वान डी ग्राफ जनित्र (van de graaff generator in hindi) , क्या है , सिद्धांत , वर्णन , कार्यविधि , कार्य

(van de graaff generator in hindi) वान डी ग्राफ जनित्र :  वान डी ग्राफ़ जनित्र एक ऐसी मशीन है जो कई लाख वोल्ट की कोटि की वोल्टता उत्पन्न कर सकती है।

इन वोल्टताओं के फलस्वरूप प्राप्त अति उच्च तीव्रता के विद्युत क्षेत्रो का उपयोग आवेशित कणों (इलेक्ट्रॉन , प्रोटोन , आयन) को त्वरित करके उनकी ऊर्जाओं में वृद्धि करने के लिए किया जाता है।

वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत

माना R त्रिज्या का एक बड़ा चालक गोलीय कोश है जिसे Q आवेश दिया गया है। यह समस्त आवेश कोश के पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जायेगा।

हम जानते है कि गोलाकार चालक या कोश के पृष्ठ पर मौजूद आवेश उसी प्रकार कार्य करता है जैसे कि वह कोश के केंद्र पर रखा हो।

इसके साथ आवेशित गोलाकार चालक अथवा चालक गोलीय कोश के अन्दर विद्युत क्षेत्र (E = 0) तो शून्य होता है लेकिन अन्दर प्रत्येक बिंदु पर विभव उतना ही होता है जितना कि पृष्ठ पर होता है।

अत: कोश के अन्दर प्रत्येक बिंदु पर विभव –

V = Q/4πε0R

अत: यदि r त्रिज्या का और +q आवेश युक्त छोटा गोला कोश के केंद्र पर रख दे तो अब बड़े गोले के पृष्ठ पर विभव –

Vबड़ा = (Q + q)/4πε0R

चूँकि कोश के केंद्र पर प्रभावी आवेश = (Q + q)

या

Vबड़ा = 1/4πε0 [Q/R + q/R]

भीतर वाले छोटे गोले के पृष्ठ पर विभव –

Vछोटा = q/4πε0r + Q/4πε0R

Vछोटा = 1/4πε0 [Q/R + q/r]

अत:

Vछोटा – Vबड़ा = {1/4πε0 [Q/R + q/r]} – {1/4πε0 [Q/R + q/R]}

हल करने पर –

Vछोटा – Vबड़ा = q/4πε0 [1/r – 1/R]

इससे स्पष्ट है कि –

[1/r – 1/R] > 0

अत: Vछोटा – Vबड़ा > 0

या

Vछोटा > Vबड़ा

इससे स्पष्ट है कि कोश के पृष्ठ पर आवेश Q चाहे जितना हो लेकिन भीतर वाले छोटे गोले का विभव हमेशा कोश के विभव से अधिक होगा।

अत: यदि दोनों गोलों को संयोजित कर दे तो तुरंत आवेश का प्रवाह छोटे गोले से बड़े गोले की तरफ होगा क्योंकि आवेश का प्रवाह उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है। इस प्रकार यदि किसी प्रकार बड़े गोले के अन्दर छोटे आवेशित गोले को रखने में सफल हो जाए तो बड़े गोले पर आवेश का अम्बार लगा सकते है। फलस्वरूप बड़े गोले का विभव तब तक बढ़ता रहेगा जब तक कि वायु का रोधन नहीं टूट जाता है।

इस पर पृथ्वी के सापेक्ष लाखो वोल्ट का विभवान्तर उत्पन्न किया जा सकता है। यही वान डी ग्राफ जनित्र का सिद्धांत है।

वान डी ग्राफ जनित्र की रचना या संरचना :-

वान डी ग्राफ़ जनरेटर की संरचना निचे चित्र दिखाई गयी है | इसमें कई मीटर ऊँचा एक विद्युतरोधी स्तम्भ एक विशाल चालक गोलीय कोश (जिसकी त्रिज्या कई मीटर होती है।) को संभाले रखता है। इसमें दो घिरनियाँ लगी होती है जिनमे एक घिरनी खोल (कोश) के केंद्र पर और दूसरी फर्श के पास लगी होती है।

इन दोनों घिरनियों से होकर एक विद्युतरोधी पदार्थ (रबड़ या रेशम) का पट्टा गुजरता है। नीचे वाली घिरनी किसी मोटर से चालित रहती है। यह पट्टा निरंतर एक आवेश स्रोत से लगे ब्रश द्वारा आवेश लेकर नीचे से ऊपर शीर्ष तक ले जाता रहता है। यहाँ पर कोश से संयोजित ब्रश इस आवेश को लेकर कोश को पहुंचाता रहता है जो कोश के बाहरी पृष्ठ पर समान रूप से वितरित होता रहता है। इस तरह 6 से 8 लाख वोल्ट तक की उच्च वोल्टता का अंतर पृथ्वी के सापेक्ष बनाये रखा जा सकता है।

प्रश्न और उत्तर

प्रश्न : पृथ्वी का विभव शून्य होता है क्योंकि यह है –

(1) निरावेशित

(2) शून्य धारिता की वस्तु

(3) कुल आवेश बहुत कम है लेकिन त्रिज्या बहुत अधिक है |

(4) अन्नत आवेश रखती है |

उत्तर : (3) कुल आवेश बहुत कम है लेकिन त्रिज्या बहुत अधिक है |

प्रश्न : एक 6 माइक्रो फैरड का संधारित्र इतना आवेशित किया गया कि उसकी प्लेटों के मध्य विभवान्तर 50 वोल्ट हो जाता है तो इस क्रिया में किये गए कार्य का मान होगा ?

 (1) 7.5 x 10-2 J

(2) 7.5 x 10-3 J

(3) 3 x 10-6 J

(4) 3 x 10-3 J

उत्तर : (2) 7.5 x 10-3 J

प्रश्न : यदि 2 माइक्रो फैरड धारिता के संधारित्र की ऊर्जा 0.16 जूल हो तो उसका विभवान्तर होगा –

(1) 800 V

(2) 400 V

(3) 16 x 104 V

(4) 16 x 10-4 V

उत्तर : (2) 400 V

प्रश्न : संधारित्र की धारिता है –

(1) प्लेटों के बीच माध्यम के पराविद्युतांक के समानुपाती

(2) प्लेटो के बीच माध्यम के पराविद्युतांक के व्युत्क्रमानुपाती

(3) प्लेटो के बीच माध्यम के पराविद्युतांक के वर्ग के समानुपाती

(4) प्लेटो के बीच माध्यम के पराविद्युतांक से स्वतंत्र

उत्तर : (1) प्लेटों के बीच माध्यम के पराविद्युतांक के समानुपाती

प्रश्न : धारिता की इकाई क्या है ?

उत्तर : फैरड

प्रश्न : किसी आवेशित चालक पर संग्रहित ऊर्जा का मान कितना होता है ?

उत्तर : CV2/2

प्रश्न : किसी गोलीय चालक की धारिता का मान किसके समानुपाती होता है ?

उत्तर : किसी गोलीय चालक की धारिता का मान इसकी त्रिज्या के समानुपाती होता है।

प्रश्न : समान्तर पट्ट संधारित्र को आवेशित करके विलगित कर दिया जाता है। प्लेटों के बीच की दूरी बढाने पर –

उत्तर : आवेश – अपरिवर्तित रहता है।  , विभव – बढेगा , धारिता का मान घटेगा।

प्रश्न : दो धातु के गोलों की त्रिज्या क्रमशः 5 सेंटीमीटर और 10 सेंटीमीटर और दोनों पर समान आवेश 75 माइक्रो कूलाम है , यदि दोनों गोलों को सम्पर्कित कर दिया जाए तो आवेश प्रवाह होगा –

उत्तर : 25 माइक्रो कूलाम छोटे गोले से बड़े गोले में।