एक श्रेणी LCR परिपथ में LD 10 mH,C = 100 uF तथा R=100 Ω है। परिपथ की अनुनादी आवृत्ति तथा अर्ध शक्ति बिन्दुओं के संगत बैण्ड चौड़ाई ज्ञात कीजिए।

उदाहरण-8.  एक श्रेणी LCR परिपथ में LD 10 mH,C = 100 uF तथा R=100 Ω है। परिपथ की अनुनादी आवृत्ति तथा अर्ध शक्ति बिन्दुओं के संगत बैण्ड चौड़ाई ज्ञात कीजिए।

हल : प्रश्नानुसार L= 10 x 10-3 H,C= 100 x 10-6F

R =1000 Ω

श्रेणी LCR परिपथ की अनुनादी आवृत्ति

– = ω0 = 1/LC = 1/10 x 10-3 x 100 x 10-6 = 1000rad/s

अर्ध शक्ति बिन्दुओं के संगत बैण्ड चौड़ाई

| ω2 – ω1| = R/L = 100/10 x 10-3 = 10,000 rad/s

उदाहरण-9. एक LCR परिपथ में, यदि L – 1mH, C = 10 uF तथा R = 0.4 Ω हो विशेषता गुणांक का मान ज्ञात कीजिए।

हल: विशेषता गुणांक  Q = L/CR2

प्रश्नानुसार  L = 10-3 H. C = 10 x 10-6 F,   R = 0.4 Ω

Q = 10-3/10 x 10-6 x 0.4 x 0.4 = 25

उदाहरण- 10. LCR परिपथ में L = 2 mH, C = 2 uF और R = 0.2 Ω हो तो परिपथ की आवृति एवं विशेषता गुणांक ज्ञात कीजिए।

हल प्रश्नानुसार, L= 2 mh = 2 x 10-3 H, C = 2 uF = 2 x 10-6 F, R = 0.2 Ω

परिपथ की आवृत्ति   ω0 = 1/√LC = 1/ √2 x 10-3 x 2 x 10-6 = 1.58 x 104 rad/s

विशेषता गुणांक    Q = ω0L/R = 1.58 x 104 x 2 x 10-3/0.2  = 158

उदाहरण-11. एक 2 mH और 15 Ω की प्रेरक कुण्डली को एक HF धारिता के समान्तर में जोड़ा जाता है। ज्ञात कीजिये- (i) परिपथ में प्रवाहित न्यूनतम धारा के संगत आवृत्ति, (i) अनुनादी धारा का व.मा. मूल मान, (iii) धारा प्रवर्धन, (iv) बैंड-विस्तार। इस परिपथ में 20 वोल्ट शिखर मान का वि.वा. बल लगाया है।

हल प्रश्नानुसार , L = 2 x 10-3 H,   C = 10-6 F.  R = 15 Ω, E0 = 20 V

(i) अनुनादी आवृत्ति ω0 पर धारा न्यूनतम होती है।

ωr = √1/LC – R2/L2 = √1/2 x 10-3 x 10-6 – 152/4 x 10-6 = 2.106 x 104 rad/s

(ii) अनुनादी धारा का वर्ग माध्य मूल मान

Ir = E0/Zr = E0 CR/L

(Ir)rms = E0/√2 . CR/L = 20 /√2 . 106 x 15 /2 x 10-3 = 0.106 A

(iii) धारा प्रवर्धन,

M = Q = ωrL/R = 2.106 x 104 x 2 x 10-3/15 = 2.8

(iv) बैंड-विस्तार  |ω2 – ω1| = R/L = 15 /2 x10-3 = 7500 rad/s

उदाहरण-12. सिद्ध कीजिये कि एक श्रेणीक्रम LCR परिपथ में

(i) ω = ω0 (1 – 1/2Q2)1/2 आवृत्ति के लिए संधारित्र पर विभव पतन अधिकतम होता है।

ω = ω0 आवृत्ति के लिए प्रेरकत्व पर विभव पतन अधिकतम होता है।

हल : (i) संधारित्र पर विभव पतन

VC = E0/ ωc [(ωl – 1/ωc)2 + R2]

VC2 = E02/[(ω2LC – 1)2 + R2ω2C2]

संधारित्र पर विभव पतन अधिकतम होता है।

[(ω2 LC – 1)2 + R2ω2C2] = ]= न्यूनतम

 

d/dω [(ω2LC – 1)2 + R2ω2C2] = 0

2 (ω2 LC – 1) (2ωlc) + 2Ωr2c2 = 0

2ω [2(ω2LC – 1)LC + R2C2] = 0

परन्तु ω # 0        2(ω2LC – 1) LC + R2C2 = 0

ω = 1/LC – R2/2L2

ω0 = 1/LC  Q = ω0L/R

ω = ω0 1-1/2Q2

(ii) प्रेरकत्व पर विभव पतन  VL = ωle0 (ωl – 1/ωc)2 + R2

या  VL2 = ω2L2E02/[( ωl – 1/ ωc)2 + R2]

= ω4C2L2E02/[( ω2LC – 1)2 + ω2R2C2

= C2L2E02/[(LC – 1/ ω2)2 + R2C2/ ω2

लेकिन परन्तु

प्रेरकत्व पर विभव पतन अधिकतम् होगा जब

(LC – 1/ ω2)2 + R2C2/ ω2 = = न्यूनतम

d/dω [(LC – 1/ ω2)2 + R2C2/ ω2] = 0

2(LC – 1/ ω2) (2/ ω3) – 2R2C2/ ω3 = 0

2/ ω3 [2(LC – 1/ ω2) – R2C2] = 0

लेकिन  ω # 0

2(LC – 1/ ω2) –R2C2 = 0

ω2 (2LC – R2C2) = 2

ω = 1/ LC (1- R2C/2L)1/2

ω0 = 1/LC , Q = L/CR2

ω = ω0 (1 – 1/2Q2)

परिपथ में अधिकतम धारा प्राप्त क

है तो प्रतिरोध, प्रेरकत्व और धारिता

उदाहरण-7. एक चालित सरल आवर्ती दोलक 10 mW शक्ति अवशोषित करता है जब 105 N आयाम तथा 1000 Hz आवृत्ति के आवर्ती बल से अनुनाद करता है। यदि दोलक का विशेषता गणांक 500 है तो 5mw ऊर्जा अवशोषित करने के लिए (i) 1000 Hz हर्टज आवृत्ति के आवर्ती बल के आयाम का परिकलन करो। (ii) 105 N की आवर्ती बल की अर्ध-शक्ति आवृत्तियों का परिकलन करो।

हल : () यदि चलित बल की आवृत्ति नियत हो तो दोलन द्वारा अवशोषित शक्ति प्रणोदित बल के आयाम के वर्ग के समानुपाती होती है, अर्थात्

P2/P1 = F22/F12

5 x 10-3 = F22 (105)2

F2 = 105/2 = 7.07 x 104 N

(ii) अर्ध शक्ति बिन्दुओं के आवृत्तियों का अन्तराल या बैंड विस्तार

(f2 – f1) = f0/Q = 1000/500 = 2

आवृत्ति f2 = f0 + f2 – f1/2 = 1001 Hz

तथा  f1 = f0 – f2 – f1/2 = 999 Hz

उदाहरण-13.100 Ω का प्रतिरोध 0.5 H के प्रेरकत्व के साथ श्रेणी-क्रम में जुड़ा हुआ है। परिपथ में अधिकतम धारा प्राप्त करने के लिए श्रेणीक्रम में कितनी धारिता का संधारित्र जोड़ा जाना चाहिए धारा का अधिकतम मान भी ज्ञात करो। यदि धारा 200 V, 50 Hz के स्रोत से दी जाती है तो प्रतिरोध, प्रेरकत्व और धारिता के सिरों पर विभवान्तर ज्ञात कीजिये। हल प्रश्नानुसार, R =100 Ω, L= 0.5 H

Erms =200 V,f = 50Hz

धारा का अधिकतम मान होता है जब परिपथ में

Ωl = 1/ ωc

C = 1/ ω2L = 1/(2π x 50)2 x 0.5

= 1/(100 x 100 x 3.142 x 0.5)

= 20.02 uf

परिपथ में अधिकतम धारा का मान

Imax = Erms/R = 200/100 2A

प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर

VR = RI = 100 x 2 = 200 V

प्रेरकत्व के सिरों पर विभवान्तर

VL = Ωli =  2π x 50 x 0.5 x 2

=314V

अधिकतम धारा या अननाद की स्थिति पर

धारिता के सिरों पर विभवान्तर

Vc = Vl =314 V

उदाहरण-14. एक uF के संधारित्र से समान्तर क्रम के, 0.2 H का प्रेरकत्व तथा 800 Ω का प्रतिरोध जुड़े है। क्या यह दोलनी परिपथ है? यदि है तो दोलन आवृत्ति की गणना करो।

हल : प्रश्नानुसार, L= 0.2 H, C = 10-6 F. R = 800Ω

L-C-R परिपथ दोलनी होने के लिए आवश्यक है कि,

1/LC > R2/4L2

1/LC = 1/0.2 x 10-6 = 5 x 106

तथा R2/4L2 = 800 x 800/4 x 0.2 x 0.2 = 4 x 106

1/LC > R2/4L2

अतः यह परिपथ दोलनी होगा।

परिपथ की आवृत्ति

ω0 = 1/LC – R2/4L2 = 5 x 106 – 4 x 106

= 103 rad/s

उदाहरण-15.100 uH की प्रेरक कुण्डली तथा 0.0001 uF का संधारित्र संयोजित कर एक परिपथ बनाते हैं जिसका अनुनाद पर विशेषता गुणांक 150 होता है। परिपथ का । प्रतिरोध ज्ञात करो।

हल : प्रश्नानुसार, L= 100 x10-6 = 10-4 H. C = 0.0001 x 10-6 = 10-10F

Q =150

अनुनादी आवृत्ति ω0 = 1/LC = 1/10-4 x 10-10

= 107 rad/s

विशेषता गुणांक  Q = ω0L/R

R = ω0L/Q

= 107 x 10-4/150

= 6.67 Ω

उदाहरण-16. एक दोलन कर रही प्रक्षेप धारामापी कुण्डली की माध्य स्थिति के एक ही तरफ दो क्रमागत विक्षेप क्रमशः 25 तथा 24.9 cm हैं। लघु गणकीय अपक्षय ज्ञात कीजिए।

हल : प्रश्नानुसार, θ1 = 25cm

Θ3 =  24.9 cm

Λ = 2.303 /n-1 log10 θ1/ θn =  2.303/2 log10 θ1/ θ3

= 2.303/2 log10 25/24.9

= 1.151 log10 1.004

= 1.99 x 10-3

उदाहरण-17. एक ग्राम दोलक की स्थितिज ऊर्जा 5000 x2 + 200x4 erg है। लघु आयाम  दोलनों के लिए आवृत्ति ज्ञात करो। यदि मूल आवृत्ति के दोलन का आयाम 3 cm है तो दोलक का आवृत्ति क्या होगी? प्रथम अधिस्वर की आवृत्ति एवं आयाम का परिकलन करो।

हल : दोलक की स्थितिज ऊर्जा U = 5000 x2 + 200 x4

F = – du/dx = – 10.000 x – 800 x3

K = 10,000, a = 0  तथा B = 800

लघु आयाम के दोलनों की आवृत्ति

ω0 = K/m = 10,000/1 = 100 rad/s

दोलक की आवृत्ति

ω = ω0 + 3/8 B B12/ ω0

=100 + 3 x 800 x 32/8 x 100

ω = 127 rad/s

प्रथम अधिस्वर की आवर्ती 3ω = 3 x 127

= 381 rad/s

प्रथम अधिस्वर का आयाम = -BB13/4(ω02 – 9ω2)

= – 800×33 /4(1002-9 x 1272)

= 0.04 cm

उदाहरण-18. किसी सरल लोलक के आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन की गणना करो जब उसका कोणीय आयाम (i) 30°, (ii) 60° होता है।

हल : आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन = T – T0/T0 x 100

सरल लोलक का आवर्तकाल

T = T0 (1 + 1/4 sin2 θ0/2)

आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन = 100/4sin2 θ0/2

= 25 sin2 θ0/2

(i)= θ0 = 30° पर

आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन = 25 sin2 300/2

=1.675%

(ii) θ0 = 60° पर

आवर्तकाल में प्रतिशत परिवर्तन =25sin2 600/2

=6.25%