हमारी app डाउनलोड करे और फ्री में पढाई करे
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now
Download our app now हमारी app डाउनलोड करे

कैबिनेट मिशन भारत कब आया , कैबिनेट मिशन का उद्देश्य क्या था , क्यों आया Cabinet Mission to India in hindi

By   November 15, 2022

Cabinet Mission to India in hindi कैबिनेट मिशन भारत कब आया , कैबिनेट मिशन का उद्देश्य क्या था , क्यों आया ?

प्रश्न: कैबिनेट मिशन प्लान क्या था ? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग की क्या प्रतिक्रिया रही ?
उत्तर: द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के पश्चात् अंग्रेजी सरकार की स्थिति काफी नाजुक बन चुकी थी। वह किसी भी तरह से भारतीयों को संतुष्ट कर अपना साम्राज्य बनाये रखना चाहती थी। ऐसी विषम स्थितियों में ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने 19 फरवरी, 1946 को भारत की समस्या के समाधान हेतु ‘कैबिनेट मिशन‘ (मंत्रिमंडल मिशन) को भारत भेजने की घोषणा की। यह एक महत्वपूर्ण घोषणा थी, क्योंकि इसमें पहली बार भारत के लिए ‘स्वाधीन‘ शब्द का प्रयोग किया गया था। साथ ही, इसमें अल्पसंख्यकों एवं बहुसंख्यकों दोनों के लिए सुरक्षा की बातें कही गयी थीं। 24 मार्च, 1946 को कैबिनेट मिशन दिल्ली पहुंचा और इसने 16 मई, 1946 को व्यापक विचार-विमर्श के पश्चात् अपनी योजना प्रस्तुत की, जिसकी प्रमुख बातें निम्नलिखित थी –
1. ब्रिटिश भारत एवं देशी रियासतों का एक संघ बनाना जिसके हाथों में विदेशी मामले, रक्षा एवं यातायात संबंधी अधिकार हों।
2. संघीय विषयों के अतिरिक्त सभी विषय प्रांतों के हाथों में रहने चाहिए।
3. देशी रियासतें, संघ को सौंपे गये विषयों के अलावा अन्य सभी विषयों पर अपना अधिकार रखेंगी।
4. प्रस्तावित संघ की एक कार्यकारिणी एवं विधायिका होगी, जिसमें ब्रिटिश-भारत तथा देशी रियासतों के प्रतिनिधि होंगे।
5. संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे, जिनमें से 292 सदस्यों का चुनाव ब्रिटिश-भारत प्रांतों की विधानसभाएं अप्रत्यक्ष तरीके से सांप्रदायिक आधार पर करेंगी। शेष 93 सीटों पर देशी रियासतों के प्रतिनिधियों को चुनने का तरीका बाद में तय किया जायेगा।
6. संविधान के अस्तित्व में आते ही अंग्रेजी सर्वोच्चता समाप्त हो जायेगी। देशी रियासतों को यह अधिकार होगा कि वे संघ से संबंध स्थापित करें अथवा प्रांतों से।
7. विधानसभाओं को ब्रिटेन के साथ शक्ति हस्तांतरण से उत्पन्न मामलों पर एक संधि करनी पड़ेगी।
8. पाकिस्तान की मांग अव्यावहारिक होने के कारण स्वीकार्य नहीं है।
9. संविधान निर्माण के पूर्व एक अंतरिम सरकार का गठन किया जायेगा, जिसे प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त होगा।
मुस्लिम लीग ने इसे 6 जून, 1946 को तथा कांग्रेस ने 25 जून, 1946 को स्वीकार कर लिया। मुस्लिम लीग यद्यपि पाकिस्तान की मांग को अस्वीकार कर दिये जाने से आहत थी। लीग एवं कांग्रेस के बीच इस बात को लेकर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी कि कैबिनेट मिशन के प्रस्तावों के अनुरूप राज्यों का वर्गीकरण ऐच्छिक होना चाहिए अथवा अनिवार्य। जहां कांग्रेस इसे ऐच्छिक मानने पर जोर दे रही थी, वहीं लीग इसे अनिवार्य बनाने पर कायम थी। फिर भी, कि इसने दोनों में आशा की एक नयी किरण बिखेर दी थी, अतः उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया।

सब्सक्राइब करे youtube चैनल