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Categories: BiologyBiology

बैसिलस थुरिंजिनिसिस का उपयोग क्या है ? bacillus thuringiensis is used in hindi क्राई जीन cry gene

bacillus thuringiensis is used in hindi बैसिलस थुरिंजिनिसिस का उपयोग क्या है ?

बेसिलस थूरेन्जिनेसिस-क्राई जीन (Bacillus thurengenesis-cry gene)
बेसिलस थुरेन्जिनेसिस नामक जीवाणु सर्वप्रथम इशीवाकी (Ishiwaki) द्वारा 1901 में रोगग्रस्त सिल्क वर्म (silkworm) से खोजा गया था। इसका नामकरण अरनस्ट बर्लिनर (Ernst Berliner) द्वारा किया गया जब उन्होंने इसे पुनः थूरिनबर्ग (Thurinberg) से फ्लोर मोथ लार्वा (flour moth larvae) की भोजन नली (aut) से अलग किया उन्होंने शहर के नाम पर इसे बेसीलस थूरिन्जीनेसिस कहा।
पराजीनी किस्में (Transgenic plants)
फसल ट्रांसजीन किस्म ट्रांसजीन द्वारा उत्पादित गुण मान्य समय
टमाटर फ्लेवर सेवर फसलों को गलने से रोकना 1994
सोयाबीन फ्रीडम विषाणु अवरोधिता 1995
कपास बोलगार्ड बोलवर्म (bollworm) रोधिम क्राई जीन (Cry gene) 1995
मक्का यील्डयार्ड मक्का छेदक रोधिता (Cry gene) 1998

बेसिलस थूरिन्जिनेसिस बीजाणु (spore) उत्पादक जाति कीटनाशक गुण इसके बीजाणुओं (spores) में उपस्थित क्रिस्टल प्रोटीन (crystal proteins) के कारण संभव होता है। इस क्रिस्टल प्रोटीन को कायिक कोशिका (sporulation) के दौरान इस जीवाणु में स्थित क्राई (cry) जीन कोडित करता है।
क्रिस्टल प्रोटीन क्राई जीन के कारण बनता है। यह प्रोटॉक्सिन होता है। कीट बीटी पादप पर पहुंच कर जैसे ही इसकी पत्तियों को खाता है तुरन्त ही क्रिस्टल प्रोटीन (प्रोटोक्जिन) कीट के भोजन नली में पहुंच जाता है। संक्रमित करने वाले कीट की भोजन नली के मध्य भाग में (mid gut) में एक एन्जाइम प्रोटिएज (protease) उपस्थित रहता है। एन्जाइम प्रोटीएज के साथ मिलकर जहरीले पदार्थ टॉक्सिन में बदल जाता है। यह जहरीला पदार्थ कीट को भोजन नली की एपीथीलियल कोशिकाओं की झिल्ली में विशिष्ट ग्राह्य स्थल पर जाकर जुड़ जाता है। अन्ततः कीट की मौत इस जहरीले टॉक्सिन के कारण तुरन्त हो जाती है।
इस जीवाणू के विभिन्न विभेद अलग-अलग प्रकार के क्रिस्टल प्रोटीन निर्मित करते हैं। प्रत्येक प्रोटीन विशिष्ट व खास कीट परपोषी (host) पर उपयोगी होते हैं।
बीटी कोशिकायें फर्मेन्टर (fermenters) में तैयार की जाती हैं। इन कोशिकाओं को बीटी पादप तैयार करने हेतु निम्नलिखित रूप में प्रयोग किया जाता है।
(1) दानों के रूप में
(2) विलयन
(3) इमल्सीकृत सान्द्र विलयन
(4) गीला पाउडर
(5) पानी के साथ मिला पाउडर
मोनसान्टो कम्पनी द्वारा विकसित ट्रांसजीन कीट प्रतिरोधी बीटी फसलें
फसल बीटी प्रोटीन कीट ट्रड नाम कम्पनी
कपास
(Cotton) क्राई 1 Ac
(Cry 1 Ac) कॉटन बालवर्म
(cotton ballworm) बोलगार्ड (Bollgard) मोनसान्टो (Monsanto)
मक्का (Maçe) क्राई 1 AbAb
(Cry 1 Ab) यूरोपियन कॉर्न बोरर
(Eurpoean corn borer) यील्ड गार्ड
(Yield gard) मोनसान्टो (Monsanto)
आलू (Potato) क्राई 3 A
(Cry 3 A) कोलोराडो बीटल
(Colorado bettle) न्यू लीफ (New lea) मोनसान्टो (Monsanto)

(3) ट्रांसजीनी पादप : जैविक फैक्टरी (Transgenic Plants Molecular Farming)
पादप प्राथमिक उत्पादक होते हैं जो एक फैक्टरी की तरह कार्य करके सम्पूर्ण विश्व (उपभोक्ता) के लिए भोजन उपलब्ध करवाते हैं। अनेक महत्वपूर्ण पदार्थ कम मात्रा में उपलब्ध हो पाते हैं अतः विज्ञान की अत्याधुनिक तकनीक द्वारा आजकल मानव उपयोगी अनेक विशिष्ट रसायनों तथा फार्मास्यूटिकल महत्व के उत्पाद ट्रांसजीनी पादपों को जैव रिएक्टर की तरह प्रयोग करते हुए निर्मित किये जा रहे हैं।
जैविक फैक्टरी में ट्रांसजीनी पादपों की मदद से पोषक तत्व की अधिकता वाली फसलें, विटामिन भरपूर फसल, प्रोटीन युक्त बीज, दवाईयां खाद्य इंजेक्शन (edible injection), इन्टरफेरोन (inerferon) तथा एन्टीबायोटिक इत्यादि निर्मित हो रहे हैं।
(4) विटामिन-A समृद्ध सुनहरा चावल (Vitamin-Arich golden rice)
भारत में अधिकतर लोग गांवों में बसते हैं जिनमें विटामिन । की कमी के कारण, आखों में रेटिना सम्बन्धित रोग लोगों में पाया जाता है।
विश्व में भी लगभग 125 मिलियन बच्चे इस बीमारी के शिकार पाये गये हैं अतः देखा गया है कि यह विटामिन । आंखों की ज्योति के लिए अत्यावश्यक है जिसकी पूर्ति के लिए भोजन के रूप में लिया जाने वाला चावल को ट्रांसजीन चावल के रूप में निर्मित किया गया।
विटामिन , (precursor) केरोटीनोएड से उत्पन्न होता है। केरोटोनोएड तीन जीन से निर्मित होता है।
(1) फाइटोइन सिंथेस (Phytoene synthase)
(2) फाइटोइन डीसेचुरेस (Phytoene desaturase)
(3). लाइकोपीन साइक्लेस (Lycopene cyclase)
चावल में विटामिन ए बहुत कम मात्रा में पाया जाता है क्योंकि इसमें प्रोविटामिन केरोटीनोएड) । (अनुपस्थित होता है जिससे यह बनता है। यही कारण है कि संसार में सबसे अधिक खाये जाने वाले . भोज्य पदार्थ में उपर्युक्त तीन जीनों को एग्रोबैक्टीरियम LBAYYOY (दो प्लाज्मिड युक्त) द्वारा धान मे स्थानान्तरित करके इसे विटामिन । युक्त किया गया है। प्रोविटामिन केरोटीनोएड का रंग चूंकि पीला होता है अतः ट्रांसजीन चावल के बीज भी प्रोविटामिन युक्त होने से पीले हो जाते हैं इसीलिए इनको श्गोल्डन चावलश् का नाम दिया गया है। यह गोल्डन चावल प्रोफेसर इनगो पोट्रिकस (Ingo potrykus) तथा पीटर बेयर (Peter Beyer) द्वारा आनुवंशिक अभियांत्रिकी द्वारा उत्पन्न किये गये हैं।
साधारण चावल $ 3 जीन (1) फाइटोसिंथेस ⟶ प्रोविटामिन । युक्त
(विटामिन A की कमी) (2) फा. डीसेचुरेस ट्रांसजीन व सुनहरा चावल
(3) लाइकोपीन साइक्लेस
(5) ट्रांसजीन टमाटर, फ्लेवर सेब (Transgenic tomato, FLAVr~ SAVR)
यह सर्वप्रथम उत्पादित ट्रांसजीन पादप ऐसा है जिसे मई 18, 1994 में U.S. फूड तथा ड्रग एडमिनिस्ट्रेश, ने इसे मानव के खाने के लिए सुरक्षित करार दिया था।
इसमें स्थानान्तर (transport) के समय से पहले पकने व इसकी सतह नरम पड़ने का रोकने के लिए बाह्य जीन डाले गये हैं। कुछ ऐसे जीन होते हैं जो सेलुलोज तथा पॉली-गेलेक्चुरोनेज (cellulase and polygalacturonase) नामक एन्जाइम को प्रेरित करते हैं। यह फल पकने में सहायक हैं। इन जीन की सक्रियता रोकने के लिए ट्रांसजीन टमाटर में एन्टीसेन्स अथवा सेन्स जो इस जीन के आरएनए उत्पन्न करने वाले संस्करण (version) हैं।
पॉलीगेलेक्चुरोनेज के लिए आरएनए उत्पन्न करने वाला जीन को टमाटर के पौधे में डाला गया तथा यह पाया गया कि लाल टमाटर अधिक दिन तक ताजे बिना सड़े गले पाये गये।
(6) ट्रांसजीन एरोबिडोप्सिस-लवण (TransgenicArabidopsis: Salt TolerentPlants)
ऐरेबिडोप्सिस थेलियाना (Arabidopsis thaliana) का एक गुणसूत्र युक्त ऐसा रोल मॉडल पादप सिद्ध हुआ जो आनुवंशिकी के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण शोधों में शामिल है। इसमें सीक्वेस्ट्रेशन (sequestration) द्वारा सोडियम आयन को बड़ी अन्तराकोशिकीय (intracellular) रिक्तिकाओं (vecoules) में प्रवेश करवाया गया जिससे यह क्लोराइड आयन के साथ बन्ध बना कर तुरन्त अवशोषित कर लें।
(7) ट्रांसजीन पादप – चीनी का उत्पादन (Transgenic plants sugar production)
अफ्रीका के पादप डायस्कोरियोफिलम क्यूमिनसाई (Dioscorcophylum cuminsi) नामक पादप में सुक्रोस की अपेक्षा 3000 गुना ज्यादा मीठापन पाया गया है। ऐसा इसमें मौजूद मोनेलिन (Monellin) नामक प्रोटीन के कारण होता है।
मोनेलिन एक डाइमर है जो गर्म होते ही नष्ट होकर श्रृंखला । तथा ठ में टूट जाता है जो क्रमशः 45 अमीनो अम्ल व 50 अमीनो अम्ल अवशिष्ट (residue) से निर्मित होती है। इसके लिए ऐसा कृत्रिम मोनेलिन प्रोटीन तैयार किया गया जो एक ही पेप्टाइड से बना होता है। इसे ट्रांसजीन टमाटर में तथा लेट्यूस (Lettuce) में डाला गया। यह लाल टमाटर में से पाया गया पर हरे से नहीं। इस पर शोध जारी है। कुछ अन्य पादपों में भी मीठे स्वाद वाले प्रोटीन पाये गये हैं।
मीठे स्वाद वाले प्रोटीन युक्त पादप प्रोटीन
प्रोटीन
(Protein) पादप
(Plants) मीठापन
(Sweetness) अमीनो अम्ल
(Amino acids)
मोनेलीन
(Monellin) डायस्कोरियोफिलम क्यूमिनासई
(Dioscoreophyllum cumminissi) 3000 45 A श्रृंखला
50 B श्रृंखला
थोमेटीन
(Thaumatin) थोमेटोकोकस डेनेली
(Thaumatococus Danielli-Benth) 3000 207
ब्राजीन
(BrazZein) पेन्टाडिप्लेंड्रा ब्राजियाना (Pentadiplandra brazZeana) 2000 54

(8) पुनर्योगज वैक्सीनध्टीके (Recombinant Vaccines)
पादपों से प्राप्त प्रतिजन प्रोटीन को अन्ततः शोधित (purify) करने के पश्चात् इसका प्रयोग सामान्य वैक्सीनध्टीकों के रूप में किया जा रहा है। यह प्रतिजनी प्रोटीन निर्मित करने की विधि खाद्य टीकों जैसी ही है। खाद्य टीके मुंह से शरीर के अन्दर खाद्य पदार्थ के साथ प्रवेश करते हैं तथा प्रतिरक्षाजनी (immunogenic) होते हैं। पुनर्योगज टीके सामान्य इन्जेक्शन के रूप में लिये जाते हैं जिनमें प्रतिजनी प्रोटीन पेक होता है।
अभी तक ट्रांसजीन पादप द्वारा तैयार वैक्सीन में हीपेटाइटिस ठ के सतही प्रतिजन (surface antigen) HBsAG को यीस्ट कोशिकाओं में अभिव्यक्त (expressed) करने के पश्चात् इसका व्यापारिक उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाता है।
इसके अतिरिक्त प्रतिजनी एपिटोपो (epitopes) को कोडित करने वाले क्षारक अनुक्रमों को पादप वाइरस के आवरित प्रोटीन जीन के साथ संगलित (fuse) कर पुनर्योगज वाइरस तैयार करते हैं। इस ट्रांसजीन वायरस का प्रयोग करके पादपों को संक्रमित करके इसकी असंख्य कॉपियां तैयार करते हैं। इन असंख्य ट्रांसजीन वाइरस को अलग करके शोधित (purify) करने के पश्चात् इन्हें इंजेक्शन में पेक करते हैं। मानव प्रतिरक्षा न्यूनता वायरस-1 (Human immuno deficiency Virus-1 : HIV-1) को इसी प्रकार उत्पादित किया गया है।
रेबीज वायरस ग्लाएकोप्रोटीन, CT-ठआविष नवाकि वायरस केप्सिड प्रोटीन (Nowalk virus capsid protein NVCP) इत्यादि ट्रांसजीन टीके हैं जिन्हें पादपों में निर्मित किया गया है।
(9) ट्रांसजीन पादप – प्रोटीनध्एन्जाइम उत्पादन (Transgenic Plants Proteins/Eæyme Production)
पादपों में विभिन्न स्रोतों से आवश्यक वांछित जीनों को समाकलित करके तैयार ट्रांसजीन पादपों द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रोटीनध्एन्जाइम तैयार किये जा रहे हैं। इनमें एस्पर्जिलस से प्राप्त जीन फाइटेज (phytase) प्रमुख है।
(10) ट्रांसजीन पादप : खाद्य इन्टरफेरोन (TransgenicPlants : Edible Interferon)
तम्बाकू तथा मक्का के पादपों के ट्रांसजीनी पादप मानव इन्टरफरोन (1,FM – Y) का स्राव करते हैं। यह दवा वायरस प्रतिरोधी है। रूपान्तरित केन्द्रक की अपेक्षा रूपान्तरित क्लोरोप्लास्ट 75 गुना अधिक इन्टरफरोन होता है इसलिए ट्रांसजीन पादप बम्बार्डमेन्ट विधि से केन्द्रक व क्लोरोप्लास्ट दोनों रूपान्तरित करते हैं।
(11) ट्रांसजीन आलू : साइक्लेडेक्ट्रीन उत्पादन (Transgenic Potato : Cyclodextrins)
साइक्लोडेक्सट्रीन ग्लूकोसिल ट्रांसफरेज (CGTase) एन्जाइम लेबसिएला (Klebsiella) जीवाणु से निकाल कर आलू में स्थानान्तरित करके ट्रांसजीन आलू तैयार किये गये हैं। यह आलू स्टार्च द्वारा परलोडेक्स्ट्रीन का उत्पादन करने में सक्षम होते हैं। यह फार्मास्यूटिक डिलीवरी तंत्र (pharmaceu delivery system) में तथा खुशबू के लिए प्रयोग करते हैं। इसे भोज्य पदार्थ के साथ मुर्गियों का देने से इनमें फास्फोरस की कमी दूर होती है।
(12) ट्रांसजीन सूक्ष्मजीवीः प्रदूषण नियन्त्रण (Transgenic microbes: Pollution control)
अमेरिकन वैज्ञानिक आनन्द मोहन चक्रवर्ती तथा उनके सहयोगियों ने आनुवंशिकी अभियांत्रिकी तकनीक का प्रयोग करके सुपर बग (superbug) नामक ऐसा जीन तैयार किया जो तेल की बूंदों को समाप्त कर देता है।
इसके लिए उन्होंने स्यूडोमोनास पुटिडा (Pseudomonas putida) नामक जीवाणु में चार निम्न विभिन्न विभेद के प्लाज्मिड को समाकलित किया।
1. आक्ट प्लाज्मिड (Oct Plasmid) – यह ऑक्टेन (Octane), हेक्सेन (Hexane) तथा डीकेन (decane) को निम्नीकृत
(degrade) करने में सक्षम हैं।
2. क्षिल प्लाज्मिड (XYLPlasmid) – यह जाइलीन एवं टोल्यूइन को समाप्त करता है।
3. केम प्लाज्मिड (CAM plasmid) – यह कपूर (camphor) को निम्नीकृत (degrade) कर देता है।
4. नेह नेप्थालीन (Nepthalene plasmid) – यह प्लाज्मिड नेप्थीलीन को नष्ट करने का कार्य करता है।
इस प्रकार एक ही जीव में यह चारों विभेदों को समाकलित करने से स्यूडोमोनास पुटिडा द्वारा इन चारों जहरीले प्रदूषकों को समाप्त
करने में सक्षम ट्रांसजीन स्यूडोमोनास पुटिडा (सुपरबग) का निर्माण किया गया जो जल के तैलीय प्रदूषण को रोकने के लिए मददगार साबित हो रहा है।
(13) ट्रांसजीन ई.कोलाई रू पुनर्योगज इन्सुलिन (Transgenic E- coli: Recombinant Insulin) .
शरीर के खून में उपस्थित ग्लूकोज को केटाबोलाइन (calabolçe) करने में सक्षम हार्मोन इन्सुलिन पेंक्रियाज में निर्मित होता है। इसकी कमी से यह कार्य अवरूद्ध हो कर डायबिटीज नामक बीमारी हो जाती है।
हृमूलीन (Humulin) नामक मनुष्य के लिए इन्सुलिन का उत्पादन जीवाणु ई.कोलाई द्वारा निर्मित किया जा रहा है। यह प्रथम थेरेप्यूटिक उत्पाद है जो पुनर्योगज डीएनए तकनीक द्वारा व्यापारिक स्तर पर उत्पादित किया जा रहा है।
(14) ट्रांसजीन ई.कोलाई मानव वृद्धि हार्मोन (Transgenic E-coli: Human Growth Hormene-HGH),
पुनर्योगज प्रोटीन के रूप में मानव वृद्धि हार्मोन उपलब्ध है। इसके (hGH) को कोड करने का अनुक्रम ई.कोलाई के अनुक्रमों के साथ जोड़ देने पर यह जीवाणुकोशिका की पेरीप्लाज्मिक सत स्रावित होने लगता है। यह जानवरों में दूध व मीट की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रयोग होता है।
(15) ट्रांसजीन मटर: उच्च प्रोटीन युक्त बीज (Transgenic Pea : High Protein Rich Seeds)
बीजों में प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि करने के लिए अपनायी गयी पुनर्योगज तकनीक के अन्तर्गत ही जो सल्फर भूरपूर अमीनो अम्ल को कोड करता है, को बीज विशिष्ट प्रमोटर (seed specific promote) के साथ टेग (tag) करके मटर के पादप के टिशु कल्चर में
स्थानान्तर कर देते हैं। मटर का पाटा लाइसीन (lysine) भरपूर परन्तु मिथियोनीन तथा सिस्टीन (methionene and cystein) हीन होता है। इस तकनीक द्वारा उत्पादित ट्रांसजीन मटर ऐसा बीज उत्पादित करता है जो उच्च प्रोटीन युक्त होते हैं यह प्रोटीन सल्फर युक्त अमीनो अम्ल से निर्मित होता है तथा उच्च गुणवत्ता का होता है।
(16) ट्रांसजीन पादप रू वैक्सीन उत्पादन (Transgenic Plants : Vaccine Production)
खाने योग्य वेक्सीन (रोग प्रतिरोधक टीके) को विकसित करने के लिए ट्रांसजीन पादपों का उपयोग किया गया। इसके लिए शोधित प्रतिजनी प्रोटीन (antigenic protein) का निर्माण पादपों की मदद से किया गया जिसके लिए प्रतिजनी प्रोटीन का प्रयोग सीधे ही खाद्य टीकों के रूप में किया गया।
ऐसा ट्रांसजीन पादप जो किसी रोगकारक रोगाणु (pathogen) का प्रतिजनी (एन्टीजेनिक) प्रोटीन निर्मित करके संग्रह करने में सक्षम हो तथा इसको रोगी को भोज्य पदार्थ के रूप में देने से रोगी द्वारा. स्वस्थ होता है श्खाद्य टीकेश् (edible vaccines) कहलाते हैं।
प्रतिजन प्रोटीन को कोडित करने वाले जीनों को खाद्य पदार्थ जैसे केला, आलू, इत्यादि में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। जानवरों के लिए चारा फसलें जैसे एल्फाल्फा (alfalfa) इत्यादि में स्थानान्तरित करके ट्रांसजीन चारा विकसित कर लेते हैं।
प्रतिजनी प्रोटीन निर्मित ट्रांसजीन पादप
प्रतिजन प्रोटीन कोडित जीन रोग जनक पादप में उपस्थिति प्रोटीन की प्रतिजनी अभिक्रिया
HBsAg पादप जीनोम में समाकलित सतही प्रतिजन हीपेटाइटिस बी वायरस
(Hepatitis B virus) तम्बाकू मूषक में इंजेक्शन द्वारा प्रतिरक्षी उत्पादन
HIV- एपिटोप वाइरस वाहक मानव प्रतिरक्षा न्यूनता वाइरस
(Human Immuno deficiency virus) लोबिया मोजेक वायरस के आवरित प्रोटीन से संलग्न जन्तुओं में प्रतिरक्षाजनी
(Immunogenic)
ट्रांसजीनी पादपों के संभावित खतरे
ट्रांसजीन पादपों की खेती से अनेक प्रकार के हानिकारक प्रभावों की बाते देश-विदेश से उठ रही हैं। उदाहरण स्वरूप कीट अवरोधी कपास की फसल भारत में गंगानगर व अन्य स्थानों पर बेची जा रही है। कहा जा रहा है कि इसके पत्ते यदि जानवर खा लें तो यह जानवर के लिए हानिकारक है। ट्रांसजीन पादपों की खेती से निम्न कठिनाईयां उत्पन्न हो सकती है
1. परागकोष का ट्रांसजीन पादप से स्थानान्तरण- इसे जीन प्रदूषण भी कहा जा रहा है। ट्रांसजीन पादप का परागकोष उड़ कर किसी सम्बन्धित फसल पर जाकर विकसित हो जाये जिसे नष्ट करना भविष्य में कठिन हो सकता है।
2. जानवरों से निकले फायदेमंद जीनों को लेकर आण्विक खेती की जा रही है जिसके लिए पादपों का उपयोग किया जा रहा है। इससे सब्जियों की आधारभूत प्रकृति में बदलाव हो सकता है।
3. ट्रांसजीन पादप मृदा में अपना टॉक्सीन छोड़ता है या नहीं ऐसा ज्ञात नहीं है परन्तु यह मृदा पर अपना प्रभाव दिखा कर जैव विविधता को नष्ट कर सकता है। इस पर शोध की आवश्यकता है।
4. एंटीबायोटिक मार्कर (चिन्हक) जीन एंटीबायोटिक मार्कर हेतु प्रयोग किया जा रहा है। इनमें केनेमाइसिन, एम्पीसिलीन हाइड्रोक्सिीन इत्यादि का प्रयोग करते हैं। ट्रांसजीन आमाशय में जाने पर अपने एन्टीबायोटिक प्रतिरोधी जीन को जीवों में उपस्थित जैविक फ्लोरा (उपबतवसिवतं) को भी स्थानान्तरण करने में सक्षम हो जायेगा। ऐसा होता है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
5. प्रत्येक पादप अनेक प्रकार के जीवों जैसे कीट, सहजीवियों अथवा जीवाणुओं को आश्रय देता है। यह जैव विविधता में वृद्धि करते हैं। कीट प्रतिरोधक ट्रांसजीन पादप इन सभी को आश्रय देने में सक्षम हैं अथवा नहीं यह ज्ञात नहीं है।
6. ट्रांसजीन पादप एक जहरीला पदार्थ-ट्रांसजीन पादप को यदि दूसरे जानवर खा लेते हैं तो यह इनमें विकार उत्पन्न करता है।
7. ट्रांसजीन मूंगफली खाने पर लोगों को एलर्जी की शिकायत होने पर मात्र मूंगफली के उत्पाद पर टैग लगा कर बेचा जाने लगा है। अन्य ट्रांसजीन उत्पाद बिना टेग के ही बाजार में उपलब्ध हैं। उपभोक्ता इन्हें खाने के लिए चाहे-अनचाहे मजबूर है।
8. ट्रांसजीन पादपों का अनेक पीढ़ियों तक गमन के दौरान कुछ नये नॉन ट्रांसजीन के साथ क्रॉस होने पर क्या परिस्थितियां होंगी व नये प्रजातियाँ विकसित होने पर क्या परिवर्तन होंगे यह भविष्य में ही मालूम हो सकेगा।
ट्रांसजीनी पादपों की खेती पर रोक (Ban On Cultivaiton fOTransgenic Plants)
समस्त विश्व में आनुवंशिकी अभियांत्रिकी विकसित उच्च किस्म के ट्रांसजीन पादपों के व्यापारिक स्तर पर आमजन के लिए उत्पादन करके बाजार में बेचने पर विरोध हो रहा है। इसका मुख्य कारण इनसे होने वाले हानिकारक प्रभावों को बारे में अनभिज्ञता होना है। लोग इनसे होने वालो दुष्प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। बीटी कॉटन को संक्रमित करने वाला कीट बुलवर्म (Bullworm) भी इसके प्रति प्रतिरोधित हो गया है। यदि ऐसा है तो इसकी खेती का कोई लाभ नहीं। विश्व में सबसे अधिक ट्रांसजीन फूड न्यूजीलैण्ड में निर्मित हो रहा है। ब्रिटेन में पर्यावरण मंत्री ने ऐसे पादपों पर तीन साल के लि प्रतिबन्ध लगाने की सिफारिश की है। यूरोपियन कमिशन सांइटिफिक एडवाइजर ने ट्रांसजीन आल प्रतिबन्ध लगाने के लिए सिफारिश की है।
प्रश्न (Questions)
(।) बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. ट्रांसजीन पादप सबसे अधिक कहां निर्मित हो रहे है
(ं) न्यूजीलैण्ड (इ) इंग्लैण्ड
(ब) स्कॉटलैण्ड (क) फिनलैण्ड
In which country maÛimum transgene plants are made
(a) Newzealand (b) England
(c) Scotland (d) Finland
उत्तर (Answers)
1.(a) .
(ठ) रिक्त स्थान भरिए (Fill In the Blanks)
1. ………………… पादप को आनुवंशिक रूपान्तरित पादप कहा जाता है।
————————–plants are called as genetically modified plants.
2. ट्रांसजीन पादप ……………… द्वारा विकसित होते हैं।
Transgenic plants are made by——————-
उत्तर (Answers)
1. ट्रांसजीन (Transgene), 2. पुनर्योगज डीएनए तकनीक (Recombinant DNA Technique)
(C) सत्यध्असत्य (True or False)
1. कॉलोनी संकरण द्वारा पुनर्योगज रूपान्तरित ई.कोलाई की पहचान की जाती है।
With the help of colony hybridçation recombined E-coli is recognçed-
2. वर्तमान में ट्रांसजीनी शाकरोधी पादप निर्मित किये जा रहे हैं।
Herbicide transgenic plants are made these days-
उत्तर (Answers)
1. सत्य (True), 2. सत्य (True)
(क्) अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
1. ट्रांसजीनी जीव की परिभाषा दीजिये।
Define transgenic organisms.
2. ट्रांसजीन पादपों का एक लाभ लिखिये।
Write one advangate of transgenic plants.
3. ट्रांसजीन पादपों का एक अवगुण लिखिये।
Write one disadvantage of transgenic plants.
(म्) टिप्पणियां लिखिऐं (Write short notes)
1. ट्रांसजीनी पादपों के अनुप्रयोग
Applications of transgenic plants.
2. शाकनाशी रोधी ट्रांसजीनी पादप
Herbicide resistant plants.
3. ट्रांसजीन पादपों के खतरे
Dangers of transgenic plants.
4. BT कपास
Bt~ cotton
5. पुनर्योगज टीके
Recombinant vaccines.
(थ्) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
1. ट्रांसजेनिक पादपों पर एक लेख लिखिये।.
Write an essay on trangenic plants-
2. ट्रांसजेनिक पादपों के निर्माण पर एक लेख लिखिये।
Write an essay on formation of trangenic plants-
3. ट्रांसजेनिक पादपों के अनुप्रयोग एक लेख लिखिये।
Write an essay on application of trangenic plants.

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