क्वाण्टम संख्याएँ : मुख्य क्वाण्टम संख्या (n) , द्विगंशीय या गौण क्वांटम संख्या (l) , चुम्बकीय , चक्रण क्वान्टम संख्या

क्वाण्टम संख्याएँ : “इलेक्ट्रॉन की स्थिति और ऊर्जा ज्ञात करने के लिए चार संख्याओं की आवश्यकता होती है इन्हें क्वांटम संख्याएं कहते है। ”

क्वान्टम संख्याएं निम्न है –
2. द्विगंशीय या गौण क्वांटम संख्या (l)
3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (m)
4. चक्रण क्वाण्टम संख्या (s)

1. मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)

इसे n से व्यक्त करते है , n का मान 1 से अन्नत (∞) तक होता है और यह क्वांटम संख्या कोश (कक्ष) के बारे में जानकारी देती है।
यदि
n = 1 , 2 , 3 , 4 , 5 . . . . . . . हो तो
कोश = K , L , M , N , O . . . . .  होंगे।
किसी कोश में अधिकतम कक्षक n2 हो सकते है और अधिकतम इलेक्ट्रॉन 2nहोते है। इसे बोर बरी का नियम कहते है।
n का मान बढ़ने पर ऊर्जा का मान बढ़ता है और n का मान बढ़ने पर परमाणु का आकार भी बढ़ता है क्योंकि r का मान बढ़ता है।
 n का मान
 कोश 
 अधिकतम कक्षक (n2)
 अधिकतम इलेक्ट्रॉन (2n2)
 1
 K
 1
 2
 2
 L
 4
 8
 3
 M
 9
 18
 4
 N
 16
 32
 5
 O
 25
 50

2. द्विगंशी क्वांटम संख्या (l)

इसे l से व्यक्त करते है , यह क्वाण्टम संख्या उपकोश के बारे में जानकारी देती है।  l का मान 0 से लेकर (n – 1) तक होता है।
n का मान
l का मान
1
0
2
0 , 1
3
0 , 1 , 2
4
0 , 1 , 2 , 3
n के निश्चित मान के लिए l के जितने मान होते है , उस कोश में उतने ही उपकोश होते है।
यदि l = 0 , 1 , 2 , 3 , 4 . . . . . है तो
उपकोश s , p , d , f होंगे।
s उपकोश की आकृति = गोलाकार
p उपकोश की आकृति = डम्बलाकार
d उपकोश की आकृति = द्विडम्बलाकार
f उपकोश की आकृति = जटिल
किसी उप कोश में अधिकतम कक्षक 2l + 1 होते है अत: s , p , d , f उपकोशों में कक्षक 1 , 3 , 5 , 7 होंगे।
किसी उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉन 2(2l + 1) होते है अत: s , p , d , f उपकोश में इलेक्ट्रॉन 2 , 6 , 10 , 14 होंगे।
एक ही कोश में उपकोशों की ऊर्जा निम्न क्रम में बढती है –
S < P < d < f
 l का मान
 उपकोश
 आकृति
 अधिकतम कक्षक (2l + 1)
 अधिकतम इलेक्ट्रॉन 2 (2l + 1)
 0
 s
 गोलाकार
 1
 2
 1
 p
डम्बलाकार
 3
 6
 2
 d
 द्विडम्बलाकार
 5
 10
 3
 f
 जटिल
 7
 14
नोट :
  • मुख्य क्वांटम संख्या कोश के बारे में जबकि द्विगंशीय या गौण क्वांटम संख्या उपकोश के बारे में जानकारी देती है।
  • द्विगंशीय क्वांटम संख्या का मान कभी भी मुख्य क्वान्टम संख्या से अधिक या इसके बराबर भी नहीं हो सकता है।
  • जिन उपकोशों के लिए यदि द्विगंशी क्वान्टम संख्या का मान मुख्य क्वांटम संख्या के मान बराबर या अधिक है ऐसे उपकोश प्रकृति में संभव नही है।

3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (m)

जब इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर चक्कर लगाता है तो एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है जब इसे बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखते है तो इसका चुम्बकीय क्षेत्र बाह्य चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन अभ्र विभिन्न अभिविन्यास ग्रहण करता है जिन्हें बताने के लिए चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (m) की आवश्यकता होती है।
इसे m से व्यक्त करते है , m का मान -l से 0 , 0 से +l तक होता है।
यह क्वांटम संख्या कक्षक के बारे में जानकारी देती है।
l के किसी निश्चित मान के लिए m के जितने मान होते है उस उपकोश में उतने ही कक्षक होते है।
l का मान
उपकोश
m का मान –l से 0
से +l तक
कक्षक
0
s
0
1
1
P
-1 , 0 , +1
Px , Py , Pz
3
2
d
-2 , -1 , 0 , +1 , +2
Dxy , dyz ,dz2 , dx2y2
,  dzx
5
3
f
-3 , -2 , -1 , 0 , +1 , +2 , +3
7

4. चक्रण क्वाण्टम संख्या (s)

इसे s से व्यक्त करते है , S का मान +1/2 या -1/2 होता है।
इलेक्ट्रॉन अपने अक्ष पर चारों ओर घूर्णन करता है , यह घूर्णन दो प्रकार से होता है।
जब इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर दक्षिणावृत्त दिशा में घूर्णन करता है तो s का मान +1/2 होता है।
जब इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो ओर वामावृत दिशा में घूर्णन करता है तो s का मान -1/2 होता है।
सारांश
1. 
 मुख्य क्वाण्टम संख्या (n)
 कोश
 2.
 द्विगंशीय या गौण क्वांटम संख्या (l)
 उपकोश
 3.
 चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या (m)
 कक्षक
 4.
 चक्रण क्वान्टम संख्या
 इलेक्ट्रॉन के चक्रण

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