antibody engineering notes in hindi , प्रतिरक्षा अभियांत्रिकी क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं

जाने antibody engineering notes in hindi , प्रतिरक्षा अभियांत्रिकी क्या है , परिभाषा किसे कहते हैं ?

प्रतिरक्षा अभियान्त्रिकी (Antibody engineering)

हाइब्रिडोमा तकनीक से एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ बनाई तो जाने लगी है किन्तु इच्छित विशिष्ट लक्षणों वाले प्रतिरक्षियों प्राप्त करने हेतु यह आवश्यक है कि प्रतिरक्षी उत्पन्न करने वाली जीन में इच्छित परिवर्तन किया जाय। यह क्रिया पुनर्योगज डी एन ए बना कर की जाती है। इस क्रिया हेतु हाइब्रिडोमा से प्रतिरक्षी जीन लेते हैं। इसे प्लाज्मिड वाहक के साथ क्लोनित करते हैं। इसे स्तनध रियों की कोशिका में रोपित करते हैं। इसके द्वारा सम्पूर्ण प्रतिरक्षी के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। इस जीन को प्रतिरक्षी के छोटे छोटे खण्डों (Fv, fab, fc) जीवाणु के साथ क्लोनित किया जाता है । स्तनधारियों की कोशिका में इनका प्रदर्शन उस समय महत्वपूर्ण हो जाता है जब प्रतिरक्षी ग्लाइकोसाइलेशन की आवश्यकता होती है। ग्लाइकोसाइलेशन की अनुपस्थिति में प्रतिरक्षी की प्रतिजन बंधन क्षमता (antigen binding capacity) में कोई अन्तर नहीं होता है।

इस प्रकार प्रतिरक्षी अभियांत्रिकी का विस्तृत क्षेत्र वैज्ञानिकों के शोध हेतु खुला है। इस प्रकार एक प्रतिजन के प्रत्येक निर्धारक (derterminant) हेतु रचित प्रतिरक्षी के विशिष्ट इच्छित भागों का उत्पादन कर रोगों का उपचार संभव है।

एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ बिना हाइब्रिडोमा बनाये प्राप्त करने की विधि (Method of obtaining monoclonal antibodies without formation of hybridoma)

पिछले कुछ वर्षों में ऐसी तकनीकें विकसित की गयी हैं जिनमें एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ प्राप्त करने हेतु हाइब्रिडोमा तथा जन्तुओं की आवश्यकता (लसीकाणुओं व मायलोमा कोशिकाओं की नहीं होती। इसके लिए प्रतिरक्षी अन्तक्षेपित प्राणी (immunised animal) से प्रतिरक्षी जीन्स (antibody gene) अलग किये जाते हैं एवं इन्हें क्लोनित कर जीवाणुओं में प्रवेशित करा कर इनके उत्पाद प्राप्त किये जाते हैं। जीवाणु में क्लोनित जीन्स के प्रभाव से उत्पन्न प्रतिरक्षियों को पहचाना एवं चयनित किया जाता है। (कि ये विशिष्ट प्रतिजनों के प्रति बन्धन बनाती है या नहीं) कम्प्यूटर संचालित विधि से इन क्रियाओं का परीक्षण किया जाने लगा है। इस विधि से इच्छित या डिजाइन की हुयी प्रतिरक्षियाँ (deisigner antibodies) प्राप्त की जाने लगी है जिनका उपयोग अनेक प्रायोगिक क्रियाओं हेतु किया जाता है।

एक क्लोनी प्रतिरक्षियों के अनुप्रयोग (Applications of monoclonal antibodies)

एक क्लोनी प्रतिरक्षियों के अतिविशिष्ट एवं शुद्ध (pure) होने के कारण इनका अनुप्रयोग मानव चिकित्सा, औद्योगिक तौर पर प्रोटीन को शुद्ध किये जाने, प्रतिरक्षी अनुक्रियाओं को दबाने या दमन करने (suppressing immune responses) रोगों के निदान (diagnosis of diseases), केन्सर उपचार, एलर्जी निदान, हॉरमोन परीक्षण (hormone rests), जटिल मिश्रणें की जाँच एवं शुद्ध किये जाने कोशिका झिल्ली की संरचना का अध्ययन करने, विशिष्ट कोशिकाओं की पहचान करने, टीकों के निर्माण किये जाने एवं औषधिक पदार्थों की क्षमता में वृद्धि किये जाने हेतु किया है। अत: यह अत्यन्त महत्वपूर्ण मानी जाती है।

(i) जीन क्लोनिंग (Gene cloning)- जीन क्लोनिंग की क्रिया में सबसे महत्वपूर्ण कार्य उन कोशिकाओं की पहचान करना होता है जो इच्छित जीन रखती है। यदि ऐसी एक क्लोनी प्रतिरक्षी प्राप्त हो जाती है जो जीन उत्पादन की पहचान कर सके तो इसका उपयोग अन्वेषी (probe) के रूप में ऐसी कोशिकाओं की पहचान बनाने हेतु किया जा सकता है।

(ii) कोशिकीय प्रकारों की पहचान करना (Identifying cell types)- मोनोक्लोनल प्रतिरक्षियाँ अनेकों प्रकार की कोशिकाओं में से विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं की पहचान करने में सक्षम होती है जो प्रतिरक्षी अनुक्रिया में भाग लेती हैं। उदाहरणतः लिम्फोसाइट्स (B/T) हेल्पर (helper) व T सप्रेसर (suppressor) कोशिकाओं में से ये अनेक प्रकार की T कोशिकाओं को पहचानती है जो प्रतिजन (antigen) युक्त होती है। ये परिवर्धन के दौरान (T) कोशिकाओं व (B) कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी कराती है। इनके द्वारा जीवाणुओं के विभिन्न प्रभेदों के मानचित्र बनाकर उनमें विभेद किया जा सकता है।

(iii) प्रतिरक्षी अनुक्रियाओं का दमन करना (Suppression of immune responses — MABs का उपयोग प्रतिरोपित वृक्कों (transplanted kidneys) के मनुष्य में अस्वीकृत किये जाने की क्रिया को दबाने अथवा नहीं होने देते हेतु किया जाता है। एक विशिष्ट प्रकार के प्रतिरक्षी जिसे ऑर्थोक्लोन (orthoclone) कहते हैं OKT-3 प्रतिजन के साथ विशिष्ट क्रिया करता है। यह प्रतिजन T कोशिकाओं पर पाया जाता है। बाह्य ऊत्तकों (foreign tissues) जैसे प्रतिरोपित वृक्कों को अस्वीकृत किये जाने की क्रिया को रोकने हेतु रोगी को ऐसी औषधियाँ दी जाती है जो इसमें प्रतिरक्षी तंत्र की क्रियाओं में अवरोध उत्पन्न करती हैं। ऑर्थोक्लोन OKT-3 उन T कोशिकाओं पर प्रहार करती हैं जो ऊत्तकों के अस्वीकृत किये जाने हेतु उत्तरदायी होती है। अनेक मानव रोग जो इसके प्रतिरक्षी तंत्र को प्रभावित करते हैं उनके कारकों की पहचान हेतु भी BABs का उपयोग किया जाता है। इनसे होने वाले प्रभाव को रोके जाने की क्रिया की जा सकती है।

(iv) रोगों के निदान हेतु (Diagnosis of diseases) – अनेक रोगों के निदान हेतु रोगी के रक्त, मस्तिष्क तरल, वीर्य, मारमोन्स या मूत्र में घटकों की पहचान हेतु इनका उपयोग किया जाता है। मादा के गर्भित होने का परीक्षण इनकी मदद से गर्भ धारण के मात्र 1-2 सप्ताह बाद संभव है। मादा के मूत्र में HCG (human chorionic gonadotropin) नामक हारमोन की उपस्थिति की पहचान से यह क्रिया की जाती है। यौन रोगों जैसे गोनोरिया की पहचान MABs द्वारा 15-20 मिनट में हो जाती है जबकि प्रचलित विधियों से इस क्रिया में 3-7 दिन लगते हैं। निकटतम प्रकार के हर्पेस विषाणु (I/II) में भेद करने का कार्य भी MABs द्वारा संभव हो गया है।

(v) केन्सर परीक्षण एवं उपचार ( Cancer diagnosis and therapy)- ऐसे MAB उपलब्ध है जो उन प्रतिरक्षी कोशिकीय प्रतिजनों (immune cell antigen) की पहचान करने में सक्षम है जो विशिष्ट ल्यूकेमिआ (leukaemia) व लिम्फोमा (lymphomas) के दौरान उत्पन्न होते हैं। ये ठोस अबुर्दों (tumours) फेफड़े, स्तन, गर्भाशय, अण्डाशय, आन्त्र, मलाशय के कैन्सर के परीक्षण हेतु उपयोग में लाये जाते हैं। रक्त, थूक एवं बायोप्सी सेम्पल (biopsy samples) का परीक्षण MAB द्वारा किया जाता है। कैन्सर उपचार में MABs का उपयोग कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट किये जाने हेतु किया जाने लगा है। कुछ ऐसी औषधियाँ व आविष खोजे गये हैं जो MABs के साथ प्रभावी तौर पर कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होती है। एक क्लोनी प्रतिरक्षियों को यदि किसी विशेष रसायन या रेडियोएक्टिव सक्रिय तत्व से लेबल (labelled) कर दिया जाये तो ये कैन्सर कोशिकाओं के नष्ट किये जाने हेतु उपयोग में लायी जा सकती है।

हाल ही में स्वीडन में प्रो. कैथरिना स्वानबर्ग ( Porf. Katarina Swanburg) ने चूहों पर अनुसंधान करते हुए पाया की माता के दुग्ध में उपस्थित लैक्टोएल्ब्यूमिन लेक प्रोटीन को मायलोमा कोशिकाओं के साथ संलयन कराने पर उत्पन्न पदार्थ, कैन्सर कोशिकाओं को नष्ट करना आरम्भ कर देता है जो परीक्षण प्राणी चूहों की देह में पायी जाती है। संभवतः आने वाले वर्षों में मानव में कैन्सर के उपचार हेतु इससे कोई सहायता मिल सके।

(vi) जैव औषधीय अनुसंधान (Bio medical research)- अंब एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ जैव औषधीय अनुसंधान कार्यों हेतु चिकित्सकीय व व्यापारिक महत्व की माने जाने लगी है। उदाहरणतः मानव रक्त ABO समूह को मानव सीरम में उपस्थित प्रतिरक्षी जो ज्ञात विशिष्टता युक्त होती है। के द्वारा आरम्भ में पहचाना जा सकता है। अत: ABO रक्त समूह के पहचान व स्क्रीनिंग (screening) हेतु इनका उपयोग किया जाने लगा है। इनका उपयोग विषाणुओं की पहचान हेतु तथा ELISA परीक्षण हेतु किया जाता है। प्रतिरक्षियों के शुद्धिकरण एवं उपचार हेतु भी इनका उपयोग किया जाता है। इन्टरफेरान का शुद्धिकरण इनके द्वारा किया जाने लगा है। इस क्रिया का उपयोग अंग प्रत्यारोपण में आने वाली मुश्किलों हेतु किया जाता है। T- लिम्फोसाइट्स जो अंग प्रत्यारोपण के अस्वीकृत किये जाने हेतु जिम्मेदार होते हैं, की पहचान की जाती है। अस्थिमज्जा में अबुर्द्ध कोशिकाओं को नष्ट करने में भी उपचार हेतु मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी का उपयोग किया जाता है।

रेडियोधर्मी मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी विकसित कर रेडियोइमेजिंग तकनीक द्वारा रोगों का उपचार अबुद्धकारी कोशिकाओं को नष्ट करने हेतु प्रचलन में हैं। रेडियों प्रतिरक्षी जाँच से Fab अंशों को पहचाना जाता है एवं उपचार में सहायता ली जाती है।

(vii) टीके उत्पादन (Vaccine production) मनुष्य व पशुओं में रोगों से बचाव हेतु टीक बनाने का कार्य किया जा रहा है। मलेरिया से बचाव हेतु टीकें बनाये जाने का अनुसंधान अन्तिम दौर में है।

(viii) एड्स में उपचार हेतु (For treatment in AIDS) – MABs का उपयोग एड्स के टीके बनाये जाने हेतु किया जा रहा है संभव है कि MABs व हाइब्रिडोमा के अनुप्रयोग द्वारा इस भयाकन रोग का स्थायी उपचार किया जा सके। इस दिशा में अभी अनुसंधान कार्य कारी जारी है।

(ix) प्रोटीन एवं एन्जाइम शुद्धिकरण (Protein and enzyme purification ) – प्रोटीन एवं इसी प्रकृति के अनेक हार्मोन्स जैसे इन्सुलिन, मानव वृद्धि हारमोन के शुद्धिकरण हेतु MABs प्रयुक्त की जाती है। पुनर्योगज तकनीक से प्राप्त इन्टरफेरॉन-2 का शुद्धिकरण इन्हीं की सहायता से किया जाता है। MABs अतिविशिष्टता के कारण प्रोटीन के बन्धन स्थलों की पहचान बनाने का कार्य पूरी दक्षता से करती है । औषधी गुण के पदार्थों की संरचना व कार्यों के अध्ययन हेतु ये प्रयुक्त की जाती है। इसी प्रकार परिष्कृत या शुद्ध प्रकृति के किण्वक प्राप्त किये जाने हेतु एक क्लोनी प्रतिरक्षियों का उपयोग किया जाता है।

(x) काइमेरिक प्रतिरक्षियाँ (Chimeric antibodies) – पुनर्योगज (DNA) तकनीक से एक प्रतिरक्षी में उपस्थित भारी श्रृंखला के चर भाग का संश्लेषण करने वाली जीन, हल्की श्रृंखला के चर भाग का संश्लेषण करने वाली जीन को क्लोन कर लिया गया है एवं जीवाणु में इसकी अभिव्यक्ति को प्रदर्शित किया जा चुका है। वैज्ञानिकों ने काइमेरिक प्रतिरक्षियाँ या हाइब्रिड प्रतिरक्षियाँ बनाने में भी सफलता हासिल कर ली है। (उदाहरण के लिए ऐसी प्रतिरक्षी का जिसमें एक अंश मनुष्य एवं एक अंश मूसे से प्राप्त किया गया है. संश्लेषित किया जा चुका है।

प्रश्न (Questions)

  1. निम्नलिखित के अतिलघु / एक शब्द में उत्तर दीजिये –

Give very shrot/one word answer of the following-

  1. एलर्जी किस वाहक से उत्पन्न होती है? नाम बताइये ।

Which factor develops allergy? give the name.

  1. प्रतिरक्षियाँ बनाने वाली कोशिकाएँ कौनसी है ?

Which cells develop antibodies?

  1. सामान्यतः रक्त में किस प्रकृति की प्रतिरक्षियाँ पायी जाती है?

What type of antibodies are found in blood usually?

  1. प्रतिरक्षियों का निर्माण करने वाली B- कोशिकाएँ किस प्रवृति की होती है।

B cells which produces antibodies what nature of they are?

  1. हाइब्रिडोमा तकनीक किस वैज्ञानिक द्वारा विकसित की गयी ।

Which scientist developed the technique of hybridoma.

  1. प्रतिरक्षियाँ बनाने वाली लिम्फोसाइट्स व मायलोया कोशिका के संगलन से प्राप्त कोशिका क्या कहलाती है?

By fusion of antibodies forming lymphocyte and myeloma cells the cell formed what it is called?

  1. लिम्फोसाइट्स कोशिका व मायलोमा कोशिका को संगलन हेतु किस रसायन द्वारा प्रेरित किया जाता है।

By which chemical substance lymphocyte and myeloma cells can be induced for fusion.

  1. हाइब्रिडोमा कोशिका को किस माध्यम से संवर्धित किया जा सकता है।

In which medium hybridoma cell can be induced for culture.

  1. हाइब्रिडोमा तकनीक में चूहे के किस अंग से लिम्फोसाइट कोशिकाएँ प्राप्त की जाती है ?

In hybridoma technique from which organ of rat lymphocytes are obtained?

  1. प्रतिरक्षियाँ जो एन्जाइम के रूप में कार्य करती हैं, जिस नाम से जानी जाती है?

Antibodies which act as enzymes by which name they are krown.

  1. लघुत्तरात्मक प्रश्न ( Short answer questions)-
  2. मोनोक्लोनल एन्टीबॉडी निर्माण के चार चरणों के नाम लिखिये ।

Mention the four steps of productions of monoclonal antibodies.

  1. हाइब्रिडोमा तकनीक को समझाइये।

Explain the Hybridoma technology.

  1. एक क्लोनी प्रतिरक्षियाँ कम होती है?

What are monoclonal antibodies.

  1. क्लोन को समझाइये।

Explain clone.

III. निम्न प्रश्नों के उत्तर विस्तार से दीजिये।

Write the answers of following questions in detail

  1. एक क्लोनी प्रतिरक्षियों के निर्माण व उनके उपयोग पर एक लेख लिखिये।

Write a note on monoclonal antibodies and their applications.

]2. मोनोक्लोवल एन्टीबॉडी निर्माण की क्रियाविधि का वर्णन कीजिये व इस तकनीक के अनुप्रयोगों

पर टिप्पणी लिखिये।

Describe the method of monoclonal antibody formation and add a not on its applications

  1. हाइब्रिडोमा तकनीक के द्वारा मोनोक्लोनल एन्टीबॉडीज किस प्रकार तैयार की जाती है चित्र सहित समझाइये।

How monoclonal antibodies are prepared using hybridoma technique. Explain with diagram also.

  1. हाइब्रिडोमा तकनीक का विस्तार से वर्णन कीजिये ।

Describe in detail the hybridoma technology.