Magnetic field on the axis of toroid in hindi टोरॉइड (टोरोइड) की अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र : जब एक लम्बी परिनालिका को मोड़ कर एक वृत्ताकार आकार दिया जाता है अर्थात मोड़कर दोनों सिरों को आपस में मिलाया जाता है तो बनी आकृति को टोरॉइड (टोरोइड) कहते है।
यह एक खोखले छल्ले की तरह आकृति का होता है जिस पर अत्यधिक पास में तार लिपटे हुए होते है।
B.2πr =μ0NI
धारावाही टोरॉइड के कारण चुम्बकीय क्षेत्र (magnetic field due to a toroid carrying current): एक लम्बी परिनालिका को मोड़कर जब वृत्ताकार रूप दे दिया जाता है तो उसे टोरॉइड कहते है।मानाटोरॉइड की प्रति एकांक लम्बाई में n फेरे है और इसमें प्रवाहित धारा I है। धारा बहने के कारणटोरॉइड के फेरों के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।टोरॉइड के भीतर चुम्बकीय बल रेखायें संकेन्द्री वृत्तों के रूप में होती है। सममिति से पथ के प्रत्येक बिंदु पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान समान रहता है और यह चुम्बकीय क्षेत्र प्रत्येक बिन्दु पर स्पर्श रेखा के अनुदिश है।
टोरॉइड की क्रोड़ के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
माना r त्रिज्या का एक वृत्ताकार पथ है जोटोरॉइड के फेरों के बीच के क्षेत्र में स्थित है। इस वृत्तीय पथ पर एम्पियर के परिपथीय नियम से –
∮B.dl = μ0I . . . . . . . . समीकरण-1
बंद परिपथ में बहने वाली कुल धारा =टोरॉइडमें फेरों की संख्या x प्रवाहित धारा
= n x 2πr x I
= 2πrnI
चूँकि समीकरण-1 से
∮B.dl = μ02πrnI
चूँकि B और dl एक ही दिशा में है अत:
∮B.dl.COS0 =μ02πrnI
या
B∮dl=μ02πrnI
या
B.2πr=μ02πrnI
या
B =μ0nI
यदिटोरॉइडमें फेरों की संख्या N हो तो –
n = N/2πr
अत: B =μ0.NI/2πr
टोरॉइडद्वारा घेरे गए रिक्त स्थान में–
(i)टोरॉइडद्वारा घेरे गए रिक्त स्थान में: मानाr1त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जोटोरॉइडमें प्रवाहित धारा से घिरे रिक्त स्थान में है औरटोरॉइडके संकेन्द्रीय है। जबr1का मान r से छोटा है तो धारा शून्य होगी अर्थात
I = 0
चूँकि एम्पियर के परिपथीय नियम से –
∮B.dl = μ0x (घिरे पथ द्वारा प्रवाहित धारा)
या
∮B.dl .cos0 =μ0x 0 = 0
या
B.2πr1= 0
B = 0
(ii)टोरॉइडके बाहर रिक्त स्थान में: मानाr2त्रिज्या का एक वृत्तीय पथ है जोटोरॉइडद्वारा घेरे गए क्षेत्र के बाहर रिक्त स्थान में है। इस बंद वृत्त से भी परिबद्ध नेट धारा शून्य होगी क्योंकिटोरॉइडका प्रत्येक फेराr2त्रिज्या के वृत्त से परिबद्ध क्षेत्र से होकर दो बार गुजरता है जबकि विद्युत धारा का मान समान लेकिन दिशाएं विपरीत होती है। अत: वृत्त द्वारा परिबद्ध नेट धारा I = 0
चूँकि एम्पियर के परिपथीय नियम से –
∮B.dl = μ0x पथ द्वारा परिबद्ध नेट धारा
=μ0x 0
या
∮B.dl.cos0 = 0
या
B∮dl = 0
या
B.2πr2= 0
B = 0
इस प्रकारटोरॉइडके कारण चुम्बकीय क्षेत्र
B = 0 =टोरॉइडके भीतर रिक्त स्थान में
B = μ0.NI/2πr=टोरॉइडके भीतर उसकी अक्ष पर
B = 0 =टोरॉइडके बार किसी बिंदु पर
नोट:
(i) यदि परिनालिका निश्चित लम्बाई की है और बिंदु P से इसके सिरों F और E से मिलाने वाली रेखाएं परिनालिका की अक्ष से क्रमशः α और β कोण बनाती है तो अक्षीय बिंदु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रताB = μ0nI[cosα – cosβ]/2
(ii)यदि बिंदु P लम्बी परिनालिका के एक सिरे B पर है तो α = 0°और β = 90°
अत: B = μ0nI[cos0°– cos90°]/2
B = μ0nI/2
या
B = μ0nI/2
अर्थात परिनालिका के सिरे पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के बीच के मध्य बिंदु पर उपस्थित चुम्बकीय क्षेत्र का आधा होता है।
(iii) जबटोरॉइडकी बाहरी और आंतरिक त्रिजायें दी गयी हो तो प्रश्न हल करने के लिए उनका माध्य ले लेते है तथा सूत्र में r के स्थान पर इसी माध्य का प्रयोग करते है।
r = (r1+ r2)/2
प्रश्न :कोई परिनालिका जिसकी लम्बाई 0.5 मीटर और त्रिज्या 1 सेंटीमीटर है , में 500 फेरे है। इसमें 5 एम्पीयर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण क्या है ?
हल : दिया है –
परिनालिका लम्बाई l = 0.5m , प्रवाहित धारा i = 5A , फेरों की संख्या N = 500 , त्रिज्या r = 1 cm = 0.01 m , परिनालिका के भीतर B = ?
परिनालिका के भीतर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्रB = μ0N.I/l
मान रखकर हल करने पर = B = 6.28 x 10-3T
प्रश्न: एक 400 फेरों वालीटोरॉइडकी बाह्य त्रिज्या 26 सेंटीमीटर तथा आंतरिक त्रिज्या 25 cm है। यदि तार में 20 एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है तोटोरॉइडतथा इसके अन्दर के वायु रिक्त स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की गणना कीजिये।
उत्तर : दिया है –
आंतरिक त्रिज्याr1= 25 cm
बाह्य त्रिज्या r2= 26 cm
प्रवाहित धारा I = 20A
फेरों की संख्या N = 400
चूँकिटोरॉइडकी माध्य त्रिज्याr = (r1+ r2)/2
r = (25+26)/2 = 25.5 cm
अथवा r = 25.5 x 10-2cm
अत:टोरॉइडके क्रोड़ के अन्दर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
B = μ0N.I/2πr
मान रखकर हल करने पर =B = 6.27 x 10-3T