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कैलोरी किसे कहते हैं | calorie in hindi definition meaning एक कैलोरी की परिभाषा इन हिंदी

calorie in hindi definition meaning एक कैलोरी की परिभाषा इन हिंदी कैलोरी किसे कहते हैं |

परिभाषा : कैलोरी-1 ग्राम जल का ताप 14-5°C से 15-5°C तक बढ़ाने में जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है, उसे 1 कैलोरी कहते हैं। इसे 15°C कैलोरी भी कहते हैं।

विरंजक चूर्ण-कैल्सियम ऑक्सीक्लोराइड, जिसका उपयोग विरंजन में किया जाता है।
क्वथनांक- वह ताप, जिस पर किसी द्रव का वाष्प दाब, वायुमण्डलीय दाब 760 मिमी के बराबर हो जाए, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है।
केसीन- दूध में पायी जाने वाली प्रोटीन।
सीमेण्ट-सिलिका, लाइम, एल्युमिना, आयरन ऑक्साइड तथा मैग्नीशियम से बना पदार्थ।
सिरैमिक-मिट्टी या अन्य अधातु खनिजों को पकाकर/जलाकर बनाया गया पदार्थ, जैसे-पॉटरी, टाइल्स, ईंट आदि।
कैल्सियम कर्बोनेट-श्वेत यौगिक, CaCO3 जो चूने के पत्थर तथा संगमरमर में पाया जाता है एवं इसका उपयोग चूना बनाने में होता है।

कार्बोहाइड्रेट-पॉलीहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन।
आसवन-द्रव को गर्म करके वाष्प में परिवर्तित करना तथा वाष्प को ठण्डा करके पुनः द्रव में परिवर्तन का क्रम आसवन कहलाता है।
डीएनए-डिऑक्सीराइबो न्यूक्लिक अम्ल, जो डिऑक्सीराइबोस शर्करा, फॉस्फेट यूनिट तथा कार्बनिक क्षारकों से बना होता है तथा आनुवंशिकता का मुख्य आधार है।
शुष्कन तेल-जन्तु अथवा वनस्पति तेल, जिसे वायुमण्डल में खुला छोड़ने पर उसके ऊपर कठोर परत जम जाती है।

कुछ रत्नों के रंग
संक्रमण धातु आयन के क-कक्षकों के बीच इलेक्ट्रॉनों के संक्रमण से रंग का उत्पन्न होना हमारे दैनिक जीवन में अक्सर दिखाई पड़ता है।
माणिक्य (Ruby)
माणिक्य (Ruby) लगभग 0.5-1% Cr3़ आयन (d3) युक्त एलुमिनियम ऑक्साइड (AI2O3) है जिसमें AI3़ के स्थान पर Cr3़ आयन कहीं-कहीं बेतरतीब स्थित रहते हैं। हम इन्हें ऐलुमिना के जालक में समावेष्टित अष्टफलकीय क्रोमियम (III) संकुल के रूप में देख सकते हैं। इन केन्द्रों पर क.क संक्रमण के कारण माणिक्य में रंग उत्पन्न होता है।
पन्ना (emerald)
पन्ना (emerald) में, Cr3़ आयन खनिज बैरिल (Be3Al2Si6O18) में अष्टफलकीय स्थानों पर स्थित रहते हैं । माणिक्य का पीलालाल तथा नीला अवशोषण-बैंड। उच्च्तर तरंगदैर्घ्य की ओर विस्थापित हो जाता है। इसके कारण पन्ने से हरे रंग के क्षेत्र वाला प्रकाश प्रसारित होता है।

विद्युत्लेपन विद्युत्-अपघटन द्वारा ताँबा, लोहा, पीतल आदि पर सिल्वर, क्रोमियम आदि की पतली परत चढ़ाने को विद्युत् लेपन कहते हैं।
तत्व-समान प्रकार (समान परमाणु क्रमांक) के परमाणुओं से बने हुए शद्ध पदार्थ को तत्व कहते हैं।
ऊष्माशोषी अभिक्रिया-ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ, जिनमें ऊष्मा अवशोषित होती है।
एन्जाइम-उच्च अणु भार के नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक, जो जीवित कोशिकाओं में उत्पन्न होते हैं तथा जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते हैं।
एथिलीन- रंगहीन गैस C2H4 जिसका उपयोग पॉलीथीन बनाने तथा फलों को कृत्रिम विधि द्वारा पकाने में होता है।
वसा-वसा ग्लिसरॉल की दीर्घ श्रृंखला तथा मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों के साथ ट्राइएस्टर होती हैं।
वसा अम्ल-ऐलिफैटिक मोनोबेसिक कार्बोक्सिलिक अम्ल।
किण्वन-एन्जाइम की उपस्थिति में कार्बनिक यौगिकों का नवीन यौगिकों में परिवर्तन।
फ्रीऑन-रेफ्रिजरेटर में प्रयोग किया जाने वाला विलायक, एक प्रकार के फ्लोरोकार्बन का व्यापारिक नाम।
पुच्स मिश्र धातु-विशेष संक्षारणरोधी भागों को बनाने के लिए निकेल, रजत या टंगस्टन के साथ स्वर्ण की मिश्र धातु।
गैसीय प्रदूषक- सल्फर, नाइट्रोजन तथा कार्बन के ऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोकार्बन, ओजोन तथा अन्य ऑक्सीकारक।
जर्मेनियम-श्वेत भंगुर धातु, जो ट्रांजिस्टर बनाने में उपयोगी है।
ग्लिसरीन-वसा तथा तेलों के जल-अपघटन से प्राप्त रंगहीन गाढ़ा द्रव।
काँच की रुई-प्रयोगशाला उपकरण के लिए तथा विशेष रूप से निस्पंदक गैसों या द्रवों को पैक करने के लिए पतले काँच के सूत्र।
हरित रसायन-सन् 1990 से इसका प्रचलन है। इसमें उन प्रक्रियाओं तथा उत्पादों को विकसित किया जाता है, जिनमें खतरनाक पदार्थों के उपयोग तथा उत्पादन को न्यूनतम रखा जाता है। अतः केवल उन्हीं पदार्थों का प्रयोग किया जाए जो हानिकर न हों। कच्चे माल का इस तरह उपयोग किया जाए कि अपशिष्ट न बचें।
अर्ध-आयु-किसी रेडियोऐक्टिव तत्व का द्रव्यमान, जितने समय में आधा रह जाता है, उस समय अवधि को उस तत्व की अर्ध-आयु कहते हैं। यूरेनियम -235 की अर्ध-आयु 4.5×109 वर्ष होती है, जो पृथ्वी की आयु के बराबर है। रेडियोऐक्टिव तत्व की अर्ध-आयु को किसी भौतिक या रासायनिक परिवर्तन द्वारा बदला नहीं जा सकता है।
हैलोजेन-अत्यधिक अभिक्रियाशील समूह 17 की अधातुएँ-फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन तथा ऐस्टैटीन।
भारी जल-हाइड्रोजन के ऑक्साइड को भारी जल कहते हैं। यह भारी हाइड्रोजन ड्यूटेरियम है।
हॉर्न सिल्वर-श्वेत से लेकर हल्के पीले या धूसर रंग का खनिज, जिसमें सिल्वर क्लोराइड होता है तथा यह प्रकाश में खुला रखने पर काला पड़ जाता है।
हाइड्रोजन बम-नाभिकीय संलयन अभिक्रिया पर आधारित जिसमें ड्यूटेरियम के नाभिकों के संलयन से अत्यधिक ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।
जल-अपघटन-रासायनिक अभिक्रिया जिसमें कोई पदार्थ जल से अपघटित होकर अम्लीय, क्षारीय या उदासीन विलयन देता है।
नील-एक नीला रंजक जो पहले पौधों से प्राप्त किया जाता था किन्तु अब जिसका संश्लेषण किया जाता है। सूत्र : C16H10N2O2
कार्बन मोनोऑक्साइड-रंगहीन, गन्धहीन तथा अत्यन्त विषैली गैस, जो रक्त के हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बनाकर मनुष्य की मृत्यु भी कर सकती है। इस गैस के कारण बन्द कमरे में कोयले की अंगीठी जलाकर सोने पर मृत्यु भी हो सकती है।
उत्प्रेरण-किसी पदार्थ की उपस्थिति से यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है, परन्तु पदार्थ स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है तो इसे उत्प्रेरण कहते हैं।
उत्प्रेरक-जो पदार्थ किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर को परिवर्तित कर देता है, परन्तु स्वयं अभिक्रिया के अन्त में रासायनिक रूप में अपरिवर्तित रहता है, उसे उत्प्रेरक कहते हैं।
क्लोरोफॉर्म-रंगहीन भारी द्रव CHCl3 जिसकी वाष्प सूंघने पर सामान्य निश्चेतना आ जाती है।
रासायनिक युद्ध- सैनिक कार्यों के लिए, रासायनिक अभिकर्मकों का प्रयोग जो जलन उत्पन्न करते हैं, दम घोंटकर अथवा विषैली गैसों द्वारा शत्रु पक्ष को हताहत करते हैं।
क्लोरोफ्लोरो कार्बन- CFCs ही वायुमण्डलीय ओजोन परत के क्षरण का मुख्य कारण है। ये यौगिक फ्रीऑन भी कहलाते हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि अन्टार्कटिका के ऊपर ओजोन परत का क्षरण सितम्बर के प्रारम्भ से अक्टूबर के अन्त तक होता है तथा इसके पश्चात् नवम्बर-दिसम्बर में ओजोन परत की पुनः पूर्ति हो जाती है।
ओजान परत को क्षति पहुँचाने वाली गैसें व उनके स्रोत
गैस का नाम स्रोत
ऽ सी.एफ.सी. – 11 एरोसोल व फोम
ऽ सी.एफ.सी. -12
ऽ सी.एफ.सी. -22 प्रशीतक
ऽ हैलोजन (क्लोरीन, फ्लोरीन व ब्रोमीन) अग्निशामक यन्त्र
ऽ मीथेन कृषि, पशु एवं उद्योग
ऽ नाइट्रस ऑक्साइड औद्योगिक क्रियाकलाप
ऽ कार्बन डाइऑक्साइड जीवाश्व ईंधन के जलने से
साइट्रिक अम्ल-सिट्रस फलों का अम्ल, जो नीबू तथा सन्तरों में उपस्थित होता है।
स्कन्दन-द्रव-विरोधी कोलॉइडी विलयन में विद्युत्-अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाने पर कोलॉइडी कणों का अवक्षेपित होना, स्कन्दन कहलाता है।
कोल गैस-वायु की अनुपस्थिति में कोल के भंजक आसवन से प्राप्त गैस, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है।
कोलतार-काला गाढ़ा द्रव जो कोल के भंजक आसवन से प्राप्त होता है।
कोलॉइड-इस प्रकार के घोल में कणों का आकार 10-7 से 10-5 सेंटीमीटर तक होता है। जीवद्रव्य भी एक कोलॉइड है।
आयनेमाइड-रंगहीन क्रिस्टलीय अस्थायी यौगिक, जो उर्वरक के निर्माण में उपयोगी है।
डीडीटी-डाइक्लोरो डाइफेनिल ट्राइक्लोरो एथेन । एक रंगहीन चूर्ण, जो प्रबल कीटनाशक है।
निथारना-नीचे बैठे ठोस पदार्थ को छोड़कर ऊपर के स्वच्छ द्रव पृथक् करना।
विघटन- पदार्थ के एक घटक का तत्वों में अपघटन।
अपमार्जक-ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक सल्फोनिक अम्ल के सोडियम लवण, जिनमें साबुन की तरह मैल साफ करने का गुण होता है।
अपोहन-पार्चमेन्ट झिल्ली द्वारा कोलॉइडी विलयन से उसमें उपस्थित घुले हुए अशुद्ध पदार्थों को निष्कासित करना।
मोल-किसी पदार्थ की मात्रा, जिसमें उसके 6.02213×1023 कण उपस्थित होते हैं, पदार्थ का एक मोल कहलाती है।
अणु-किसी पदार्थ (तत्व या यौगिक) के सूक्ष्मतम कण, जो मुक्त अवस्था में रह सकते हैं तथा जिनमें उस पदार्थ के सभी गुण उपस्थित होते हैं, अणु कहलाते हैं।