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अधिशोषण के उपयोग , uses of absorption in hindi , अधिशोषण सूचक , गैस मास्क में

अधिशोषण सूचक , गैस मास्क में , अधिशोषण के उपयोग , uses of absorption in hindi :-

ठोस की सतह पर गैसों के अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक :

  1. गैस की प्रकृति : वे गैस जो सरलता से द्रवित हो जाती है उनका ठोस की सतह पर आसानी से अधिशोषण हो जाता है।

नोट : वे गैस जिनका अणुभार अधिक तथा क्रांतिक ताप भी अधिक होता है , वे आसानी से द्रवित हो जाती है जैसे : CO2, SO2

  1. ठोस अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल: जब ठोस चूर्णित अवस्था में होता है तो उसका कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होता है। पृष्ठीय क्षेत्रफल अधिक होने पर अधिशोषण की प्रवृति अधिक होती है।

ताप: ताप बढाने पर गैसों का अधिशोषण कम होता है।

व्याख्या : जब ठोस की सतह पर गैसों का अधिशोषण होता है तो ऊष्मा अवश्य बाहर निकलती है।

लाशातैलिए के नियम से ताप बढाने पर उपरोक्त साम्य उस दिशा में विस्थापित हो जाता है जिधर ताप में कमी हो जाए अर्थात साम्य पश्च दिशा में विस्थापित हो जाता है अत: ताप बढाने पर भौतिक अधिशोषण कम होता है।

  1. दाब: फ्रायंडलिक ने स्थिर ताप पर अधिशोषण की मात्रा तथा दाब के मध्य एक ग्राफ खिंचा जिसे फ्रायंडलिक समतापी वक्र कहते है।

उपरोक्त ग्राफ से निम्न निष्कर्ष सामने आते है –

(a) न्यून दाब पर अधिशोषण की मात्रा दाब के समानुपाती होती है अर्थात

x/m ∝ P

x/m = KP

(b) उच्च दाब पर अधिशोषण की मात्रा दाब से अप्रभावित रहती है अर्थात दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

(c) दाब की मध्यवर्ती अवस्था में अधिशोषण की मात्रा को निम्न प्रकार से प्रदर्शित करते है –

x/m ∝ P1/n

x/m = KP1/n(फ्रायंडलिक समतापी समीकरण )

यहाँ K तथा n नियतांक है जिसका मान अधिशोषक व अधिशोष्य की प्रकृति पर निर्भर करता है।

विलयन प्रावस्था से अधिशोषण

इसके निम्न उदाहरण है –

  1. अशुद्ध शर्करा के विलयन में जान्तव चारकोल मिलाने पर रंगीन अशुद्धियाँ चारकोल की जगह अधिशोषित हो जाती है।
  2. एसिटिक अम्ल के जलीय विलयन में चारकोल डालने पर एसिटिक अम्ल की कुछ मात्रा चारकोल की सतह पर अधिशोषित हो जाती है जिससे विलयन की सांद्रता कम हो जाती है।
  3. मैग्नेसान अभिकर्मक की उपस्थिति में mg(OH)2को अवक्षेपित (छोटे) करने पर वह मैग्नेसान के नीले रंग को अधिशोषित कर लेता है।

विलयन प्रावस्था में अधिशोषण को प्रभावित करने वाले कारक

  1. विलयन का ताप
  2. विलयन की सांद्रता
  3. अधिशोषक व अधिशोष्य की प्रकृति
  4. ठोस अधिशोषक का पृष्ठीय क्षेत्रफल

विलयन प्रावस्था में अधिशोषण की मात्रा को निम्न समीकरण से व्यक्त करते है –

x/m ∝ C1/n

x/m = KC1/n

(c = विलयन की सांद्रता)

अधिशोषण के उपयोग

  1. गैस मास्क में: कोयले की खान में काम करने वाले श्रमिक गैस मास्क का उपयोग करते है। इसमें चारकोल तथा अन्य अधिशोषक पदार्थ भरे होते है जो विषैली गैसों का अधिशोषण करते है।
  2. आद्रता के नियंत्रण में: सिलिका जैल तथा एल्युमिनियम जैल आद्रता (नमी) के नियंत्रण में काम आते है।
  3. उच्च निर्वात उत्पन्न करने में: निर्वात पम्प की सहायता से पात्र की वायु को हटा देते है। इसमें चारकोल डालने पर शेष वायु चारकोल की सतह पर अधिशोषित हो जाती है जिससे उच्च निर्वात उत्पन्न होता है।
  4. व्याधियो (रोगों) के उपचार में: विभिन्न प्रकार की मल्हम जीवाणुओं को अधिशोषित कर उन्हें नष्ट कर देती है।
  5. रंगीन अशुद्धियो के हटाने में: जान्तव चारकोल अशुद्ध शर्करा के विलयन में से रंगीन अशुद्धियो को अधिशोषित कर लेता है।
  6. अक्रिय गैसो के पृथक्करण में:नारियल चारकोल अक्रिय गैसों के मिश्रण में से अक्रिय गैसों को पृथक करने में काम आता है।
  7. विषमांगी उत्प्रेरण में: ठोस उत्प्रेरक क्रिया कारक के अणुओं को अधिशोषित कर उन्हें क्रियाफल में बदल देते है।
  8. अधिशोषण सूचक: NaCl अवक्षेप के कण बनते समय इओसीन तथा फ्लूओरेसाइन NaCl के कणों पर अधिशोषित हो जाते है जिससे अंतिम बिंदु की सुचना प्राप्त होती है।
  9. वर्ण लेखिकी में: स्टार्च , नमक अधिशोषक मिश्रण के घटकों को पृथक करने में काम आता है।