स्पर्श कोण क्या है , द्रव का स्पर्श रेखा (angle of contact of water in hindi)

(angle of contact of water in hindi) स्पर्श कोण क्या है , द्रव का : जब किसी ठोस पात्र इत्यादि में द्रव को डाला जाता है तो हम देखते है कि द्रव , ठोस की सतह को जहाँ स्पर्श करता है उस स्पर्श बिंदु के पास या कुछ वक्रीय दिखाई देता है अर्थात कुछ मुड़ा हुआ हो जाता है।
द्रव के ठोस के साथ स्पर्श बिंदु पर द्रव की सतह पर खींची गयी रेखा को स्पर्श रेखा कहते है।
ठोस की सतह पर द्रव के भीतर की तरफ खिंची गयी स्पर्श रेखा तथा ठोस सतह के मध्य के कोण को स्पर्श कोण कहा जाता है।
जब पानी को किसी पात्र में लिया जाता है तो दिवार के पास जल की सतह कुछ उठी हुई रहती है अर्थात स्पर्श बिंदु पर कुछ अवतल पृष्ठ दिखाई देती है , इसी प्रकार जब किसी अन्य पात्र में मर्करी ली जाती है तो पात्र की दिवार के पास उत्तल पृष्ठ प्राप्त होती है अर्थात पानी कुछ धंसा हुआ दिखाई देता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।

जब कोई द्रव किसी ठोस के संपर्क में आता है तो ठोस पृष्ठ तथा मुक्त द्रव की स्पर्श रेखा के मध्य बने कोण को स्पर्श कोण कहा जाता है , इसे θ से प्रदर्शित किया जाता है।
अलग अलग ठोस – द्रव युग्म के लिए स्पर्श कोण का मान अलग अलग होता है , किसी निश्चित ठोस – द्रव युग्म के लिए स्पर्श कोण का मान नियत होता है जैसे जल व काँच का स्पर्श कोण का मान 135 डिग्री होता है। इसी प्रकार चांदी और शुद्ध पानी के लिए स्पर्श कोण का मान 90 डिग्री होता है।
जब किसी ठोस व द्रव के मध्य स्पर्श कोण का मान बहुत कम हो तो उस द्रव को सतह गिला द्रव कहते है उदाहरण : पानी
जब किसी ठोस व द्रव के मध्य स्पर्श कोण का मान बहुत अधिक हो तो उस द्रव को गिलाहीन द्रव कहते है उदाहरण : मर्करी एक गिलाहीन द्रव है।
जब किसी द्रव में घुलनशील अशुद्धियाँ मिलायी जाती है स्पर्श कोण का मान कम हो जाता है।
जब किसी द्रव के लिए ताप का मान बढ़ा दिया जाता है तो स्पर्श कोण का मान बढ़ जाता है।
जब किसी द्रव में कम घुलनशील अशुद्धियाँ मिलायी जाती है तो स्पर्श कोण का मान बढ़ जाता है।