WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

Blood groups in hindi , types , रुधिर वर्ग किसे कहते हैं , समूह , ग्रुप कितने प्रकार के होते हैं

पढ़े Blood groups in hindi , types , रुधिर वर्ग किसे कहते हैं , समूह , ग्रुप कितने प्रकार के होते हैं ?

रुधिर वर्ग (Blood groups)

जब किसी व्यक्ति का रुधिर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराया जाता है तो इस क्रिया को रुधिर आधान (blood trasnfusion) कहा जाता है। रुधिर आधान की क्रिया सामान्यतया किसी व्यक्ति के शरीर में रुधिर मात्रा कम होने पर की जाती है। यह कभी किसी भाग के चोटग्रस्ट होने पर या फिर शल्य चिकित्सा के समय अधिकांश रुधिर के बाहर बह जाने कारण हो सकती है। रुधिर आधान की कोशिका अठाहरवीं शताब्दी में सर्वप्रथम फ्रांस एवं उनके पश्चात् इंग्लैण्ड मै की गई थी। इन प्रयोगों में सभी रुधिर आधानों में सफलता नहीं मिल पाई थी। रुधिर आधान के पश्चात् रक्त लेने वाले व्यक्ति की कई बार मृत्यु ( death) होते गई। इसका सही कारण 19 वीं शताब्दी तक ज्ञात नहीं हो सका। इसके पश्चात् यह पाया गया कि इस क्रिया के दौरान कई बार लाल रक्ताणुओं (RBC) में आश्लेषण या समूहन (agglutination) की क्रिया देखी जाती है। इसके रुधिर ग्राही (recipient ) व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

रुधिर के आश्लेषण या एग्लुटीनेशन की क्रिया लाल रक्ताणुओं में उपस्थित प्रोटीन्स प्लाज्मा के सम्पर्क में आने पर होती है। इसे प्रतिजन प्रतिरक्षी ( antigen antibody) क्रिया कहते हैं। लाल-रक्ताणुओं में उपस्थित पदार्थ प्रतिजन अर्थात् प्रतिरक्षी अर्थात् एण्टीबॉडीज (antibodies) या एग्लुटिनिन (agglutinins) कहलाते हैं। एण्टीजन प्रोटीन प्रकृति के होते हैं तथा वे विशिष्ट एन्टीबॉडीज के निर्माण बनते हैं तथा ये निश्चित प्रकार के एण्टीजन से प्रतिक्रिया करने में सक्षम होते हैं।

  1. ABO रुधिर वर्ग (ABO blood groups )

मनुष्य के रुधिर में उपस्थित रक्ताणुओं RBC में A तथा B प्रकार के एण्टीजन पाये जाते हैं तथा इसी प्रकार रुधिर प्लाज्मा में a (anti A ) या a तथा B (anti B ) या 3 प्रकार कके एण्टीजन विशिष्ट प्रोटीन्स होते हैं। एण्टीजन A के एण्टीबॉडी या एग्लुटिनिन a के सम्पर्क में तथा एण्टीजन B के एण्टीबॉडी या एग्लुटिनिन b के के सम्पर्क में आने पर लाल रक्ताणुओं (RBC) के आश्लेषण अर्थात् एग्लुटीनेशन (agglutination) क्रिया होती है।

एण्टीजन एवं एण्टीबॉडी की उपस्थिति के आधार पर मनुष्यों को ‘A’, ‘B’, ‘AB’ तथा ‘O’ रुधिर वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। ‘A’ ‘B’ एवं ‘AB’ रुधिर वर्गों की खोज सर्वप्रथम एन् 1990 मे विगना के रोग-विज्ञानी (pathologist) कार्ल लैण्डस्टीनर (Karl Landsteiner) ने की थी जबकि ‘O’ रुधिर वर्ग की खोज 1902 में डीकास्टेलो (De Costello) एवं स्टर्ली (Struli) ने की थी।

A रुधिर वर्ग के मनुष्यों की लाल रक्ताणुओं में एण्टीजन A तथा प्लाज्मा में एण्टीबॉडी b (B) होता है। B रुधिर वर्ग के मनुष्यों की लाल रक्ताणुओं में एण्टीजन B तथा प्लाज्मा में एण्टीबॉडी a (a) होता है। AB रुधिर वर्ग के मनुष्यों की लाल रक्ताणुओं में A तथा B एण्टीजन होते हैं किन्तु इनके प्लाज्मा में कोई भी एण्टीबॉडी नहीं होती है। O वर्ग के मनुष्यों की लाल रुधिर कणिकाओं में कोई एण्टीजन नहीं होता है किन्तु इनके प्लाज्मा में a तथा b (@ तथा B) दोनों ही एण्टीबॉडी होते हैं। (चित्र 3.3)

निम्नलिखित तालिका में A, B, AB & O रुधिर वर्गों में उपस्थित एण्टीजन एण्टीबॉडी प्रस्तुत किये गये हैं-

उक्त रुधिर वर्गों के अध्ययन से पता चलता है कि वर्ग A का रुधिर केवल उन्हीं व्यक्तियों को दिया जा सकता है जिनके रुधिर में एण्टीबॉडी a उपस्थित हो अर्थात् A एवं AB रुधिर वर्ग के व्यक्तियों को ही दिया जा सकता है। इसी प्रकार B वर्ग का रुधिर A तथा B रुधिर वर्ग के व्यक्तियों को दिया जा सकता है। AB वर्ग का रक्त मात्रा AB वाले व्यक्ति को दिया जा सकता है क्योंकि अन्य वर्गों में कोई न कोई एग्लुटिनिन या एण्टीबॉडी उपस्थित होती ही है। 0 वर्ग रुधिर को 0 के साथ ही अन्य वर्गों के व्यक्तियों को भी दिया जा सकता है क्योंकि इससे एग्लुटिनोजन या एण्टीजन का अभाव होता है। O वर्ग के व्यक्ति को सार्वत्रिक दाता (universal donor) तथा AB वर्ग के व्यक्ति को सार्वत्रिक ग्राही (nuiversal recipient) कहा जाता है। रुधिर के सम्भावित आदान-प्रदान को निम्नलिखित प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है। सारणी – 3.6 : रक्तदाता एवं ग्राही समूह सारणी

रुधिर वर्गों की वंशागति ( inheritance) एक जीन युग्म (gena pair ) से निर्धारित की जाती है। इन जीन के तीन एलील्स (allels) होते हैं। ये जीन्स एग्लुटिनोजन्स या एण्टीजन्स का संश्लेषण नियंत्रित करते हैं। IA जीन एग्लूटिनोजन A उत्पन्न करता है। IB जीन एग्लूटिनोजन B उत्पन्न करता है। i एक भी एग्लूटिनोजन या एण्टीजन उत्पन्न नहीं करता है। रक्त समूह A जीनी संरचना (genotype) IA IA द्वारा निर्धारित किया जाता है। रक्त समूह B जीनी संरचना IBIB या Ibi द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसी प्रकार रक्त समूह AB जीनी संरचना IAIB द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा रक्त समूह O जीनी संरचना ii द्वारा निर्धारित किया जाता है। 1A IBजीन तथा 1B एक दूसरे के प्रति न तो प्रभावी (dominant) और न ही अप्रभावी (recessive) होते हैं। जबकि IA जीन IB व IB के साथ होने पर अप्रभावी होता है। तालिका 3.6 में रुधिर वर्गों के सम्भावित आदान-प्रदान एवं जीनी-संरचना को प्रदर्शित किया गया है।