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हृदय पेशियाँ किसे कहते हैं ? हृदय पेशी के 3 लक्षण बताओ चित्र कार्य क्या है cardiac muscle in hindi

cardiac muscle in hindi definition हृदय पेशियाँ किसे कहते हैं ? हृदय पेशी के 3 लक्षण बताओ चित्र कार्य क्या है

हृदय पेशियाँ  (Cardiac muscle) :

स्थिति : ह्रदय पेशियां ह्रदय की भित्ति में पायी जाती है | यह मल्मोनरी शिरा और पश्च महाशिरा की दीवार में भी उपस्थित होती है |

संरचना : ह्रदय पेशियाँ छोटे , नालवत तंतुओं से बनी होती है जो कि सिरे से सिरे तक जुड़े होते है और तिर्यक किनारों द्वारा अंत:योजित होते है और एक कॉम्प्लेक्स , त्रिदिशीय नेटवर्क बनाते है | यह व्यवस्था नियमित संकुचन के लिए होती है जो कि ह्रदय पेशी का लाक्षणिक गुण है |

ये cross striations दर्शाते है और रेखित पेशी तंतुओं से अधिक दुर्बल होते है | ये तंतु बड़ी संख्या में माइटोकोंड्रिया और ग्लाइकोजन कण युक्त होते है क्योंकि इन में ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है |

(i)                  ह्रदय पेशियाँ वायवीय श्वसन द्वारा ATP उत्पन्न करती है और इसके उत्पादन के लिए ग्लूकोज के स्थान पर वसीय अम्ल का उपयोग करती है |

(ii)                लैक्टिक अम्ल कंकालीय पेशियों द्वारा उत्पादित किया जाता है और रक्त द्वारा ह्रदय में परिवहन हो जाता है | जहाँ इसका आगे ऑक्सीकरण होता है और ATP उत्पन्न होती है |

(iii)               संकुचन के दौरान , ह्रदय पेशियों में सक्रीय विभव लम्बे समय तक देखा जाता है और विध्रुवीकरण का प्रक्रम भी लम्बे समय तक होता है | यह इस कारण होता है कि सक्रीय विभव लगभग 100 m-s तक जारी रहता है जो कंकालीय पेशियों में तुलनात्मक रूप से 1 m-s होता है |

(iv)              ह्रदय पेशियाँ बिना किसी बाह्य उद्दीपन के नियमित संकुचन दर्शाती है जिसके कारण विश्राम विभव स्थायी नहीं होता |

सारणी – पेशी उत्तकों के सैद्धांतिक लक्षणों का सार –

लक्षण

कंकालीय पेशियाँ

ह्रदय पेशी

चिकनी पेशी

Appearance and features

लम्बे बेलनाकार तंतु , परिधीय स्थित केन्द्रक युक्त , रेखित , अशाखित

शाखित बेलनाकार सामान्यतया एक केन्द्रीय युक्त , रेखित पड़ोसी तंतुओं से जुडी इन्टरकलेटेड डिस्क

तर्कुरूपी तन्तु एक केन्द्रीय , Striations अनुपस्थित

स्थिति

प्राथमिक रूप से अस्थि से जुडी

ह्रदय

खोखले अंगों की दीवार , रक्त वाहिनी , नेत्र की आइरिस और सिलियरी बॉडी , रोमकाण्ड की एरेक्टर पिलाई |

तन्तु व्यास

बहुत बड़ा (10 – 100 um)

बड़ा (14 um)

छोटा (3 – 8 um)

संयोजी ऊत्तक घटक

एपिमाइसियम , पेरीमाइसियस एण्डोमाइसियम

एण्डोमाइसियम

एण्डोमाइसियम

तंतु लम्बाई

10 um to 30  cm

50 – 100 um

30 – 200 um

सार्कोमीयर में संकुचनशील प्रोटीन

उपास्थित

उपस्थित

नहीं

सार्कोप्लाज्मिक रेटिकुलम

उपस्थित

उपस्थित

बहुत कम

अनुप्रस्थ नलिका

उपस्थित , प्रत्येक A-I बैण्ड के साथ समर्पित

हाँ , प्रत्येक Z डिस्क के साथ समर्थन

नहीं

तंतुओं के मध्य गैप – जंक्शन

नहीं

उपस्थित

विसरल में होता है (एकल इकाई पेशी) बहुइकाई चिकनी पेशियों में नहीं होता

Authorhythmicity

नहीं

उपस्थित

उपस्थित (in visceral smooth muscle only)

संकुचन के लिए Ca2+ का स्रोत

ट्रोपोनिन और ट्रोपोमायोसीन

ट्रोपोनीन और ट्रोपोमायोसीन लाइट चैन काइनेज

केल्मोडुलिन और मायोसीन

संकुचन के लिए नियमनकारी प्रोटीन

ट्रोपोनिन और ट्रोपोमायोसीन

ट्रोपोनीन और ट्रोपोमायोसीन लाइट चैन काइनेज

केल्मोडुलिन और मायोसीन

संकुचन की गति

तेज

मध्यम

धीमी

तंत्रिकीय नियंत्रण

ऐच्छिक (कायिक तंत्रिका तंत्र)

अनैच्छिक (autonomic nervous system)

अनैच्छिक (autonomic nervous system)

संकुचन का नियमन

कायिक चालक न्यूरोन द्वारा मुक्त एसीटाइल कोलीन

स्वायत्त चालक न्यूरोन द्वारा मुक्त हुआ एसिटाइलकोलीन नोरएपिनेफ्रीन , बहुत से एंजाइम

एसीटाइलकोलीन , नॉरएपिनेफ्रीन , न्यूरोन , हार्मोन अस्थायी रासायनिक परिवर्तित (pH , O2 स्तर , CO2 स्तर) ; stretching

पुनर्निर्माण की क्षमता (regeneration capacity)

सीमित

नहीं होगी

अन्य पेशी उत्तकों की तुलना में अधिक लेकिन उत्तकों जैसे एपीथिलियम की तुलना में कम

याद रखने योग्य बिंदु :

देहली उद्दीपन : एक पेशी तन्तु केवल जब संकुचित होगा जब यह निश्चित आवृत्ति के उद्दीपन प्राप्त करे , इसे देहली उद्दीपन कहते है | इसका मान विभिन्न तंतुओं के लिए भिन्न होता है | उद्दीपन की तीव्रता देहली मान से कम होती है तो वह पेशी तंतुओं में संकुचन उत्पन्न नहीं करती यह sublimmal / sublimited stimulus कहलाता है |

Muscle twitch : यह एक पेशी तंतु का एक एकल उद्दीपन के लिए एक पृथक संकुचन है | वास्तविक उद्दीपन देने और संकुचन के प्रारंभ होने के मध्य का अंतराल Latent period है | यह 0.01 sec कंकालीय पेशियों में और विसरल पेशियों में लगभग 3 sec तक होता है | Latent period के दौरान उद्दीपन रासायनिक उत्तेजन में परिवर्तित हो जाता है | सभी भागों में रासायनिक उत्तेजन का फैलाव और संकुचन के लिए मुक्त रसायन की जरुरत होती है | संकुचन काल वह अवस्था है जिसमें पेशियाँ संकुचित अवस्था में बनी रहती है | यह कंकालीय पेशियों में 0.04 sec और विसरल पेशियों में लगभग 20 sec होता है | शिथिलन काल अंतराल है जो संकुचित पेशियों के भाग में इसके वास्तविक शिथिलन अथवा प्रारंभिक अवस्था में आवश्यक होता है | यह कंकालीय पेशियों के लिए 0.05 sec और विसरल पेशियों के लिए 2-3 sec होता है |

3. Refractory period : यह वह अंतराल है जिसके दौरान एक पेशी तंतु दुसरे उद्दीपन के प्रत्युत्तर में असमर्थ होता है | यह काल 0.002-0.005 sec कंकालीय पेशियों में और 0.1 – 0.2 sec कार्डियक पेशी तंतु में होता है |

4. उद्दीपनों का योग : दो अथवा अधिक सबलिमिनल उद्दीपन लगातार दिए जाते है तो वे सफलतापूर्वक जुड़कर एकल प्रतिक्रिया उत्पन्न करते है यदि योग का मान देहली मान के बराबर अथवा अधिक हो जाता है |

5. टॉनिसिटी : एक शिथिल पेशी में कुछ तंतु हमेशा संकुचित रहते है | वास्तव में पेशी की स्वस्थता बनाये रखते है |

6. All or none law (bowditch’s law) : एक पेशी तंतु का प्रत्युत्तर एक उद्दीपन के लिए इसकी तीव्रता के समानुपाती नहीं होता | यह अनुपस्थित होता है , जब तीव्रता सबलिमिनल होती है | पेशी तंतु अधिकतम संकुचित होते है जब आवेग देहली मान अथवा supra – luminal value रखता है | इसलिए एक पेशी तन्तु बड़ी संख्या में तंतुओं से बना होता है जिनके देहली मान निम्न और उच्च होते है इसलिए उद्दीपन की तीव्रता करने पर पेशियों का संकुचन बढ़ता है | यद्यपि एक तन्तु All or none नियम का पालन करता है | पेशी संकुचन का बल भी pH परिवर्तन , तापमान और शिथिलन के साथ परिवर्तित होता रहता है |

7. टिटेनस : यह तंत्रिका आवेगों के क्रमागत उद्दीपनों के कारण पेशियों का दीर्घकालिक संकुचन है | पेशीय टिटेनस में सम्पूर्ण पेशी संकुचन होता है यद्यपि सभी पेशी तंतु संकुचित नहीं होते हैं लेकिन विभिन्न चालक इकाई घूर्णन में उत्प्रेरित होती है | हमारी अधिकांश क्रियाविधि पेशी के टिटैनिक संकुचन के कारण होती है |

8. पेशीय तनाव : पेशीय संकुचन के दौरान उत्पन्न बल पेशीय तनाव कहा जाता है | आइसोमेट्रिक संकुचन वास्तविक छोटेपन रहित पेशी तनाव का विकास है |

9. आइसोटॉनिक संकुचन : संकुचन जिसमें पेशियों पर तनाव एक जैसा बना रहता है लेकिन पेशी की लम्बाई परिवर्तित हो जाती है |

10. पेशीय थकावट : लम्बी क्रिया के बाद एक ताजा उद्दीपन के प्रत्युत्तर के लिए पेशी की असफलता पेशीय थकान कहलाती है | यह लेक्टिक एसिड के एकत्रित होने , संग्रहित ग्लाइकोजन के उपयोग , ATP और CTP और तंत्रिका पेशीय जंक्शन में परिवर्तन जो कि लेक्टिक एसिड के प्रति संवेदी होता है आदि के कारण होता है |

11. राइगर मोर्टिस : यह ATP / CTP की अनुपलब्धता द्वारा उत्पन्न एक्टिन मायोसीन तंतुओं के अपृथक्करण के कारण मृत्यु के बाद शरीर के कठोर होने की अवस्था है |

12. Treppe (staircase phenomenon) : नियत शक्ति का उद्दीपन एक अंतराल पर नियमित लागू किया जाता है तो पेशी संकुचन की श्रृंखला उत्पन्न करती है जिनमें प्रथम कुछ आयाम बढ़ जाते हैं |

13. विसरल अस्थि :

(a) OS cordis : ह्रदय में उपस्थित हड्डी – उदाहरण – deer

(b) OS pelpebrae – eyelids में बनी अस्थि उदाहरण – मगरमच्छ

(c) OS penis – उदाहरण चमगादड़ , रोडेंटस , माँसाहारी |

(d) OS snout : उदाहरण – सूअर के snout में |

अन्य याद रखने योग्य महत्वपूर्ण बिंदु :

1.       सबसे छोटी अस्थि – स्टेपिस |

2.       सबसे बड़ी अस्थि – फीमर

3.       मानव की सबसे मजबूत हड्डी – shin bone

4.       सबसे बड़ा छिद्र – कपाल में फोरामैन मैग्रम जहाँ से मेरुरज्जु प्रारंभ होता है |

5.       सबसे बड़ी पेशी – Gluteous maximus (buttock muscle)

6.       सबसे छोटी पेशी – stapedius जो कि स्टेपिस पर नियंत्रण करती है |

7.       मानव शरीर कुल पेशियों की संख्या 639

8.       ऑक्सीपीटल कंद (i) एक कन्दीय – रेप्टाइल और पक्षियों की करोटी (ii)द्विकंदीय – मेंढक और खरगोश की करोटि

9.       जापानियों में 10th पसली “floating rib होती है | यह स्थिति अन्य प्रजातियों में भी देखी गयी है |

10.   सबसे बड़ी पेशी – quadriceps femoris लेकिन सबसे मजबूत पेशी निचले जबड़े की मेसेटर है |

11.   सबसे लम्बी पेशी – सारटोरियस

12.   माइस्थेनिया ग्रेविस – स्वप्रतिरक्षी बीमारी जो कि तंत्रिका पेशी जंक्शन को प्रभावित करती है और थकावट कमजोरी और कंकालीय पेशियों में लकवा उत्पन्न कर देती है |

13.   टिटेनी – शरीर द्रव्य में निम्न Ca++  के कारण पेशियों में तीव्र स्पाज्म |

14.   ओस्टियोपोरोसिस – आयु सम्बन्धी रोग इसमें अस्थि मास कम हो जाता है और फ्रेक्चर की सम्भावना बढ़ जाती है | एस्ट्रोजन का घटता स्तर सामान्य कारण है |

15.   Gout – यूरिक एसिड क्रिस्टल के जमा होने के कारण संधियों में सूजन आ जाती है |

16.   Sharpey’s fibres – कोलेजन तन्तु अस्थि और दांतों को सहारा प्रदान करते है |

Sbistudy

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