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ऊष्मागतिकी का द्वितीय (दूसरा) नियम (second law of thermodynamics in hindi)

(second law of thermodynamics in hindi) ऊष्मागतिकी का द्वितीय (दूसरा) नियम : ऊष्मा गतिकी का दूसरा नियम यह बताता है कि ऊष्मा ऊर्जा को पूर्ण रूप से यांत्रिक उर्जा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।  अर्थात यदि हम चाहे कि कोई ऊष्मा ऊर्जा पूर्ण रूप से अर्थात 100% यान्त्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए तो यह संभव नहीं है।

यह नियम यह भी बताता है कि जब ऊष्मा उर्जा को कार्य में परिवर्तित किया जाए तो इसके लिए यह आवश्यक है की किसी उच्च ऊष्मा वाले स्त्रोत से ऊष्मा ली जाए जिससे उस ऊष्मा का कुछ भाग कार्य में परिवर्तित हो जाए और शेष भाग को किसी निम्न ऊष्मा वाली वस्तु में भेज दिया जाए।

कहने का अभिप्राय यह है कि ऊष्मा ऊर्जा को कार्य या यांत्रिक उर्जा में परिवर्तन के लिए ऊष्मा का प्रवाह होता रहना चाहिए , यदि ऊष्मा का प्रवाह नहीं हो रहा है तो ऊष्मा उर्जा का अन्य ऊर्जा के रूपों में रूपांतरण भी संभव नहीं है। ऊष्मा इंजन भी इसी नियम पर आधारित है।

ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम को केल्विन – प्लांक कथन द्वारा बताया जाता है जिसके अनुसार “किसी ऊष्मा ऊर्जा को पूर्ण रूप से कार्य में या अन्य उर्जा में परिवर्तन संभव नहीं है ”

यह नियम भी ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम के भांति ऊष्मा ऊर्जा तथा इसके कार्य में या अन्य उर्जाओं के रूप में परिवर्तन क समझने के लिए है |