ज्वालामुखी का वितरण (distribution of volcanoes in hindi) , ज्वालामुखी का वैश्विक वितरण world distribution of volcanoes

world distribution of volcanoes in hindi , ज्वालामुखी का वैश्विक वितरण :

ज्वालामुखी का वितरण (distribution of volcanoes)

ज्वालामुखी का वैश्विक वितरण प्लेट विवर्तनिकी के आधार पर दर्शाया जाता है।
विश्व में निम्नलिखित प्रमुख ज्वालामुखी पेटियाँ है –
(1) परि-प्रशांत महासागरीय पेटी (circum pacific belt)
(2) मध्य महाद्वीपीय पेटी (mid continental belt)

(3) मध्य महासागरीय पेटी (mid oceanic belt)

(1) परि-प्रशांत महासागरीय पेटी (circum pacific belt) : यह ज्वालामुखी की सबसे प्रमुख पेटी है जिसमे विश्व के लगभग दो-तिहाई (2/3 rd) ज्वालामुखी उद्भव होते है।  यह पेटी अभिसारी प्लेट किनारों पर स्थित है।  इस पेटी क्षेत्र में अत्यधिक विस्फोटक ज्वालामुखी उद्भव होते है।  यह एक सक्रीय ज्वालामुखी पेटी है अत: इसे ” प्रशांत महासागरीय अग्नि वलय ” भी कहते है।
इस पेटी क्षेत्र में उत्तरी अमेरिका , दक्षिण अमेरिका , फिलिपिन्स तथा जापान के ज्वालामुखी सम्मिलित है।
जैसे : उत्तरी अमेरिका के ज्वालामुखी : हुड , रेनियर और शास्ता आदि।
दक्षिण अमेरिका के ज्वालामुखी : अकोंका गोआ , कोटोपैक्सी और चिम्बराजो आदि।
जापान के ज्वालामुखी : फ्युजिशान आदि।
(2) मध्य महाद्वीपीय पेटी (mid continental belt) : यह ज्वालामुखी की दूसरी प्रमुख पेटी है इस पेटी क्षेत्र महाद्वीपीय प्लेटो के बीच अभिसारी प्लेट किनारों पर आने वाली ज्वालामुखी सम्मिलित है।
अभिसारी प्लेट किनारे होने के कारण यहाँ विस्फोटकता ज्वालामुखी उद्भव होते है।
इस पेटी क्षेत्र में भू-मध्य सागर तथा हिन्द महासागर के ज्वालामुखी सम्मिलित है।
जैसे : भू-मध्य सागर में उद्भव ज्वालामुखी : विसुवियस , स्ट्रोम्बोली तथा एटना आदि।
हिन्द महासागर में उद्भव पेटी : बैरन द्वीप , नारकोंडम द्वीप आदि।
 (3) मध्य महासागरीय पेटी (mid oceanic belt) : यह पेटी महासागरीय क्षेत्र में अपसारी प्लेट किनारों पर स्थित है।
इन प्लेट किनारों पर मध्यम से निम्न तीव्रता के ज्वालामुखी उद्भव होते है।
इस पेटी क्षेत्र में महासागरीय कटक तथा द्वीप पाए जाते है।
जैसे : मध्य अटलांटिक कटक तथा हेलेना द्वीप आदि।

ज्वालामुखी तप्त स्थल (volcanic hotspots)

जब ज्वालामुखी उद्भव प्लेट किनारों पर होने के बजाय प्लेट के मध्य भाग में होते है तो उसे ज्वालामुखी तप्त स्थल कहते है।  इसे अन्तरा प्लेट ज्वालामुखी भी कहते है।
मेंटल प्लूम (mantle plume) के कारण तप्त स्थल का निर्माण होता है।  मेंटल प्लूम का अर्थ है मेंटल में गर्म मैग्मा का ऊपर उठना।
ज्वालामुखी तप्त स्थल से प्लेटो की गति की दिशा के बारे में पता चलता है।
उदाहरण : हवाई द्वीप (प्रशांत महाद्वीप)
रियूनियम (द्वीप हिन्द महासागर)

ज्वालामुखी उद्भव के प्रभाव (impacts of volcanic eruptions)

ज्वालामुखी उद्भव के कुछ नकारात्मक प्रभाव है और कुछ सकारात्मक भी प्रभाव है , हम यहाँ इसके दोनों प्रभावों के बारे में अध्ययन करेंगे।
नकारात्मक प्रभाव (negative impacts) :
  • जानमाल की हानि होती है।
  • ज्वालामुखी के कारण भूकंप जैसी अन्य आपदाओं को भी बढ़ावा मिलता है।
  • ज्वालामुखी के कारण जैव विविधता (bio-diversity) को भी नुकसान पहुँचता है।
  • महासागरीय क्षेत्रो में ज्वालामुखी उद्भव होने पर जलीय जीव नष्ट हो जाते है।
  • बसाल्ट जैसे क्षारीय लावा के फैलने से विस्तृत क्षेत्र नष्ट हो जाता है।
  • ज्वालामुखी गैसों के कारण अम्लीय वर्षा की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • ज्वालामुखी गैसों के कारण वायु प्रदूषित हो जाती है।
सकारात्मक प्रभाव (positive impacts) :
  • ज्वालामुखी क्रियाओ से पृथ्वी के आंतरिक भाग से अतिरिक्त दाब को निकालने में सहायता मिलती है इसलिए यह ज्वालामुखी पृथ्वी के लिए सुरक्षा वाल्व (safety valve) की तरह कार्य करता है।
  • ज्वालामुखी क्रियाओ से विभिन्न स्थलाकृतियाँ बनती है जो अत्यधिक उपयोगी होती है।
  • ज्वालामुखी क्षेत्रो से निकलने वाला गंधक (सल्फर) युक्त जल चर्म रोगों के इलाज में सहायक होता है।
  • ज्वालामुखी क्षेत्रो से भाप (steam) निकलती है जिसका उपयोग भू-तापीय ऊर्जा (geo thermal energy) के रूप में किया जाता है।
  • ज्वालामुखी क्रियाओ से चट्टानों का निर्माण होता है जिससे विभिन्न खनिज प्राप्त होते है।
  • बसाल्ट लावा से काली मृदा का निर्माण होता है जो कपास की खेती के लिए लाभदायक होती है।
  • यह पृथ्वी की आंतरिक संरचना के अध्ययन में सहायक होता है।