काव्य की परिभाषा क्या है | काव्य किसे कहते है , लक्षण , भेद हिंदी में भेद स्वरूप kavya kise kahate hain

kavya kise kahate hain in hindi काव्य की परिभाषा क्या है | काव्य किसे कहते है , लक्षण , भेद हिंदी में भेद स्वरूप ?

शब्द शक्तियाँ-
शब्द शक्ति अर्थ शब्द विशेष
1. अभिधा अभिधेयार्थ वाचक अभिधेयार्थ का बोध
कराती है।
2. लक्षणा लक्ष्यार्थ लक्षक लक्ष्यार्थ का बोध कराने
वाली शब्द शक्ति है।
3. व्यंजना व्यंग्यार्थ व्यंग्य व्यंजन शब्द शक्ति
व्यंग्यार्थ का बोध कराती है।
लक्षणा के भेद-
1. रूढ़ा लक्षणा, प्रयोजनवती लक्षणा
2. सारोपा, साध्यवसाना लक्षणा
3. गौणी, शुद्धा लक्षणा
4. अभिधामूला, लक्षणामूला, व्यंजनामूला लक्षणा
काव्य के भेद-
काव्य के तीन भेद हैं
(1) ध्वनि काव्य (2) गुणीभूत काव्य (3) चित्र काव्य
(1) ध्वनि काव्य में व्यंग्यार्थ वाच्यार्थ से सुंदर होता है।
(2) गुणीभूत काव्य में वाच्यार्थ व्यंग्यार्थ से अधिक बेहतर होता है।
(3) चित्र काव्य में केवल वाच्यार्थ होता है, व्यंग्यार्थ का पूर्ण अभाव होता है।
आनंदवर्द्धन ने ध्वनि को काव्य की आत्मा माना है। वस्तुतः वह रस जो ध्वनि से व्यक्त होता है अभिनवगुप्त के अनुसार (रसध्वनि) काव्य की आत्मा है।
व्यंजना के तीन भेद हैं- अभिधामूला व्यंजना, लक्षणामूला व्यंजना, व्यंजना मूला व्यंजना।
काव्य दोष-रस के अपकर्षक दोष कहे जाते हैं (विश्वनाथ)। काव्य दोष तीन प्रकार के होते हैं-शब्द दोष, अर्थ दोष, रस दोष । प्रमुख काव्य दोषों के नाम हैं-
1. श्रुति कटुत्व दोष सुनने में जो अप्रिय लगे।
2. च्युत संस्कृति दोष जहाँ व्याकरण के प्रतिकूल शब्द का प्रयोग
हो।
3. अप्रतीतत्व दोष व्यवहार में न आने वाले शब्दों का प्रयोग।
4. ग्राम्यत्व दोष ग्राम्य शब्दों का प्रयोग।
5. अश्लीलत्व दोष अश्लील शब्दों का प्रयोग।
6. क्लिष्टत्व दोष क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग ।
7. न्यून पदत्व दोष जहाँ पद की कमी हो।
8. अधिक पदत्व दोष जहाँ पद की अधिकता हो।
9. दुष्क्रमत्व दोष लोक या शास्त्र विरुद्ध शब्द का प्रयोग।
10. पुनरुक्ति दोष जहाँ शब्द की पुनरुक्ति हो।
11. अक्रमत्व दोष अनुचित स्थान पर शब्द प्रयोग ।
12. रस दोष जहाँ भाव व्यंग्य रूप में न होकर स्वयं ही वर्णन करे।
8.3 पाश्चात्य काव्यशास्त्र
प्रमुख सिद्धान्त
सिद्धान्त प्रतिपादक
1. अनुकरण सिद्धान्त प्लेटो, अरस्तू
2. विरेचन सिद्धान्त अरस्तू
3. अस्तित्ववाद सारन कीकेगार्ड
4. मनोविश्लेषणवाद फ्रायड
5. मार्क्सवाद कार्ल मार्क्स
6. अभिव्यंजनावाद क्रोचे
7. काव्य भाषा सिद्धान्त वर्ड्सवर्थ
8. कल्पना और फैंटेसी सिद्धान्त कालरिज
9. मूल्य सिद्धान्त आई. ए. रिचर्ड्स
10. सम्प्रेषण सिद्धान्त आई. ए. रिचर्ड्स
11. निर्वैयक्तिकता का सिद्धान्त टी. एस. ईलियट
12. वस्तुनिष्ठ समीकरण का सिद्धान्त टी. एस. ईलियट
13. परम्परा की अवधारणा सिद्धान्त टी. एस. ईलियट
14. रूसी रूपवाद वोरिस एकेनवाम
15. संरचनावाद सेस्यूर, स्ट्रास
16. विखण्डनवाद एवं उत्तर संरचनावाद जाक देरिदा
17. आधुनिकतावाद वर्जीनियाबुल्फ, बर्नार्ड शा,
रिचर्ड्स
18. औदात्य सिद्धान्त लांजाइनस

पाश्चात्य समीक्षकों की प्रमुख कृतियाँ
1. प्लेटो (427 ई. पू.-347 ई. पू.) द रिपब्लिक, द स्टेट्स मैन,
द लाज
2. अरस्तू (374 ई. पू.-322 ई. पू.) पोयटिक्स, रिहैट्रिक्स
3. लांजाइनस (तीसरी शती) ऑन-द-सबलाइम (औदात्य
का विचार)
4. क्रोचे (1866-1952 ई.) एस्थेटिक्स (सौन्दर्यशास्त्र)
5. आई. ए. रिचर्ड्स (1893-1979 ई.) प्रिंसिपल्स ऑफ लिटरेरी
क्रिटिसिज्म
6. वर्ड्सवर्थ (1770-1850 ई.) प्रिफेस टू लिरिकल बैलेड्स
(1800 ई.), बायोग्राफिया
लिटरेरिया (1817 ई.)
7. कालरिज (1722-1834 ई.) लेक्चर्स ऑन शेक्सपीयर
8. टी. एस. ईलियट (1885-1965 ई.) द सेकरेड वर्ड, सलेक्टेड
ऐसेज, पोयट्री एण्ड ड्रामा,
ऑन पोयट्री एण्ड पोयट
9. जाक देरिदा ऑफ ग्रामाटोलॉजी

विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न
1. इनमें से काव्य हेतु नहीं है-
(अ) प्रतिभा (ब) वक्रोक्ति
(स) अभ्यास (द) व्युत्पत्ति
उत्तर-(ब) वक्रोक्ति
ज्ञान-काव्य के तीन हेतु हैं- प्रतिभा, अभ्यास, व्युत्पत्ति । अतः वक्रोक्ति को काव्य का हेतु नहीं माना जाता। वक्रोक्त्ति एक काव्य सम्प्रदाय है।
2. कवि की अनुभूति का साधारणीकरण मानते हैं-
(अ) रामचन्द्र शुक्ल (ब) डॉ. नगेन्द्र
(स) श्यामसुन्दरदास (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(ब) डॉ. नगेन्द्र
ज्ञान-डॉ. नगेन्द्र कवि की अनुभूति का साधारणीकरण मानते हैं। भट्टनायक भावकत्व व्यापार को साधारणीकरण कहते हैं, रामचंद्र शुक्ल आलाम्बन धर्म का साधारणी करण मानते हैं जबकि श्यामसुन्दरदास कवि के चित्त का साधारणीकरण मानते हैं।
3. ‘अभिव्यक्तिवाद‘ इनमें से किसका मत है?
(अ) भट्टनायक (ब) अभिनवगुप्त
(स) भट्टलोल्लट (द) आचार्य शंकुक
उत्तर-(ब) अभिनवगुप्त
ज्ञान-अभिनवगुप्त काव्य सूत्र के चैथे व्याख्याता आचार्य हैं उनका मत अभिव्यक्तिवाद कहलाता है भट्टलोल्लट का मत उत्पत्तिवाद, आचार्य शंकुक का मत अनुमितिवाद कहा जाता है।
4. ‘साधारणीकरण सिद्धान्त‘ के आविष्कारक माने जाते हैं
(अ) भरतमुनि (ब) आचार्य शंकुक
(स) भट्टनायक (द) मम्मट
उत्तर-(स) भट्टनायक
ज्ञान-साधारणीकरण सिद्धान्त के आविष्कारक रस सूत्र के तीसरे व्याख्याता आचार्य भट्टनायक माने जाते हैं।
5. इनमें से काव्य प्रयोजन कौन.सा है?
(अ) प्रतिभा (ब) यश-प्राप्ति
(स) अभ्यास (द) व्युत्पत्ति
उत्तर-(ब) यश-प्राप्ति
ज्ञान-मम्मट ने जो छरू काव्य प्रजोयन बताए हैं उनमें यशप्राप्ति है शेष तीनों काव्य हेतु हैं, काव्य प्रयोजन नहीं।
6. मम्मट ने किसे काव्य का अनिवार्य तत्व माना है?
(अ) अलंकार को (ब) ध्वनि को
(स) रस को (द) वक्रोक्ति को
उत्तर-(स) रस को
ज्ञान-मम्मट रसवादी आचार्य थे, अतः वे रस को काव्य की आत्मा मानते थे।
7. ‘अभिव्यंजनावाद‘ किस विद्वान् का सिद्धान्त है?
(अ) क्रोचे का (ब) अरस्तू
(स) ईलियट (द) रिचर्ड
उत्तर-(अ) क्रोचे का
ज्ञान-अभिव्यंजनावाद के प्रवर्तक क्रोचे (ब्तवबम) थे। अरस्तू, ईलियट, रिचर्ड ने इसका प्रवर्तन नहीं किया।
8. ‘विरेचन सिद्धान्त‘ दिया है-
(अ) जाक देरिदा ने (ब) क्रोचे ने
(स) अरस्तू ने (द) प्लेटो ने
उत्तर-(स) अरस्तू ने
ज्ञान-विरेचन सिद्धान्त अरस्तू का है जिसके आधार पर उन्होंने दुखांत नाटकों (ज्तंहमकल) की व्याख्या की है।
9. ‘काव्य भाषा सिद्धान्त‘ के प्रणेता हैं
(अ) वर्ड्सवर्थ (ब) ईलियट
(स) रिचर्ड (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(अ) वर्ड्सवर्थ
ज्ञान-काव्य भाषा सिद्धान्त के प्रणेता हैं विलियम वर्ड्सवर्थ जिसका विवेचन उन्होंने बायोग्राफिया लिटरेरिया तथा प्रिफेस लिरिकल बैलड्स में किया है।
10. ‘विखण्डनवाद‘ के जनक हैं-
(अ) जाक देरिदा (ब) क्रोचे
(स) लांजाइनस (द) सेस्यूर
उत्तर-(अ) जाक देरिदा
ज्ञान-विखण्डनवाद के जनक हैं जाक देरिदा, क्रोचे ने अभिव्यंजनावाद का, लांजाइनस ने औदात्यवाद और सेस्यूर ने संरचनावाद का प्रतिपादन किया है।
11. कौन-सा सिद्धान्त अरस्तू का है-
(अ) विरेचन सिद्धान्त (ब) अभिव्यंजनावाद
(स) काव्यभाषा सिद्धान्त (द) ये सभी
उत्तर-(अ) विरेचन सिद्धान्त
ज्ञान-दिए गए सिद्धान्तों में अरस्तू का सिद्धान्त है विरेचन सिद्धान्त, अभिव्यंजनावाद के प्रवर्तक क्रोचे हैं, काव्यभाषा सिद्धान्त के वर्ड्सवर्थ।
12. अरस्तू का समय है-
(अ) 427 ई. पू. – 347 ई. पू. (ब) 374 ई. पू. – 322 ई. पू.
(स) 100 ई. पू. – 175 ई. पू. (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(ब) 374 ई.पू. – 322 ई. पू.
13. ‘पोयटिक्स‘ के रचयिता हैं-
(अ) अरस्तू (ब) लांजाइनस
(स) क्रोचे (द) प्लेटो
उत्तर-(अ) अरस्तू
ज्ञान-अरस्तू की कृति है पोयटिक्स, क्रोचे ने ।ेजीमजपबे, लांजाइनस ने व्द जीम ैनइसपउम तथा प्लेटो ने ज्ीम त्मचनइसपब काव्य ग्रंथ लिखे हैं।
14. प्लेटो का ग्रन्थ कौन-सा नहीं है?
(अ) व्द जीम ैनइसपउम (ब) ज्ीम त्मचनइसपब
(स) ज्ीम ैजंजमेउंद (द) ज्ीम स्ंूे
उत्तर-(अ) व्द जीम ैनइसपउम
ज्ञान-व्द जीम ैनइसपउम लांजाइनस की रचना है। शेष तीनों प्लेटों के ग्रंथ हैं।
15. श्।ेजीमजपबेश् के रचयिता का नाम है
(अ) क्रोचे (ब) अरस्तू
(स) ईलियट (द) लांजाइनस
उत्तर-(अ) क्रोचे
ज्ञान-।ेजीमजपबे क्रोचे की रचना है, अरस्तू लांजाइनस या ईलियट की नहीं। अरस्तू की रचना है – च्वपजपबे,
लांजाइनस की रचना है – व्द जीम ैनइसपउम
और इलियट की रचना है क्मपिदपजपवद व िब्नसजनतम, म्ेेंले वद च्वमजे – च्वमजतल आदि।