जादू टोना किसे कहते हैं | काला जादू की परिभाषा क्या है | Witchcraft in hindi meaning definition

Witchcraft in hindi meaning definition जादू टोना किसे कहते हैं | काला जादू की परिभाषा क्या है ?

पवित्र क्षेत्र – जादू-टोना
हमने संक्षेप में इस बात का उल्लेख किया था कि किस प्रकार मलिनॉस्की जादू-टोने को विज्ञान से (दखिए भाग 23.3) और धर्म से (दखिए भाग 23.4) अलग करता है। मलिनॉस्की ने जादू-टोने का व्यावहारिक कार्यों के रूप में वर्णन किया है, जिसका उपयोग मनचाहा परिणाम प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कई प्रकार के जादू-टोनों में से मलिनॉस्की ने विशेष उल्लेख के लिए (प) काले जादू (ब्लैक मैजिक) और प्रेम का जादू (लव मैजिक) (पप) अनुकरण करने वाले और भविष्यवाणी करने वाले जादू, और (पपप) सरल जादू को चुना।

प) काले जादू (ब्लैक मैजिक) में किसी नुकीली चीज (जैसे हड्डी या छड़ी, बाण या किसी जानवर की रीड़ की हड्डी) को उस व्यक्ति की ओर निर्दिष्ट किया जाता है, जिसके विरुद्ध जाद किया जा रहा है। यह अनुकरणात्मक ढंग से अपने काल्पनिक शिकार को लक्ष्य करके किया जाता है। ऐसे अनुष्ठान को करते समय नाटकीय ढंग से भावावेगों की अभिव्यक्ति की जाती है। जादू-टोने का अनुष्ठान कराने वाला ओझा अनुष्ठान करते समय वास्तविक घटना की नकल करता हुआ प्रतीक के रूप में स्थापित मारे जाने वाले व्यक्ति की आकृति या वस्तु को नष्ट कर देता है। इस अनुष्ठान में उस व्यक्ति के विरुद्ध घृणा और क्रोध की तीव्र अभिव्यक्ति की जाती है।

लव मैजिक (प्रेम का जादू) काले जादू का उलटा है। इस जादू में जादूगर प्रेमी के रूप में बनी वस्तु को सहलाता और दुलारता है। इसमें प्रेमग्रस्त व्यक्ति के व्यवहार की नकल ही जाती है। ये सभी जादू-टोने की क्रियाएं चाहे वह ब्लैक मैजिक (मारण मंत्र) हो, प्रेम का जादू हो या आतंक अथवा दहशत पैदा करने वाला जादू हो, सभी मूलतः भावावेश की अभिव्यक्ति के सूचक हैं। इन अनुष्ठानों में प्रयुक्त होने वाली सभी वस्तुएं, क्रियाकलाप और भावावेश द्वारा एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।

पप) दूसरे प्रकार के जादू में मनचाहे परिणाम की नकल की जाती है। उदाहरण के तौर पर, यदि हमारे अनुष्ठान का उद्देश्य किसी व्यक्ति को मारना है तो अनुष्ठान कराने वाला व्यक्ति धीरे-धीरे आवाज को मंद करेगा, मृत्यु के समय की घरघराहट करेगा और मृत्यु के समय के कंपन का अनुकरण करते हुए वह जमीन पर गिर पड़ेगा।

पपप) तात्कालिक परिणाम के लिए जादू-टोने की कुछ सरल प्रक्रियाएं की जाती हैं। सामान्य रूप से जादूगर किसी ऐसी वस्तु पर जादू का प्रभाव डालता है, जिसे बाद में वह व्यक्ति उपयोग में लाए, जिस पर नियंत्रण करना हो। वह वस्तु जिस पर जादू का असर डाला जाता है, उपयुक्त और पूर्व-निर्धारित ढंग की होनी चाहिए।

इस प्रकार, इन सामान्य जादूओं को बताने के बाद मलिनॉस्की इस बात की ओर संकेत करता है कि इन सभी प्रकार के जादू-टोने का सामान्य अभिलक्षण जादू का बल (force) है, जो जादूई अनुष्ठान में निहित बल-प्रभाव की ओर संकेत करता है। जादू के रहस्यों को केवल जादू करने वाला ही जानता है, जिसका काम यह है कि वह इस क्षेत्र में ज्ञान की परंपरा को सुरक्षित रखे।

 जादू-टोने की परंपरा
जादुई मंत्र-तंत्र आनुष्ठानिक उच्चारण में निहित होते हैं। और ये एक पीढ़ी के जादूगरों को परंपरा से प्राप्त होते हैं। मलिनॉस्की ने जादू-टोने या मंत्र-तंत्र से संबंधित तीन तत्वों का वर्णन किया है ।
प) इनमें पहला तत्व ध्वन्यात्मक प्रभाव के रूप में है, जो विभिन्न प्राकृतिक ध्वनियों की नकल के परिणामस्वरूप सामने आता है। ये ध्वनियां हैं हवा की सीटी जैसी आवाज, गर्जन की आवाज और समुद्री लहरों का शोर आदि।
पप) दूसरा तत्व ऐसे शब्दों के उच्चारण के रूप में होता है, जो जादू विशेष के मनचाहे परिणाम की ओर संकेत करें। उदाहरण के तौर पर ब्लैक मैजिक में अनुष्ठान कराने वाला उस रोग के लक्षणों के बारे में बात करता है, जिसके द्वारा शत्रु को मारा जाता है। इसी प्रकार, दूसरे को स्वस्थ करने वाले जादू में जादूगर ऐसी दशा का वर्णन करेगा, जो अच्छे स्वास्थ्य से संबंधित हो।
पपप) मलिनॉस्की के अनुसार, तीसरा तत्व हर प्रकार के मंत्र-तंत्र के सबसे महत्वपूर्ण पहलू की ओर ध्यान दिलाता है। इसमें जादू के बारे में मिथकीय संदर्भो का उल्लेख होता है जिसे पुरखों और सांस्कृतिक नायकों ने परंपरा से आगे बढ़ाया है। ऐसे मिथकीय संकेत जादू-टोने को पारंपरिक पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं। मलिनॉस्की इस तत्व के बारे में और अधिक विस्तार से विचार करता है और वह परंपरा तथा जादुई अनुष्ठानों के बीच की कड़ी पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है।

प्रायः प्रत्येक जादू-टोने के अनुष्ठान के पीछे उसे उचित ठहराने वाली कोई न कोई कहानी होती है। उस कहानी में सामान्य रूप से यह वर्णन होता है कि कब और कहां वह जादू-टोने का अनुष्ठान किसी विशेष परिवार समूह या कुल के ओझा (जादू-टोने का अनुष्ठान कराने वाले) की संपत्ति बन गया। मलिनॉस्की ने सावधान करते हुए कहा कि इस प्रकार की कहानी से जादू-टोने के मूल या उद्गम के बारे में भ्रम नहीं होना चाहिए, क्योंकि ऐसा समझा जाता है कि सभी प्रकार के जादू-टोने का अस्तित्व सृष्टि के आरंभ से है। ऐसा कहा जा सकता है कि मनुष्य के अपने आसपास के वातावरण की नियंत्रित करने के तर्कपरक प्रयास के साथ ही जादू-टोने का अस्तित्व भी रहा है। मनुष्य के सामान्य तर्कपरक प्रयासों के असफल होने पर जादू-टोने या मंत्र-तंत्र का सहारा लिया जाता है। इस विषय में मलिनॉस्की मध्य आस्ट्रेलिया का उदाहरण देता है, जहां यह समझा जाता है कि जादू-टोने का अस्तित्व अनंत काल से वंश परंपरागत उत्तराधिकार में मिलता रहा है। मलेनेशिया में ऐसा माना जाता है कि जादू-टोने का प्रचलन उस समय से है, जब मानव गुफाओं में रहता था। दूसरे, जादू-टोने का संबंध मुख्य रूप से मानव के कृषि, मछली पकड़ने, शिकार करने, व्यापार, बीमारी, मृत्यु, प्रेम संबंधों आदि सभी क्रियाकलापों से है। मलिनॉस्की ने यह भी ‘बताया कि प्रायः जादू-टोने का प्रयोग मनुष्य के प्रकृति के साथ संबंधों के संदर्भ में या उन सभी क्रियाकलापों के लिए होता है जो इस संबंध को प्रभावित करते हैं। यों जादू-टोने का प्रयोग प्रकृति के प्रति नहीं होता और न ही इसे प्रकृतिजन्य माना जाता है। इसका उद्भव प्राकृतिक नियमों की जानकारी से भी नहीं होता। इसके विपरीत, यह परंपरा पर आधारित है और मानव की मनचाहा परिणाम पाने की शक्ति की ओर संकेत करता है।

जादू-टोने की इस व्याख्या के आधार पर मलिनॉस्की उन विद्वानों के विचारों को निरर्थक सिद्ध करता है जो जादू-टोने की संकल्पना की मलेनेशियाइयों में माना, उत्तर अमरीकी इंडियनों में वाकन या इराक्वाइयों में ओरेंदाश्आदि की अवधारणा से तुलना करते हैं।

 ‘माना‘ और जादू-टोना
मलिनॉस्की ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि जादू-टोना व्यक्तिजन्य उपलब्धि है। दूसरे शब्दों में, यह व्यक्ति विशेष में होता है, जिसका प्रयोग वह विशेष हिदायतों के अनुसार परंपरागत निर्धारित रीति से करता है। आगे उसने बताया कि यह ‘माना‘ की तरह की शक्ति नहीं हैं, जो सर्वत्र परिवेश में तथा लोगों में समाई हो। जादू-टोना किसी भाव में समाई वस्तु नहीं है। इसे तो किसी भी चीज या स्थिति में देखा जा सकता है। स्पष्ट ही, यदि जादू-टोना पूरी तरह से व्यक्ति विशेष तक सीमित है और इसका इस्तेमाल विशिष्ट परंपरागत ढंग से होता है तो इसे ‘माना‘ या इसी तरह के दूसरे सर्वव्यापी शक्ति के द्योतक विचारों के समान नहीं ठहराया जा सकता।

इस विषय में उसका सुझाव है कि आदिवासियों की मनोवृत्ति को समझने के लिए पहले हमें उनके व्यवहार विशेष को समझना होगा और फिर उनके रीति-रिवाजों की मदद से स्थानीय शब्दावली में उसकी व्याख्या करनी होगी। अंत में, उसने कहा कि यह नहीं समझना चाहिए कि जादू-टोने का उद्भव माना जैसे सर्वव्यापी शक्ति के अमूर्त विचार से हुआ है। मलिनॉस्की ने इस बात पर बल दिया है कि जादू-टोने के प्रत्येक प्रकार का जन्म उसकी अपनी परिस्थितियों में हुआ है। जादू-टोने का स्रोत लोगों की इन परिस्थितियों के प्रति सहज प्रतिक्रिया और इसके फलस्वरूप प्रकट होने वाले विचार हैं। अब तक जो कुछ हमने कहा वह मलिनॉस्की के जादू-टोने के बारे में आदिवासियों के विचारों का सार है। जादू-टोना मनुष्यों को ऐसी शक्ति देता है, जिसमें वे अपने आसपास के वातावरण पर नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं। बोध प्रश्न 1 को पूरा कर जादू-टोने पर अपनी जानकारी को दुहरा लें।

बोध प्रश्न 4
प) जादू-टोने के विभिन्न प्रकारों में सबसे अधिक सामान्य (common) बात क्या है? इसके तीन तत्वों का तीन पंक्तियों में वर्णन कीजिए।
पप) क्या जादू-टोना आदिम जनजातियों में आम तौर पर पाए जाने वाले सभी जगह व्यापक आत्मा या शक्ति में सर्वव्यापी विश्वास के समान है? अपना उत्तर दो पंक्तियों में लिखिए।

बोध प्रश्न 4 उत्तर
प) जादू-टोने के अनुष्ठान (तंत्र-मंत्र) का बल सभी प्रकार के जादू-टोने का एक सामान्य अभिलक्षण है। जादू-टोने के तीन तत्व हैं।
क) अनुष्ठान संबंधी उच्चरित अंशों का ध्वन्यात्मक प्रभाव, ।
ख) जादू-टोने के अनुष्ठान में शब्दों का चुनाव, और
ग) संस्कृति, वीर पुरुषों, नायकों या पुरखों अथवा दूसरी अलौकिक शक्तियों का नामोल्लेख ।

पप) सर्वव्यापक आत्मा या शक्ति में विश्वास को जादू-टोने के समान नहीं माना जा सकता, क्योंकि जादू-टोने का संबंध सामाजिक जीवन के केवल एक पक्ष से है, जबकि सर्वव्यापक शक्ति का संबंध सभी पक्षों से होता है।

 जादू-टोना और अनुभव
यहां मलिनॉस्की ने समाजशास्त्रीय पर्यवेक्षक की हैसियत से कुछ चीजों पर नियंत्रण कर सकने की शक्ति पर विश्वास के बारे में चर्चा की है। वह एक बार फिर उस स्थिति का वर्णन करता है, जिसमें जादू-टोने के अनुष्ठान किए जाते हैं। जब कोई व्यक्ति रोजमर्रा के क्रियाकलापों में व्यस्त होता है और उसके काम अचानक रुक जाते हैं यानी वह व्यक्ति उस रुकावट को दूर करने में किसी तरह सफल नहीं होता, तब उसे बेबसी या निरूसहायता का अनुभव होता है। उसे लगता है कि घटनाक्रम को अपने अनुकूल नहीं बना पा रहा है। उदाहरण के तौर पर अपनी ओर से पूरी कोशिश करने के बावजूद कोई शिकारी अपना शिकार मारने में सफल नहीं होता, मछुआरे को मछलियां नहीं मिलती और माली खेती को नष्ट करने वाले कीड़ों पर नियंत्रण नहीं कर पाता, ऐसी स्थिति में कोई क्या करें। अपने आसपास की परिस्थितियों पर नियंत्रण न कर पाने से उसके मन में तनाव पैदा होता है। ऐसी स्थिति में वह कुछ न कुछ करना चाहता है। मलिनॉस्की के अनुसार, ऐसी स्थिति में, वह उसके बदले में कुछ एवजी काम (substitute activity) करना चाहेगा। जब व्यक्ति तनाव की स्थिति में होता है और उसके अंदर बेबसी के कारण गुस्सा होता है, वह अपने विरोधी अथवा दुश्मन के खिलाफ काल्पनिक हमला करता है और गुस्से में उसे बुरा-भला कहता है। अथवा कोई बिछुड़ा हुआ प्रेमी स्वप्न में या कल्पना में अपने प्रियतम को देखता है। मछुआरे को कल्पना में ऐसा अनुभव होता है कि उसके जाल में खूब सारी मछलियां फस गई हैं और वह उनका नाम ले लेकर पुकारता है।

इस तरह के तर्कक्रम के आधार पर मलिनॉस्की ने निष्कर्ष निकाला कि मनुष्यों में जबरदस्त मनोवेगों या आवेशपूर्ण इच्छा की इस प्रकार की प्रतिक्रिया से ऐसी स्थिति बहुत स्वाभाविक है और यह सर्वव्यापी मनोवैज्ञानिक-शारीरिक प्रक्रिया (psycho&physiological mechanism) पर आधारित है। यही प्रतिक्रियाएं जादू-टोने के अनुष्ठान का रूप धारण कर लेती हैं। ये प्रतिक्रियाएं मनुष्य के सामने उन आवेशपूर्ण अनुभवों के क्षणों में प्रकट होती हैं, जब उसे अपने तर्कपरक कार्यों के दौरान बेबसी (impotency) का अनुभव होता है।

यहां जादू-टोने के अनुष्ठान से समझे जाने वाले लाभ और वास्तव में जीवन में उससे मिलने वाली सफलता के बीच संबंध के बारे में प्रश्न उठता है। मलिनॉस्की इस प्रश्न का उत्तर यह देता हैः इससे होने वाली एक सफलता कई विफलताओं से अधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होती है। इसका मतलब यह है कि जादू-टोने की थोड़ी सी भी सफलता को कहीं अधिक महत्व दिया जाता है और जब वह विफल होता है तो प्रायः उसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। जादू-टोना हमेशा समूह के विशिष्ट व्यक्ति द्वारा किया जाता है और इसमें उसकी अपनी कुशलता, योग्यता और मानसिक शक्तियों का भी योगदान रहता है। ऐसी स्थिति में जादू-टोने की प्रभावोत्पादकता जादू-टोना करने वाले की व्यक्तिगत प्रसिद्धि पर निर्भर होती है। इस तरह, जादू-टोने के साथ जुड़ी हुई पौराणिकता इसे सजीव शक्ति का रूप प्रदान कर देती है।

जादू-टोने की असफलता का कारण इसके लिए निषिद्ध कार्यों अथवा परहेज पर ध्यान न देना तथा विधि-विधान का पालन न करना माना जाता है। दूसरे, कभी विफलता का कारण अधिक सशक्त जादू-टोने या विरोधी जादू-टोने को बताया जाता है। अपने आसपास के वातावरण या परिवेश पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने की इच्छा तथा तर्कपरक क्रियाकलाप और उसकी अनुवर्ती बेबसी और उसके बदले में किए जाने वाले कार्य के परिणामस्वरूप जादू-टोने की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, अपने पड़ोसी से अधिक सम्पत्ति और शक्ति पाने की इच्छा से विरोधी जादू-टोने की आवश्यकता होती है। मलिनॉस्की ने अपने ट्रॉब्रिएंड द्वीपवासियों के संदर्भ में एकत्र सामग्री में से उदाहरण देते हुए बताया कि प्रत्येक जादू-टोने का विरोधी जादू-टोना होता है। ऐसा माना जाता है कि जादू-टोने के अनुष्ठान के प्रभाव को विरोधी जादू-टोने से समाप्त किया जा सकता है। एक जादू-टोना करने वाला जहां जादू-टोने से किसी को बीमार करना सीखता है वहीं वह उस बीमारी को ठीक करने का तरीका भी सीखता है। इस प्रकार, जादू-टोने की सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों प्रकार की शक्तियां उसके आवश्यक अभिलक्षण हैं और इसी से इस बात की भी व्याख्या हो जाती है कि क्यों कभी-कभी जादू-टोने के अनुष्ठानों से मनचाहा परिणाम नहीं मिलता।

अगले भाग में जादू, विज्ञान तथा धर्म के बीच समानताओं एवं असमानताओं पर चर्चा होगी। इस भाग को पढ़ने से पहले सोचिए और करिए 4 को पूरा कर जादू-टोने पर अपने विचारों को मलिनॉस्की के विचारों से तुलना करते हुए लिखकर पुष्ट करें।

सोचिए और करिए 4
क्या आप मलिनॉस्की के इस दावे से सहमत हैं कि जादू-टोना एक तरह से बदले में की गई क्रिया (substitute activity) है? दो पृष्ठ की टिप्पणी लिखिए कि क्यों कोई व्यक्ति तर्कपरक कार्य के असफल होने पर उसके बदले कोई दूसरा कदम उठाता है।