WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

वीन का विस्थापन नियम (wien’s displacement law in hindi)

(wien’s displacement law in hindi) वीन का विस्थापन नियम : इस नियम के आधार पर हम यह बता सकते है कि किस तरंग दैर्ध्य पर किसी कृष्णिका पिंड या ब्लैक बॉडी से उत्सर्जित ऊष्मा विकिरण की तीव्रता का मान अधिकतम होता है।
यदि इसके बाद भी ताप का मान और अधिक बढाया जाए तो तीव्रता का मान घटता जाता है।
इस गुण के आधार पर ही किसी कृष्णिका पिंड के लिए विकिरण वक्र बनाया जाता है , वीन के विस्थापन नियम को निम्न प्रकार गणितीय रूप में दर्शाया जाता है –

यहाँ λ , तरंग दैर्ध्य है (मीटर में) तथा T , केल्विन में तापमान है।
वीन का विस्थापन नियम “जब किसी वस्तु का ताप बढाया जाता है तो वस्तु से उत्सर्जित ऊर्जा के अधिकतम मान के बाद और अधिक ताप बढ़ने पर तरंग दैर्ध्य घटती जाती है तथा दिए गए ताप पर इस तरंग दैर्ध्य का मान परम ताप के व्युत्क्रमानुपाती होता है , इसे ही वीन का नियम कहते है। ”
माना ताप T केल्विन पर उर्जा का अधिकतम मान प्राप्त होता है और इस ताप पर λ , तरंग दैर्ध्य है। तो इसे निम्न सूत्र द्वारा लिखा जाता है –

जब ऊर्जा (E) तथा तरंग दैर्ध्य (λ) के मध्य ग्राफ खीचा जाता है तो यह निम्न प्रकार प्राप्त होता है –