परमाणु त्रिज्या या परमाण्विक त्रिज्या , सहसंयोजक त्रिज्या , वाण्डरवाल त्रिज्या , प्रभावित करने वाले कारक 

परमाणु त्रिज्या या परमाण्विक त्रिज्या : नाभिक से बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन के बीच की दूरी को परमाण्विक त्रिज्या कहते है।
परमाणु त्रिज्या का सही मान ज्ञात नहीं किया जा सकता है क्यूँकि –
  • परमाणु स्वतंत्र अवस्था में नहीं पाया जाता।
  • हाइजेन वर्ग के अनुसार इलेक्ट्रॉन की सही स्थिति ज्ञात नहीं की जा सकती।
परमाणु त्रिज्या के प्रकार :-
1. सहसंयोजक त्रिज्या
2. धात्विक त्रिज्या
3. वाण्डरवाल त्रिज्या

 1. सहसंयोजक त्रिज्या

सहसंयोजक बंध से जुड़े दो समान परमाणुओं के नाभिकों के बीच की दूरी का आधा सहसंयोजक त्रिज्या कहलाती है।

2. धात्विक त्रिज्या

दो धातु परमाणुओं के नाभिको के बीच की दूरी का आधा धात्विक त्रिज्या कहलाती है।

3. वाण्डरवाल त्रिज्या

दो अनाबंधित परमाणुओं के नाभिक के बीच की दूरी का आधा वाण्डरवाल त्रिज्या कहलाती है।

परमाणु की त्रिज्या को प्रभावित करने वाले कारक

1. कोशों (कक्षों) की संख्या : वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढती जाती है इससे बाह्य इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी बढती जाती है अत: परमाणु का आकार बढ़ता जाता है जिससे परमाण्वीय त्रिज्या बढती जाती है।
2. प्रभावी नाभिकीय आवेश : आवर्त में बाएं से दायें जाने पर कोशों की संख्या स्थिर रहती है परन्तु नाभिक में प्रोटोन की संख्या बढती जाती है जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है , इससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बल बढ़ता है अत: परमाणु का आकार छोटा होता है जिससे परमाणु त्रिज्या का मान भी कम होता जाता है।
3. परिरक्षण प्रभाव या आवरणि प्रभाव : अन्दर के इलेक्ट्रॉन बाहर के इलेक्ट्रॉनो को प्रतिकर्षित करता है इसे परिरक्षण प्रभाव कहते है , परिरक्षण प्रभाव बढने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है जिससे परमाणु त्रिज्या का मान भी बढ़ता जाता है।
समइलेक्ट्रॉनिक श्रेणी : परमाणु या आयन की वह श्रेणी जिसमें इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है उसे समइलेक्ट्रॉनिक श्रेणी कहते है।

नोट : 

  • सम इलेक्ट्रोनिक श्रेणी से वह परमाणु या आयन जिसमें प्रोटोनो की संख्या सबसे अधिक होती है उसका आकार छोटा होता है।
  • धनायन का आकार उदासीन परमाणु से छोटा होता है।
  • कभी कभी धनायन बनते समय बाह्य कोश पूर्ण रूप से समाप्त हो जाता है जिससे धनायन का आकार छोटा होता है और इसके साथ ही शेष इलेक्ट्रॉनो पर नाभिक का आकर्षण बल अधिक हो जाता है।
  • किसी परमाणु पर जितना अधिक धनावेश होता है उसका आकार उतना ही छोटा होता जाता है। जबकि किसी परमाणु पर जितना अधिक ऋण आवेश होता है उसका आकार उतना ही अधिक बड़ा होता है।

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