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5kg द्रव्यमान एवं 0.1 m व्यास का एक ठोस गोला एक तार से लटकाया गया है। यदि तार की ऐंठन दृढ़ता 5×103 Nxm है तो मरोड़ी दोलक का आवर्त काल ज्ञात करो।

उदाहरण- 21. 5kg द्रव्यमान एवं 0.1 m व्यास का एक ठोस गोला एक तार से लटकाया गया है। यदि तार की ऐंठन दृढ़ता 5×103 Nxm है तो मरोड़ी दोलक का आवर्त काल ज्ञात करो।

हल : प्रश्नानुसार,

m = 5 kg

r = 0.05m

c = 5 x10-3 Nx m

गोले का जड़त्व आघूर्ण I = 2/5 mr2 = 2 x 5 x (.05)2/5

= 0.005 kg x m2

दोलक का आवर्त्त काल T = 2π1/c

= 2π .005/.005 = 2π

= 6.28 s

उदाहरण- 22. किसी L-C परिपथ में 106 Hz आवृत्ति के विद्युत दोलन उत्पन्न हो संधारित्र की धारिता 2 uF है तो प्रेरकत्व के मान की गणना करो।

हल : प्रश्नानुसार, C = 2 x 10-6F

n = 106 Hz

विद्युत दोलनों की आवृत्ति n = 1/2πLC

L = 1/4π2n2C

L = 1/4 x (3.14)2 x (106)2 x 2 x 10-6

= 1.26 x 10-8H

उदाहरण- 23. किसी स्वरित्र की एक भुजा के सिरे पर विद्यमान एक कण साम्य स्थिति में से 2 m/s के वेग से गुजरता है। आयाम 10-3m है। (a) स्वरित्र की आवृत्ति एवं आवर्तकाल क्या है ? (b) समय के फलन के रूप में कण के विस्थापन का समीकरण लिखिए।

हल : प्रश्नानुसार,

कण का साम्यावस्था पर वेग vmax = aω = 2 m/s

आयाम a = 10-3m

कोणीय आवृत्ति ω = Vmax /a = 2/10-3 = 2000 rad/s

आवर्त्तकाल T = 2π/ ω = 0.00314s

कण के विस्थापन का समीकरण x = a sin ωt = 10-3 sin (2000 t).

उदाहरण- 24. किसी दोलित्र की आवृत्ति 200Hz है तथा अवमन्दन नियतांक 0.23 प्रति सेकण्ड है। गणना कीजिए- (a) विश्रान्तिकाल (b) गुणता कारक एवं (c) वह समय जिसमें उसकी ऊर्जा, उस ऊर्जा का दसवां हिस्सा रह जाती है जो बाह्य उत्तेजन हटाते समय थी।

हल : प्रश्नानुसार, दोलित्र की आवृत्ति n = 200 Hz

Ω0 = 2πn = 400π rad/s

अवमन्दन नियतांक r = 0.23/s

(a) विश्रान्तिकाल t = 1/2r = 1/2 x 0.23 = 2.17s

(b) गुणता कारक Q = ω0 t = 400 x 3.14 x 2.17 = 2725.52

(c) t सेकण्ड पश्चात् ऊर्जा का मान

E = E0 e-t/r

यहाँ E = E0/10 तथा t = 2.17s

E0/10 – E0 e-t/217

t=2.17 log. 10 = 2.17 x 2.3026

= 5s

उदाहरण- 25. 300 दोलन प्रति सेकण्ड आवृत्ति वाले दोलक का आयाम 6000 कम्पनों के उपरांत अपने प्रारम्भिक मान का 1/10 रह जाता है। गणना कीजिए। (1) अवमन्दन नियतांक (2) विश्रान्तिकाल (3) विशेषता गुणांक तथा (4) वह समय जिसमें ऊर्जा, प्रारम्भिक मान का 1/10 रह जाती है।

हल : प्रश्नानुसार, दोलक की आवृत्ति ω0 = 2πn = 600π rad/s

कम्पनों की संख्या = 6000

6000 कम्पनों में लगा समय t = 6000/300 = 20s

(i) अवमन्दन नियतांक r:

t से. पश्चात् दोलक का आयाम

a = a0e-rt

a = a0/10 t = 20s

a0/10 = a0e-20r

e20r = 10

r = loge10/20 2.3026 x 1/20

= 0.115 per second

(ii) विश्रान्तिकाल t:

T = 1/2r = 1/2 x 0.115 = 4.35s

(i) विशेषता गुणांक Q:

Q = ω0t = 600π x 4.35

Q =8195

(iv) t से. पश्चात् ऊर्जा का मान :

E = E0e-2rt

E =E0/10, r = 0.115/s

E0/10 = E0e-0.23t

E0.23t = 10

T = loge 10/0.23 = 2.3 0 x 1/0.23

= 10s

उदाहरण- 26. एक अवमन्दित दोलक का आयाम 10s में अपने प्रारम्भिक मान का रह जाता है। गणना कीजिए (i) अवमन्दन नियतांक (ii) विश्रान्ति काल

हल : अवमन्दित दोलक का आयाम

A = a0e-rt

प्रश्नानुसार a0 = a0/10, t = 10s

A0/10 = a0 e-10r

E10r = 10

अवमन्दन नियतांक r = loge 10/10 = 2.3026/10

= 0.23/s

विश्रान्ति काल t = 1/r = 1/0.23

= 4.35s

उदाहरण- 27.100 gm का एक पिण्ड स्प्रिंग से लटकाया जाता है जो उसे 2 cm खींच लेता है। यदि स्प्रिंग का विश्रान्तिकाल 1s है तो अवमन्दित दोलक का आवृत्तकाल ज्ञात करो।

हल :

m = 100 gm=0.1 kg

x0 = 2 cm = 0.02 m

t = 1 s

स्प्रिंग का बल नियतांक k = mg/x0 = 0.1 x 9.8/0.02

= 49N/m

अवमन्दित दोलक का आर्वत्तकाल

T = 2π/ ω02 – r2 = 2π/k/m – 1/t2

T = 2 x 3.14/49/0.1 – 1/12 = 6.28/490 – 1

= 0.28s

उदाहरण- 28. एक अवमन्दित दोलक विरामावस्था स प्रारम्भ करके पहला 40 cm पर प्राप्त करता है और 100 दोलनों के पश्चात् आयाम 4cm हो जाता है। प्रत्येक दोलन का समय 2.3s से. है। विश्रान्तिकाल, अवमन्दन नियतांक तथा अवमन्दन की अनुपस्थिति में दोलक का आयाम ज्ञात करो।

हल : अवमन्दित दोलनों का आयाम a = a0 e-rt

पहला आयाम a1 = 40 सेमी. जब t = T/A

A1 = a0e-rT/4 = 40

100 दोलनों के पश्चात् समय 1= (100T + T/4)

तथा आयाम a201 = 4 cm

A201 = a0e-r (100T + T/4) = 4 …………………………(2)

समीकरण (2) में (1) का भाग देने पर

a201/a1 = 4/40 = e-r(100T+T/4)/e-rt/4 = e-100rT

e100 rt = 10

r = loge 10/100T

=e-100rT

T = 2.3 s

विश्रान्तिकाल t = 1/r = 1/0.01 = 100 s

समीकरण (1) से

A1 = a0e-rT/4

A0 = a1e rT/4 = 40e0.01 x 2.3/4 = 40e0.00575

Log10a0 = log1040 + 0.00575/2.3026

= 1.6021 + 0.0025

=1.6046

या ao = 40.24 cm .

उदाहरण-29. 2 kg द्रव्यमान का एक कण P अक्ष X के अनुदिश गति करता है। यह 8x सख्यात्मक मान के बल से मूल बिन्दु 0 की तरफ आकर्षित होता है और इस पर एक अवमन्दन बल जिसका मान तात्क्षणिक चाल का 8 गुना है, कार्य कर रहा है। यदि वह x = 20 m स्थिति पर प्रारम्भ में विरामावस्था में है तो

  • गति की व्याख्या करने वाले प्रतिबन्ध एवं अवकल समीकरण व्युत्पन्न कीजिए।
  • उसकी किसी समय पर स्थिति तथा वेग का परिकलन करो।

हल : (i) प्रश्नानुसार, m=2kg

बल FR =- 8x

अवमन्दन बल Fd = – 8v

कण पर लगा परिणामी बल F = FR + Fd

F =- 8x – 8v

कण के गति का समीकरण

2 d2x/dt2 = – 8x – 8 dx/dt

या d2x/dt2 + 4 dx/dt + 4x = 0

यहाँ ω02 = 4, 2r = 4 ……………………………(1)

यह अवमन्दित सरल आवर्ती गति के अवकल समीकरण के समतुल्य है। अतः इसका हल होगा।

x = xoe-2t sin (2t + ψ) ……………………………..(2)

  • प्रारम्भ में t = 0 पर x = 20 m

समीकरण (2) से

20 = x0 sin ψ

कण का वेग v = dx/dt =x0 e-2t[-2 sin (2t + ψ) + 2 cos (2t + ψ)]

v = 2x0e-2t [cos (2t + ψ)-sin (2t + ψ)]

प्रारम्भ में t = 0 पर v = 0 है।

0 = 2xo [cos ψ -sin ψ]

परन्तु x0 #0

0 = [cos ψ -sin ψ]

ψ = π/4

समीकरण (3) से

X0 = 20 /sin ψ = 20 2 m

समय t पर स्थिति x = 20 2 e-2t sin (2t + π/4)

वेग v = 40 2 e-2t [cos (2t + π/4) – sin (2t + π/4)]

=- 80 e-2t sin 2t m/s