ऊर्जा , उदाहरण , ऊर्जा का उत्तम स्रोत , पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोत , conventional energy sources in hindi

ऊर्जा 

किसी भी कार्य को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है अर्थात् कार्य करने की श्रमता को ही ऊर्जा कहते है। ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है बल्कि इससे एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। अत: उर्जा अनेक रूप में होती है तथा इसे एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।

उदाहरण 

1.यदि हम किसी प्लेट को किसी ऊँचाई से घिराते है तो प्लेट की स्थितिज ऊर्जा का अधिकांश

भाग फर्श से टकराते समय ध्वनि ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है।

2.यदि हम किसी मोमबत्ती को जलाते हैं तो यह प्रक्रम अत्यधिक ऊष्माक्षेपी होती है और इस प्रकार मोमबत्ती के जलने पर मोम की रासायनिक ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा तथा प्रकाश ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है।

3. हम 100 ml जल लेते हैं तथा इससे 348k पर गर्म करके ऐसे रूम में रखते है जिसका तापमान 298k है। ऐसा कोई उपाय नही है जिसके द्वारा पर्यावरण में लुप्त हुई समस्त ऊष्मा को एकत्र करके जो जल एक बार ठंडा हो गया है उसे गरम किया जा सके।

किसी भी स्रोत में उपलब्ध ऊर्जा चारों ओर के वातावरण में अपेक्षाकृत कम प्रयोज्य रूप में क्षयित हो जाती है। अतः कार्य करने के लिए जिस किसी ऊर्जा के स्रोत का उपयोग करते हैं वह उपभुक्त हो जाता है और उसका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार मोमबती में लुप्त हुई रासायनिक अभिक्रिया को वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

ऊर्जा का उत्तम स्रोत 

दैनिक जीवन में कार्य करने के लिए हम ऊर्जा के विविध स्रोतों का उपयोग करते हैं। रेलगाडि़यों को चलाने में हम डीजल का उपयोग करते हैं। सड़कों पर लगे लैम्पों को दीप्तिमान बनाने में विद्युत उर्जा का उपयोग करते है। साइकिल से कई भी जाने में पेशियों की ऊर्जा का उपयोग किया जाता हैं। अत: शारीरिक कार्यों को करने के लिए पेशीय ऊर्जा, विविध वैद्युत साधित्र को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा, भोजन पकाने अथवा वाहनों को दौड़ाने के लिए रासायनिक ऊर्जा ये सभी ऊर्जाएँ किसी न किसी ऊर्जा स्रोत से प्राप्त होती हैं।

कुछ कार्यों को करने के लिए किसी विशेष ऊर्जा स्रोत की आवश्यता होती है अर्थात ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किसी भी ईंधन का चयन अनेक कारकों पर निर्भर करता है। जैसे की ईंधन का दहन पर कितनी ऊष्मा मुक्त करता है, कितना अत्यधिक धुआँ उत्पन्न करता है, ईंधन आसानी से उपलब्ध है या नहीं आदि।

एक उत्तम ऊर्जा का स्रोत वह है जो 

1.प्रति एकांक आयतन अथवा प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।

2.भंडारण तथा परिवहन में आसान हो।

3.ऊर्जा का स्रोत सस्ता भी होन चाहिए।

4.सरलता से सुलभ हो सके।

ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। आज के युग में सब कुछ ऊर्जा पर ही निर्भर करता है। ऊर्जा के स्रोत दो प्रकार के हो सकते हैं

1. पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Conventional sources of energy)

2. गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Nonconventional sources of energy)

उर्जा के पारम्परिक स्रोत (conventional energy sources in hindi)

उर्जा के वे स्रोत जो कुछ समय बाद नष्ट हो जाएँगे या जिन्हें हम बार बार प्राप्त नहीं कर सकते उर्जा के पारम्परिक स्रोत कहलाते है।

या

पारंपरिक ऊर्जा स्रोत वे हैं, जो लंबे समय से प्रयोग में हैं। ये प्रकृति में तय तथा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं।

उदाहरण – कोयला, पेट्रोल , डीजल, कच्चा तेल आदि।

पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोत 

1.जीवाश्म ईंधन

2.ऊष्मीय शक्ति ऊर्जा

3.जलविद्युत ऊर्जा

4.बायोमास

5.पवन ऊर्जा

1.जीवाश्मी ईंधन 

वे ईधन जिनका निर्माण खरोड़ो वर्षो पहले सजीव प्राणियों के अवशेषो से जैविक प्रकिया दवारा प्राप्त होते है जीवाश्मी ईंधन कहलाते है।

उर्जा के स्रोत के रूप में कोयले पर निर्भरता 

1.कोयले के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया।

2.ऊर्जा की बढ़ती माँग की अधिकांश पूर्ति जीवाश्मी ईंधन-कोयला तथा पेट्रोलियम से की जाती है।

3. आज भी उर्जा का अधिकांश भाग लगभग 70% जीवाश्मी ईंधन-कोयला तथा पेट्रोलियम से प्राप्त होती है।

माँग में वृद्धि के साथ-साथ इन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने के लिए प्रौद्योगिकियों में भी विकास किए गए। इन ईंधन का निर्माण करोड़ों वर्षों में हुआ हैं तथा अब केवल इनके सीमित भंडार ही शेष बचे हैं। जीवाश्मी ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं अतः इन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है। यदि हम इन ऊर्जा स्रोतों का उपयोग इसी तरह से करते रहें तो हमारे ये भंडार शीघ्र ही खत्म हो जाएँगे। ऐसी स्थिति से बचने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की खोज की गई।

उर्जा के स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधन की उपयोगिता 

1.धरेलु ईधन के रूप में कोयला,पेट्रोल,केरोसिन आदि

2.वाहनों के रूप में उपयोग कोयला,पेट्रोल तथा CNG

3.तापीय विधुत संयत्र में कोयला का जीवाश्मी ईंधन के रूप में उपयोग

जीवाश्मी ईंधन के जलने के कारण होने वाली हानिया 

1. यह जलने पर बहुत अधिक धुआं उत्पन्न करते है जिसके कारण वायु प्रदुषण होता है।

2. ईंधन के जलने पर मुक्त होने वाले कार्बन, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड अम्लीय ऑक्साइड होते हैं जो की अम्लीय वर्षाके मुख्य कारण होते है।

3. ईंधन के जलने पर मिथेंन तथा कार्बन मोनो ऑक्साइड छोड़ते है जो की ग्रीन हाउस प्रभाव का मुख्य कारण है।