स्वतंत्रता की कोटि क्या है , परिभाषा , सूत्र , उदाहरण (degree of freedom in hindi )

(degree of freedom in hindi ) स्वतंत्रता की कोटि क्या है , परिभाषा , सूत्र , उदाहरण : कोई भी कण स्वतंत्रता पूर्वक जितनी दिशाओं में गमन कर सकता है , उसे ही उस कण की स्वतंत्रता की कोटि कहते है।

या

किसी कण या सिस्टम की स्थिति और विन्यास को पूर्ण रूप से निर्देशांक या स्वतंत्र चरो का उपयोग किया जाता है उन्हें ही उस सिस्टम या कण की स्वतंत्रता की कोटि कहा जाता है।

1. स्थानान्तरीय स्वतंत्रा की कोटि

  • जब कोई कण सीधी रेखा में गति करता है अर्थात किसी एक अक्ष पर ही गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि एक होती है।  उदाहरण : सरल लोलक की गति।
  • जब कोई कण सतह पर गति करता है अर्थात दो दिशाओं या अक्षों में गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि दो होती है।  उदाहरण : फर्श पर किसी चींटी की गति।
  • जब कोई कण स्वतंत्र आसमान में गति करता है अर्थात तीनों दिशाओं या अक्षों में गति करता है तो उस कण की स्वतंत्रता की कोटि तीन होती है।  उदाहरण : आसमान में किसी पक्षी की गति।
किसी भी बिंदु द्रव्यमान वाली वस्तु घूर्णी गति नहीं कर पाता है , केवल स्थानान्तरीय गति ही कर सकता है।

2. घूर्णी स्वंत्रता की कोटि

कोई ठोस पदार्थ या वस्तु घूर्णी तथा स्थानान्तरीय , दोनों प्रकार की गति कर सकती है।
घूर्णन गति भी तीन अक्षों में हो सकती है जिस प्रकार स्थानान्तरीय  गति होती है , इसलिए कोई भी ठोस वस्तु की स्वतंत्रता की कोटि छ: होती है , तीन स्थानान्तरीय  गति के कारण तथा तीन घूर्णन गति के कारण।

स्थानान्तरीय  गति ज्ञात करने का सूत्र (degree of freedom formula)

स्वतन्त्रता की कोटि ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र दिया जाता है जिसमे मान रखकर ज्ञात किया जा सकता है –
स्वतंत्रता की कोटि f = 3N – B
यहाँ N = एक अणु में उपस्थित परमाणुओं की संख्या का मान
B = बंधों की संख्या