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शुष्क सेल या शुष्क बैटरी (dry battery or cell) , शुष्क सेल का एनोड और कैथोड का कार्य चित्र , किस धातु का बना होता है

(dry battery or cell) शुष्क सेल या शुष्क बैटरी , शुष्क सेल का एनोड और कैथोड का कार्य चित्र , किस धातु का बना होता है : वे बैट्री या सेल जिनमें तुलनात्मक रूप से बहुत कम नमी होती है अर्थात इनमें विद्युत अपघट्य पदार्थ में नमी बहुत कम होती है और इसलिए ही इन सेलों या बैटरीयों को शुष्क सेल कहा जाता है। अर्थात वे सेल जिनमें अन्य सेलों की तुलना में विद्युत अपघट्य में नमी बहुत कम होती है उसे शुष्क सेल कहते है , इसमें विद्युत अपघट्य पदार्थ को पेस्ट के रूप में काम में लिया जाता है।

शुष्क सेल बैटरी कैसे कार्य करता है (How Do Dry Cell Batteries Work?)

शुष्क सेल बैट्री में रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके विद्युत धारा उत्पन्न की जाती है , सामान्यतया इन सेलों में जिंक और कार्बन या जिंक और मैंगनीज डाइऑक्साइड का उपयोग किया जाता है।
इन पदार्थों को बैट्री के विद्युत अपघट्य में मिलाया जाता है अर्थात इन दोनों को पेस्ट बनाकर विद्युत अपघट्य पदार्थ के रूप में काम में लिया जाता है , ये पदार्थ आपस में रासायनिक क्रिया करता है अर्थात कार्बन या मैंगनीज डाइऑक्साइड पदार्थ जिंक के साथ क्रिया करता है और इस रासायनिक अभिक्रिया द्वारा रासायनिक पदार्थ विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे विद्युत धारा उत्पन्न हो जाती है।
इस विद्युत धारा को बैटरी के धन और ऋण सिरों अर्थात इलेक्ट्रोड के द्वारा प्राप्त कर लिया जाता है।

शुष्क सेल बैटरी की संरचना

शुष्क सेल लेक्लांश सैल पर आधारित होता है , यह सेल zn (जिंक) धातु का गोलाकार सिलिंडर का बना होता है यह एनोड की तरह कार्य करता है। इस सेल के मध्य में ग्रेफाईट की छड लगी हुई रहती है जो कैथोड का कार्य करती है।
अत: इस प्रकार के सेल में zn पदार्थ को एनोड की तरह काम में लिया जाता है और ग्रेफाईट पदार्थ को कैथोड की तरह काम में लिया जाता है।
ग्रेफाईट की छड के पास कार्बन (Carbon) औरMnO2के मिश्रण का गिला पेस्ट भरा हुआ रहता है तथा जिंक धातु के गोलाकार पात्र मेंNH4ClऔरZnCl2का गिला पेस्ट भरा हुआ रहता है।
इस सेल को चारो तरफ से विद्युत रोधी बनाने के लिए मोटे कागज़ का आवरण लगाया जाता है।
जब इसे सेल को विद्युत परिपथ से जोड़ा जाता है तब Zn , इलेक्ट्रॉन त्यागकरZn+2में परिवर्तित हो जाता है , ये इलेक्ट्रॉन बाह्य परिपथ से होते हुए कैथोड पर पहुँचते है और कैथोड द्वारा ग्रहण कर लिए जाते है , कैथोड पर उपस्थितNH4+आयन इलेक्ट्रॉन को ग्रहण करके उदासीन हो जाते है और यहाँ परMnO2का अपचयन हो जाता है।
ऐनोड पर क्रिया निम्न अभिक्रिया होती है –
Zn → Zn2++ 2e
कैथोड पर क्रिया निम्न होती है –
2MnO2+ 2NH4+ + 2e → 2MnO(OH) + 2NH3
इस क्रिया में बनी अमोनिया गैस Zn2+आयन से क्रिया कर लेती है तथा [Zn(NH3)4]2+आयन बना देती हैं।