अण्ड प्रजक व सजीव प्रजक परिभाषा क्या है , उदाहरण
युग्मनज के विकास के आधार पर जन्तुओ के प्रकार : दो प्रकार के होते है।
1 अण्ड प्रजक:-
वे जीव जिनमें युग्मनज का विकास मादा के शीरर के बाहर होता है तथा वे कैल्शियम युक्त कठोर कवच से ढके रहते है उन्हें अण्ड प्रजक कहते है। इनमें अण्डे के स्फूटन से शिशु संतति उत्पन्न होती है।
उदाहरण:-पक्षी, मेढक, सरीसर्व आदि इनमें प्रायः ब्राहा निषेचन होता है इनमें युग्मकों एवं युग्मनाज के नष्ट होने की संभावना अधिक होती है
युग्मनज के विकास के आधार पर जन्तुओ के प्रकार : दो प्रकार के होते है।
1 अण्ड प्रजक:-
वे जीव जिनमें युग्मनज का विकास मादा के शीरर के बाहर होता है तथा वे कैल्शियम युक्त कठोर कवच से ढके रहते है उन्हें अण्ड प्रजक कहते है। इनमें अण्डे के स्फूटन से शिशु संतति उत्पन्न होती है।
उदाहरण:-पक्षी, मेढक, सरीसर्व आदि इनमें प्रायः ब्राहा निषेचन होता है इनमें युग्मकों एवं युग्मनाज के नष्ट होने की संभावना अधिक होती है
अतः इनका उत्तर जीवन कम होता है।
2 सजीव प्रजक:-
वे जीव जिनमें युग्मनाज का विकास मादा के शीरर के न्दर होता है तथा निश्चित समय अवधि बाद प्रसव क्रिया के द्वारा शिुशु को जन्म दिया जाता है
2 सजीव प्रजक:-
वे जीव जिनमें युग्मनाज का विकास मादा के शीरर के न्दर होता है तथा निश्चित समय अवधि बाद प्रसव क्रिया के द्वारा शिुशु को जन्म दिया जाता है
उनके सजीव प्रजक कहते है।
उदाहरण:-मनुष्य, बन्दर, गाय, खरगोश
उदाहरण:-इनमें उचित देखभाल तथा संरक्षण के कारण इनकी उत्तरजीविता अधिक होती है।
उदाहरण:-मनुष्य, बन्दर, गाय, खरगोश
उदाहरण:-इनमें उचित देखभाल तथा संरक्षण के कारण इनकी उत्तरजीविता अधिक होती है।