बाट जोहना मुहावरे का अर्थ क्या है या बाट जोहना मुहावरे का वाक्य baat johna muhavare meaning in hindi

baat johna muhavare meaning in hindi बाट जोहना मुहावरे का अर्थ क्या है या बाट जोहना मुहावरे का वाक्य क्या है ?

281. बाट जोहना (प्रतीक्षा करना)- श्री राम की बाट जोहते-जोहते सभी रानियों ने बड़ी कठिनाई से चैदह वर्ष बिताए।
282. बात-बात में तीर कमान हो जाना (अकडना, लड़ने के लिए तैयार हो जाना)- बात-बात में तीर कमान हो जाने वाली लता आज बहुत ही शांत बैठी है।
283. टका सा जवाब देना (साफ इंकार कर देना)- आज ही तो मैंने सुरेन्द्र से एक पुस्तक मांगी थी परंतु उसने मुझे टका सा जवाब दे दिया।
284. टाँग अड़ाना (विघ्न डालना)- दूसरों के कामों में टाँग अड़ाना बुरी बात है।
285. बल्लियाँ उछालना (बहुत प्रसन्नता प्रकट करना)- ज्योंही उसे पुरस्कार मिलने का समाचार मिला वह बल्लियाँ उछालने लगा।
286. बाल की खाल उतारना (व्यर्थ आलोचना करना)- अब बालों की खाल उतारने से क्या लाभ है? जो होना था सो हो गया।
287. हाथ धोकर पीछे पड़ना (बुरी तरह पीछे पड़ना, पीछा न छोड़ना)- यह मालिक तो हाथ धोकर नौकर के पीछे ही पड़ा है, बेचारे को जरा भी चैन नहीं लेने देता।
288. हाथ मलना ( पछताना)- परिश्रम के अभाव में यदि फेल हो गए तो हाथ मलना पड़ेगा।
289. बात का बतंगड़ बना डालना (जरा सी बात को बढ़ा देना)- बात कुछ भी नहीं थी कि योगेश ने बात को अधिकारियों तक पहुँचाकर बात का बतंगड़ बना दिया।
290. त्राहि-त्राहि मचना (कष्ट से परेशान होना)- अकाल के कारण समस्त प्रजा में त्राहि-त्राहि मच गई।
291. थू-थू करना (बेइज्जती करना)- कैकेयी के दुर्वचनों के कारण सारी प्रजा में उसकी थू-थू हुई।
292. बाँसों (बल्लियाँ) उछालना (खुश होना)- अपने सफल होने की खबर सुनकर वह बाँसों (बल्लियाँ) उछालने लगा।
293. बहती गंगा में हाथ धोना (समय का लाभ उठाना)- आजकल तो तुम्हारी सरकार है। सब कमा रहें हैं तुम भी बहती गंगा में हाथ धो लो। वरना समय निकलने पर पछताओगे।
294. भट्टी में झोंकना (बर्बाद करना)- यह नौकरी मेरे अनुरूप नहीं है। यहाँ रहकर में अपनी प्रतिभा ( कला) मिट्टी में झोंक रहा हूँ।
295. मत मारी जाना (समझ न रहना)- श्यामू की तो मत मारी गई। पढ़ाई छोड़कर दिनभर खेलता रहता है।
296. मन वृदांवन होना (अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव होना )- बर्फ से पर्वत शिखरों को देख बहुत थके होने पर भी मन वृदांवन हो रहा था।
297. मन ही मन हँसना (प्रसन्न होना पर प्रकट न करना)- अपनी सहेली की बातें सुन मैं मन ही मन हँस दी पर कहा कुछ नहीं।
298. माथा ठनकना (बुराई की आशंका होना)- जब श्री राम का तिलक होने वाला था, उस समय कैकयी को काले कपड़े पहने देखकर राजा दशरथ का माथा ठनका।
299. नौ-दौ ग्यारह होना (सरपट भागना)- पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।
300. पछाड़ देना (हरा देना)- भारतीय सेना ने युद्ध में आसानी से पछाड़ दिया।
301. माथे पर बल पड़ना (नाराज होना)- क्या बात है? मुझे ऋऋदेखते ही तुम्हारे माथे पर बल क्यों पड़ जाता है?
302. मिट्टी का माधो (बहुत ही मुर्ख)- तुम तो व्यर्थ में उसे समझाकर अपना समय नष्ट कर रहे हो, वह तो निरा मिट्टी का माधो है।
303. बट्टा लगाना (कलंकित करना)- इस मूर्ख ने तो सारे कुल का बट्टा लगा दिया।
304. नानी याद आ जाना (होश ठिकाने आना)- मास्टर जी ने शरारती विनय की ऐसी पिटाई की कि उसे नानी याद आ गई।
305. सिर-आँखों पर बैठाना (बहुत सम्मान करना)- आप हमारे गुरु है, आपको सिर आँखों पर बैठाना हमारा कर्तव्य।
306. पत्थर की लकीर होना ( अटूट होना)- यदि शंकर ने तुम्हारा काम करने का वचन दिया है तो वह अवश्य करेगा। उसकी बात को पत्थर की लकीर समझो।
307. पर निकलना (व्यर्थ इतराना)- अच्छी नौकरी मिल जाने पर युवकों ऐसे पर निकलते हैं कि वे अपने आगे किसी को भी कुछ समझते ही नहीं।
308. मिट्टी खराब करना (बुरी हालत करना)- कपूत बालक बुढ़ापे में अपने माँ-बाप की मिट्टी खराब कर देते।
309. हाथ साफ कर जाना (चुरा लेना)- सिपाही के मुँह फैरते ही जेबकतरा हाथ साफ कर गया।
310. सिर पर उठाना (बहुत शोर करना)- बच्चों! क्यों सारा घर सिर पर उठाते हो? थोड़ा चैन तो लेने दो।