वेवेल योजना क्या थी , का उद्देश्य , किस शहर से प्रारंभ हुई , Wavell Plan in Hindi वावेल प्लान

जाने वेवेल योजना क्या थी , का उद्देश्य , किस शहर से प्रारंभ हुई , Wavell Plan in Hindi वावेल प्लान जिसका उत्तर नीचे दिए गया है –

प्रश्न: भारत विभाजन पर गांधी-जिन्ना वार्ता क्या थी ? यह विफल क्यों हो गई ?
उत्तर:
1. सितम्बर, 1944 में गांधी व जिन्ना के मध्य बम्बई में देश के बटवारें से संबंधित वार्ता हई। गांधी ने कहा कि पाकिस्तान को स्वीकार किया जा सकता है जिन क्षेत्रों में मुसलमान पूर्ण बहुमत में है। कांग्रेस व लीग द्वारा अनुमोदित आयोग द्वारा क्षेत्रों का सीमांकन किया जायेगा। जनमत संग्रह के द्वारा लोगों की इच्छाओं को जाना जायेगा।
2. रक्षा, संचार, कस्टम आदि मामलों को दोनों देशों के बीच साझा रखा जाना चाहिए।
3. एक मुस्लिम राज्य का निर्माण न मुसलमानों के पक्ष में होगा और न ही इससे भारत को लाभ मिलेगा।
4. सत्ता ब्रिटिश राज से आजादी प्राप्त करने के बाद आपस में बांट ली जायेगी। लेकिन जिन्ना ने इसे स्वीकार नहीं किया।

प्रश्न: वेवेल योजना के मुख्य अंशों के बारे में बताइए। [RAS Main’s] 2007,
उत्तर: तत्कालीन भारतीय गवर्नर जनरल ने भारतीय राजनीतिक समस्या के समाधान के 14 जून, 1945 को अपनी ओर से एक योजना दी, जिसके अनुसार-
1. इसके अनुसार गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी का पुनः गठन करके गवर्नर जनरल व मुख्य सेनापति (कमाण्डर-इन-चीफ) को छोड़कर सभी सदस्य (14) भारतीय होंगे।
2. कार्यकारिणी में हिन्दू-मुस्लिम बराबर होंगे।
3. गवर्नर जनरल के वीटो पॉवर एवं विशेषाधिकार बरकरार रहेंगे। लेकिन सामान्यतः उनका उपयोग नहीं किया जाएगा।
4. सीमांत व कबायली मामलों को छोड़कर विदेशी मामले भारतीयों को सौंप दिए जाएंगे।
5. युद्ध समाप्ति के बाद से विधान निर्माण प्रक्रिया शुरू होगी।
6. उपरोक्त व्यवस्था नया संविधान लागू होने तक रहेगी।

प्रश्न: देश विभाजन पर देसाई-लियाकत वार्ता क्या थी। इसे किसके द्वारा अस्वीकृत किया गया?
उत्तर: भूलाभाई देसाई केन्द्रीय विधायिका में कांग्रेस के नेता व लियाकत अली खां केन्द्रीय विधायिका में मुस्लिम लीग के उपनेता के बीच (जनवरी, 1945) वार्ता व एक फार्मले का निर्माण जिसका केन्द्र बिन्दु केन्द्र में अन्तरिम सरकार का गठन, जिसमें काग्रेस व लीग द्वारा बराबर-बराबर संख्या में सदस्यों को मनोनीत किया जाना था। जिन्ना के द्वारा फार्मूले को अस्वीकृत किया जाना।
प्रश्न: शिमला सम्मेलन क्या था ? आखिर इसे विफल घोषित क्यों कर दिया ?
उत्तर: शिमला सम्मेलन लार्ड वेवेल ने भारतीय राजनीतिक समस्याओं पर विचार करने के लिए भारतीय नेताओं को बुलाया था लेकिन वह विफल हो गया क्योंकि
1. लार्ड वेवेल ने अपनी योजना पर विचार करने के लिए सभी भारतीयों दलों 25 जून, 1945 में शिमला में आमंत्रित किया, जिसमें 21 नेताओं ने भाग लिया। लीग की ओर से जिन्ना व कांग्रेस की ओर से मौलाना अब्दुल कलाम – आजाद शामिल हुए।
2. जिन्ना इस बात पर अड़ा था कि लीग को ही समस्त मुसलमानों का प्रतिनिधित्व माना जाए व गैर-मुस्लिम पार्टी को मुस्लिम प्रतिनिधि भेजने का अधिकार नहीं है।
3. कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई थी कि गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में कांग्रेस भी अपनी ओर से मुसलमान प्रतिनिधि भेजेगी।
4. हिन्दू महासभा को इस बात पर गतराज था कि भारत के 25 करोड़ हिन्दुओं के मुकाबले 9 करोड़ मुसलमानों को कार्यकारिणी में समान प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा सकता।
5. वेवल का मानना था कि भारत के सभी मुसलमाल लीग के अनुयायी नहीं है। अतः जिन्ना की मांग से भी सहमत नहीं थे।
6. इसी बात को लेकर सम्मेलन असफल हुआ।
7. यह लार्ड माउण्टबेटन की सत्ता हस्तांतरण की योजना थी।
प्रश्न: कैबिनेट मिशन द्वारा पाकिस्तान की मांग को अस्वीकृत क्यों किया गया ?
उत्तर: मिशन द्वारा पाकिस्तान की मांग को निम्नलिखित कारणों से अस्वीकृत किया गया
1. अल्पसंख्यकों की समस्या, जो मुस्लिम नहीं हैं।
2. संचार, डाक-तार व्यवस्था को बांटने से कोई लाभ नहीं।
3. बंगाल व पंजाब का बंटवारा करके छोटे से पाकिस्तान से कोई फायदा नहीं।
4. पाकिस्तान को 2 भागों में बांटना, जिनमें दूरी लगभग 2000 मील से अधिक होगी।
5. युद्ध शांति में संचार भारत की सद्भावना पर निर्भर होगा।
6. अतः पाकिस्तान बनाने का औचित्य नहीं है।
यह ब्रिटिश सरकार की ओर से पहला व अंतिम अवसर था, जब औपचारिक रूप से देश के विभाजन को अस्वीकार कर दिया गया। जिन्ना को पहली बार यह अनुभव हुआ कि अंग्रेजी सरकार उसकी सहमति के बिना भी सत्ता हस्तांतरित करने को तैयार थी।
प्रश्न: डिकी बर्ड प्लान क्या था ?
उत्तर: टिकी बर्ड प्लान में भारत तथा पाकिस्तान में बंटवारा किस प्रकार हो, इस पर एक योजना प्रस्तुत की गयी थी। 1946 के अंत तक विभाजन सहित स्वतंत्रता की बात व्यापक रूप से स्वीकार की जाने लगी थी। एक बड़ी और नई बात कि डोमिनियम स्टेट्स के आधार पर तुरंत सत्ता का हस्तांतरण हो जिससे नई राजनीतिक संरचनाओं पर पारित नई संविधान सभा पर सहमति होने तक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़े।
पश्चिमोत्तर सीमांत प्रदेश और असम के सिलहट जिले में जनमत संग्रह कराने की बात कही गई और सिंध विधान सभा में वोट द्वारा अपने क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने का अधिकार दिया गया। बंगाल और पंजाब में हिन्दू और मुसलमान बहसंख्यक जिलों के प्रांतीय विधानसभा के सदस्यों की अलग-अलग बैठक बुलाई जाए। उसमें अगर कोई भी पक्ष प्रांत का विभाजन चाहेगा तो विभाजन कर दिया जाएगा। हैदराबाद के पाकिस्तान के साथ विलय की संभावना को भी नकार दिया गया। इस प्रकार डिकी बर्ड योजना इस समय की परिस्थितियों में भारतीय समस्या को सलझाने की दिशा में एक यथार्थवादी कदम था।
प्रश्न: प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के अन्तर्निहित कारक क्या थे? इसने देश के विभाजन कैसे अवश्यंभावी बना दिया?
उत्तर: मोहम्मद अली जिन्ना ने कांग्रेस एवं अंग्रेजों पर अविश्वास का आरोप लगाते हुए 16 अगस्त, 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही द्वारा पाकिस्तान प्राप्त करने का ऐलान किया।
1. साम्प्रदायिक हिंसा में एक नवीन समस्या का उभरना।
2. गृहयुद्ध की स्थिति में एक नवीन समस्या का उभरना। साम्प्रदायिक हिंसा व गृह युद्ध को रोकना तात्कालिक रूप से विभाजन को रोकने से अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा था।
3. साम्प्रदायिक हिंसा व गृह युद्ध को रोकने का विकल्प विभाजन को स्वीकार किया जाना था।
4. लीग के संघर्षमयी दृष्टिकोण का स्पष्ट होना। (प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस के कार्यों से)