JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi sociology physics physical education maths english economics geography History

chemistry business studies biology accountancy political science

Class 12

Hindi physics physical education maths english economics

chemistry business studies biology accountancy Political science History sociology

Home science Geography

English medium Notes

Class 6

Hindi social science science maths English

Class 7

Hindi social science science maths English

Class 8

Hindi social science science maths English

Class 9

Hindi social science science Maths English

Class 10

Hindi Social science science Maths English

Class 11

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Class 12

Hindi physics physical education maths entrepreneurship english economics

chemistry business studies biology accountancy

Categories: Biology

विकर क्या है , विकर किसे कहते हैं , विकरों की खोज कब और किसने की (Discovery of enzymes in hindi)

जाने विकर क्या है , विकर किसे कहते हैं , विकरों की खोज कब और किसने की (Discovery of enzymes in hindi) ?

विकर (Enzymes)

परिचय (Introduction)

एक क्रियाशील चयापचयिक (metabolizing) कोशिका में अनेक रासायनिक अभिक्रियाऐं होती है जिनकी गति एवं दिशा जटिल (complex) एवं समाकलित प्रतिमान (integrated pattern) के अनुसार नियंत्रित (controlled) होती है। इन विविध रासायनिक अभिक्रियाओं में से हरेक किन्हीं अभिक्रियाओं की श्रृंखला से संबंधित होती है। जिनकी वजह से अन्ततः किसी स्थाई अथवा अपेक्षाकृत स्थाई कोशिकीय चयापचयी उत्पाद बनते हैं। अभिक्रियाएं एक निश्चित क्रम में एक के बाद एक होती है। जिससे हरेक आगामी अभिक्रिया के लिए स्थिति बनती है। जीवित कोशिका में कई रासायनिक अभिक्रियाओं की सुव्यवस्थित प्रगति कुछ विशेष कारकों जिन्हें विकर ( enzymes) कहते हैं, से होती है।

विकरों की खोज (Discovery of enzymes)

जैव रसायन (biochemistry) का इतिहास मुख्यतया विकरों के शोध का इतिहास है। जैविक उत्प्रेरक सर्वप्रथम 1700 के उत्तरार्ध में पहचाने गये जब अमाशय के स्त्रवणों (secretions) द्वारा माँस के पाचन ( digestion) का अध्ययन एवं इसके बाद में लार (saliva) एवं विभिन्न पादप अर्को (plant extracts) द्वारा स्टार्च के शर्करा में बदलने का अध्ययन किया गया। लुइस पाश्चर (1850) ने निष्कर्ष निकाला कि यीस्ट द्वारा शर्करा के ऐल्कोहॉल में किण्वन ( fermentation) किण्वक ( ferments) द्वारा उत्प्रेरित होता है पर ये किण्वक यीस्ट कोशिका की जीवित कोशिका से विलग नहीं किये जा सके। इसके बाद 1897 में बुकनर (Buchner) ने खोज की कि यीस्ट के अर्क द्वारा शर्करा का ऐल्कोहॉल में किण्वन किया जा सकता है तथा इस प्रकार सिद्ध किया कि किण्वन कुछ अणुओं के द्वारा, जो कि कोशिकाओं से विलग करने पर भी कार्य करते हैं, बढ़ाया (promote) जा सकता है। कुहने (Kuhne) ने इन अणुओं को विकर (enzymes) नाम दिया। विकर का सामान्य अर्थ है “खमीर में पाया जाने वाला एक पदार्थ” En (in अर्थात ‘में’ पाया जाने वाला + Zyme (= yeast अर्थात खमीर)।

विकर जैविक उत्प्रेरक (biological catalyst) हैं। उन्हें इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है-“कार्बनिक उत्प्रेरक जो विभिन्न जैवरासायनिक अभिक्रियाओं की गति को बिना अपने आप उसमें प्रयुक्त हुए आगे बढ़ाते हैं।” ये जैव उत्प्रेरक (biocatalyst) भी कहलाते हैं। जिन पदार्थों पर ये कार्य करते हैं वे क्रियाधार (substrate) कहलाते हैं।

सुमनर (Sumner 1926) ने यूरीएज (urease) नामक विकर के शुद्ध रवे तैयार किए तथा पाया कि यूरीएज के रवे केवल प्रोटीन के बने होते हैं। उन्होंने यह प्रतिपादित किया कि सभी विकर प्रोटीन के बने होते हैं। नार्थोप (Northrop) एवं (Kunitz) ने 1930 में पेप्सिन (pepsin), ट्रिप्सिन (trypsin) तथा अन्य पाचक विकरों का क्रिस्टलीकरण किया तथा उन्हें प्रोटीनी प्रकृति का पाया । हाल्डेन (Haldane) ने अपनी पुस्तक “एन्जाइम्स” में सुझाया कि विकर एवं क्रियाधार (substrate के मध्य क्षीण बंध (weak bonding) की क्रिया द्वारा संभवतः क्रियाधार की दशा बदल जाती है तथा क्रिया उत्प्रेरित हो जाती है।

बीसवीं शताब्दी के अंत में कोशिकीय उपापचय में सम्मिलित अनेकों विकरों पर अत्यधिक शोध कार्य किया गया है जिससे विकरों को शुद्ध रूप में विलग करने, उनकी संरचना एवं रासायनिक क्रियाविधि के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकी है।

वितरण (Distribution)

विकर कोशिकाओं में विभिन्न जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करते है अतः सभी उपापचय क्रियाओं के लिये पादप के सभी भागों में पाये जाते है पादप में जहाँ पर उपापचय क्रियाएँ अधिकतम होती है उन भागों जैसे- अंकुरित होते बीज, नवोद्भिद् एवं शीर्ष विभज्योत्क इत्यादि में ये अधिक मात्रा में वितरित रहते है।

विकर चूँकि प्रोटीन होते है अतः ये जीन (genes) द्वारा नियंत्रित होते है ) एकल-जीन एकल-विकर परिकल्पना (one- gene, one-enzyme hypothesis) के अनुसार एक अकेला जीन एक विकर एवं एक विशिष्ट विकर के निर्माण को नियंत्रित करता है। आजकल एकल-जीन एकल- पोलीपेप्टाइड परिकल्पना (one-gene one-polypeptide hypothesis) अधिक मान्य है।

विकर सामान्यतः कोशिकाओं में बनते हैं तथा वहीं क्रियाशील होने के कारण अन्तः विकर (endoenzymes) अथवा अन्तराकोशिकीय विकर (intracellular enzymes) कहलाते हैं। कुछ विकर कोशिकाओं द्वारा स्त्रावित किये जाते हैं अतः कोशिकाओं के बाहर क्रियाशील होते हैं वे बाह्यविकर (exoenzymes) अथवा बाह्यकोशिकीय विकर (extracellular enzymes) कहलाते हैं । अन्तः विकर आकार में बड़े होते है तथा कोशिकाओं से निकालने पर ये अपनी सक्रियता खो देते हैं। ये विभिन्न उपापचय क्रियाओं के लिये कोशिका के विभिन्न कोशिकांगों (cell organelles) में पाये जाते है। केन्द्रक, माइटोकॉन्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट एवं माइक्रोबाडीज में अनेक विशिष्ट विकर पाये जाते हैं। कोशिकाद्रव्य में प्रोटीन संश्लेषण, ग्लाइकोलिइसिस एवं किण्वन प्रक्रियाओं के लिये तथा कोशिका झिल्ली निर्माण एवं किण्वन प्रक्रियाओं के लिये तथा कोशिका भित्ति निर्माण एवं कोशिका विभाजन के लिये अनेक विकर पाये जाते हैं।

बाह्य-विकर (exoenzymes ) कोशिका से स्त्रवण (secretion) के बाद बाहर कार्य करते हैं। जीवाणु एवं कवक इस प्रकार के विकरों द्वारा जटिल (complex) पदार्थों को सरल अवशोषण योग्य पदार्थों में विघटित करते हैं। कीटाहारी पादप, परागकण एवं बीजों के बीजपत्र भी कई बाह्य विकर स्त्रावित करते हैं।

नामकरण (Nomenclature)

सामान्यतः विकरों का नामकरण इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रिया के आधार पर एवं जिस क्रियाधार से वे संयुग्मित होते हैं उनके आधार पर किया जाता है। प्रायः क्रियाधार के नाम के आगे प्रत्यय (suffix) ऐज (ase) लगाकर विकर को नाम दिया जाता है। उदाहरण के लिए आर्जिनेज (arginase) एवं टायरोसिनेज (tryosinase) विकरों का नाम उनके क्रियाधार आर्जिनिन एवं टायरोसिन के आगे ‘ऐज’ प्रत्यय लगा कर दिया गया है।

विकरों का वर्गीकरण कई बार उनके द्वारा अभिक्रमित पदार्थों के समूह के आधार पर भी किया जाता है। उदाहरण- लाइपेज़ (lipase), प्रोटीनेज़ (proteinase), कार्बोहाइड्रेज (carbohydrases) इत्यादि ।

विकरों का नामकरण उनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के आधार पर भी किया जाता है। उदाहरण- हाइड्रोलेज’ (hydrolases), ऑक्सिडेज (oxidases), कार्बोक्सीलेज (carboxylases) एवं फास्फोराइलेज (phosphorylases) इत्यादि ।

विकर आयोग संख्या (E.C. number)

विकरों के अन्तर्राष्ट्रीय आयोग (International commission on enzymes) ने जैव रसायन अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union of Biochemistry, I.U.B.) के दिशा निर्देशानुसार विकरों के मानक (standard) वर्गीकरण एवं नामकरण को अपनाया है। इस पद्धति के अनुसार विकरों को उनके द्वारा उत्प्रेरित रसायनिक अभिक्रियाओं के आधार पर छः समूहों में विभाजित किया गया है। हर विकर में उसके द्वारा अभिकृत क्रियाधार के नाम में एज (ase) प्रत्यय लगाया जाता है जो उसके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रिया के प्रकार का वर्णन करता है।

मुख्य वर्गों (classes) को 1 से 6 तक अनुक्रम दिया गया है तथा अन्य नाम उनके उपवर्गों को प्रदर्शित करते हैं। कुछ विकरों को छोटे अथवा रूढ़ (trivial) नाम दिये गये हैं। उदाहरण- एसिड फास्फेटेज, आर्थोफास्फोरिक मोनो एस्टर फास्फोहाइड्रोलेज का रूढ़नाम (trivial name) है। इसे 3.1.3.2 संख्या दी गयी है। प्रथम संख्या उसके मुख्य वर्ग जो कि

हाइड्रोलेज. दूसरी संख्या उपवर्ग को जोकि एस्टर बन्ध पर क्रिया करते है, तीसरी संख्याँ उप-उप-वर्ग जो फास्फोरिक मोनो एस्टर पर कार्य करते हैं को प्रदर्शित करती है। चौथी संख्या (उदाहरण में 2) विकर की अनुक्रमसंख्या होती है। कुछ उप-उप-वर्गों में ’99’ अनुक्रम दिया गया है जिससे नये उप-उप वर्गों का समावेश किया जा सके।

लाभ (Advantages)

आई. यू. बी. द्वारा निर्देशित विकरों का वर्गीकरण काफी विशिष्ट है तथा विकरों को एक अनुक्रम (number) द्वारा नामित करना इसकी विशेषता है। इस वर्गीकरण से यह भी पता चलता है कि कौनसी अभिक्रिया उत्प्रेरित हुयी है तथा उसकी प्रकृति क्या है ? इस पद्धति में, नये खोजे गये विकरों को समाहित करने तथा उन्हें नये अनुक्रम देने की आसान व्यवस्था है। यदि नये वर्ग, उप- उप-वर्ग अथवा उप-वर्ग बनाने की आवश्यकता हो तो यह तालिका में पहले से उपस्थित वर्ग, उप वर्ग अथवा उप-उप-वर्ग को बिना बदले समावेशित किया जा सकता है।

तालिका 1: आई. यू. बी. (1964) द्वारा निर्देशित

विकर आयोग संख्या                  विकर का वर्ग (Class), उप-वर्ग, (Sub-class) एवं उप-उप-वर्ग (Sub-sub-class)

(E.C. Number)

 

1. ऑक्सिडोरिडक्टेज (Oxidoreductase): ऑक्सीजन हाइड्रोजन या इलेक्ट्रोन का स्थानान्तरण
.1                                प्रदाता (donor) के CH-OH समूह पर क्रियाशील

1.1.1.                          NAD अथवा NADP एक ग्राही (acceptor) के रूप में

1.1.2.                             साइटोक्रोम एक ग्राही के रूप में

1.1.3.                             O2 एक ग्राही के रूप में

1.1.99.                               अन्य ग्राही के रूप में

1.2                              प्रदाता के एल्डीहाइड या कीटो समूह पर क्रियाशील प्रदाता के CH-CH समूह पर क्रियाशील

1.3.                             प्रदाता के CH-NH समूह पर क्रियाशील

1.4                             प्रदाता के = CNH समूह पर क्रियाशील

1.5                          प्रदाता के NAD या NADP समूह पर क्रियाशील

1.6                      (कुल 14 अभिक्रियायें 1.14 तक)

 

 

2. ट्रांसफरेज (Transferases) : निम्न समूहों का स्थानांतरण
2.1.                    एक कार्बन (C1) समूह

 

2.2.

ऐल्डीहाइड या कीटोनिक (Aldehyde or Ketonic) समूह

2.3                                एसिल (Acyl) समूह

ग्लाइकोसिल (Glycosyl) समूह

2.4.

 

2.5                       एल्काइल या संबंधित (Alkyl or related) समूह

2.6                           नाइट्रोजिनस (Nitrogenous) समूह

2.7                   फॉस्फोरस युक्त (Phosphorus containing ) समूह

2.8                  सल्फर युक्त (Sulphur containing ) समूह

 

3. हाइड्रोलेज (Hydrolases): निम्न बंधों (bonds) पर क्रियाशील

 

3.1.                              एस्टर (Ester) बंध

3.2.                       ग्लाइकोसिल (Glycosyl) बंध

3.3.                          इथर (Ether) बंध

3.4                         पेप्टाइड (Peptide ) बंध

3.5.                            अन्य C – N बंध

3.6.                          एसिड एनहाइड्राइड (Acid anhydride) बंध

3.7                          C-C बंध

3.8                         हेलाइड (Halide)

3.9                          P-N बंध

 

 

4. लाइऐज (Lyases) : निम्न बंध पर क्रिया करते हैं
4.1                       C- C बंध

4.2                          C-O बंध

4.3                           C – N बंध

4.4                          C-S बंध

4.5                         C- हेलाइड (halide) बंध

 

5. आइसोमरेज (Isomerases): निम्न प्रकार के समवायवीय परिवर्तनों को उत्प्रेरित करते हैं।
5.1                  रेसिमसेज (Racemases) एवं एपीमरेसेज (Epimerases)

52                   सिस – ट्रान्स आइसोमरेसेज (Cis-trans isomerases)

5.3                  इन्ट्रामोलिकूलर ऑक्सीडोरिडक्टेज (Intramolecular oxidoreductases)

5.4                 इन्ट्रामोलिकूलर ट्रांसफरेज (Intramolecular transferases)

5.5                इन्ट्रामोलिकूलर लायेज (Intramolecular lyases)

 

6. लाइगेज अथवा सिंथेटेज (Ligases or Synthetases): निम्न बंघों के संश्लेषण को उत्प्रेरित करते हैं।
6.1                       C- O बंध

6.2                       C-S

6.3                      C-N

6.4                       C-C

 

तालिका-2: कुछ विकरों के नामकरण के उदाहरण

विकर का प्रकार (Type of enzyme) साधारण नाम (Trivial name) वर्गीकृत नाम (Systematic name) ई. सी. संख्या

E.C.number

1. ऑक्सीरिडक्टेज

2. ट्रांसफरेज

 

3. हाइड्रोलाऐज

 

4. लायेज पायरूवेट

 

5. आइसोमरेज

6. लायगेज

एल्कोहॉल डिहाइड्रोजिनेज

निकोटिनेमाइड मिथाइल ट्रांसफिरेज़

कार्बोक्सिलएस्टरेज़

 

2 – ऑक्सोएसिड डिकॉर्बोक्सिलेज

एलेनिनि रेसिमेज

टाइरोसिल – sRNA सिन्थेटेज

NAD ऑक्सीरिडक्टेज

निकोटिनेमाइड

N’ – मिथाइलट्रांसफिरेज

कार्बोक्सिलिक एस्टर हाइड्रोलेज़

कार्बोक्सिले

 

एलेनिन रेसिमेज

L- टाइरोसिन Srna

लाइगेज (AMP)

1.1.1.1

2.1.1.1

 

3.1.1.1

 

4.1.1.1

 

5.1.1.1

6.1.1.1

Sbistudy

Recent Posts

द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन क्या हैं differential equations of second order and special functions in hindi

अध्याय - द्वितीय कोटि के अवकल समीकरण तथा विशिष्ट फलन (Differential Equations of Second Order…

1 day ago

four potential in hindi 4-potential electrodynamics चतुर्विम विभव किसे कहते हैं

चतुर्विम विभव (Four-Potential) हम जानते हैं कि एक निर्देश तंत्र में विद्युत क्षेत्र इसके सापेक्ष…

4 days ago

Relativistic Electrodynamics in hindi आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा

आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी नोट्स क्या है परिभाषा Relativistic Electrodynamics in hindi ? अध्याय : आपेक्षिकीय विद्युतगतिकी…

6 days ago

pair production in hindi formula definition युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए

युग्म उत्पादन किसे कहते हैं परिभाषा सूत्र क्या है लिखिए pair production in hindi formula…

1 week ago

THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा

देहली अभिक्रिया ऊर्जा किसे कहते हैं सूत्र क्या है परिभाषा THRESHOLD REACTION ENERGY in hindi…

1 week ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now