(applications of thermal expansion in solids in hindi) ठोसों में ऊष्मीय प्रसार के अनुप्रयोग : हम यहाँ बात करेंगे की ऊष्मीय प्रसार का प्रयोग ठोस के लिए कहाँ कहाँ किया जाता है , अर्थात ठोसों का ऊष्मीय प्रसार हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार से प्राभावित करता है या इनके उपयोग हम हमारे दैनिक जीवन में कहाँ कहाँ देख सकते है।
1. जब किसी छड को किसी छिद्र से जोड़ना होता है तो इसे अच्छे से जोड़ने के लिए हमें छिद्र वाले भाग को गर्म किया जाता है जिससे प्रसार के कारण छिद्र चौड़ा हो जाता है और छड वाले भाग अर्थात छड को ठंडा किया जाता है और इनको आपस में जोड़ कर ताप को सामान्य किया जाता है जिससे यह एक अच्छा जोड़ बन जाता है और दोनों आपस में एक दुसरे को जकड लेते है , अब यदि दोनों को अलग करना पड़े तो छिद्र वाले भाग को गर्म किया जाता है जिससे छिद्र का आकर बढ़ जाता है और दोनों आपस में अलग हो जाते है , इस प्रकार के जोड़ कई जगह पर बनाये जाते है जैसे वायुयानों में इत्यादि , इस प्रकार के जोड़ का यह फायदा होता है कि ये आसानी से और जल्दी से अलग हो जाते है यदि अलग करने की जरुरत पड़े।
2. बिजली के तारों को या टेलीफोन के तारो को कभी भी कसकर नहीं बंधा जाता है अर्थात उनको कुछ ढीला बांधा जाता है क्योंकि सर्दियों के दिनों में जब ताप का मान घटता है तो ताप कम होने से तार सिकुड़ जाते है जिससे ये खुद ही कस जाते है , यदि इन्हें पहले ही कसकर बाँध दिया जाए तो सर्दियों में सिकुड़ने के कारण ये टूट सकते है अत: ये सर्दियों के संकुचित हो सके या सिकुड़ सके इसलिए लिए इन्हें ढीला बाँधा जाता है ताकि ये संकुचन के कारण सर्दियों में टूट न जाए।
3. इसका एक प्रयोग हम हमारी रसोई में भी देख सकते है , जब किसी डब्बे का धातु का ढक्कन बहुत अधिक कस दिया जाए और वो आसानी न खुल रहा हो तो उस डब्बे के ढक्कन को गर्म पानी में डुबोया जाता है , जब धातु का ढक्कन गर्म पानी से ऊष्मा ग्रहण करता है तो वह कुछ प्रसार हो जाता है जिससे यह अब आसानी से खुल जाता है।
4. जब रेल की पटरियों को बिछाया जाता है तो दो पटरियों के मध्य कुछ खाली जगह छोड़ी जाती है , अगर ऐसा न किया जाए तो गर्मियों के दिनों में उष्मीय प्रसार के कारण ये पटरियां फ़ैल जाती है और वक्राकार आकार ले लेती है अत: पटरियां गर्मियों के दिनों में फ़ैल सके इसके लिए दो पटरियों के मध्य कुछ रिक्त स्थान छोड़ा जाता है।
5. काँच के गिलास में गर्म पानी डालने से इसका चटख जाना : जब किसी कांच के गिलास में गर्म पानी डाला जाता है तो गिलास के अन्दर की सतह इस गर्म पानी के सीधे सम्पर्क में आती है जिससे यह ऊष्मा लेकर प्रसार होने का प्रयास करता है लेकिन चूँकि कांच ऊष्मा का अच्छा सुचालक नहीं है अत: यह ऊष्मा गिलास की बाहरी सतह तक आ नहीं पाती और गिलास की बाहर की सतह प्रसार नहीं होती लेकिन चूँकि अन्दर की सतह परसर होने का पोरायास कर रही है अत: गिलास की अन्दर वाली सतह और बाहर वाली सतह के मध्य प्रसार में इस असंतुलन के कारण गिलास चटख जाता है। इसलिए कभी भी कांच के गिलास में गर्म पानी इत्यादि नहीं डाला जाता है।