास की तर्कसंगतता इसकी सीमा का निर्धारण करती है।

कोई धार्मिक समूह एक प्राथमिक समूह के रूप में उत्पन्न होता है तथा मानव जाति को धर्म को मानने वालों तथा न मानने वालों के बीच विभाजित कर देता है। परंतु यह सम्पूर्ण समाज तथा समूह विशेष की आंतरिक विसंगतियों के कारण व धार्मिक अनुभव संबंधी ज्ञान में वृद्धि के कारण भी विकसित होता है तथा अनेक रूप से बढ़ता है। धार्मिक विशेषज्ञों तथा पुरोहित आदि के उभरने से जनसाधारण तथा पुरोहित के बीच संस्थागत अलगाव उत्पन्न होता है। पुरोहित की उपस्थिति प्रबंधकीय कार्यालयों की सत्ता की देन है, जिसमें नौकरशाही के गुण निहित होते हैं। कार्यालय अथवा गद्दी न कि इसका धारक दैवीय शक्ति का प्रभाव लिए होता है।

कार्यकलाप 1
अपने धर्म में किसी धार्मिक समूह को पहचानें तथा उसकी सामूहिक विशेषताओं का विश्लेषण करें। अपने अध्ययन केंद्र के अन्य सहपाठियों से अपने विचारों का मिलान करे।

 कुछ उपयोगी पुस्तकें
ओ. डी. थामस एफ. 1969, ‘दि सोश्योलाजी ऑफ रिलीजन‘ प्रेन्टिस हाल, नई दिल्ली, (अध्याय: प्प्प्)
जानसन, हैरी एम. 1968, ऐ सिस्टेमेटिक इंट्रोडक्शन‘ रूटलेज एंड केगन पॉल, लंदन (अध्याय: 16)

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

5 hours ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

3 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

5 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now