JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: BiologyBiology

एलेलोरसायन किसे कहते है | एलेलो रसायन क्या होते है ऐलोमोनरू , कैरोमोनरू , सिनोमोनरू Aleurochemicals in hindi

Aleurochemicals in hindi Aleuro chemical  एलेलोरसायन किसे कहते है | एलेलो रसायन क्या होते है ऐलोमोनरू , कैरोमोनरू , सिनोमोनरू ? 

व्यवहारपरक नियंत्रण विधियां
पीड़क के सहज व्यवहार का प्रयोग उनकी संख्या को घटाने तथा विनियमित करने के लिए हो सकता है। इन पीड़क प्रबंधन नीतियों को व्यवहारपरक नियंत्रण कहा जाता है। ऐसी नीतियों की संकल्पना तथा विकास जटिल होता है किन्तु नियमित निष्पादन में ये अपेक्षतः सरल होती हैं। व्यवहार आशोधक चिकित्सा रसायनों का प्रयोग समेकित पीड़क प्रबंधन का तेजी से विकसित हो रहा संघटक है। पीड़क संख्याओं के मानीटरन एवं उन्हें पाश में फंसाने के लिए एक सर्वाधिक आम उदाहरण पीड़क आकर्षकों तथा प्रतिकर्षकों का प्रयोग है। कीटों के संचारण में प्रयोग किए जा रहे विभिन्न प्रकार के सीमियोरसायन तालिका 11.2 में दिए गए हैं।

आकर्षक (Attractants)
आकर्षक समाकलित पीड़क प्रबंधन के नए साधन हैं। पीड़क कीट प्रबंधन में आकर्षकों का प्रयोग स्पष्ट विशिष्ट एवं पारिस्थितिकी रूप से उपयुक्त है। अधिकांशतरू ये प्राकृतिक उत्पाद होते हैं किन्तु कुछ संश्लिष्ट आकर्षक भी पाये जाते हैं। कुछ प्राकृतिक उत्पादों के अनुरूप (समान परिणाम देने वाले पदार्थ) भी सफलतापूर्वक संश्लिष्ट किए गए हैं।

कीटों में स्वभावगत संदेश पहुंचाने वाले रसायनों को सीमियोरसायन कहा जाता है। ये रसायन अत्यंत अल्प मात्रा में सक्रिय होते हैं तथा उनका उपयोग कीटों की संख्या को कम तथा विनियमित करने के लिए तथा उनके व्यवहार को बदलने के लिए किया जाता है।
कीट व्यवहार को भोजन, आश्रय, अंडोत्पादन स्थलों की खोज या साथियों तक पहुंचने, जनसंख्या स्तरों को घटाने तथा सामान्य संतुलन स्थिति एवं आरम्भिक सीमा के बीच अंतर में सुधार करने के संबंध में बदला जा सकता है।

तालिका 11.2 रू कीट संचार में शामिल विभिन्न प्रकार के सीमियोरसायन
फेरोमोन
किसी जीव द्वारा बहिस्रावित पदार्थ तथा जो समान प्रजाति की अभिग्राही में एक विशिष्ट प्रतिक्रिया करता है।

सेक्स फेरोमोनरू सहवास के लिए नर को आकर्षित करने के लिए मादा द्वारा सामान्यतरू उत्पादित पदार्थ।

समुच्चयन फेरोमोनरू नर-मादा, दोनों में से एक या दोनों जातियों द्वारा उत्पादित पदार्थ तथा जो दोनों जातियों को आहार एवं प्रजनन के लिए इकट्ठा करता है।

सचेतक फेरोमोनरू किसी कीट द्वारा क्षेत्र के अन्य कीटों को विकर्षित तथा विकीर्ण करने के लिए उत्पादित पदार्थ। यह सामान्यतरू किसी कीट द्वारा तब उत्पादित किया जाता है जब उस पर आक्रमण होता है।

एलेलोरसायन
ऐसा पदार्थ जो अपने स्रोत से भिन्न प्रजाति के जीवों के लिए भोजन से भिन्न कारणों से महत्वपूर्ण है।

ऐलोमोनरू किसी जीव द्वारा उत्पादित प्राप्त किया गया पदार्थ, जब प्राकृतिक संदर्भ में किसी अन्य प्रजाति के जीव से वह जीव सम्पर्क करता है, तथा अभिग्राही में एक व्यावहारिक या कार्यिकीय प्रतिक्रिया जागृत करता है जो निस्रावक के लिए तो अनुकूल है किन्तु अभिग्राही के लिए नहीं, उदाहरण के तौर पर प्रतिकर्षक, खाद्यरोधी, चलन उत्तेजक।

कैरोमोनरू किसी जीव द्वारा उत्पादित या प्राप्त किया गया पदार्थ, जब वह प्राकृतिक संदर्भ में किसी अन्य प्रजाति के किसी जीव के साथ सम्पर्क करता है, अभिग्राही में एक व्यावहारिक कार्यिक प्रतिक्रिया जागृत करता है जो अभिग्राही के लिए अनुकूल है किन्तु निस्रावक के लिए नहीं, जैसे खाद्य या अंडोत्पादक प्रेरक।

सिनोमोनरू किसी जीव रचना द्वारा उत्पादित या अधिप्राप्त पदार्थ जो जब वह प्राकतिक संदर्भ में किसी अन्य प्रजाति के व्यष्टि से सम्पर्क करता है, अभिग्राही में एक व्यावहारिक या कार्यिक प्रतिक्रिया जागृत करता है जो निस्रावक तथा अभिग्राही, दोनों के लिए अनुकूल है।

एपन्यूमोनरू किसी निर्जीव पदार्थ द्वारा निस्रावित पदार्थ जो एक व्यावहारिक या कार्यिक प्रतिक्रिया जागृत करता है जो अभिग्राही जीव के लिए तो अनुकूल है किन्तु निर्जीव पदार्थ में या उस पर पाई जाने वाली किसी अन्य प्रजाति के जीव के लिए हानिकारक हैं।

एंटीमोनरू जीव द्वारा निर्मुक्त पदार्थ अन्य जीवों में अनुक्रियाएं उत्पन्न करता है जो निर्मुक्त करने वाले तथा अभिग्राही, दोनों के लिए हानिकारक है।

एलोमोन, कैरोमोन तथा फेरोमोनरू अंतर जातीय व्यवहारजन रसायन (जो भिन्न प्रजातियों के सदस्यों के बीच क्रिया करते हैं) जो उत्पादक प्रजाति को लाभ पहुंचाते हैं, एलोमोन कहलाते हैं जबकि अभिग्राही को अनुकूलन लाभ पहुंचाने वाले कैरोमोन कहलाते हैं। ये गौण उपापचय के उत्पाद अंतःजातीय हैं तथा इन्हें सामूहिक रूप से गौण यौगिक कहा जाता है। अंतरविशिष्ट सीमियोरसायनों (अर्थात् जिनका प्रयोग एक ही प्रजाति के जीवों के बीच संचार के लिए किया जाता है) को फेरोमोन कहा जाता है।

प्रस्तावना

फसल संरक्षण विज्ञान के आगमन से पूर्व तथा पीड़क जीव विज्ञान को समझे जाने से भी पूर्व किसानों ने पीड़कों द्वारा पहुंचाए जाने वाले नुकसान को कम करने के लिए अधिकांशतरू परीक्षण एवं त्रुटि विधि के माध्यम से कई पद्धतियां विकसित की थीं। भारत में सस्य नियंत्रण पद्धतियों के प्रयोग संबंधी प्रथम संदर्भ बेलफोर द्वारा 1887 में लिखी गई पुस्तक श्दि एग्रीकलचरल पेस्ट्स ऑफ इण्डिया एण्ड ऑफ इस्टर्न एंड सदर्न एशियाश् (भारत के तथा पूर्वी एवं दक्षिण एशिया के कृषि पीड़कों) में पाया गया है। उन्होंने पीड़क कीटों द्वारा नुकसान को कम करने के लिए अनाज एवं दालों के लिए फसल आवर्तन के प्रयोग रू तथा स्वच्छ – कृषि पर जोर दिया है। लोफोय (1906) ने अपनी पुस्तक श्दि इण्डियन इंसेक्ट लाईफश् (भारतीय कीट जीवन) में मिश्रित पैदावार, पाश फसलों का प्रयोग, गोड़ाई इत्यादि का सुझाव दिया है। अय्यर (1938) ने अपनी पुस्तक श्हैंडबुक ऑफ इकॉनॉमिक एंटोमोलोजी फॉर साऊथ इण्डियाश् (दक्षिण भारत के लिए आर्थिक कीट विज्ञान की हस्त पुस्तिका) में विभिन्न सस्य पद्धतियों पर जोर दिया है। रोगनिरोधी पद्धतियों में खेत तथा वनस्पति स्वच्छता, अच्छे बीज, उचित खेती, खाद डालना, जल प्रबंधन इत्यादि शामिल है। उपचारात्मक विधियों में गहरी जोताई, पानी से सराबोर करना, छंटाई, पाश पैदावार इत्यादि शामिल हैं। दूसरी ओर अच्छी उत्पादक किस्मों की पूर्ण उत्पादन संभाव्यता का पूरा लाभ उठाने के लिए आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी के भाग के रूप में विकसित सस्य पद्धतियाँ जैसे सन्निकट पौध रोपण (बसवेमत चसंदज ेचंबपदह), बुआई का समय, आवर्तन, कटाई प्रक्रियाएं इत्यादि अधिकांश कीट जन्तुओं के लिए भी अनुकूल सिद्ध हुई हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ पारम्परिक पद्धतियों में सुधार किया गया है तथा पीड़क प्रबंधन एवं फसल उत्पादकता को सुदृढ़ करने के लिए आधुनिक सस्य विधियों का विकास किया गया है।

इनमें से कुछ पद्धतियां कई किसानों, वनपालों (foresters) तथा संसाधन प्रबंधकों में ऐसी आदतें बन गई हैं कि उन्हें अक्सर नियंत्रण विधियों के रूप में स्वीकार ही नहीं किया जाता। आधुनिक पीड़कनाशी युग के आगमन के साथ अन्य विधियों को छोड़ दिया गया क्योंकि नए रसायनों द्वारा उपलब्ध प्रतीत होते हुए श्सम्पूणश् नियंत्रण के सामने वे एक अनावश्यक क्रिया लगते थे। तथापि, अनेक मामलों में, यदि उत्पादकों तथा अन्य संसाधन प्रबंधकों ने सस्य विधियों में निहित रक्षा की दूसरी विधियों को जारी रखा होता तथा नए रसायनों के साथ उनके प्रयोग का समाकलन किया होता तो पीड़कनाशी प्रतिरोध (pesticide resistance) के लिए चयन इतना आम, कठिन तथा तीव्र न होता। इस कारण से तथा क्योंकि अनेक स्थितियों में रसायन पूर्ण, प्रभावी तथा सस्ता नियंत्रण उपलब्ध नहीं कराते तथा प्राकृतिक शत्रुओं, वन्य जीवन, पशुओं तथा मानवों पर उनके प्रतिकूल प्रभाव ही दिखे हैं, इसलिए सस्य नियंत्रण विधियां पुनरू अनेक फसल नाशी जन्तुओं के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

कीटों के सहज व्यवहार (instinctive behaviour) का प्रयोग पीड़क जन्तुओं के नियंत्रण में लाभप्रद रूप से किया जा सकता है। कुछ रासायनिक पदार्थ किसी जीव के व्यवहार में बदलाव लाने के लिए उसके परिवेश में व्यवहारगत संदेश पहुंचाते हैं जिससे असमुचित अनुक्रिया होती है। इन्हें सीमियोरसायन (semiochemicals) कहा जाता है।

आप इस इकाई में समाकलित पीड़क प्रबंधन में विभिन्न प्रकार के सस्य एवं व्यवहारपरक नियंत्रण की विधियों तथा उनकी भूमिका का अध्ययन करेंगे।

उद्देश्य
इस इकाई का अध्ययन करने के पश्चात आप इस योग्य होंगे कि रू
ऽ सस्य नियंत्रण विधियों को स्पष्ट कर सकें,
ऽ व्यवहारपरक नियंत्रण विधियों पर चर्चा कर सकें.
ऽ विभिन्न प्रकार के सीमियोरसायनों के बारे में अवबोधन का विकास कर सकें, तथा
ऽ समाकलित पीड़क प्रबंधन में सस्य एवं व्यवहार नियंत्रण विधियों की भूमिका पर परिचर्चा कर सकें।

Sbistudy

Recent Posts

सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke rachnakar kaun hai in hindi , सती रासो के लेखक कौन है

सती रासो के लेखक कौन है सती रासो किसकी रचना है , sati raso ke…

20 hours ago

मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी रचना है , marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the

marwar ra pargana ri vigat ke lekhak kaun the मारवाड़ रा परगना री विगत किसकी…

20 hours ago

राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए sources of rajasthan history in hindi

sources of rajasthan history in hindi राजस्थान के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की विवेचना कीजिए…

3 days ago

गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है ? gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi

gurjaratra pradesh in rajasthan in hindi गुर्जरात्रा प्रदेश राजस्थान कौनसा है , किसे कहते है…

3 days ago

Weston Standard Cell in hindi वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन

वेस्टन मानक सेल क्या है इससे सेल विभव (वि.वा.बल) का मापन Weston Standard Cell in…

3 months ago

polity notes pdf in hindi for upsc prelims and mains exam , SSC , RAS political science hindi medium handwritten

get all types and chapters polity notes pdf in hindi for upsc , SSC ,…

3 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now