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कुण्ड की नली प्रयोग , उपकरण क्या है , कार्यविधि , संरचना चित्र (kundt’s tube in hindi)

(kundt’s tube in hindi) कुण्ड की नली प्रयोग , उपकरण क्या है , कार्यविधि , संरचना चित्र : इसकी खोज 1866 में जर्मनी के भौतिक वैज्ञानिक अगस्त कुंडट (August Kundt) ने की थी। इस उपकरण का प्रयोग विभिन्न गैसीय माध्यमों में ध्वनि की चाल ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
इसका निर्माण एक क्षैतिज लम्बी काँच की नली की सहायता से बनाया जाता है , इस कांच की नली को चित्र में G से दर्शाया गया है , इस कांच की नली के आधार पर हल्का सा लाइकोपिडियम चूर्ण या हल्के अच्छे पाउडर कॉर्क धूल इत्यादि डाल देते है।

इस नली के एक सिरे पर धातु की छड को लगाया जाता है , यहाँ चित्र में AB एक धातु की छड है जिसके अगले सिरे पर एक चलित पिस्टन लगा होता है जिसे चित्र में D से प्रदर्शित किया जाता है।
नली के दूसरे सिरे में थोडा अन्दर की ओर एक चकती P लगी रहती है।
पिस्टन D और चकती P को एक निश्चित लम्बाई लेकर फिक्स कर दिया जाता है अर्थात एक निश्चित लम्बाई के बाद इनको नियत कर दिया जाता है ताकि ये सरके नहीं।
दोनों चकतियों के मध्य लाइकोपिडियम चूर्ण हल्का सा डाल दिया जाता है जो कांच की नली में अन्दर की तरफ पड़ा रहता है।
जब धातु की छड B को रेजिनिकृत कपडे से इसे रगडा जाता है तो इस छड में कम्पन्न उत्पन्न हो जाते है , ये कम्पन्न अनुदैर्ध्य कंपन होते है और जिस आवृत्ति के कम्पन्न उत्पन्न होते है उन्हें मूल आवृत्ति केअनुदैर्ध्य कंपन कहते है।
चकती D भी कम्पन्न के कारण आगे पीछे कंपनीत होने लगती है , जिसके कारण ट्यूब में उपस्थित वायु भी कम्पन्न करने लगती है जिससे तरंग उत्पन्न हो जाती है एक जो जा रही है और दूसरी जो चकती P से परावर्तित होकर आ रही है , जिससे दोनों तरंगे आपस में अनुनाद उत्पन्न करती है।
जिससे नली में पड़ा हुआ लाइकोपिडियम चूर्ण शीघ्रता से कम्पन्न करने लगता है और नोड्स के रूप में ढेर बना लेता है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
लाइकोपिडियम चूर्ण के ढेरो के मध्य की औसत दूरी का मान ध्वनि की तरंग दैर्ध्य के आधे के बराबर होता है।
माना लाइकोपिडियम चूर्ण के ढेरो के मध्य की औसत दूरीlaहै तो वायु में ध्वनि की तरंग दैर्ध्य का मन निम्न प्रकार दिया जाता है –

तथा धातु की छड AB कीlrलम्बाई है तो छड में ध्वनि ध्वनि तरंग की तरंग दैर्ध्य

यदि f आवृत्ति है तो जो कम्पन्न के कारण उत्पन्न होती है तो ध्वनि तरंग की वायु और धातु की छड में गति निम्न प्रकार दी जाती है –