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Categories: Biology

Applications of transgenic Animals in hindi , अनुवांशिकता रूपांतरित जीवों का महत्व क्या है

पढेंगे Applications of transgenic Animals in hindi , अनुवांशिकता रूपांतरित जीवों का महत्व क्या है ?

ट्रान्सजेनिक प्राणियों की उपयोगिताएँ (Applications of transgenic Animals)

ट्रान्सजेनिक तकनीक द्वारा चुहे खरहे, सुअर, भेड़, बकरी, गाय, मुर्गी, मछलियां पर तो सफलतापूर्वक प्रयोग किये ही गये हैं। एम्फीबिया, कीटों व निमेटोड्स पर भी कार्य किया गया है। इस तकनीक का प्रयोग निम्नलिखित दिशाओं में किया जाता है-

  1. जीन स्थानान्तरण तकनीक विधि से जीन विच्छेदन, नियमन व अभिव्यक्ति दाता प्राणी से हटाकर ग्राही प्राणी में की जाती है। व्यक्तिगत (individual) जीन का कार्य परिवर्धन एवं कार्यप्रणाली का अध्ययन इस प्रकार से सम्भव है। प्रभावी ( dominent ) जीन की अभिव्यक्ति, समजात जीन्स का पुनर्योजन / जीन लक्ष्यता (gene targeting) तथा भ्रूणीय कोशिकाओं (Es. cells) में इनका अध्ययन सम्भव है। इस प्रकार नाक आऊट मॉडल (knock out models), रिर्पोटर जीन्स (reporter genes) एवं मार्कर जीन्स (marker genes) का उपयोग परिवर्धन के दौरान लाइनेज (lineages) के पहचान हेतु काम में लाये जाते हैं।

नाक ऑउट चूहे (knock out rats) प्राप्त किये गये हैं अर्थात् इन चूहों में एक विशिष्ट जीन अनुपस्थित होता है। इस प्रकार सभी जीनों को एक-एक चूहे में से हटा कर नाकआउट चूहों की पूरी एक श्रृंखला प्राप्त की जा सकती है। इनसे प्रत्येक जीन की कार्य पद्धति के अध्ययन में सुविधा होती है। इनमें मानव जीन रोपित कर मानव में रोग उत्पन्न करने वाले जीन्स का पता लगाया जाता है। आज विश्व की अनेक प्रयोगशालाओं में लगभग 100 प्रकार के नाक आउट चूहे मौजूद हैं। पहले वैज्ञानिकों की मान्यता थी कि मायो D जीन माँस पेशियों के विकसित होने हेतु आवश्यक हैं किन्तु नाकआउट चूहों में इस जीन को निकाल देने पर भी इनमें माँस पेशियों का विकास सामान्य ही पाया गया। इटली के वैज्ञानिकों ने मानव में वृद्धाकारी जीन (ageing gene) का पता लगाया है। इससे यह सम्भावना व्यक्तं की जाने लगी है कि इस जीन जिसे पी- 66 ए एच सी कहा गया है, पर नियन्त्रण करने से मनुष्य की उम्र में वृद्धि हो सकेगी। चूहों में इस जीन को निकाल कर नाक आउट चूहे प्राप्त किये गये हैं। सामान्य चूहे 24 माह तक जीवित रहते हैं जबकि इनकी उम्र 35 महीने तक होती है। इस आधार पर मनुष्य की उम्र को भी 85 से बढ़ाकर 120 वर्ष तक कर पाने में सफलता मिल सकेगी।

  1. दूसरा क्षेत्र जिसमें इन ट्रान्सजेनिक प्रणियों के उपयोग का है वह चिकित्सा का क्षेत्र है। इसमें इन प्राणियों को एक फैक्टरी के रूप में प्रयुक्त करते हैं। मानव उपयोगी प्रोटीन, रक्त स्कन्धन कारक IX, प्रोटीन C, एन्टीट्रिप्सीन व ऊत्तक प्लाज्मिनोजन सक्रिय आदि इन ट्रान्सजेनिक प्राणियों में प्राप्त किये जाते हैं। गाय, बकरी, भेड, चूहे या सुअर के भीतर ये उपयोगी पदार्थ बनाये जाते हैं जिनका उपयोग रोगों के उपचार व परीक्षण हेतु किया जाता है।

संवर्धित स्तनि की कोशिकाओं में ट्रान्सफेक्शन करा कर केन्सर जीन का पता लगाया जाता है। यह क्रिया विषाणु को वाहक के रूप में प्रयुक्त कर की जाती है। रेट्रोवायरस, बेक्सिनिया विषाणु, हर्पिस विषाणु व बोवाइन पेपिलोमा विषाणु इस कार्य हेतु उपयुक्त पाये गये हैं। इसके लिये मानव अबुर्द्ध कोशिकाओं से DNA लेकर इसका शुद्धीकरण किया जाता है। अब इसे 30-50 किलो क्षार युग्मों में विखण्डित कर लेते हैं। इसे फॉस्फेट बफर में घोल कर केल्शियम क्लोराइड मिला कर अवक्षेप प्राप्त करते हैं। यह तरल चूहे की 3T, कोशिकाओं में डाला जाता है। अतः: चूहे की कोशिकाएं रूपान्तरित हो जाती है। इन कोशिकाओं का उपयोग केन्सर उत्पन्न करने वाली जीन्स का पता लगाने हेतु किया जाता है।

संविर्धित कोशिकाओं में ट्रान्सफेक्शन कर जीन उपचार के प्रयोग भी किये जाते हैं। संवर्धित कोशिकाओं में जीन निवेशन के उपरान्त रोगी की देह में स्थानान्तरित कर जीन उपचार किया जाता है।

ट्रान्सजेनिक प्राणियों का उपयोग सजीव जैव सक्रियक (living bio reactors) के रूप में किये जाने के प्रमाण मिले हैं। इस प्रकार प्राप्त जन्तु अमूल्य प्रोटीन्स, औषधियाँ अपने दुग्ध, मूत्र, रक्त में स्त्रावित करते हैं। इन औषधियों को इनसे पृथक कर रोगियों को उपचार हेतु दिया जाता है। यह क्रिया आण्विक खेती (molecular forming) कहलाती है।

आनुवंशिक अभियान्त्रिकी द्वारा विकसित जीन स्थानान्तरित कर ट्रान्सजेनिक प्राणियों से अधिक केसीन, कम लेक्टोज एवं अधिक वसा युक्त दुग्ध देने वाले प्राणियों को प्राप्त किया जाता है। इसी प्रकार अधिक ऊन देने वाली भेड़ें आस्ट्रेलिया में जीवाण्विक व विषाणुओं में प्रतिरोधक जातियाँ प्राप्त की जाने लगी हैं।

कुछ व्यक्तियों में लेक्टोज-फ्लोरीजिन हाइड्रोलेज एन्जाइम की कमी होती है। ये गाय के दूध को पचा नहीं पाते क्योंकि इसमें लेक्टोज (दुग्ध शर्करा) अधिक होती है। ये डीहाईड्रेशन का शिकार हो जाते हैं तथा दूध नहीं मिलने से इनमें कैल्शियम की कमी हो जाति है व हड्डियाँ कमजोर बनी रहती हैं। बनरार्ड, जोस्ट व इनके साथियों ने ऐसे चूहे का निर्माण किया जो अपनी स्तन ग्रन्थियों में लेक्टोज, एन्जाइम बना सकें। इसके लियें इन्होंने संकर जीन बनाई। इसके लिये आन्त्रीय, लैक्टोज फ्लोरिजिन हाइड्रोलेज के cDNA को चूहे की स्तन ग्रन्थियों के विशेष लैक्टोएल्ब्यूमिन प्रमोटर के साथ जोड़ दिया। इस संकर जीन को चूहे के भ्रूण में स्थापित कर दिया गया जिससे ट्रान्सजैनिक चूहिया उत्पन्न हुयी। यह दुग्ध स्रावण के समय अपनी स्तन ग्रन्थियाँ से इस मानव एन्जाइम का उत्पादन करती है। इस जीन के प्रभाव से दूध में लेक्टोजन की मात्रा 50-80% तक कम पायी जाती है।

कम लैक्टोजन युक्त दुग्ध देने वाली गाय प्राप्त करने का श्रेय पीपीएल थिरैप्युटिक्स कम्पनी के वैज्ञानियों को जाता है। इन्होंने रोजी नामक ट्रान्सजैनिक गाय बनायी। इस गाय के दुग्ध में कार्यवाहक मानव लेक्टोज होता है।

पी.पी.एल. थिरैप्यूटिक्स कम्पनी ने ही ट्रान्सजेनिक भेड़ ट्रेसी बनायी है। इसके दुग्ध में मानव प्रोटीन-1 एटीट्रिप्सीन उपस्थित था। यह प्रोटीन ट्रेसी के दूध में प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रोटीन मनुष्य में फेफड़ों के रोग सिस्टिक फाइब्रोसिस के उपचार में लाभदायक सिद्ध हुई है।

इसी प्रकार एक अन्य ट्रान्सजेनिक भेड के दुग्ध में मानव प्रोटीन कारक IX प्राप्त किया गया है। इनमें मानव जीन जो कारक IX को कोडित करते हैं, को भेड के डी. एन.ए के उस भाग पर स्थापित किया गया जिसके फलस्वरूप ट्रान्सजेनिक भेड़ उत्पन्न हुयी जिसके दूध में कारक IX उपस्थित था।

कुछ चूहे एवं मुर्गे इस प्रकार के विकसित किये गये हैं जिनमें कि संकर प्रतिरक्षी ग्लोबुलिन (immunoglobulin) Ig अणुओं का निर्माण करने की क्षमता पायी गयी है। जेनिथ ने चूहों में अन्तरजातीय एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ प्राप्त करने की दिशा में कार्य किया है।

वैज्ञानिकों द्वारा इस दिशा में भी कार्य किये जा रहे हैं कि ट्रान्सजैनिक प्राणियों में मानव में अंग प्रत्यारोपण हेतु अंगों का विकास किया जा सके। इनके लिये आवश्यक जीन मानव से ही लिया जायेगा ताकि जिस प्राणी में इन अंगों का प्रत्यारोपण किया जाये वहाँ इन्हें अस्वीकृत नहीं किया जये । सुअर के अंग आकार व रचना में मानव से काफी अधिक मिलते-जुलते हैं एवं इनका डी.एन.ए. अनुक्रम भी अनेक समानताएं रखता है। इनमें आवश्यक अंगों में जैसे वृक्क, यकृत, हृदय आदि तीव्र गति से वृद्धि करते हैं। अतः इस प्राणि को ही शोध कार्यों में प्राथमिकता दी गयी है।

ट्रान्सजेनिक सुअर से मानव रक्त को प्रतिस्थापित करने हेतु रक्त प्राप्त करने के प्रयास किये गये हैं। इन ट्रान्सजैनिक प्राणियों में मानव हीमोग्लोबिन जीन प्रवेशित कराया गया है। इनके रक्त से कोशिकाओं को पृथक् कर केवल तरल भाग अर्थात् प्लाज्मा का उपयोग मानव में रक्ताधान हेतु किया जा सकता है।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु उत्तर दीजिये-

Give very short answer of the following

1.दो भिन्न जातियों के प्राणियों के मध्य किसी विशिष्ट जीन को देह के बाहर प्रवेशित कराने की क्रिया क्या कहलाती है। ?

On vitro introduction of a specific gene between animals of two different species what it is called?

  1. ट्रान्सेनिक शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किस वैज्ञानिक ने किया ?

Which scientist used the term transgenic first time?

  1. यदि एक कोशिका को संवर्धन करने पर सम्पूर्ण जीव विकसित होता है तो इस कोशिका के इस गुण को क्या कहेंगे ?

If by culture of single cell complete organism is developed then what this property of cell is called ?

  1. मिश्रित जीनोम में जीव किस नाम से जाने जाते हैं ?

Organisms of mixed genome by which name they are known?

  1. ट्रान्सजेनकि मछलियों को प्राप्त करने में किन वैज्ञानिकों को सफलता मिली है ?

Which scientists got success in producing transgenic fishes?

  1. मनुष्य के आनुवंशिक रोग एल्जीमर का उपचार किस ट्रान्सजेनिक प्राणी द्वारा सम्भव है ?

Treatment of genetic disease alzheimer in man can be possible by using which transgenic animal?

  1. पक्षियों के अण्डों में ट्रान्सजीन प्रवेश कराने हेतु किस विधि का उपयोग किया जाता है।

In eggs of aves for transgene transfer which method is used.

  1. गाय में सुपर ओव्यूलेशन हेतु किस हार्मोन का इन्जेक्शन दिया जाता है ?

For super ovulation in cow injection of which hormone is given?

  1. नाक आऊट चूहों में क्या नहीं पाया जाता ?

What is not present in knock out rats?

  1. ट्रान्सजेनिक प्राणी प्राप्त करने हेतु ट्रान्सफेक्टेड अण्ड को जिस मादा में परिवर्धन हेतु रखा जाता ‘है, उसे क्या नाम दिया गया है ?

To get transgenic animal the transfected egg is shifted to a female for development what name is given to this female?

  1. लघु उत्तर वाले प्रश्न

Short answer questions-

  1. ट्रान्सजेनिक प्राणियों की उपयोगिताएँ क्या हैं ?

What are the uses of transgenic animals?

  1. ट्रान्सजेनिक प्राणी प्राप्त करने की एक विधि का वर्णन कीजिये ।

Write down one method of producing transgenic animal. निम्न पर सूक्ष्म टिप्पणी कीजिये –

Write short notes on the following

  • ट्रान्सजेनिक प्राणी (Transgenic animals)

(ii) ट्रान्सजेनिसिस (Transgenesis)

(iii) फोस्टर माता (Foster mother)

(iv) ट्रान्सफेक्शन (Transfection)

  • लक्ष्य युक्त जीन स्थानान्तरण (Targeted gene transfer)

III. दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न

Long answer questions

  1. जैव प्रोद्योगिकी में ट्रान्सजैनिक प्राणियों के महत्त्व पर निबन्ध लिखिए ।

Write an essay on importance of transgenic animals in biotechnology.

  1. ट्रान्सजेनिक प्राणियों के प्राप्त करने की विधियों का उल्लेख कीजिये इनकी उपयोगिता समझाइये।

Write down the methods of producing transgenic animals also explain their importance

  1. ट्रान्सजैनेसिस से क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विधियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।

What is meant by transgenesis? Describe different methods of it in detail.

  1. ट्रान्सजेनिक प्राणियो की क्या उपयोगिताएं है ?

What is the applications of transganic animals.

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