Control of Blood Pressure in hindi , रक्त दाब का नियंत्रण कौन करता है ?

रक्त दाब का नियंत्रण कौन करता है Control of Blood Pressure in hindi ?

रक्त दाब का नियंत्रण (Control of Blood Pressure)

रक्त दाब को प्रभावित करने वाले कारक अनेक होते हैं जैसे हृदय निर्गम (cardiac output), सम्पूर्ण शरीर आयतन (total blood volume), धमनीय दिवारों की प्रत्यास्थाता (elasticity of arterial wall), शिरीय वापसी (venous return) तंत्रिका नियमन ( nervous control) एवं हार्मोन नियमन (hormonal control) इनमें से तंत्रिका एवं हारमोन ब्रियमन प्रमुख है।

(i) तंत्रिका नियंत्रिण (Nervous control)

उच्चतर प्राणियों में सभी रक्त वाहिनियों को सहानुकम्पी (parasympathetic) तंत्रिकाऐं जाती है। ये वाहिकी विस्फोरक (vesodilator) की तरह कार्य करती है। जिससे रक्त वाहिनियों का व्यास बढ़ता है। ये मुख्यतया धमनिकाओं को प्रभावित करती है। जिससे परिधीय प्रतिरोधकता कम होती है रक्त दाब को कम करती है। दूसरी ओर वाहिका संकीर्णक (vasoconstrictor) तंत्रिका तन्तु रुधिर वाहिनियों को संकरा बनाता है जिससे परिधीय प्रतिरोधकता अधिक होती है जो रक्त दाब को बढ़ाती है।

मस्तिष्क में मेड्यूला ऑब्लांगेटा भाग में एक वाहिका प्रेरक ( vasomotor) केन्द्र उपस्थित रहता है। इस केन्द्र में दो भाग होता है- एक वाहिका विस्फोरक (vasodilator) तथा द्वारा वाहिका – संकीर्णक ( vasoconstrictor) केन्द्र । वाहिका संकीर्णक केन्द्र से वाहिका संकीर्णक तंतुक उत्तेजित होते हैं तब रक्त दाब बढ़ता है। कोई भी स्थिति या कारक जो वाहिका संकीर्णक केन्द्र या इसकी तंत्रिकाओक को उत्तेजित करता है वह रुधिर दाब को भी बढ़ाता है। भावमय हलचल (emotional upset) एक व्यायाम ( exercise) से वाहिका – संकीर्णक तंतु उत्तेजित होते हैं जिससे रक्त दाब बढ़ता है।

वाहिका विस्फोरक तंतु मेड्यूला ऑब्लागेटा के वाहिका विस्फोरक केन्द्र से निकलते हैं। ये तंतुक सहानुकम्पी तंत्रिका (मुख्यतया वेगस) के सहारे गमन करते हैं। जब कभी भी यह तंत्रिका तंतुओं उत्तेजित होते हैं तब रक्त दाब कम होता है तथा हृदय स्पंदन दर भी कम होती है। कोई भी स्थिति या कारक जो वाहिका विस्फोरक केन्द्र को उत्तेजित करता है वह रक्त दाब को कम करता है। यदि दोनों वेगस तंत्रिकाओं को काट दिया जाये जो रक्त दाब का नियमन करता है।

(ii) हॉर्मोनल नियंत्रण (Hormonal control

धमनीय रक्त दाब अनेक हार्मोन्स द्वारा नियंत्रित रहता है। रक्त दाब को नियंत्रित करने वाले महत्त्वपूर्ण हार्मोन्स ऐड्रीनेलीन या एपीनेफ्रनी ( adrenaline or epinephrine) एवं नॉरऐड्रीनलीन या नॉएपीनेफ्रीन (norepinephrine) होते हैं। ये दोनों की हार्मोन्स अनुकम्पी क्रिया (sympathetic . activity) के समय ऐड्रीयल ग्रंथि के मेड्यूला भाग से स्त्रावित किये जाते हैं। ये दोनों हार्मोन्स वाहिका संकीर्णक की तरह कार्य करते हैं। जिससे धमनीय रक्त दाब बढ़ता है। भावमय हलचल एवं व्यायाम से ये हार्मोन्स अधिक मात्रा में स्त्रावित होते हैं जिससे रुधिर दाब बढ़ता है। यदि इन हार्मोन्स को बाहर से रुधिर में प्रविष्ट कराया जाये तो भी रुधिर दाब बढ़ता है। इसके अतिरिक्त को बाहर से रुधिर में प्रविष्ट कराया जाये तो भी रुधिर बढ़ता है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य पदार्थ जैसे जटाइलको (anetylcholine) एवं हिस्टामीन (histamine) वाहिका विस्फोरक (vasodilator) की तरह कार्य करते हैं जिससे रक्त दाब कम होता है।

उष्मा संरक्षण (Heat consevation)

प्राणियों के शरीर से आवश्यकता से अधिक उष्मा -क्षय को रोकने के लिए निम्न युक्तियाँ पायी जाती है

  • उष्मा रोधन (Heat insulation)—– अनेक कशेरुकी प्राणियों में शरीर की त्वचा में उष्मा के ह्यस को रोकने के लिए बालों (hairs) या पंखों (feathers) को एक उष्मा-रोधी (heat resistant) कवच होता है। वातावरण का तापक्रम कम होने पर ये रचनाऐं सीधी होकर शरीर से एक आवरण बना लेते हैं जो बाहर की ठण्डी हवा को शरीर की त्वचा से दूर रखता है। इससे उष्मा क्षय नहीं हो पाता है।

(ii) वाहिका प्रेरणा (Vaso-motion ) – शरीर से त्वचा द्वारा उष्मा के ह्यस को रोकने के लिए त्वचा में रक्त का प्रवाह (blood flow) कम किया जाता है। वातावरण का तापमान कम होने पर त्वचा की धमनिकाएँ (airterioles) सिकुड़ने लगती है जिससे इनमें बहने वाले रुधिर की मात्रा कम हो जाती है। इस क्रिया को वाहिका संकीर्णन (vasoconstriction) कहते हैं। इसी प्रकार बाहर का तापमान बढ़ने पर धमनिकाओं में फैलाव होता है जिससे इनमें बहने वाली रुधिर की मात्रा में कमी होती है। इस क्रिया में वाहिका धमनिकाओं के सिकुड़ने एवं फैलाने की गति की वाहिका प्रेरण कहते है। जो ऊर्जा के संरक्षरण हेतु एक महत्त्वपूर्ण क्रिया है।

(iii) ब्राउन-वसा (Brown fat) – यह ऊत्तक के नीचे स्थित होता है। यह मुख्तया नवजात (neonates) शिशुओं एक शीत- निष्क्रिय (hibernating ) जन्तुओं में पाया जाता है। यह उत्तक “उष्मा उत्पादक” (thermogenic ) होता है जो गर्दन ( neck), वक्ष (thorax ) एवं मुख्य रुधिर वाहिनियों (main blood vessels) के चारों ओर पाया जाता है। यह उत्तक एक स्वचालित भट्टी (automatic furnace) की तरह कार्य करता है तथा सर्दी के प्रभाव से तुरन्त उष्मा मुक्त करता है।

(iv) प्रतिधारा उष्मा विनिमय (Counter-current heat exchange)—– अनेक अतिशी (extremely cold) प्रदेशों में रहने वाले समतापी कशेरुकी प्राणियों में शरीर के कुछ भाग जैसे सिर एवं पादों से ऊष्मा का क्षय सबसे अधिक होता है। इन प्राणियों में प्रतिधारा उष्मा विनिमय युक्ति (counter current heat exchnage mechanism) द्वारा उष्मा संरक्षण किया जाता है। इन तंत्र में धमनियों (arteries) एवं शिराएं ( veins) एक दूसरे के पास व्यस्थित रहती है जिससे धमनियो क्षरा परिधि की ओर जाने वाला रुधिर पिरिधी की ओर से आने वाले शीत रुधिर के कारण ठण्ड जाता है। शिराओं में प्रवेश करने वाला रुधिर बारह जाने वाले धमनिय रुधिर के कारण गर्म हो जाता है। इस प्रकार की व्यवस्था से जब रुधिर अंगों के परिधी अंगों पर पहुँचा के लगभग बराबर हो जाता है जिससे उष्मा का क्षय नहीं हो पाता है। इसी प्रकार परिधीय अंगों से वापिस आने वाला रुधिर धमनियों में उपस्थित गर्म रुधिर के कारण ऊष्मा ग्रहण करके अपने ताप मैं वृद्धि कर लेता है जिससे इसका ताप शरीर के माप के बराबर हो जाता है। इन जन्तुओं में हृदया के संरक्षण में मदद करता है। कई जन्तुओं (उदाहरण ध्रुवीय भेड़िया) के पादों में उपस्थित धमनियों में पहुँचने वाली शिरा – रुधिर (venous blood) पहले से गर्म होकर हृदय में पहुँचता है जो ऊष्मा एवं शिराओं में भी ऊष्मा संरक्षण हेतु प्रतिधारा ऊष्मा विनिमय तंत्र पाया जाता है।

हाइपोथैलेमस द्वारा ताप नियंत्रण (Temperature regulation by hypothalamus)

शरीर के ताप का नियंत्रण हाइपोथैलेमस द्वारा किया जाता है। ऐसा देखा गया है कि हाइपोथैलेमस के अग्र भाग से अधिक ताप (high temperature) में अनुक्रिया दर्शाने वाली तंत्रिका कोशिकाएं होती है तथा पश्च हाइपोथैलेमस में कम ताप (low temperature) से अनुक्रिया होने पर जब हाइपोथैलेमस तंत्रिका आवेग (nerve impulse) को पेशियों के लिये प्रसारित करता है तो शरीर में संकुचन एवं कपकपी ( shivering) प्रारम्भ होते हैं। इसी प्रकार यदि शरीर को कम ताप (low _temperature) अथवा ठण्डक (cooling) की आवश्यकता होती है तो हाइपोथैलेमस से तंत्रिका आवेग स्वेद ग्रन्थियों (sweat glands) को प्रसारित होते हैं जिससे स्वेद निर्माण शीघ्रता से होता है। तथा स्वेदन (perspiration) की क्रिया होती है। इस प्रकार हाइपोथैलेमस एक तापस्थली (thermostat) की तरह कार्य करता है तो शरीर के तापक्रम को नियंत्रित रखता है।

तंत्रिका आवेग संचरण के साथ-साथ हाइपोथैलेमस थाइरॉइड एवं एड्रीनल ग्रंथियों को भी प्रभावित करता है। जिससे इन ग्रन्थियों में स्त्रावित हार्मोन्स तापजनन (thermogenesis) द्वारा कोशिकीय उपापचय को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार हाइपोथैलेमस तंत्रिका अंतःस्त्रावी (neuro endocrine) क्रियाओं द्वारा दैहिक ताप के नियंत्रण में योगदान देता है । ताप – नियंत्रण केन्द्र में किसी प्रकार का अवरोध होने पर पाइरेक्सिया (pyrexia ) अर्थात् बुखार (fever) उत्पन्न होता है। इस स्थिति में हाइपोथैलमस सामान्य से अधिक ताप को शरीर में स्थिर बनाये रखता है।

प्रश्न (Questions)

प्र. 1. निम्नलिखित प्रश्नों का लघु उत्तर दीजिये। (Give brief answer for the following questions)

(i).यदि लाल रुधिर कणिकाओं (RBC) को अल्प परासरणीय घोल में डाल दें तो क्या होगा ?

(ii). रक्त-स्कंदन के लिय कौन-कौन से कारक उत्तरदायी होते हैं।

(iiii) रक्त में कौल्शियम तथा ऑक्सीजन के होते हुए भी रक्त क्यों नहीं जमता ।

(iv) ग्लोबूलिन, फाइब्रिनोजन तथा एक्ब्यूमिन में कौन-सी प्रोटीन रक्त स्कंदन में भाग लेती है।

(v) रुधिर अपघटन (haemolysis) की क्रिया क्या है?

(vi) रुधिर के प्रमुख कार्य क्या है?

(vii) रुधिर, प्लाज्मा एवं सीरम में अन्तर स्पष्ट कीजिये ।

(viii) लसीका एवं रुधिर में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।

(ix) रुधिर एवं प्लाज्मा में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।

(x) लसीका गाँठें (Lymph nodes) के महत्त्वपूर्ण कार्य बताइये ।

(xi) प्लीहा को रुधिर बैंक (blood bank) क्यों कहा जाता है ?

(xii) प्लीहा के महत्त्वपूर्ण कार्य बताइये?

(xiii) ‘पेस मेकर’ क्या है तथा यह कहाँ स्थित होता है?

(xiv) मायोजेनिक हृदय किस कहते हैं तथा यह कौन-से जन्तुओं में पाया जाता है?

(xv) मिट्रल वाल्व कहाँ होता है और इसका क्या कार्य है?

(xvi) हृदय के सभी छिद्रों पर कपाट होते हैं, क्यों?

(xvii) हृदय का सिस्टोलिक दाब डायस्टोलिक से अधिक क्यों होता है?

(xviii) धमनियों की दीवारों शिराओं की अपेक्षा अधिक मोटी होती है, क्यों?

(xix) हृदय स्पंदन का नियंत्रण किस प्रकार होता है।

(xx ) विभिन्न प्रकार की WBC के बारे में बताइये ।

(xxi) रक्त स्कंधन का विवरण कीजिए ।

(xxii) रुधिर दाब एवं हृदय स्पन्द से आपका क्या तात्पर्य है-

(xxiii) बन्द परिवहन से क्या समझते हैं ?

प्र. 2. निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिये- (Write notes on the following)

(i) रुधिर कणिकाएँ

(ii) रुधिर प्लाज्मा

(iii) रुधिर के कार्य

(v) हृदय स्पंदन

(iv) पेस मेकर

(vi) रक्त दाब

(vii) हृदय चक्र

(ix) दोहरा परिसंचरण

(viii) ताप नियंत्रण

(x) हीमोफीलिया

(xi) रक्त समूह

(xii) प्लीहा

प्र. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिये। (Answer the following Questions in detail)

(i).हृदय स्पंदन से आप क्या समझते हैं? हृदय स्पंदन की कार्यिकी का वर्णन कीजिए।

(ii) लसीका तंत्र का सविस्तार वर्णन कीजिये।

(iii).रुधिर के संगठन एवं कार्य का वर्णन कीजिये ।

(iv) दोहरा परिसंचरण तंत्र क्या होता है? सचित्र वर्णन कीजिये ।

(v) रुधिर स्कंदन क्या है? रुधिर स्कंदन कारकों का महत्व दशति हुए स्वयं की क्रियाविधि का वर्णन कीजिये।

(vi) हृदयी चक्र क्या है? इसकी क्रियाविधि एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।

(vii) स्तनधारियों में ताप नियंत्रण की क्रियाविधि को विस्तार से समझाइये ||

(vii) रुधिर दाब नापने की विधि का वर्णन कीजिये । रुधिर दाब को प्रभावित करने वाले कारकों को बताइये।

(ix) प्लीहा का वर्णन कीजिये । शरीर में इसका क्या महत्व है।

(x) रुधिर प्लाज्मा में उपस्थित विभिन्न प्रोटीन्स का वर्णन कीजिये।

(xi) ABO समूह का मुख्य आधार क्या है ?

(xii) केन्द्र रहित RBC की कार्यकीय महत्व क्या है ?

(xii) रक्त के दो कार्य बताइये ।

(xiv) रक्त दाब से आप क्या समझते हैं ?

(xv) न्यूट्रोफिल्स के कार्य लिखिये ।

  1. रक्त के संगठन का वर्णन कीजिए। रक्त स्कंदन में विभिन्न कारकों के योगदान को समझाइये |
  2. रक्त के संगठन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए ।