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अधिनियमित का अर्थ क्या है ? अधिनियमित का मतलब बताइए क्या होता है enacted meaning in hindi

enacted meaning in hindi अधिनियमित का अर्थ क्या है ? अधिनियमित का मतलब बताइए क्या होता है ?

शब्दावली
अधिकारों का संवैधानिक वचन ः राज्य द्वारा उल्लंघन किए जाने से वह संरक्षण जो संविधान सुस्पष्ट रूप से प्रस्तुत करता है।
अधिनियमन ः बिन्दु जिस पर एक कानून, जैसा कि एक संसद-अधिनियम में व्यक्त है, प्रभाव में आ जाता है।
कार्यपालिका ः सरकार के भीतर से वे, जो नीति को परिभाषित और लागू करते हैं, और जो अपने प्रशासन के लिए संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
कार्योत्तर ः पश्च क्रिया, अथवा बाद में किए गए कार्य से अथवा द्वाराय एक तुरन्त बाद किए गए कार्य के परिणामस्वरूप, पश्चोन्मुख ।
द्विसदनी ः संसद जिसमें दो सदन होते हैं (एक उच्च सदन और एक निम्न सदन)।
मन्त्रिपरिषद् ः इसमें होते हैं – प्रधानमंत्री, कैबिनेट मन्त्री, राज्य मन्त्री और उप-मन्त्रीगण।
संशोधन ः संविधान परिवर्तन की एक निर्णायक और औपचारिक प्रक्रिया।

केन्द्र-राज्य सम्बन्ध
साठ के दशकांत में, केन्द्र-राज्य संबंधों में समस्याएँ गैर-कांग्रेस सरकारों के इन अनेक राज्यों में सत्ता में आने के बाद सामने आयीं – उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, केरल, पंजाब, उत्तरप्रदेश और बिहार।

वित्तीय संबंध
एक अन्य विवादास्पद विषय है- केन्द्र और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों का बँटवारा और विभिन्न राज्यों को केन्द्रीय अनुदानों का आबंटन। जबकि राज्य एक लम्बे समय से बृहद्तर भागों के आबंटन की माँग करते रहे हैं, एक नया सुझावित प्रस्ताव है – ‘निष्पादन के आधार‘ पर आबंटन।

राज्यपाल का शासन
पुनः एक अन्य भेद-बिन्दु है – किसी राज्य पर ‘राज्यपाल-शासन का लागू होना‘ और कार्यालय में रहते, उसकी अप्रत्याशित पदच्युति के अतिरिक्त भी उसकी भूमिका । राज्यपाल सामान्यतः संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री के संगमन में ही नियुक्त किए जाते हैं, और 1988 में सरकारिया आयोग ने भी

इसी की सिफारिश की थी। इस सिफारिश का, यद्यपि इसी रूप में हमेशा पालन नहीं किया गया है। सरकारिया आयोग ने सहकारी संघवाद की घोषणा करने का प्रयास किया। बहरहाल, आयोग की अधिकतर सिफारिशों के अमल में आने की प्रतीक्षा है।

आपेक्षिक सुनम्यता
भारतीय संविधान संशोधनों को स्थान देता है। इस संदर्भ में, कुछ अन्य देशों से भिन्न, यह संविधान कठोर नहीं है । जैसा कि अनेक विद्वजनों ने गौर किया है, संविधान कोई जीवित दस्तावेज नहीं होता और, इसलिए, इससे परिवर्तनशील समय-काल प्रतिबिम्बित होना चाहिए। ‘प्रस्तावना‘ में संशोधन ने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त को संविधान का एक अभिन्न अभिलक्षण बना दिया।

जब किसी संविधान को संशोधित किया जाता है तो यह आशा की जाती है कि यह बेहतरी के लिए कोई परिवर्तन लायेगा। अन्य शब्दों में, यह श्कुछ छीनने की बजाय श्कुछ और देगा । अनुच्छेद 368, अन्य अनुच्छेदों के साथ, संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति प्रदान करता है। वास्तव में, संविधान के जो मौलिक अभिलक्षण हैं उन पर बहस का अवसर तभी पैदा हुआ जब संविधान में कुछ संशोधन किए गए। संविधान में दी गई संशोधन प्रक्रिया विभिन्न अनुच्छेदों के लिए कठोर और कोमल, दोनों है। जबकि कुछ को मात्र एक साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है, अधिकतर को संसद के दोनों सदनों में उपस्थित और मतदान में भाग लेने वालों के दो-तिहाई बहुमत और राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है। कठोरतम निर्धारित संशोधन प्रक्रिया में, उपस्थित और मतदान करने वालों के दो-तिहाई की वांछनीयता के अतिरिक्त, देश में राज्य विधान-मण्डलों की कुछ संख्या के कम-से-कम आधों की सहमति भी आवश्यक होती है। और इससे भी आगे, इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है।

सर्वाधिक प्रबल रूप से विवादित पहलुओं में से दो थे – एक, संसद के प्रभुत्व पर संविधान के किसी भी अनुच्छेद पर संशोधन स्वयं लागू करना और दो, किसी संशोधन पर निर्णय लेने की सर्वोच्चता किसके पास है?

जबकि भारतीय संसद इस बात पर कायम थी कि यह सर्वोच्च सत्ता उसी के पास है और, इसीलिए, संविधान में किसी भी अनुच्छेद में संशोधन का उसे अधिकार है, इसके आलोचकों ने कहा कि सर्वोच्च संसद नहीं बल्कि संविधान है, और संसद किसी अन्य संस्था की भाँति ही उसकी एक रचना मात्र है। अन्तिम विश्लेषण में, यह मान लिया गया कि संसद संविधान में संशोधन हेतु वैध रूप से प्राधिकृत है, लेकिन वहीं तक कि यह श्संविधान के आधारभूत अभिलक्षणोंश् को संशोधित न करे । इसके अतिरिक्त, सर्वोच्च न्यायालय को अधिकार है कि यह निर्णय करे कि संविधान में कोई संशोधन, वास्तव में, संविधान के आधारभूत अभिलक्षणों के विरुद्ध है अथवा नहीं।

बोध प्रश्न 3
नोट: क) अपने उत्तर के लिए नीचे दिए रिक्त स्थान का प्रयोग करें।
ख) उत्तर अपने शब्दों में देने का प्रयास करें।
1) बन्दी-प्रत्यक्षीकरण क्या है?
2) भारतीय संविधान में संशोधन करने हेतु संसद की शक्ति की जाँच करें।
3) क्या भारतीय संसद संविधान की आधारभूत संरचना को बदल सकती है?

बोध प्रश्नों के उत्तर

बोध प्रश्न 3
1) यह अदालत द्वारा उसके सामने निकाय अथवा या व्यक्ति को प्रस्तुत करने के लिए राज्य प्राधिकारियों द्वारा दिया गया परमादेश है।
2) संसद संविधान के कुछ अनुच्छेदों को एक साधारण बहुमत से संशोधित कर सकती है, लेकिन अधिकतर संशोधनों के लिए उपस्थित और वोट कर रहे सदस्यों के दो-तिहाई की सहमति और राष्ट्रपति की स्वीकृति की आवश्यकता होती है। कुछ को इसके अतिरिक्त राज्य-विधानमण्डलों के कम-से-कम आधों की सम्मति भी आवश्यक होती है।
3) चूँकि संविधान और न कि संसद सर्वोच्च है, संसद संविधान के आधारभूत अभिलक्षण को संशोधित अथवा परिवर्तित नहीं कर सकती है।

 सारांश
भारतीय संविधान एक सफल दस्तावेज है और इसने सर्वोत्तम लोकतान्त्रिक परम्परा के पालन का प्रयास किया है। इसके द्वारा स्थापित परम्परा में आवसरिक अनियमितताओं को सुधारने का लचीलापन था, जो स्वयं ही इसकी सफलता का प्रमाण है। संविधान संघवाद को समाविष्ट करता है, देश के लोगों के मौलिक अधिकारों, एक जाँच-प्रक्रिया, का वचन देता है और राष्ट्रपति, मन्त्रिपरिषद्, संसद और सर्वोच्च न्यायालय के संस्थानों के माध्यम से संतुलन कायम रखता है।

 कुछ उपयोगी पुस्तकें
ऑस्टीन, नविल: दि इण्डियन कॉन्सटीट्यूशन: कॉर्नरस्टोन ऑव ए नेशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रैस, 1996.
बक्शी, पी.एम., दि कॉन्सटीट्यूशन ऑव इण्डिया (लेखक द्वारा विशेष टिप्पणियों के साथ), यूनिवर्सिटी लॉ पब्लिशिंग हाउस, 1999.