अधिशोषक व अधिशोष्य क्या है , adsorbent and adsorbate in hindi , example , difference

adsorbent and adsorbate in hindi , example , difference , अधिशोषक व अधिशोष्य क्या है :-

पृष्ठीय रसायन (surface chemistry) : रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत ठोस या गैस के पृष्ठ पर होने वाले परिवर्तन तथा उसकी क्रियाविधि का अध्ययन किया जाता है उसे पृष्ठीय रसायन कहते है।

पृष्ठ दो प्रावस्थाओ को पृथक करता है।  पृथक को हाइफन (-) या स्थैल (/) से व्यक्त करते है।

उदाहरण : ठोस तथा गैस के मध्य पृष्ठ को निम्न प्रकार से व्यक्त करते है।

ठोस-गैस या ठोस/गैस

अधिशोषण (adsorption) : इसे निम्न प्रयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है –

जलवाष्प के भरे पात्र में सिलिका जैल लटकाने पर जल की वाष्प सिलिका जेल की सतह पर एकत्रित हो जाती है अत: जब ठोस या द्रव की सतह पर दुसरे पदार्थ संचित हो जाते है तो उसे अधिशोषण कहते है।

नोट : जो पदार्थ ठोस या द्रव की सतह पर संचित होता है उसे अधिशोषण कहते है तथा ठोस या द्रव को अधिशोषक कहते है।

नोट : अधिशोषक की सतह से अधिशोष्य का हटना विशोषण कहलाता है।

अधिशोषण के अन्य उदाहरण

  1. अशुद्ध शर्करा के विलयन में जान्तव चारकोल मिलाने पर रंगीन अशुद्धियाँ चारकोल की सतह पर अधिशोषित हो जाते है।
  2. गैस से भरे पात्र में चारकोल डालने पर कुछ गैस चारकोल की सतह पर अधिशोषित हो जाते है इससे गैस का दाब कम हो जाता है।

अवशोषण (absorption) : इसे निम्न प्रयोग द्वारा समझाया गया है –

जलवाष्प से भरे पात्र में निर्जल CaCl2 लटकाने पर जल की वाष्प निर्जल CaCl2 में समान रूप से वितरित हो जाती है।

जब अधिशोष्य , अधिशोषक में समान रूप से वितरित हो जाता है तो उसे अवशोषण कहते है।

नोट : जब अधिशोषण व अवशोषण की क्रिया साथ साथ होती है तो उसे शोषण कहते है।

अवशोषण के अन्य उदाहरण :

  1. अमोनिया गैस का सम्पर्क जल से करने पर अमोनिया गैस जल में अवशोषित हो जाती है तथा NH4OHबना लेती है।

NH3 + H-OH → NH4OH

  1. स्पंज के टुकड़े को जल में डालने पर जल समान रूप से स्पंज के टुकड़े में वितरित हो जाता है।

प्रश्न : ठोस या द्रव की सतह पर अधिशोषण क्यों होता है ?

उत्तर : द्रव की सतह पर असंतुलित बल तथा ठोस की सतह पर मुक्त संयोजकताओं के कारण ठोस या द्रव की सतह पर अधिशोषण होता है।

प्रश्न : अधिशोषण व अवशोषण में अंतर लिखिए।

उत्तर :

 अधिशोषण  अवशोषण
 1. अधिशोषण सतही घटना है अर्थात केवल अधिशोषण की सतह पर घटित होती है।  यह स्थूल घटना है अर्थात यह सम्पूर्ण अधिशोषक में घटित होती है।
 2. अधिशोषण में अधिशोष्य की सांद्रता सतह पर अधिक होती है।  अधिशोष्य की सान्द्रता सम्पूर्ण अधिशोषक में एकसमान होती है।

अधिशोषण के प्रकार

अधिशोष्य , अधिशोषक के मध्य बंध की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण दो प्रकार का होता है।

  1. भौतिक अधिशोषण: जब अधिशोषक व अधिशोष्य के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है तो उसे भौतिक अधिशोषण कहते है।

उदाहरण : अभ्रक की सतह पर N2 गैस का अधिक शोषण

  1. रासायनिक अधिशोषण: जब अधिशोषक अधिशोष्य के मध्य प्रबल रासायनिक बंध बनते है तो उसे रासायनिक अधिशोषण कहते है।

उदाहरण : Ni की सतह पर हाइड्रोजन गैस का अधिशोषण

 भौतिक अधिशोषण  रासायनिक अधिशोषण
 1. अधिशोषक व अधिशोष्य के मध्य दुर्बल वांडर वाल बल पाए जाते है।  अधिशोषक व अधिशोष्य के मध्य प्रबल रासायनिक बंध पाए जाते है।
 2. यह विशिष्ट नहीं होता अर्थात प्रत्येक गैस ठोस की सतह पर किसी न किसी मात्रा में अवश्य अधिशोषित होती है।  यह विशिष्ट होता है अर्थात केवल वे गैस जो ठोस से रासायनिक बंध बना सकती है उनका ही रासायनिक अधिशोषण होता है।
 3. अधिशोषण ऊष्मा का मान 20-40 KJ/mol होता है।  अधिशोषण ऊष्मा का मान 80 -240 KJ/mol होता है।
 4. यह उत्क्रमणीय होता है।  यह अनुत्क्रमणीय होता है।
 5. बहुआण्विक परत बनती है।  एक आण्विक परत बनती है।
 6. कम सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है।  अधिक सक्रियण ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
 7. ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने पर अधिशोषण अधिक होता है।  ठोस का पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने पर अधिशोषण अधिक होता है।
 8. ताप बढाने पर अधिशोषण की मात्रा कम होती जाती है।  ताप बढाने पर पहले अधिशोषण की मात्रा बढती जाती है , बाद में कम होती जाती है।