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प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका क्यों शामिल हुआ , किस वर्ष शामिल हुआ , भूमिका america in first world war in hindi

why america in first world war in hindi प्रथम विश्व युद्ध में अमेरिका क्यों शामिल हुआ , किस वर्ष शामिल हुआ , भूमिका ?

प्रश्न: U.S.A. प्रथम विश्व युद्ध में कब और क्यों सम्मिलित हुआ?
उत्तर: 6 अप्रैल, 1917 को USA ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। क्योंकि ऋऋऋ
i. रूस में बोल्शेविक क्रान्ति के कारण उसने जर्मनी से संधि कर युद्ध से स्वयं को अलग कर मित्र राष्ट्रों की स्थिति. कमजोर बना दी।
ii. अमेरिकी लूसिटानिया जहाज (1200 अमरीकी यात्रियों सहित) को जर्मनी ने डुबो दिया। मार्च, 1917 में जर्मनी में अमेरिकी चेतावनी के बावजूद 5 व्यापारी अमेरिकी जहाज और डूबो दिए। अतः 6 अप्रैल, 1917 को अमेरिका ने जर्मनी के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न: यू.एस.ए. के प्रथम विश्व युद्ध में सम्मिलित होने के पीछे निहित कारण क्या थे ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
1. अमेरिका युद्ध के पूर्व यूरोप की राजनीति से अलग-थलग रहने की नीति का अनुसरण कर रहा था। युद्ध के शुरू – होने के काल में भी अमेरिकी जनमत अमेरिका के अलग-थलग नीति का ही समर्थक था।
2. यूरोप, विशेष रूप से इंग्लैण्ड के साथ अमेरिकी जनसंख्या का भावनात्मक संबंध था। अमेरिकी जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ।दहसव.ैंबवद था। युद्ध के दौरान इनके विचार इंग्लैण्ड के पक्ष में थे।
3. अमेरिका में यूरोपीय तत्वों के द्वारा जर्मन विरोधी विचारों का प्रचार-प्रसार किया गया। इन सक्रिय तत्वों ने अमेरिकी लोगों की मनोवैज्ञानिक स्थिति का लाभ उठाया।
4. अमेरिकी सरकार का विचार कि यूरोप में कोई एकल महान शक्ति अमेरिका के लिए चुनौती बन सकता है। यदि युद्ध में जर्मनी इंग्लैण्ड व फ्रांस को पराजित करता है तो जर्मनी, अमेरिका के लिए भी चुनौतियां प्रस्तुत कर सकता है। इस अमेरिकी हित के अन्तर्गत अमेरिका युरोप में हो रहे परिवर्तनों के प्रति बहुत दिनों तक उदासीन नहीं रह सका।
5. यूरोप में अमेरिका के व्यापारिक हित थे। विशिष्ट देशों की विजय व पराजय से व्यापारिक हितों के प्रतिकल प्रभाव होने की संभावना थी।
6. जर्मनी की आक्रामक नीति व ब्रिटेन की ओर जाने वाले अमेरिकी जहाजों को रोकने का प्रयास। जर्मनी ने अमेरिकी जहाजों कोनष्ट करने की नीति का अनुसरण किया। लुसीतानिया नामक अमेरिकी जहाज को नष्ट किया जाना और इसमें 1200 अमेरिकी लोगों की मृत्यु। अमेरिका ने इसे मानवता के विरुद्ध अपराध कहा। लुसीतानिया की दुखद घटना से जर्मनी के विरुद्ध अमेरिकी भावना प्रबल हुई।
7. जर्मनी द्वारा मेक्सिको को अमेरिका के विरोध में समर्थन देने की नीति। मेक्सिको सरकार को यह संदेश भेजा कि यदि अमेरिका युद्ध में हिस्सा लेता है तो मेक्सिको, अमेरिका के विरोध में युद्ध की घोषणा करे। जर्मनी ने समर्थन को कहा।
8. फ्रांस व इंग्लैण्ड में अमेरिकी निवेश। 1917 के वर्ष में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि फ्रांस व इंग्लैण्ड की पराजय हो जायेगी। इससे अमेरिकी हितों पर प्रतिकूल प्रभाव की आशंका थी।
9. अमेरिकी सरकार का विचार बन चुका था कि जर्मनी के विरुद्ध युद्ध अवश्यम्भावी हो गया है। लेकिन विल्सन शान्ति प्रस्ताव प्रस्तुत किया व युद्ध को रोकने का प्रस्ताव रखा। लेकिन शांति प्रस्ताव प्रस्तुत के अन्तर्गत जर्मनी ने ही शर्ते रखी वे फ्रांस व इंग्लैण्ड को स्वीकार न थी।
10. रूस मित्र राष्ट्रों का हिस्सा था, लेकिन अमेरिका का जार की अधीनस्थ वाले रूस के प्रति सराहना का दष्टिकोण – नहीं था। फरवरी-मार्च, 1917 मे जार के शासन की समाप्ति व केरेन्सकी की सरकार का गठन (अमेरिका प्रजातका समर्थक था न कि जार शासन का)
11. रूस के साथ अमेरिका की वैचारिक समस्या थी। प्रजातंत्र की सुरक्षा के अन्तर्गत युद्ध की समस्या। (रूस में निरंकुशवादी शासन था)।
12. फरवरी, 1917 में न्ै। ने जर्मनी के साथ कूटनीतिक संबंधों की समाप्ति की घोषणा कर दी।
13. अप्रैल, 1917 में प्रजातंत्र की सुरक्षा के नाम पर युद्ध व बौद्धिक आधार का निर्माण करते हुए तथा एक वैध आधार का निर्माण करते हुए युद्ध की घोषणा कर दी।

प्रश्न: उन घटनाओं का वर्णन कीजिए जिनकी परिणति प्रथम विश्व युद्ध के रूप में हुई ?
उत्तर: 28 जून, 1914 को रविवार के दिन सेंट वाइटस (Vitus) दिवस पर ऑस्ट्रिया के राजकुमार आर्क ड्यूक फ्रेंज फर्डिनेल्ड का पत्नी सोफी के साथ बोस्निया की राजधानी सरेजेवो में काला हाथ नामक आतंकवादी गट के सदस्य बौवरिलो प्रिसेप ने हत्या कर दी। राजकुमार आस्ट्रिया की गद्दी का उत्तराधिकारी था। इसे एक औपचारिक पत्र पर सेरेजेवो भेजा गया था। बोस्निया आस्ट्रिया के अधीन था।
आस्ट्रिया ने हत्या के लिए सर्बिया पर आरोप लगाया। क्योंकि हत्यारा स्लाव था। 5 व 6 जुलाई को ऑस्ट्रिया का राजदूत केजर विलियम-प्प् से पोट्सडम (Potsdam) (जर्मन) नामक स्थान पर मिला। उसने ऑस्टिया के सम्राट की ओर से मदद का प्रस्ताव रखा। फर्निनेन्ड कैजर का मित्र था। विलियन-II ने ऑस्ट्रिया को बिना शर्त के मदद देने का वादा किया।
18 जुलाई, 1914 को रूस के विदेश मंत्री सर्ज सेजोनोव (Serge Sazonov) ने घोषणा की कि यदि ऑस्ट्रिया सर्बिया पर आक्रमण करता है तो रूस उसे बर्दाश्त नहीं करेगा। 23 जुलाई को ऑस्ट्रिया ने सर्बिया को 24 मांगों का प्रस्ताव भेजा तथा 48 घंटों का अल्टीमेटम दिया गया। 25 जुलाई को 24 में से 22 मांगे मान ली गई व जवाब भेज दिया गया। 2 मांगों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने का तथा हेग अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में विवाद सुलझाने की बात कही गई। ये दो बाते थी
(i) सर्बिया में पुलिस प्रशासन ऑस्ट्रिया करे तथा अपराधी को आस्ट्रिया में आस्ट्रिया के कानून के अनुसार दण्ड मिलेगा।
(ii) सर्बिया फर्जीमेन्ड की हत्या की जिम्मेदारी ले। इनके मानने से सर्बिया की प्रभुसत्ता और सम्मान को ठेस पहुंचती। 23 जुलाई, 1914 को फ्रांस के राष्ट्रपति पोइनकेयर (Poincare) तथा प्रधानमंत्री विविसनी ने ऑस्ट्रिया के राजदूत से कहा-रूस सर्बिया का घनिष्ठ मित्र है और इसका एक मित्र फ्रांस भी है। उधर ऑस्ट्रिया ने सर्बिया के जवाब को टालने वाला बताया। 28 जुलाई को रूस ने इस विवाद को सुलझने के लिए सम्मेलन बुलाने का सुझाव दिया।
युद्ध की शुरूआत : 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया द्वारा सर्बिया के ऊपर आक्रमण किये जाने के साथ ही विश्व युद्ध का प्रारम्भ हो गया। 29 जुलाई को कैजर ने युद्ध रोकने का प्रयास किया। आस्ट्रिया के वित्तमंत्री बर्चटोल्ड को युद्ध रोकने के लिए कहा। 1 अगस्त, 1914 को जर्मनी ने रूस के विरुद्ध तथा 3 अगस्त को फ्रांस के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।
इंग्लैण्ड का युद्ध में प्रवेश एवं वास्तविक रूप में युद्ध का प्रारम्भ : 2 अगस्त को जर्मनी ने लम्जेम्बर्ग पर अधिकार कर लिया जो तटस्थ भूमि थी, बेल्जियम से 12 घण्टे के अन्दर जर्मन सेनाओं को फ्रांस पर युद्ध करने के लिए मार्ग की मांग की। बेल्जियम 1839 से ही तटस्थ राज्य घोषित कर रखा था। जर्मनी ने अन्तर्राष्ट्रीय कानून भंग करने व बेल्जियम पर अधिकार करने से इंग्लैण्ड की सुरक्षा सकंट में पड़ गयी। इंग्लैण्ड ने जर्मनी से अल्टीमेट रू को वापिस लेने को कहा लेकिन जर्मनी ने कोई जवाब नहीं दिया। 4 अगस्त को ब्रिटेन जर्मनी के विरुद्ध युद्ध घोषणा कर विश्व युद्ध में शामिल हो गया। 4 अगस्त को ही विश्वव्यापी युद्ध का आरम्भ माना जाता है क्योंकि इसके बाद न्ण्ैण्।ण् को छोड़ सभी देश सम्मिलित हो गये।
प्रश्न: पेरिस का शांति सम्मेलन बड़ी बाधाओं के बाद ही संपन्न हो पाया। विवेचना कीजिए।
उत्तर: फरवरी, 1916 में अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने शांति का प्रस्ताव रखा। परंतु विल्सन के पास कोई ठोस योजना नहीं थी। अतः प्रयास विफल रहा। 12 दिसम्बर, 1916 में जर्मनी के कैजर विलियन के पास शांति स्थापित करने के लिए कोई ठोस योजना ना होने से यह प्रयास भी विफल रहा। 18 दिसम्बर, 1916 में विल्सन ने शांति का पुनः प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव में कहा गया – जर्मनी द्वारा अल्सास व लारेन फ्रांस को लौटा दिये जाएं व भविष्य में मुद्दों की समाप्ति करने हेतु लीग ऑफ नेशन (राष्ट्र संघ) स्थापित किया जाए। विल्सन के प्रस्ताव को धुरी राष्ट्रों व मित्र राष्ट्रों ने ठुकरा दिया। विल्सन ने विजय बिना शांति नामक आदर्शवादी बात भी कही अर्थात् जो युद्ध हुआ उसमें किसकी हार व किसकी जीत हुई इसके बिना ही शांति स्थापना हो।
जनवरी, 1917 में जर्मनी ने नौसैनिक युद्ध को उग्र किया। परिणामस्वरूप कई अमरीकी जहाज क्षतिग्रस्त हो गये। 3 फरवरी, 1917 अमेरिका ने जर्मनी के साथ सभी राजनैतिक संबंध तोड़ दिये। परंतु जर्मनी ने नौसेनिक युद्ध जारी रखा। अप्रैल 6, 1917 को अमेरिका युद्ध में सम्मिलित हो गया।
8 जनवरी, 1918 को वुडरो विल्सन ने अपने 14 सिद्धांतों पर आधारित शांति स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। कोई भी राष्ट्र गुप्त संधिया ना करे, खुला समुद्र सभी के लिए खुला होना चाहिये। इसके प्रमुख आधार थे। जर्मनी ने यह प्रस्ताव ठकरा दिया। अगस्त, 1918 में जर्मनी ने अपना अंतिम. आक्रमण किया। यह आक्रमण असफल रहा। इसके पश्चात् जमना के साथी राष्ट्रों ने समर्पण करना शुरू किया। सितम्बर, 1918 में बल्गेरिया, अक्टूबर, 1918 में टर्की, नवम्बर, 1918 म ऑस्ट्रिया ने समर्पण किया। 3 नवम्बर, 1918 को जर्मनी के कील नहर क्षेत्र में जर्मन सेना ने विद्रोह कर दिया। इस प्रकार के विद्रोह जर्मनी के अन्य नगरों में भी हुए।
9 नवम्बर, 1918 को कैजर विलियम हॉलैण्ड भाग गया। 11 नवम्बर, 1918 को युद्ध विराम हुआ। इस युद्ध विराम में कहा गया कि जर्मनी विल्सन के 14 सिद्धांतों पर आधारित एक संधि पर हस्ताक्षर करेगा। 18 जनवरी, 1919 को पेरिस म शांति सम्मेलन का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति जोजेस क्लीमेन्शु ने किया। उसे इस सम्मेलन का अध्यक्ष बनाया गया। 32 राष्टों के लगभग 70 प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। 32 राष्ट्र वे थे जिन्होंने जर्मनी को पराजित करने में मदद दी थी। इस जर्मनी व उनके सहयोगियों को नहीं बुलाया गया था।
7 मई, 1919 शांति सम्मेलन का प्रारूप तैयार कर लिया गया। इस प्रस्ताव को जर्मन प्रतिनिधियों के समक्ष रखा गया । 29 अप्रैल को बुलाया गया था। 22 जून, 1919 को क्लीमेन्शु ने जर्मनी को शांति सम्मेलन के प्रारूप पर हस्ताक्षर . देत 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया। जर्मनी ने और समय मांगा किन्तु फ्रांस तैयार नहीं हुआ। अंततरू 28 जून, 1917.. वाद के शीश महल में जर्मनी ने प्रारूप पर हस्ताक्षर कर दिया। जर्मनी के प्रतिनिधि बेल व मूलर (Bell – Munct), सर झुकायें खडे थे तथा इन्होंने अपनी हार पर हस्ताक्षर किये। मित्र राष्ट्रों की ओर से फ्रेंच मार्शल फोच ने हस्ताक्षर । इसने कहा यह युद्ध विराम 20 वर्षों के लिए होगा। उसकी यह भविष्यवाणी सच सिद्ध हई द्वितीय विश्वयुद्ध के रूप मा इस शांति सम्मेलन में चार बड़े अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, फ्रांस के राष्ट्रपति जोर्जेस क्लीमेन्श. इंग्लैण्ड के प्रधानमः लॉयड जॉर्ज व इटली के प्रधानमंत्री ओरलैण्डो थे। क्लीमेन्शु ने विल्सन के 14 सिद्धांतों को नजर अंदाज कर जर्मनी वि पीलिया अपनाई ताकि कम से कम आगामी 40 वर्षों तक जर्मनी सर ना उठा सके। क्लीमेन्श ने कहा कि ईसा मसीह न २ धर्म के 10 प्रमुख सिद्धांत (Ten Commandnants) दिए विल्सन को 14 सिद्धांतो की असवश्यकता पड़ी।

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