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विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (U) , potential energy due to electric dipole in hindi

potential energy due to electric dipole in hindi , विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (U) :-

विभिन्न आवेशो से निर्मित निकाय की स्थितिज ऊर्जा (U) :- दो या दो से अधिक आवेशों को अनंत से किन्ही विशेष स्थितियों तक प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध विस्थापित करने में किया गया कुल कार्य निकाय की स्थितिज ऊर्जा (U) के रूप में संचित रहती है।

यहाँ निकाय का आशय विभिन्न आवेशो से निर्मित एक ऐसे समूह से है , जिसमे प्रत्येक आवेश का एक दूसरे से अन्योनी क्रिया करता है।

(i) दो आवेशों से निर्मित निकाय की स्थितिज ऊर्जा (U) (potential energy due to two point charges):-

q1आवेश को अनंत से किसी बिंदु A तक प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध विस्थापित करने में किया गया कार्य –

w1= 0 समीकरण-1

क्योंकि निकाय में कोई अन्य आवेश उपस्थित नहीं है , अत: q1आवेश पर कोई विद्युत बल कार्य नहीं करता है।

q2आवेश को अनन्त से विद्युत क्षेत्र में उपस्थित बिंदु B तक विस्थापित करने में किया गया कार्य w1है।

विभव की परिभाषा से –

VQ= W2/q2

W2= VQq2समीकरण-2

q1आवेश से r दूरी पर विभव –

VQ= Kq1/r समीकरण-3

समीकरण-3 से मान समीकरण-2 में रखने पर –

W2= Kq1q2/r समीकरण-4

कुल कार्य W = W1+ W2

W = U = 0 + Kq1q2/r

W = U = Kq1q2/r

स्थितिज ऊर्जा (U) दोनों आवेशो के मध्य की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

यदि q1व q2= धनात्मक है

तो स्थितिज ऊर्जा (U) = धनात्मक होगा।

यदि q1= ऋणात्मक व q2= धनात्मक है

तो स्थितिज ऊर्जा (U) = ऋणात्मक होगी।

यदि q1= ऋणात्मक व q2= ऋणात्मक है

तो स्थितिज ऊर्जा (U) = धनात्मक होगी।

तीन आवेशो से निर्मित निकाय की स्थितिज ऊर्जा (electrostatic potential energy for a system of three point charges)

q1आवेश को अनन्त से किसी बिंदु P तक विस्थापित करने में किया गया कार्य –

W1= 0 समीकरण-1 होगा।

यदि q2आवेश को अनंत से बिंदु Q तक विस्थापित करे तो किया गया कार्य –

W2= Kq1q2/r12समीकरण-2

यहाँ r12, q1व q2आवेश के मध्य की दूरी है।

q3आवेश को अनंत से बिंदु R तक प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध लाने में किया गया कार्य

W3= Kq1q2/r13+ Kq2q3/r23

r13= q1व q3के मध्य दूरी

r23= q1व q3के मध्य दूरी

कुल कार्य W = U = W1+ W2+ W3

W = U = 0 + Kq1q2/r12+ Kq1q2/r13+ Kq2q3/r23

इसी प्रकार n आवेशो से निर्मित निकाय की स्थितिज ऊर्जा

कुल कार्य या स्थितिज ऊर्जा = W = U = W1+ W2+ W3+ W4+ …….. + Wn

U = 0 + kq1q2/r12+ kq1q3/r13+ kq2q3/r23+ kq1q4/r14+ kq2q4/r24+ kq3q4/r34+ ….. + kq(n-1)qn/r(n-1)n

एक समान विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विध्रुव को घुमाने में किया गया कार्य (work done in rotating an electric dipole in an electric field)

किसी एक समान विधुत क्षेत्र में वैद्युत द्विध्रुव को स्वतंत्र रखने पर यह सदैव साम्यावस्था की स्थिति में रहते है। विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में विधुत द्विध्रुव को θ कोण पर घुमाया गया है। इस स्थिति में किये गए कुल कार्य का मान ज्ञात करने के लिए वैद्युत द्विध्रुव को अल्प कोणीय विस्थापन dθ देते है अत:

वैद्युत द्विध्रुव को एकसमान विद्युत क्षेत्र में dθ कोण से घुमाने में संपन्न कार्य dW है तो –

dW = T(dθ)

विद्युत द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र में घुमाने में किया गया कुल कार्य –

∫dw =θ1θ2τ dθ

W =θ1θ2PEsinθ dθ

W = PEθ1θ2sinθ dθ

W = PE(-cosθ2–(-cosθ1))

W = PE (-cosθ2+ cosθ1)

यहाँ θ1= प्रारंभिक कोणीय विस्थापन

θ1= 0

θ2= अंतिम कोणीय विस्थापन

θ2= θ

वैद्युत द्विध्रुव को θ1= 0 से θ2= θ तक घुमाने में संपन्न कार्य –

W = PE (-cosθ + cos0 )

चूँकि cos0 = 1

अत: W = PE (-cosθ + 1 )

W = PE (1 – cosθ)

विद्युत द्विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा (U) (potential energy due to electric dipole)

किसी वैद्युत द्विध्रुव को इसकी लम्बवत स्थिति θ = 90 से किसी विशेष कोणीय स्थिति θ तक घुमाने में किया गया कुल कार्य स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित रहता है।

U = W =90θτ dθ

U =90θPE sindθ

U = PE90θsindθ

U = PE[-cosθ]90θ

U = PE [-cosθ – (-cos90)]

U = PE (-cosθ + 0)

U = -PEcosθ