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दर्द निवारक या पीड़ाहारी (analgesics) , प्रशान्तक (tranquillizer) , पूतिरोधी (antiseptic) in hindi

स्वास्थ्य में रसायन (chemical in health):

(1) दर्द निवारक या पीड़ाहारी (analgesics): वे रासायनिक पदार्थ व औषधियां जिनका उपयोग दर्द या पीड़ा को कम करने के लिए किया जाता है , दर्द निवारक औषधियाँ कहलाती है।

यह हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र को सक्रीय करते है।

यह दवाइयां निम्न प्रकार से है –

(a) अस्वापक / अनाकोर्टिक (non narcotics)

(b) स्वापक / नार्कोटिक (narcotics)

(a) अस्वापक / अनाकोर्टिक (non narcotics)

वे दवाइयां जिनका उपयोग कम दर्द या पीड़ा में दिया जाता है , अस्वापक या अनाकोर्टिक औषधियाँ कहलाती है।

  • यह सामान्य पिडाकारी होती है।
  • इनका प्रभाव कुछ समय के लिए होता है।
  • इनके सेवन से व्यक्ति आदि नहीं होता है।
  • यह औषधियां ज्वर रोधी का भी कार्य करती है।

उदाहरण : एस्प्रिन , पेरा सिटेमोल आदि।

(b) स्वापक / नार्कोटिक (narcotics)

वे औषधियां जिन्हें अधिक दर्द या असहनीय दर्द में दिया जाता है। नारकोटिक्स औषधियां कहलाती है।

इन औषधियों का उपयोग कैंसर रोगियों के लिए किया जाता है।

  • यह कठोर पीड़ाहारी होती है।
  • इनका प्रभाव लम्बे समय रहता है।
  • इनके सेवन से व्यक्ति आदि हो जाता है।
  • इनके सेवन से निद्राकारी प्रभाव होता है।

उदाहरण : मार्फिन , कोडिन , हेरोइन आदि।

प्रश्न : पीड़ाहारी औषधियों को बुखे पेट नहीं लिया जाता है क्यों ?

या

एस्प्रिन को भूखे पेट नहीं लेना चाहिए क्यों ?

उत्तर :

पीड़ाहारी औषधियों को बुखे पेट लेने पर यह अमाशय में उपस्थित जल के साथ क्रिया कर अम्लो का निर्माण कर देती है , यह अम्ल अमाशय की दीवारों पर घाव पैदा कर देते है इसलिए पीड़ाहारी औषधियो को भूखे पेट नहीं लेना चाहिए।

(2) प्रशान्तक (tranquillizer)

वे रासायनिक पदार्थ व औषधियां जिनका उपयोग मानसिक तनाव या मानसिक रोगों के उपचार में प्रयुक्त किया जाता है , प्रशान्तक औषधियां कहलाती है।

यह अत्यधिक व्यग्रता या बैचेनी में प्रयुक्त की जाती है।

यह हमारे शरीर के केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।

इन औषधियों के सेवन से निंद्रा-कारी प्रभाव होता है।

यह औषधियाँ बर्बिट्युरिक अम्लो के बने व्युत्पन्न होते है।

उदाहरण : क्लोर डाई एजोपक्साइड , इक्वेनिस , मेप्रोबेमेट आदि।

प्रश्न : किस प्रशांतक औषधि का उपयोग अत्यधिक तनाव या अवसाद में किया जाता है ?

उत्तर : इक्वेनिल

  1. (3) पूतिरोधी (antiseptic)

वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग सूक्ष्मजीवाणु (बैक्टीरिया) की वृद्धि को रोकते तथा जीवित उत्तको (त्वचा) पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं डालते है , पूतिरोधी कहलाते है।

इनका उपयोग त्वचा पर कट या घाव को भरने के लिए किया जाता है।

उदाहरण : डेटोल , बाई थायोनल , टिंचर आयोडीन , बोरिक अम्ल , कोलगेट , माउथबाश , क्रीम , लोशन , फेस पाउडर , साबुन आदि।

प्रश्न : डिटोल एक पूतिरोधी होता है , इसका मिश्रण दीजिये।

उत्तर : डेटोल = क्लोरो जाइलिनोल + टर्पिनोल

प्रश्न : टिंचर आयोडीन एक पूतिरोधी है , इसका मिश्रण दीजिये।

उत्तर : टिंचर आयोडीन = 2-3% आयोडीन + एल्कोहल + जल

प्रश्न : साबुन में किस पूतिरोधी को मिलाया जाता है , नाम व सूत्र दीजिये।

उत्तर : बाई थायोनल

प्रश्न : आँख के उपचार में प्रयुक्त पूतिरोधी का नाम व सूत्र दीजिये।

उत्तर : dilute बोरिक अम्ल

(4) रोगाणु नाशी (dis infectant)

वे रासायनिक पदार्थ जिनका उपयोग सूक्ष्म जीवो को नष्ट करने के लिए किया जाता है तथा जो जीवित उत्तको के लिए हानिकारक होते है , रोगाणुनाशी कहलाते है।

इनका उपयोग दिवार , फर्श या टॉयलेट्स में किया जाता है।

उदाहरण : फिनोल , H2O2, SO2, Cl2आदि।

नोट : फिनोल कम मात्रा में पूतिरोधी है , अधिक मात्रा में रोगाणुनाशी का कार्य करता।

0.02% फिनोल = पूतिरोधी

1.0 % फिनोल = रोगाणुनाशी

नोट : Cl2की 0.2% से 0.4% पार्ट्स पर मिलियन मात्रा जल को शुद्ध करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।

पूतिरोधी व रोगाणुनाशी में अंतर लिखो ?

पूतिरोधीरोगाणुनाशी
1. यह सूक्ष्मजीवो की वृद्धि को रोक देते है।यह सूक्ष्मजीवो को नष्ट कर देते है।
2. इन्हें त्वचा पर प्रयुक्त किया जाता है।इन्हें त्वचा पर प्रयुक्त नही करते अर्थात दिवार या फर्श पर प्रयुक्त किया जाता है।
3. इन्हें कम मात्रा में प्रयुक्त किया जाता है।इन्हें अधिक मात्रा में प्रयुक्त किया जाता है।
4. इनका प्रभाव लम्बे समय रहता है।इनका प्रभाव कम समय के लिए होता है।
5. यह कम हानिकारक होते है।यह अधिक हानिकारक होते है।
उदाहरण : डिटोलनेफ़थलीन बलिस