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Categories: Biology

affinities of peripatus in hindi पेरिपेटस की बन्धुत्वता या सजातियताएँ क्या है

जाने affinities of peripatus in hindi in hindi पेरिपेटस की बन्धुत्वता या सजातियताएँ क्या है ?

पेरिपेटस की बन्धुत्वता या सजातियताएँ (Affinities of Peripates)

पेरीपेटस का वैसे तो कोई आर्थिक महत्त्व नहीं होता है किन्तु वैज्ञानिक दृष्टि से यह एक अति रूचिकर प्राणी है क्योंकि यह अपने विशिष्ठ लक्षणों के साथ-साथ एनेलिडा संघ व आथ्रोपोडा संघ के जन्तुओं के लक्षण प्रकट करता है ।

  1. संघ एनेलिडा के जन्तुओं के साथ सजातियताएँ

(Affinities with Animals of Phylum Annelida)

  1. शरीर कृमि समान होता है।
  2. वास्तविक सिर अनुपस्थित होता है।
  3. शरीर का बाहरी आवरण पतली लचीली क्यूटिकल का होता है।
  4. देहभित्ति में एक स्तरीय एपिडर्मिस व उसके नीचे पेशीय स्तर पाया जाता है।
  5. पेशियाँ वृताकार व अनुदैर्घ्य प्रकार की होती है ।
  6. गमन धीमा व केचुएँ की तरह क्रमांकुचन गलि द्वारा होता है।
  7. आहारनाल सरल सीधी व नलिकाकार होती है।
  8. पॉलीकीट जन्तुओं के समान सरल नेत्र संरचना होती है।
  9. पॉलीकीट जन्तुओं के पार्श्वपादों की भांति असन्धित खोखले ठूंठ के समान देहभित्ति से अभिवृद्धित उपांग पाये जाते हैं।
  10. युग्मित खण्डीय रूप से विन्यासित उत्सर्गिकाएँ या नेफ्रिडिया पाये जाते हैं।
  11. कीटोपोड जन्तुओं के समान अवपंकी व कक्षांग ग्रन्थियाँ पायी जाती है।
  12. जनन वाहिकाओं में पक्ष्माभ पाये जाते हैं।
  13. दोनों में खण्डीय व्यवस्था समान होती है।
  14. संघ आथ्रोपोड़ा के जन्तुओं के साथ सजातियताएँ

(Affinities with animals of Phylum Arthropoda)

  1. शृंगिकाओं की उपस्थिति।
  2. नखर युक्त उपांग (पाद)।
  3. उपांगों से रूपान्तरित जबडे तथा जबड़े रेखित पेशीयुक्त।
  4. निश्चित टांगों द्वारा गमन, टांगों में निश्चित पेशी विन्यास।
  5. देहगुहा का हीमोसील के रूप में उपस्थित होना।
  6. आथ्रोपोड जन्तुओं की तरह क्यूटिकल में पतली काइटिन की परत पायी जाती है।
  7. वास्तविक देहगुहा (coelom) समानीत होकर केवल उत्सर्जी एव जननांगों के चारों तरफ उपस्थित।
  8. वृक्ककों या नेफ्रिडिया से रूपान्तरित लार ग्रन्थियाँ।
  9. पार्वीय ऑस्टिया सहित नलिकाकार हृदय की उपस्थिति।
  10. श्वास नलिकाओं द्वारा वायवीय श्वसन।
  11. मस्तिष्क बड़ा व प्रारूपी आथ्रोपोड मस्तिष्क के समान।
  12. जननांगों की सामान्य संरचना व भ्रूणीय परिवर्धन आथ्रोपोड जन्तुओं के समान।
  13. संघ मोलस्का के जन्तुओं के साथ सजातियताएँ

(Affinities with animals of Phylum Mollusca)

  1. शरीर स्लग (slug) की भांति दिखाई देता है।
  2. वर्ग एम्फिन्यूरा के सदस्यों की भांति सीढ़ीनुमा तंत्रिका तन्त्र तथा स्लग की भाति दिखाई देने के कारण सर्वप्रथम इसे संघ मोलस्का में सम्मिलित किया गया था। परन्तु संघ मोलस्का के साथ ये समानताएँ केवल आभासी होती है अतः ये सजातियाताएँ महत्त्वहीन
  3. ऑनिकोफोरा के विशिष्ठ लक्षण (Onychophoran characteristics)

ऑनिकोफोरा के निम्न विशिष्ठ लक्षण है, जो ऑनिकोफोरा को अन्य संघों के जन्तुओं से अलग करते हैं।

  1. अखण्डित या अति अस्पष्ट खण्डीभवन प्रदर्शित करता शरीर।
  2. त्वचा की संरचना में रूक्ष क्यूटिकल मखमली प्रवर्षों से आवरित होती है।
  3. शृंगिकाएँ आथ्रोपोड जन्तुओं के समांगी नहीं होती है।
  4. पेरीपेटस का तीन खण्डीय अस्पष्ट सिर एनेलिडा व आर्थोपोडा के मध्य की स्थिति को प्रदर्शित करता है।
  5. केवल एक जोड़ी जबड़े पाये जाते हैं जो आगे व पीछे की ओर गति करते हैं।

6.असन्धित नखर युक्त टांगे उपस्थित।

7 अवपंकी एवं कक्षीय ग्रन्थियों की उपस्थिति।

  1. श्वास रन्ध्रों का शरीर की सतह पर अनियमित वितरण।
  2. दो अधर तंत्रिका रज्जू जो एक दूसरे से पर्याप्त दूरी पर स्थित होती है जिनमें वास्तविक गुच्छकों का अभाव होता है। 10. नेत्रों की संरचना कम जटिल।
  3. जननांगों की स्थिति।

वर्गकि स्थिति (Taxonomic Position)

वर्गीकरण की दृष्टि से पेरीपेटस एक महत्त्वपूर्ण प्राणी है क्योंकि यह ऐनेलिडा व आर्थोपोडा संघ के जन्तुओं के सदृश्य लक्षण प्रदर्शित करता है। यही कारण है कि इन्हें दोनों संघों के मध्य की योजक कड़ी के रूप में माना जाता है।

गहन अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि पेरीपेटस या आनिकोफोर जन्तु ऐनेलिड जन्तुओं की अपेक्षा आर्थोपोड जन्तुओं से अधिक निकट सम्बन्ध प्रदर्शित करते हैं। सम्भवतः इनका उद्भव आथ्रोपोड़ा शाखा के आधार के निकट से प्रारम्भ हुआ होगा। उपरोक्त जातिवृत्तीय अध्ययनों के उपरान्त मेन्टॉन (Manton) तथा उनके समकालीन प्राणिविज्ञानियों ने जातिवृत्तीय प्रमाणों के आध र पर ऑनिकोफोर जन्तुओं को संघ आथ्रोपोडा के एक वर्ग के रूप में या एक उप संघ के रूप में वर्गीकृत किया था। परन्तु ऑनिकोफोर जन्तुओं में बाह्य कंकाल और संधित उपांगों के अभाव में तथा प्रारम्भिक ऐनेलिड लक्षण पाये जाने के कारण आर्थोपोडा संघ में सम्मिलित करने पर समस्या उत्पन्न हो गई। कुछ वैज्ञानिकों ने इन्हें ऐनेलिड प्राणि माना।

वास्तविक रूप में यह कहा जा सकता है कि ये न तो ऐनेलिड और न ही आथ्रोपोड जन्तु हैं। इनकी पहिचान के अलग ही विशिष्ट लक्षण पाये जाते हैं। अतः अब ऑनिकोफोरा को एक पृथक संघ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

आधुनिक विचारों के अनुसार ऑनिकोफोरा जन्तुओं का समूह एक अति प्राचीन समूह है क्योंकि ऐइशिया (Avsheaia) नाम के मध्य कैम्ब्रियन काल (mid canbrian period) के जीवाश्म आधुनिक ऑनिकोफोर जन्तुओं से अत्यधिक मिलता जुलता है। अत: यह माना जाता यह समूह अति प्राचीन समूह है व किसी समय में यह समूह बहुत से भौगोलिक क्षेत्रों में पाया जाता था तथा इसका वितरण विस्तृत था।

एंइशिया के अतिरिक्त 11 और जीवाश्मों के प्राप्त होने के बाद नवीनतम विचारधारा यह तथ्य प्रस्तुत करती है कि ऑनिकोफोर जन्तु एनेलिडा व आथ्रोपोडा संघ के जन्तुओं के मध्य उविकासीय कड़ी नहीं है अपितु जीवित खण्ड युक्त प्राणियों की अलग ही शाखा है। लेकिन इस बात से यह संकेत तो अवश्य ही मिलता है कि आथ्रोपोड जन्तुओं का उद्विकास एनेलिड समान जन्तुओं से हुआ होगा।

प्रश्न (Questions)

लघुत्तरात्मक प्रश्न

  1. पेरीपेटस के आवास के बारे में बताइये।
  2. पेरीपेटस के स्वभाव का वर्णन कीजिये।
  3. पेरीपेटस के बाह्य लक्षण लिखिये।
  4. पेरीपेटस की अवपंकी ग्रथियों (slime glands) के बारे में बताइये।
  5. पेरीपेटस के जबड़ों पर टिप्पणी लिखिये।
  6. पेरीपेटस की टांगें कैसी होती है।
  7. पेरीपेटस की देह भित्ति की विशेषताएँ बताइये।
  8. पेरीपेटस के भोजन ग्रहण की विधि बताईये।
  9. पेरिपेटस में श्वसन कैसे होता है।
  10. पेरीपेटस में उत्सर्जन को समझाइये।
  11. पेरिपेटस में पाये जाने वाले नर जनन अंगों के नाम लिखिये।
  12. पेरीपेटस में सन्तानोत्पत्ति कैसे होती है।
  13. पेरीपेटस किन-किन संघों के मध्य की योजक कड़ी माना जाता है।
  14. पेरिपेटस के नेत्र की संरचना बताइये।

दीर्घउत्तरात्मक प्रश्न

  1. पेरीपेटस की सजातियताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिये।
  2. पेरीपेटस किन-किन संघों के मध्य की योजक कड़ी है व वर्तमान वर्गिकी स्थिति क्या है ?
  3. सिद्ध कीजिये की पेरीपेटस एक योजक कड़ी है ?
  4. पेरीपेटस के आवास एवं स्वभाव का वर्णन करते हुए इसकी बाह्य आकारिकी का वर्णन कीजिये।
  5. पेरीपेटस के प्रजनन तन्त्र का वर्णन करते हुये परिवर्धन की विधि समझाइये।
  6. पेरिपेटस के भोजन ग्रहण करने, पाचन व अवशोषण की विधि समझाइये।
  7. पेरिपेटस के पाचन तंत्र का वर्णन करते हुए भोजन ग्रहण करने की विधि बताइये।
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