वेश्यावृत्ति क्या है | वेश्यावृत्ति की परिभाषा किसे कहते है अर्थ या मतलब बताइए prostitution definition in sociology
prostitution definition in sociology in hindi meaning definition in india वेश्यावृत्ति क्या है | वेश्यावृत्ति की परिभाषा किसे कहते है अर्थ या मतलब बताइए ?
महिलाओं पर हिंसा
महिलाओं पर अनेक प्रकार से हिंसा होती हैं जो कि महिलाओं के स्वतंत्र व्यक्तित्व और प्रतिष्ठा स्थापित करने में सैद्धांतिक चुनौती के रूप में कम काम करती है। यहाँ हमने हिंसा के निम्नलिखित रूपों पर विचार किया है:
1) बलात्कार, यौन शोषण और दुव्र्यहवार
2) पारिवारिक उत्पीड़न और दहेज मौतें
3) वेश्यावृत्ति, और
4) अश्लील साहित्य।
वेश्यावृत्ति
वेश्यावृत्ति महिलाओं की मानवीय प्रतिष्ठा का अवमूल्यन करती है और उन्हें समाज में ‘‘पतित‘‘ महिला के रूप में चित्रित करती है। महिलाओं की कामुकता का व्यापार महिलाओं के अधीनीकरण से शुरू होता है। एक व्यक्ति के रूप में महिला का व्यक्तित्व उसकी कामुकता के उद्देशीकरण द्वारा कमजोर होता है। शहरी क्षेत्रों के संदर्भ में जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों से अकेले पुरुष का प्रवासन होता है, वहाँ वेश्यावृत्ति बहुत अधिक है। 1986 में वेश्यावृत्ति के अवैध कार्य को रोकने के लिए पहले वाला अनैतिक देह-व्यापर (SITA) निषेध अधिनियम संशोधित किया गया था। तथापि, नये वाले अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम (ITPPA) के भी वैसे ही लक्ष्य, उद्देश्य, तर्क और आधारवाक्य हैं।
परंतु परवर्ती (ITPPA) वेश्याओं के प्रति दुराग्रहपूर्ण है। इसमें वेश्याओं को दंड देने संबंधी अनुच्छेदों को रखा गया है। साथ ही, ग्राहक को अपराधी नहीं बताया गया है।
इसके अलावा, कार्यान्वयन प्राधार को सुदृढ़ करने के लिए प्रावधान किए बिना दंड के उपाय करने का औचित्य बहुत कम है। फिर भी पूर्ववर्ती (SITA) की असफलता के निम्नलिखित कारण थे:
क) वेश्यालय प्रबंधन राजनीति अन्तर्संबंध
ख) वेश्याओं को दण्ड दिए जाने के साथ चालबाजों द्वारा हिरासत से बचाव
ग) अधिनियम में सम्मिलित अनुशास्तियों का पुलिस द्वारा वेश्याओं से रिश्वत और जुर्माना ऐंठने के लिए प्रयोग किया जाना
घ) साक्ष्य प्रस्तुत करने में समस्याएँ
ड.) न्यायाधीशों की कामुक अभिवृत्ति
च) सुधार-गृहों की कमी, मूलभूत सुविधाओं की कमी, स्टाफ की अल्प योग्यता और पुनर्वास के प्रति सुधारात्मक उपायों की न्यून गुणवत्ता। ये सभी समस्याएँ अभी भी विद्यमान हैं।
यह मुख्य रूप से परिस्थितिजन्य विवशता है जिससे वेश्याओं तथा वेश्यावृत्ति की समस्या खड़ी होती है। कई परिस्थितिजन्य विवशताओं में दो बातें मुख्य हैं:
प) सामाजिक परित्याग, और
पप) आर्थिक कंगाली-जिनकी वेश्यावृत्ति अपनाने का मुख्य कारण गरीबी है और यह आम बात है।
पहली स्थिति में, बहुत सी ऐसी महिलाएँ हैं जिनका सामाजिक दृष्टि से परित्याग किया गया है, जैसे – विधवाएँ, निराश्रय और परित्यक्त महिलाएँ, धोखे और ठगी की शिकार जिन्हें विवाह का वचन दिया गया था अथवा विवाह किया गया था और जिस व्यक्ति पर विश्वास किया गया था, उसने दलाल या वेश्यालय के मालिक को बेच दिया। सामाजिक परित्यक्तों में भी कई ऐसी महिलाएँ होती हैं जिन्हें उनके परिवार, माता-पिता, पति ने बलात्कार का शिकार होने के बाद छोड़ दिया है। अभी-अभी हाल ही में बम्बई में एक पिता ने अपनी लड़की को उसके साथ बलात्कार होने के बाद वापस लेना अस्वीकार कर दिया। यह बात नहीं थी कि वह गरीब था, बल्कि वह काफी धनी था। अपनी प्रतिष्ठा और सम्मान को आँच आने के भय से वह अपनी लड़की को वापस नहीं लेना चाहता था। अधिकांश बलात्कार के मामलों में ऐसा होता है, उनके लिए कोई स्थान नहीं रह जाता, इसलिए मजबूरी में उन्हें वेश्यालयों की शरण लेनी पड़ती है जबकि इसमें उनका कोई दोष नहीं होता।
वेश्यावृत्ति बहुत गंभीर और जटिल समस्या है जिसे सरलता से स्पष्ट नहीं किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति इसे खिलवाड़ के रूप में नहीं अपनाता है क्योंकि इसमें ऐसा कुछ नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर को क्षत-विक्षत और दूषित करने देना, पूरे साल दिन में कई बार साल दर साल यह होते रहने देना जब तक कि शरीर बूढ़ा न हो जाए। यह अपमानजनक, घोर व्यथाकारी है। किसी को शारीरिक और मानसिक रूप से इस सीमा तक तोड़ दिया जाता है कि उसके लिए अपना नया जीवन शुरू करना केवल कठिन ही नहीं अपितु दीर्घकालिक भयंकर मानसिक आघात वाला और कठिन होता है।
अधिनियम के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब परिवारों से अवयस्क लड़कियाँ और महिलाएँ वेश्यावृत्ति के लिए विवश की जाती हैं जिसमें उनकी रहन-सहन और कामकाज की दशाएँ बहुत शोचनीय है। उनका अपने शरीर, अपनी कमाई पर कोई नियंत्रण नहीं है, उनका स्वास्थ्य गिरता जाता है। उनके बच्चों को शिक्षा और अन्य सेवाएँ प्राप्त करने में कोई सहायता नहीं मिलती है। बम्बई शहर में कुछ गैर-सरकारी संगठन इन बच्चों की देखभाल के लिए शिशुसदन सुविधाएँ और कामकाजी बच्चों के लिए हाई स्कूल चला रहे हैं। वेश्यावृत्ति के उन्मूलन के लिए कोई सरकारी कार्यक्रम नहीं है।
देह-व्यापार जैसा कि यह जाना जाता है कि यह फलता-फूलता व्यापार है, जहाँ महिलाओं की कीमत पर दलाल, प्राप्तकर्ता और पुलिस जैसे लोगों के कई समूह धन अर्जित करते हैं। इनमें से अधिकांश लड़कियाँ यौनजनित रोगों से ग्रस्त होती हैं, यदि वे कोई आवश्यक निरोधक एहतियात नहीं करती हैं तो एड्स (AIDS) की भी शिकार हो सकती हैं। फिर भी, वेश्यालयों में रहने वाली महिलाओं को एड्स के शिकार की अपेक्षा इसके विषाणु के वाहक के रूप में माना गया है।
अश्लील साहित्य और संचार-साधनों में महिलाओं का मिथ्या निरूपण
स्त्री अशिष्ट (प्रतिषेध) अधिनियम, 1986 विज्ञापनों या प्रकाशनों, लेखों, चित्रों, आकृति में या किसी अन्य तरीके में और इससे सम्बद्ध मामलों के लिए अथवा उनके आकस्मिक प्रयोग के लिए स्त्रियों के अशिष्ट रूपण का प्रतिषेध करता है।
फिर भी, अश्लील साहित्य, पत्र-पत्रिकाएँ, चित्र, विज्ञापन पट (hoardings) और फिल्में छापी जाती हैं, बनाई जाती हैं जिन्हें ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार‘‘ के रूप में देखा जाता है, इससे वास्तव में महिलाओं के सम्मान का उल्लंघन होता है। ऐसी स्थिति में एक ओर तो बलवान, आक्रमणशील और उग्र पुरुषों की पितृसत्तात्मक छवि बनी रहती है और दूसरी ओर सेक्स की वस्तु के रूप में दुर्बल, विनयशील, संवेदनशील महिला की छवि बनती है। इन छवियों का उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, वस्त्रों, घरेलू उपयोग के उपकरणों और कई अन्य वस्तुओं के विज्ञापनों में वाणिज्यिक लाभ के लिए किया जाता है। महिला को कामुक और सम्मोहक के रूप में चित्रित किया जाता है, पुरुष को उग्र और स्वतंत्र व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया जाता है। फिल्मों में भी इसी प्रकार के फार्मूले का उपयोग किया जाता है। संचार माध्यमों में महिलाओं की छवि के अश्लील और गलत चित्रण के विरुद्ध समय-समय पर दबाव पड़ते रहे हैं और विरोध भी होता रहा है।
बोध प्रश्न 3
1) सही उत्तर पर टिक ( ) का निशान लगाइए।
बलात्कार इसलिए होता है कि:
क) महिलाओं के वस्त्र और उनका चाल-चलन स्वच्छन्द होता है। ( )
ख) पुरुष महिलाओं की रक्षा नहीं करते हैं। ( )
ग) यह कामुकतापूर्ण छेड़छाड़ की अभिव्यक्ति है। ( )
घ) पुरुष विकृतकामी होते हैं। ( )
2) क्या दहेज मौतों की निंदा करना ही काफी है? वे कौन से मूल्य हैं जिन्हें आपको ग्रहण करना है? लगभग सात पंक्तियों में उत्तर दीजिए।
3) बलात्कार की बढती घटनाओं में सर्वाधिक भयावह और घृणित क्या बात है? लगभग चार पंक्तियों में उत्तर दें।
बोध प्रश्न 3 उत्तर
1) ग
2) महिलाओं को सम्पत्ति के अधिकार और उत्तराधिकार के अधिकार देना महत्त्वपूर्ण है। विवाह को असाधारण महत्त्व नहीं दिया जाना चाहिए। यदि महिला अविवाहित रहना चाहती है तो इसे विवाह के वैध विकल्प के रूप में देखा जाना चाहिए। महिलाएँ उत्सर्जनीय अथवा व्यय की जाने वाली वस्तु नहीं है। लड़की के जन्म को भी हर्ष की घटना माना जाना चाहिए। उनके व्यक्तित्व, अस्मिता और सम्मान को सभी स्तरों पर माना जाना चाहिए।
3) बलात्कार की बढ़ती हुई घटनाओं में सबसे भयानक और चिंता का विषय यह है कि बलात्कार के शिकार की सबसे अधिक संख्या 12 वर्ष से कम आयु की बच्चियाँ हैं। यहाँ तक कि दो या तीन वर्ष के शिशु भी नहीं छोड़े जाते हैं और बलात्कारियों द्वारा अपनी काम-पिपासा की पूर्ति की उपयुक्त वस्तु समझे जाते हैं।
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