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फिटिंग अभिक्रिया , मेथिलिन क्लोराइड, क्लोरोफॉर्म, आयोडोफॉर्म , फ्रेऑन , D.D.T

फिटिंग अभिक्रिया :

जब हैलोबेंजीन की किया सोडियम (Na) के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में की जाती है तो डाई फेनिल बनता है।
2(C6H5-X) + 2Na → C6H5-C6H5+ 2NaX
वुर्टज फिटिंग अभिक्रिया :
जब हैलोबेंजीन की क्रिया एल्किल हैलाइड के साथ शुष्क ईथर की उपस्थिति में की जाती है तो एल्किल बेंजीन बनता है।
C6H5-X + R-X + 2Na → C6H5-R + 2NaX
पॉली हैलोजन यौगिक :
वे यौगिक जिनमें एक से अधिक हैलोजन होती है उन्हें पॉलीहैलोजन यौगिक कहते है।
उदाहरण :
A . CH2Cl2मेथिलीन क्लोराइड या डाई क्लोरो मेथेन
गुण :
रंगहीन , वाष्पशील द्रव है।
उपयोग :
1. विलायक के रूप में।
2. एरोसॉल प्रणोदक के रूप में
3. धातुओं की सफाई तथा फिनिशिंग के रूप में।
इसके सम्पर्क में आने से सुनने तथा देखने की आंशिक क्षमता कम हो जाती है।
B.CHCl3क्लोरोफॉर्म या ट्राई क्लोरो मेथेन:
यह रंगहीन द्रव है वायु तथा प्रकाश की उपस्थिति में इसके ऑक्सीकरण से विषैली गैस फास्फीन बनती है।
CHCl3+ O → COCl2+ HCl
नोट : क्लोरोफॉर्म को गहरे भूरे रंग की बोतल में पूर्ण रूप से भर कर बंद करके रखते है , इस बोतल के चारों ओर काले रंग का कागज लगा देते है जिससे की क्लोरोफॉर्म का ऑक्सीकरण न हो सके।
उपयोग : निश्चेतक के रूप में , फिओन बनाने में।
C . आयोडोफोर्म :
CHI3आयोडोफोर्म या ट्राई आयोडो मेथेन
गुण : यह पिले रंग का क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है।
उपयोग : इसका उपयोग पूतिरोधी (anti septic ) के रूप में किया जाता है।
D .CCl4कार्बन टेट्रा क्लोराइड:
यह रंगहीन तेलीय द्रव है जल में अविलेय होता है।
उपयोग :
फ्रीऑन बनाने में , विलायक के रूप में , अग्निशमक के रूप में।
E .फ्रेऑन :
मेथेन या एथेन के पॉलीक्लोरोफ्लोरो व्युत्पन्न को फ्रेऑन कहते है।
CCl2F2फ्रेऑन 12
यह रंगहीन अधिक स्थाई , अविशाक्त , असंक्षारक , आसानी से द्रवित होने वाले गैस है।
उपयोग : इसका उपयोग प्रशीतक के रूप में किया जाता है।
D.D.T (P , P’ -dichloro diphynyl trichloro ethane) :
इसका उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है।
वर्तमान में इसके निर्माण पर प्रतिबंध लगा हुआ है क्योंकि
यह शरीर में संचित हो जाता है।
इसका अपघटन नहीं होता
कुछ कीटो ने इससे प्रतिरोधात्मकता बनाली है।