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अप्रत्यास्थ संघट्ट : पूर्णत: अप्रत्यास्थ टक्कर (inelastic collision in hindi)

(inelastic collision in hindi) अप्रत्यास्थ संघट्ट : पूर्णत: अप्रत्यास्थ टक्कर : दो पिण्डों के मध्य होने वाली ऐसी टक्कर जिसमे रेखीय संवेग को संरक्षित रहता है लेकिन गतिज ऊर्जा का मान संरक्षित नहीं रहता है , इसी टक्कर को अप्रत्यास्थ टक्कर या संघट्ट कहते है।
अर्थात इस प्रकार की टक्कर में पिण्ड का टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद रेखीय संवेग का मान समान रहता है लेकिन टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद पिण्डों की गतिज ऊर्जा का मान परिवर्तित हो जाता है अर्थात रेखीय संवेग का संरक्षण का नियम लागू होता है लेकिन गतिज ऊर्जा संरक्षण का नियम लागू नहीं होता है , ऐसी टक्कर या संघट्ट को अप्रत्यास्थ संघट्ट कहा जाता है।
इस प्रकार की टक्कर में पिण्ड की कुछ गतिज ऊर्जा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है और यह ऊष्मा ऊर्जा या तो वस्तु में विकृति उत्पन्न कर देती है या अन्य किसी कार्य में लग जाती है , अप्रत्यास्थ संघट्ट में हुई गतिज ऊर्जा की हानि ऊष्मा , कम्पन्न , प्रकाश , या ध्वनि ऊर्जा आदि का रूप ले लेती है।

अप्रत्यास्थ प्रत्यक्ष संघट्ट (inelastic head on collision)

जब दो कणों के मध्य अप्रत्यास्थ टक्कर एक सरल रेखा के रूप में होती है अर्थात टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद कण एक सरल रेखीय गति करते है तो ऐसी टक्कर को अप्रत्यास्थ प्रत्यक्ष संघट्ट या एक विमीय अप्रत्यास्थ संघट्ट कहते है।
माना दो पिण्ड A तथा B जिनका द्रव्यमानm1
और m2है , उनका टक्कर से पहले वेगU1
और U2है तथा टक्कर के बाद इन पिण्डों वेगV1
और V2हो जाता है।
दोनों पिण्डों के मध्य अप्रत्यास्थ संघट्ट होता है , इसके बाद इनमे रेखीय संवेग का संरक्षण का नियम तो लागू होता है लेकिन गतिज ऊर्जा की हानि के कारण टक्कर से पूर्व व टक्कर के बाद की गतिज ऊर्जा अलग अलग हो जाती है।
रेखीय संवेग के संरक्षण के नियम से –
प्रत्यावस्थान गुणांक (e) = टक्कर के बाद आपेक्षिक वेग /टक्कर से पूर्व वेग आपेक्षिक वेग
समीकरणों को हल करने पर

पूर्ण अप्रत्यास्थ संघट्ट (perfectly inelastic collision)

जैसा की हम जानते है की अप्रत्यास्थ संघट्ट में गतिज ऊर्जा की हानि होती है और संवेग संरक्षित रहता है , अत: जब किसी अप्रत्यास्थ संघट्ट में गतिज ऊर्जा का अधिकतर भाग हानि में परिवर्तित हो जाता है और संवेग संरक्षित रहता है तो ऐसी टक्कर को पूर्ण अप्रत्यास्थ संघट्ट कहते है।
इसके अधिकतर उदाहरण में दोनों पिण्ड आपस में चिपक जाते है या साथ में गति करने लगते है।
जैसे जब किसी व्यक्ति को गोली लगती है तो गोली पहले बहुत अधिक तेजी से गति करती है इसलिए इसमें गतिज ऊर्जा बहुत अधिक विद्यमान रहती है लेकिन व्यक्ति को लगने पर गतिज ऊर्जा पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती है और शरीर में जाकर समा जाती है अत: यह पूर्ण अप्रत्यास्थ संघट्ट का उदाहरण है।