national bird of india in hindi name भारत का राष्ट्रीय पक्षी कौन सा है ? इंडिया का राष्ट्रीय पक्षी का नाम क्या है ?
उत्तर : भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी “मोर” है |
पक्षी
अधिकांशतः चिड़ियां खेतों की बालियों (ear head) के दानों और फलों तथा सब्जियों को अपना भोजन बनाती हैं (चित्र 4.11)। अनेक पक्षी खरपतवार बीजों, संगरोधन के जोखिम (quarantine risk) वाले कीट पीड़कों के प्रकीर्णन हवाई जहाज दुर्घटना और साथ ही साथ उच्च विद्युत् ले जाने वाले ऊपरी उपकरणों (over head equipment) के खराब हो जाने के लिए भी उत्तरदायी होते हैं। और इस तरह वे रेल सेवाओं तथा अन्य उपयोगिताओं को अव्यवस्थित कर देते हैं।
क्षति का प्रकार
ज्यादातर चिड़ियां छोटे पौधे या अनाज खाती हैं। कौवा, मैना, कबूतर, चिड़िया और तोता के भोजन लेने की संभाव्यता के बारे में क्रमशरू 25, 15, 25, 8 और 10 ग्राम सामग्री की रिपोर्ट है। यदि गोभी और पत्ता गोभी को उचित रूप से मोर से बचाया नहीं जाए तो नर्सरी को 90-95 प्रतिशत नुकसान हो सकता है। कृषि-वानिकी क्षतियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण जीवों का सारांश तालिका 4.2 में दिया गया है।
प्रबंधन
ऽ पक्षियों द्वारा होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उन्हें भगाने वाली यांत्रिक रूप से चलित व्यवस्थाएं खेतोंध्फलों के बागीचे में गाई जा सकती हैं (चित्र 4.12)।
ऽ उन्हें दूर रखने के लिए विभिन्न रंगों के परावर्तक फीतोंध्प्लास्टिक के कचरे के थैलों का उपयोग किया जा सकता है।
ऽ कार्बाइड गन, काग-भगोड़ा आदि को महत्त्वपूर्ण स्थानों पर लगाना। 2-3 एकड़ के क्षेत्र से आठ घण्टों तक चिड़ियों को दूर रखने में लगभग 1 कि.ग्रा. कैल्सियम कार्बाइड उपयोग होता है।
ऽ पेस्ट गो (pestgo) नामक बेहद गाढ़े जेल का अनुप्रयोग कर चिड़िया के बैठने की जगह को चिपचिपा बनाना।
ऽ ढोल-ताशे, नगाड़े और पटाखों और अन्य देशी तरकीबों का उपयोग।
ऽ मिसोरोल (4-अमीनों पायरीडिन) के साथ प्रलोभक बनाना, जो व्यवहारपरक विकर्षक है । इसे पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों के लिए उनके मनपसंद भोजन जैसे कि तोते के लिए अमरूद, जबकि गिद्ध के लिए मांस के साथ लगाया जाता है ।
ऽ बाड़ और जाली लगाना, विशेषकर मोरों के लिए, उनकी छोटी उड़ान और सॉटीज के लिए एक वस्तु के रूप में उनकी मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए । फलों के बागीचे में भूरे कान वाली बुलबुल को डरावनी आवाजें पैदा करके रोका जा सकता है ।
बोध प्रश्न 6
I) भारत में मोर का शिकार वर्जित है क्योंकि :
क) यह राजस्थान का सबसे प्यारा पक्षी है।
ख) यह प्रजाति संकटग्रस्त है।
ग) राष्ट्रीय पक्षी है।
घ) यह सांप खाता है।
II) पक्षियों के व्यवहारपरक विकर्षकों पर टिप्पणी लिखिए।
प्रस्तावना
अब तक आपने कृषि, वानिकी और मानव तथा पशु स्वास्थ्य से जुड़े कीट पीड़कों के बारे में सीखा है। आपने यह भी सीखा है कि कैसे ये छोटे कीट उत्पादकता घटाकर या रोग (बीमारी) फैला कर लक्ष्य प्रणाली को नुकसान पहुंचाते हैं। इस इकाई में हम गोल कृमि, रूथी, घोंघे और स्लग्स, केंकड़ों, मिलीपीड, पक्षी, कृन्तकों और कुछ अन्य स्तनधारियों जैसे महत्त्वपूर्ण गैर-कीट पीड़कों पर चर्चा करेंगे।
यह अनुमान लगाया गया है कि गैर-कीट पीड़क वार्षिक रूप से लगभग 810 करोड़ रु. का नुकसान हमारी फसलों को पहुंचाते हैं,
जिसमें से 360 करोड़ रु. केवल कृन्तकों द्वारा नष्ट किया जाता है। महत्त्व के क्रम में फसलों के प्रमुख गैर-कीट पीड़क हैं पादपभक्षी
बरूथी, कृन्तक, पक्षी, निमेटोड्सय साथ ही कुछ अन्य केंकड़े, मिलीपीड, घोंघे और कुछ गैर-कृन्तक स्तनपायी। स्तनपायी पीड़कों
अनेक, जैसे कि नील गाय, बंदर, खरगोश, भेड़िए, चमगादड़, हाथी, भालू, भैंसे, काला हिरण, जंगली सूअर, हिरण आदि वन्य जी वन
संरक्षण वर्ग में आते हैं, अतः इनसे सावधानीपूर्वक निपटा जाना चाहिए ।
उद्देश्य
इस इकाई का अध्ययन करने के बाद आप इस योग्य होंगे कि
ऽ कृषि के महत्त्व वाले गैर-कीट पीड़कों की सूची बना सकें और वर्णन कर सकें,
ऽ इन पीड़कों की वर्गीकृत स्थिति बता सकें,
ऽ इन पीड़कों द्वारा की गई क्षति पर चर्चा कर सकें, और
ऽ फसल सुरक्षा प्रथाओं के विभिन्न साधन बता सकें और
ऽ पीड़क प्रबंधन में वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम के सम्मिलित होने के महत्त्व समझा सकें।
सारांश
इस इकाई में आपने सीखा कि :
ऽ गैर-कीट पीड़क बहुत संख्या में हैं और हमारी खेती को उल्लेखनीय क्षति पहुंचा सकते है।
ऽ आप कुछ कशेरुकियो को नहीं मार सकते क्योंकि ये वन्य जीवन (सुरक्षा) अधिनियम 1972 के अंतर्गत सुरक्षित हैं।
ऽ रासायनिक नियंत्रण पर निर्भर करने के बजाय हमें पीड़क प्रबंधन के लिए पारिस्थितिक प्रणाली के अनुकूल विकल्प चुनने चाहिए, जो अधिकांशतः पर्यावरण प्रदूषण पैदा करते हैं।
ऽ यदि पादपपोषी निमेटोड्स और बरूथियों जैसे गैर-कीट पीड़क की स्थिति में पहुंच जाते हैं तो उन्हें नियंत्रित करने में नहीं हिचकना चाहिए। कुछ अनुकूल (मित्रवत) निमेटोड और परभक्षी बरुथी होती हैं जो या तो फाइटोफेगस प्रजातियों या अन्य जीवों पर भोजन के लिए निर्भर हैं। ये प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।
ऽ केंकड़े, मिलीपीड, घोंघे और स्लग्स कुछ परिस्थितियों के लिए विशिष्ट होते हैं। अधिकांशतः ये जलीय पारिस्थितिक प्रणाली से जुड़े होते हैं, इसलिए इनका प्रबंधन समुदाय को शामिल करते हुए किया जाना चाहिए।
ऽ ढोल पीटना, चिड़ियों को दूर भगाने की पारम्परिक प्रणाली अब अच्छी मानी जाती है और कृषि-पारिस्थितिक प्रणाली में प्रभावी है। याद रखें, ऐसे बहुत से कीटभक्षी पक्षी हैं जो पीड़क प्रबंधन में हमारी सहायता करते हैं। ऐसी परभक्षी चिड़ियों को खेतों में उपयुक्त शरणस्थल प्रदान करके उपयोग किया जा सकता है।
ऽ सभी कृन्तकों में से घरों में पाए जाने वाले चूहों को अधिक बुद्धिमान माना जाता है और ये विषैले प्रलोभकों से हिचकने के लिए जाने जाते हैं। इसलिए इन्हें दूर के स्थानों पर छोड़ने के बजाय इन्हें पकड़ कर 2-3 घण्टे धूप में रखकर मार डालना चाहिए ।
ऽ कभी भी एण्डोसल्फान को पानी के स्रोतध्तालाबध्झीलध्नदी आदि के पास उपयोग की सिफारिश नहीं करें क्योंकि यह कीट और बरूथी के लिए एक प्रभावी पीड़कनाशी है, परन्तु इसके अवशेष मछलियों को मार सकते हैं और पानी को प्रदूषित कर सकते हैं ।