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प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत कब हुई और कैसी हुई , what date did the first world war start and end in hindi
जानिये प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत कब हुई और कैसी हुई , what date did the first world war start and end in hindi कब रुका ?
प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध की शुरूआत एवं युद्ध विराम का समय बताइए।
उत्तर: 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया द्वारा सर्बिया पर आक्रमण किये जाने के साथ ही विश्व युद्ध का प्रारम्भ हो गया। 11 नवम्बर, 1918 को युद्ध विराम संधि पर जर्मनी के प्रतिनिधियों तथा मित्र राष्ट्रों की सेना के सेनापति श्मार्शल फोचश् के हस्ताक्षर हुए। यह युद्ध कुल 4 वर्ष, 3 माह और 11 दिन तक चला।
भाषा एवं साहित्य
फारसी भाषा और भारतीय साहित्य
गजनवी और गौरी वंश के साथ फारस के लोगों का भारत में आगमन हुआ। खिलजी काल भी भारत में फारसी साहित्य का महत्वपूर्ण दौर था, इस दौर की दो महत्वपूर्ण शख्सियत थीं अमीर खुसरो और शेख गजमुद्दीन हसन, जो हसन-ए-देहलवी के नाम से ज्यादा मशहूर थे।
अमीर खुसरो ने काफी अधिक काम किया लेकिन उनकी पांच साहित्यिक कृतियों को ऐतिहासिक महत्व का माना जाता है। ये पांच कृतियां हैं मुतला-उल-अनवार, स्तिरीन खुसरो, लैला मजनूं, आइन-ए-सिकंदरी और हश्त बहिश्त। खुसरो के लेखन का बड़ा ऐतिहासिक महत्व है, उनके खजाइन-उल-फतह में अलाउद्दीन की विजय यात्राओं का उल्लेख है, तुगलक-नामा गयासुद्दीन तुगलक की तरक्की की दास्तान है और मिफ्ता-उल-फतह में जलालुद्दीन खिलजी की जीतों का ब्यौरा है। नूह-सिफ़हर में खुसरो ने काव्यरूप में कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी के शासनकाल और भारत में मिलने वाली चीजों की खूबियों को सराहा है। हसन-ए-देहलवी ने ऐसी गजलें लिखीं कि उन्हें भारत में ‘सादी’ का नाम दे दिया गया। मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में कई इतिहासकार थे जिनमें दियाउद्दीन बरानी ज्यादा मशहूर हैं।
मुगल सल्तनत के साथ भारत में फारसी साहित्य का नया दौर आया। बादशाह बाबर ने अपनी जीवनी तुजूक-ए-बाबरी तुर्की में लिखी जिसका बाद में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने फारसी में अनुवाद किया। हुमायूं की बहन गुलबदन बेगम गद्य लेखक थीं जिन्होंने हुमायूंनामा लिखा। अकबर के शासनकाल में, उसके दरबार में फारस के कई कवि आए। कई बेहतरीन ऐतिहासिक ग्रंथों की रचना हुई। अबुल फजल ने अकबरनामा और आइन-ए-अकबरी लिखी। मुल्ला गिजामुद्दीन अहमद हरावी ने तबाकुत-ए-अकबरी और अब्दुल हदहलवी ने धिक्र-उल-मुल्क की रचना की। फिर आया सम्राट जहांगीर का दौर जिसमें जहांगीर ने खुद तुजूक-ए-जहांगीरी की रचना की। इसी दौर में मुतम्मद खां ने इकबाल नामा, मासूम बक्कारी ने तारीख-ए-सिंध, मलिक हैदर ने तारीख-ए-कश्मीर लिखी।
अब्दुल हमीर लाहौरी और मोहम्मद वारीज के पाद्शाहनामा तथा मोहम्मद सलीह कानबो के शाहजहांनामा में शाहजहां के शासनकाल का वर्णन मिलता है।
औरंगजेब खुद महान विद्वान था और फारसी भाषा में उसकी दक्षता के बारे में सब जागते हैं। आनिल खां राजी का जफरनामा-ए-आलमगीरी, मिर्जा मुहम्मद काजिम का आलमगीरनामा और भीमसेन का दिलखुशा औरंगजेब के दौर से संबंधित ऐतिहासिक रचनाएं हैं।
दारा शिकोह ने हिंदू और इस्लामी मजहब के आदर्शों को समेकित करने के लिए काफी कुछ किया। उसके कलमबद्ध किए सीर-ए-अकबर में बावन उपनिषदों का फारसी अनुवाद है।
भारतीयों का अंग्रेजी लेखन
अंग्रेजी विदेशी भाषा है, लेकिन ब्रितानियों के भारत आने के बाद से इस भाषा का विभिन्न क्षेत्रों पर असर रहा शिक्षा में, साहित्य क्षेत्र में और संप्रेषण के माध्यम के रूप में। भारतीय-अंग्रेजी (इंडो-एंग्लियन) साहित्य के अग्रदूतों में राजा राममोहन राॅय का नाम आता है जिनकी गद्य रचनाएं उल्लेखनीय हैं।
कई कवि हैं जिन्होंने भारत में रहते हुए अंग्रेजी में स्तरीय काव्य रचना की। इनमें प्रसिद्ध हैं हेनरी विवियन डेरोजियोए मधुसूदन दत्त, मगधेहन घोष और अरु एवं तरु दत्त।
अंग्रेजी में लिखने वाले एक बेहतरीन लेखक थे अरविंद घोष जिनकी काव्य रचना सावित्री एक महाकाव्य है। गद्य में उनका सबसे महत्वपूर्ण काम है द लाइफ डिवाइन जिसमें उन्होंने अपनी आध्यात्मिक सोच को प्रभावशाली भाषा में व्यक्त किया है।
रबिंद्रनाथ टैगोर ने भी काफी काम मूलतः अंग्रेजी में किया। उनकी ऐसी रचनाएं हैं साधना पर्सनैलिटी और द रिलिजन आॅफ मैन।
अंग्रेजी में लिखने वाली एक और भारतीय रचनाकार है ‘भारत कोकिला’’ सरोजिनी नायडू। उन्होंने आम विषयों के बारे में बड़े ही रंगीन और रूमानी अंदाज में लिखा। द गोल्डन थ्रशहोल्ड, द बर्ड ऑफ टाइम और द ब्रोकेन विंग उनकी महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।
आज हमारे बीच निसिम इजकील, डाॅम मोराएसख् ए.के. रामानुजम, कमला दास और आर. पार्थसारथी जैसे लेखक हैं जो अंग्रेजी में लिख रहे हैं।
जवाहरलाल नेहरू की गद्य रचनाएं द डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया और ग्लिम्सेज ऑफ़ वल्र्ड हिस्ट्री भी लोकप्रिय रचनाएं हैं।
उपन्यास लेखने के क्षेत्र में शुरूआती दौर के लेखकों में मुल्कराज आनंद और आर.के. नारायण ने खूब नाम कमाया। मुल्कराज आनंद के उपन्यास कुली, अनटचेबल, द बिग हार्ट आदि रचनाएं भारत के गरीबों पर आधारित हैं। आरके. नारायण मालगुडी नाम के उस काल्पनिक स्थान के लिए मशहूर हो गये जहां उनके लगभग सभी उपन्यासों के पात्र रहते हैं। उनका अंदाज व्यंगमय है और अपने इर्द-गिर्द के हास्य को उन्होंने अपनी रचनाओं में समेट लिया है। उनकी प्रमुख रचनाएं हैं स्वामी एंड हिज फ्रेंड्स, द डार्क रूम, द गाइड, वेटिंग फाॅर द महात्मा और द मैनईटर ऑफ़ मालगुडी।
राजा राव अच्छे लघुकथा लेखक हैं तथा उनके द्वारा रचित उपन्यास कांथापुरा, द सर्पेंट एंड द रोप और द कैट एंड शेक्सपीयर खासी अहमियत रखते हैं। कमला मार्कंडेय ने नेक्टर इन , सीव, सम इनर फ्यूरी और , साइलेंस आॅफ डिजायर जैसे स्तरीय उपन्यासों की रचना की है। खुशवंत सिंह (ट्रेन टू पाकिस्तान), मनोहर मलगांवकर (डिस्टेंट डाॅन) और भबानी भट्टाचार्य (सो मेनी हंगर्स, ही हू राइड्स टाइगर्स, म्यूजिक फाॅर मोहिनी) अन्य भारतीय उपन्यासकार हैं जो अंग्रेजी में लिख रहे हैं।
हाल ही में नयी प्रतिभाओं की एक पूरी फसल तैयार हुई है। भारत में जन्मे लेखक सलमान रशदी मिडनाइट चिल्ड्रेन और शेम से मशहूर हुए। उनकी सैटेनिक वर्सेज काफी विवादित रही और भारत में इसे इसलिए प्रतिबंधित कर दिया गया ताकि मुसलमानों की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
विक्रम सेठ ने एक पूरा उपन्यास ही पद्य में लिख डाला। उनका यह उपन्यास द सूटेबल ब्वाॅय इसलिए और चर्चित रहा क्योंकि इसके लिए उन्हें प्रकाशक से अग्रिम धन के रूप में बहुत बड़ी रकम मिली थी। शशि थरूर (द ग्रेट इंडियन नाॅवेलएशो बिजनेस), अमिताभ घोष (सर्कल ऑफ रीजंस,शैडो लाइंस) और उपमन्यु चटर्जी (इंग्लिश अगस्त) ने उभरते हुए युवा उपन्यासकारों के रूप में नाम कमाया।
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