चुम्बकीय पृथक्करण विधि , अयस्कों के सांद्रण की चुंबकीय पृथक्करण विधि (magnetic separation method)

(magnetic separation method) चुम्बकीय पृथक्करण विधि , अयस्कों के सांद्रण की चुंबकीय पृथक्करण विधि : पहले इस विधि में काम आने वाले सिद्धांत के बारे में अध्ययन करते है।
सिद्धान्त : चुम्बकीय पृथक्करण विधि इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि किसी अयस्क में उपस्थित धातु और अशुद्धियों में से एक चिज चुम्बक से प्रभावित होती है और दूसरी नहीं अर्थात इन दोनों (अयस्क और अशुद्धि) में से कोई एक पदार्थ अनु चुम्बकीय होता है और दूसरा प्रति चुम्बकीय होता है।
अर्थात इस विधि द्वारा उन अयस्कों का सांद्रण किया जाता है जिसमें अयस्क चुम्बकीय हो और अशुद्धियाँ अनुचुम्बकीय हो या इसके विपरीत भी हो सकता है अर्थात अयस्क अनुचुम्बकीय भी हो सकते है और अशुद्धियाँ प्रति चुम्बकीय भी सकती है। अगर ऐसी स्थिति है तो चुम्बकीय पृथक्करण विधि द्वारा इस प्रकार के अयस्को का सांद्रण किया जाता है।

चुम्बकीय पृथक्करण विधि

माना किसी अयस्क में शुद्ध अयस्क चुम्बकीय है जैसे लोहा , तथा इसमें कुछ अचुम्बकीय अशुद्धियाँ मिली हुई है जैसे मिटटी आदि , अब इन दोनों को अलग अलग करने के लिए इस अशुद्ध अयस्क को घूमते हुए पट्टे पर डालते है , यह पट्टा चुम्बक का बना हुआ है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
चूँकि शुद्ध अवस्था में अयस्क चुम्बकीय है इसलिए यह पट्टे द्वारा आकर्षित होगा जबकि अशुद्धियाँ चुम्बकीय पट्टे द्वारा अप्रभावित रहता है।
जब इस पट्टे को घुमाया जाता है तो इस पट्टे पर पड़ा अयस्क , शुद्ध अयस्क आकर्षण बल के कारण पट्टे के पास पड़ता है जबकि अशुद्धियाँ चुम्बकीय पट्टे द्वारा अप्रभावित रहते है इसलिए ये पट्टे से दूर जाकर गिरते है , इस प्रकार चित्रानुसार दो अलग अलग ढेर लग जाते है।
जो पदार्थ चुम्बकीय है उसका ढेर पट्टे के पास बनता है और अचुम्बकीय पदार्थ का ढेर पट्टे से दूर बनता है इस प्रकार शुद्ध अयस्क और अशुद्धियो का अलग अलग ढेर बन जाता है या दोनों पृथक हो जाते है , इस सम्पूर्ण विधि को चुम्बकीय पृथक्करण विधि कहते है।
जैसे लोहे का अयस्क मेग्नेटाईट खुद चुम्बकीय होता है और इसमें उपस्थित अशुद्धि अचुम्बकीय होती है।