WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

कमायचा वाद्य यंत्र कैसा होता है | कमायचा क्या होता है फोटो अर्थ मतलब किसे कहते है kamaicha instrument in hindi

kamaicha instrument in hindi meaning definition photo picture कमायचा वाद्य यंत्र कैसा होता है | कमायचा क्या होता है फोटो अर्थ मतलब किसे कहते है ?

लोक वाद्य यंत्र
प्रश्न: कमायचा


उत्तर: कमायचा राजस्थान का प्रसिद्ध तत् लोकवाद्य है जो सारंगी के समान 1-1) फुट चैडी व गोल तबला पर चमड़ा मढकर बनाया जाता है। इसे बजाने के लिए 27 तार वाली गज का प्रयोग किया जाता है। तार बकरे की तांत के बने होते हैं। इसको तातों का प्रयोग गज संचालन के साथ करने से ध्वनि अत्यन्त प्रखर हो जाता है। इसका प्रयोग रेगिस्तान के मागणियार पेशेवर गायक करते हैं। नाथ पंथी साध भी भर्तृहरि व गोपीचन्द के गीत कमायचा पर ।
प्रश्न: रावण हत्था [RAS Main’s 2000, 2007]
उत्तर: रावण हत्था राजस्थान का अति प्राचीन व प्रचलित प्रसिद्ध तत् लोकवाद्य है जो नारियल के खोल पर चमड़ा मढ़ कर बनाया जाता है। इसमें बांस की डांड पर नौ तार वाली खूटियाँ लगी होती है जिन्हें घोड़े की पूंछ के बालों से निर्मित घुघरू वाली गज व बायें हाथ की अंगलियों से बजाया जाता है। भोपे व भील मुख्यतया इसका प्रयोग करते हैं। इसके साथ पाबूजी, डूंगजी, जवारजी आदि की फड़ वाचन की जाती है।
प्रश्न: ताशा [RAS Main’s 2008]
उत्तर: ताशा एक चपटे और पतले नक्काड़े की शक्ल का वाद्य है जिसका पैंदा तांबे का होता है। यह चपटी परात की तरह होता है और इसके ऊपर बकरे का पतला चमड़ा मढ़ा जाता है। इस वाद्य को दो पतली बांसपट्टियों से बजाया जाता है। इससे तड़बड़-तड़बड़ की आवाज निकलती है। मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजियों के त्यौहार पर, कच्छी घोड़ी नृत्य में।
प्रश्न: सारंगी
उत्तर: यह राजस्थान का प्रमुख तत् वाद्यों में श्रेष्ठ लोकवाद्य है यह सागवान, कैर आदि की लकडी से निर्मित होता है। इसमें बकरे की आंत की तांते व स्टील निर्मित तेरह तुरपें होती है। जो खूटियों से बंधी होती है। इसका वादन घोडे की पूंछ के बालों से निर्मित गज द्वारा किया जाता है। इसका प्रयोग मुख्य रूप से जैसलमेर व बाडमेर के लंगा गायक करते हैं। अलवर, भरतपुर के जोगी भी सारंगी के साथ गोपीचन्द्र, भर्तृहरि, सुल्तान निहालदे के ख्याल गाते हैं।
प्रश्न: गौरजा
उत्तर: गौरजा राजस्थान की गिरासिया जनजाति का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण लोकवाद्य है जो गणगौर महोत्सव में प्रयोग करने के उद्देश्य से इस वाद्य यंत्र को अस्थायी रूप से मिटटी से बनाते हैं। इसे शोभायात्रा में नृत्य तथा गायन के समय प्रयोग किया जाता है। इसे बांसुरी, ढोल की संगत में बजाते हैं इसकी बहुत मीठी ध्वनि निकलती है। लेकिन महोत्सव पूर्ण होन पर इसे नष्ट कर दिया जाता है। गौरजा गिरासिया जनजाति की शिल्पकारिता का उत्कृष्ट नमूना है।
ऐसे प्रश्नों में वाद्य का प्रकार (तत्, अवनद्ध, सुषिर या धन) क्षेत्र, बनावट, प्रयोग करने वाला वर्ग आदि का वर्णन करना चाहिए। नीचे दी गयी सारणी में इन तथ्यों को समाहित किया गया है। जिसके द्वारा सही उत्तर आसानी से लिखा जा सकता है।
प्रश्न: करणाराम भील
उत्तर: जैसलमेर का प्रसिद्ध नड़ वादक करणाराम किसी समय कुख्यात डाकू था। वह अपनी छः फुट आठ इंच लम्बी मूंछों के लिये भी विख्यात था। वह पाकिस्तान में धाड़े मारा करता था किंतु उसका प्रण था कि वह किसी स्त्री को हाथ नहीं लगायेगा चाहे वह सोने से मंढ़ी हुई ही क्यों न हो! डकैती त्यागने पर राजस्थान सरकार ने करणाराम को तीस बीघा जमीन दी थी किंतु कुछ दिनों बाद व्यक्तिगत शत्रुता के चलते उसके भतीजे ने उसकी हत्या कर दी।

निबंधात्मक प्रश्नोत्तर

4. लोक संगीत व लोक नृत्य
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर
प्रश्न: संगीत कला
उत्तर: संगीत से तात्पर्य गायन, वादन एवं नृत्य से है और यही तीन पक्ष इसके विकास के द्योतक हैं। संगीत कला को दो भागों में बांटा जाता है- (1) शास्त्रीय संगीत और (2) लोक संगीत
प्रश्न: शास्त्रीय संगीत
उत्तर: यह एक विशिष्ट गायन, वादन तथा नृत्य शैली का सूचक होता है। इसमें निश्चित नियमों का पालन किया जाता है। इसमें भारतीय एवं ईरानी संगीत का समन्वय हुआ है।
प्रश्न: घराना
उत्तर: भारतीय शास्त्रीय संगीत की परम्परा का संरक्षण विशिष्ट गुरु तथा शिष्य परम्परा के संयोग से बनता है, उस विशिष्ट गुरु-शिष्य परम्परा को ‘घराना‘ कहा जाता है। जैसे जयपुर घराना, मेवात धराना, ग्वालियर घराना आदि।
प्रश्न: लोक संगीत
उत्तर: यह गायन, वादन एवं नृत्य की एक विशिष्ट क्षेत्रीय शैली होती है। इसका मूल आधार लोकगीत है, जिन्हें विभिन्न अवसरों पर सामूहिक रूप से नृत्य व वादन के साथ गाया जाता है।
प्रश्न: अल्लाह जिलाह बाई
उत्तर: ‘‘पदमश्री‘‘ एवं ‘‘राजस्थानश्री‘‘ के साथ अनेक पुरस्कारों से सम्मानित बीकानेर की प्रसिद्ध माँड गायिका अल्लाह जिलाह बाई नृत्य एवं शास्त्रीय गायन में भी पारंगत थी। उनका गाया गीत- ‘‘केसरिया बालम………….।‘‘ प्रसिद्ध है।
प्रश्न: गवरी देवी (बीकानेर)
उत्तर: संगीत नाटक अकादमी का सर्वोच्च सम्मान एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित बीकानेर की प्रसिद्ध माँड गायिका गवरी देवी ने देश-विदेश में माँड गायन शैली की धूम मचाई।
प्रश्न: गवरी देवी (पाली)
उत्तर: राज्य स्तरीय संगीत नृत्य में प्रथम (1991) पाली की प्रसिद्ध लोक गायिका गवरी देवी माँड, रतनराणों, मेहंदी, कळाळी आदि लोक शैलियों की प्रसिद्ध गायिका रही है।
प्रश्न: बन्नो बेगम
उत्तर: विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित जयपुर की प्रसिद्ध मॉड गायिका बन्नो बेगम ने मॉड गायन शैली को देश-विदेश में ख्याति दिलवाई है।
प्रश्न: कुरजां
उत्तर: यह मरू प्रदेश (जोधपुर) का मॉड गायन शैली का प्रसिद्ध लोक गीत है जिसे वियोगिनी स्त्री कुरजां पक्षी द्वारा अपने पति को संदेश भेजने हेतु कुरजां गीत गाती है।
कुरजां म्हारे भंवर मिला दिजे……….।
नोट: प्रमुख लोक गीतों में से अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न के रूप में कोई लोक गीत पूछा जाता है। इसका उत्तर देते समय निम्नलिखित तथ्य आने चाहिए – क्षेत्र, लोकगीत, शैली, संबंध (विरह, विवाह, जन्म, मांगलिक, उत्सव आदि से), प्रतीक (पशु, पक्षी, वृक्ष), गायन (एकल-युगल) के अलावा गीत के बोल की कोई पंक्ति ध्यान हो तो उसे भी दे देनी चाहिए। यहाँ क्षेत्रानुसार राजस्थान के लोकगीतों का वर्गीकरण किया गया है। संबंधित तथ्यों सहित एक सारणी दी गई है जिससे समझने एवं उत्तर लिखने में आसानी होगी।