स्वरमापी तथा घुड़नाल चुम्बक की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ज्ञात करना ac mains Frequency calculation in hindi

ac mains Frequency calculation in hindi स्वरमापी तथा घुड़नाल चुम्बक की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ज्ञात करना ?

प्रयोग संख्या
Experiment No.
(प्रथम विधि)
उद्देश्य (Object):
स्वरमापी तथा घुड़नाल चुम्बक की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ज्ञात करना ।
उपकरण (Apparatus):
स्वरमापी (जिस पर अचुम्बकीय पदार्थ जैसे पीतल का तार हो) घुड़नाल चुम्बक, अपचायी ट्रांसफॉर्मर, ज्ञात आवृत्ति के स्वरित्रों का सेट, हैंगर , भार तथा रबर पैड़, आदि।
चित्र (Diagram):
सिद्धान्त (Theory):
जब चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित चालक तार में धारा प्रवाहित की जाती है तो तार पर बल F = I/B s पद θ कार्य करता है। यदि चुम्बकीय क्षेत्र तार के लम्बवत् है तो बल F = I/B कार्य करता है जिसकी दिशा फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम से ज्ञात कर सकते हैं। इस बल की दिशा, प्रत्यावर्ती धारा के लिए, धारा की दिशा के साथ परिवर्तित होती है फलतः तार अनुप्रस्थ कम्पन करने लगता है।
नियत तनाव पर तार के कम्पनों की स्वाभाविक आवृत्ति तार की प्रभावी लम्बाई पर निर्भर करती है तथा एक निश्चित लम्बाई I1 के लिए यह प्रत्यावर्ती धारा के समान आवृत्ति से कम्पन करता है। इसे अनुनाद स्थिति कहते हैं। इस स्थिति में तार का कम्पन आयाम अधिकतम होता है।
यदि प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति n1 तथा प्रत्यावर्ती धारा के लिए तार की अनुनादी लम्बाई l1 है जबकि किसी ज्ञात स्वरित्र जिसकी आवृत्ति n2 है के लिए तार की अनुनादी लम्बाई l2 है तो नियत तनाव एवं नियत इकाई लम्बाई के द्रव्यमान के लिए लम्बाई के नियम से
n1 l1 = n2 l2
अतः प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति n1= l2 / l1= n1
प्रयोग विधि (Method):
(1) सोनोमीटर (स्वरमापी) को चित्रानुसार मेज पर रखकर इसकी घिरनी को तेल द्वारा घर्षण रहित कर लेते है।
(2) अब स्वरमापी तार पर हेंगर की सहायता से उचित भार लटकाकर इसमें तनाव उत्पन्न करते हैं।
(3) अब घुड़नाल चुम्बक को स्वरमापी पर तार के ठीक मध्य में चित्रानुसार इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि तार, चुम्बक के दोनों
ध्रुवों के मध्य सममित रूप से हो तथा चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तथा तार की लम्बाई के लम्बवत् हो।
(4) अब स्वरमापी तार को अपचायी ट्रांसफॉर्मर की द्वितीयक कुण्डली से तथा प्राथमिक कुण्डली को AC मेन्स से संयोजित करते हैं परंतु स्विच ऑफ रखते हैं।
(5) अब सेतुओं को परस्पर विपरीत दिशा में खिसकाकर इनके मध्य दूरी अधिकतम कर देते हैं।
(6) ।ब् मेन्स का स्विच ऑन करते हैं जिससे तार अनुप्रस्थ कम्पन करने लगता है।
(7) अब दोनों सेतुओं को धीरे-धीरे समान रूप से खिसकाते हुए इनके मध्य दूरी को इस प्रकार व्यवस्थित करते हैं कि तार पर रखा राइडर तेजी से हिलता हुआ नीचे गिर जाए तथा साथ में तेज ध्वनि सुनाई दे। सेतुओं के मध्य यह दूरी तार की अनुनादी लम्बाई है इसे प्रेक्षणों में अंकित कर लेते हैं।
(8) अब दोनों सेतुओं को तार के मध्य में सटाकर रखते हैं तथा इन्हें धीरे-धीरे दोनों ओर समान रूप से खिसकाते हुए पुनः अनुनादी लम्बाई ज्ञात करते हैं।
(9) अब स्विच ऑफ करके ट्रांसफॉर्मर एवं घुड़नाल चुम्बक को हटा देते हैं तथा भिन्न-भिन्न आवृत्ति के तीन ज्ञात स्वरित्र लेकर, प्रत्येक स्वरित्र के लिए तार की अनुनादी लम्बाई (लम्बाई घटाते हुए एवं लम्बाई बढ़ाते हुए) ज्ञात करते हैं तथा प्रेक्षणों में प्रेक्षण सारणी में नोट करते हैं।
प्रेक्षण (Observations):
(i) स्वरमापी तार पर नियत तनाव T = Mg  =…………………किग्रा. भार
(ii) प्रत्यावर्ती धारा के लिए अनुनाद लम्बाई
सेतुओं के मध्य दूरी घटाते हुए l”1 = …………….सेमी.
सेतुओं के मध्य दूरी घटाते हुए l’1 = …………….सेमी.
(C) माध्य अनुनादी लम्बाई l”1 = l”1 ़ l’1 / 2 = …………….सेमी.
(iii) प्रेक्षण सारणी
क्र. सं. ज्ञात स्वरित्र की
आवृत्ति द2
(हर्ट्ज़) अनुवादी लम्बाई  l2 (सेमी.) AC मेन्स की
आवृत्ति
n1 = l2/l1× n2
(हर्ट्ज़) AC मेन्स की माध्य
आवृत्ति
n1 = n11़n12़ n13/3
(हर्ट्ज़)
सेतुओं के
मध्य दूरी
घटाते हुए
l’2 (सेमी.)
सेतुओं के
मध्य दूरी
घटाते हुए
l”2 (सेमी.)
माध्य
अनुवादी
लम्बाई
l2= l’2़ l”2/2 (सेमी.)

1.
2.
3. 256
384
512 n11 =
n12 =
n13 =

गणना (Calculations):
(i) प्रत्येक प्रेक्षण सेट से ज्ञात स्वरित्र के लिए अनुनादी लम्बाई l2 तथा AC मेन्स के लिए अनुनादी लम्बाई का उपयोग करके निम्न सूत्र से AC मेन्स की आवृत्ति ज्ञात करते हैं-
n1= l1/ l 2 × n2(जहाँ n2 = स्वरित्र की आवृत्ति)
(ii) अब AC मेन्स की प्राप्त आवृत्तियों का माध्य ज्ञात कर लेते हैं।

परिणाम (Result):
स्वरमापी की सहायता से AC मेन्स की आवृत्ति ………… हर्ट्ज प्राप्त होती है तथा यह मान, वास्तविक मान 50 हर्ट्स के लगभग समान ही है।
प्रतिशत त्रुटि = परिकलित आवृत्ति-50/50 × 100% =……%
यह त्रुटि नगण्य है तथा प्रायोगिक त्रुटि की सीमा में है।

सावधानियाँ (Precautions):
1. स्वरमापी का तार सर्वत्र एकसमान तथा ऐंठनरहित होना चाहिए।
घिरनी घर्षण रहित होनी चाहिए।
तार पर इतना भार नहीं लटकाना चाहिए कि यह प्रत्यास्थता की सीमा को पार कर जाये।
तार, अचुम्बकीय, चालक पदार्थ का ही होना चाहिए।
नाल चुम्बक के सापेक्ष तार की स्थिति सममित होनी चाहिए तथा नाल चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र तार की लम्बाई के लम्बवत् होना चाहिए।
सेतुओं को बहुत धीरे-धीरे ही खिसकाना चाहिए ताकि अनुनादी स्थिति यथार्थता से प्राप्त हो।

त्रुटि स्रोत (Sources of Error):
यदि घिरनी घर्षण रहित नहीं है तो तार में तनाव, आरोपित तनाव से कम होता है।
प्रत्यावर्ती धारा स्रोत की आवृत्ति नियत नहीं रहना।
तार का अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल का एकसमान नहीं होना।