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रैनेसा शब्द का प्रयोग कब और किसके द्वारा किया गया , अर्थ क्या है , रैनेसा का काल , रेनेसां की प्रकृति बताइये

जाने रैनेसा शब्द का प्रयोग कब और किसके द्वारा किया गया , अर्थ क्या है , रैनेसा का काल , रेनेसां की प्रकृति बताइये ?

प्रश्न: रैनेसा शब्द का प्रयोग कब और किसके द्वारा किया गया? इसको व्यापक अर्थ किसने प्रदान किया?
उत्तर: फ्रेंच भाषा के मौलिक शब्द ‘रैनेसा‘ का प्रथम प्रयोग एक इटैलियन विद्वान जॉर्जियो वैसारी द्वारा 16वीं सदी में किया गया। इसने Ranecita (रैनेसीटा) शब्द का प्रयोग किया। लेकिन इसका प्रयोग उसने केवल इटली की स्थापत्य कला व मूर्तिकला के विकास तक ही सीमित रखा। 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी दार्शनिक दिदरो ने रैनेसा शब्द को व्यापक अर्थ दिया। इसके अनुसार रैनेसा का अर्थ विज्ञान, भौगोलिक खोज, साहित्य, कला (चित्र, स्थापत्य, मूर्ति आदि) इत्यादि के विकास से है।

प्रश्न: रैनेसा का काल क्या था ?
उत्तर: 13वीं शताब्दी के अंत में यूरोप में परिवर्तन (सांस्कृतिक चेतना) प्रारम्भ होता है तथा 14वीं शताब्दी में यह स्पष्ट हो जाता है। यह परिवर्तन सर्वप्रथम 13वीं शताब्दी में इटली में दिखाई देता है। 16वीं शताब्दी तक यह सम्पूर्ण यूरोप को प्रभावित करता है। सामान्यतः इसका काल 14वीं-16वीं शताब्दी के मध्य माना जा सकता है। इस काल को हम तीन भागों में विभाजित करते हैं –
ट्रिसेन्टो (1300-1400 ईसवी के मध्य) इटली के साहित्य का विकास काल
क्वाट्रोसेन्टा (1400-1500 ईसवी के मध्य) इटली की कला का विकास काल
सिन्क्यूसेन्टो (1500-1600 ईसवी के मध्य) यूरोप में कला, साहित्य, संगीत एवं स्थापत्य का विकास काल

प्रश्न: रेनेसां की प्रकृति बताइये
उत्तर: पुनर्जागरण विविध प्रकृति लिए हुआ था। जो निम्न हैं –
ऽ मानववादी होना।
ऽ बहुमुखी प्रतिभा का विकास।
ऽ पुनर्जागरण कालीन आंदोलन शहरी था।
ऽ यह मध्यमवर्गीय आंदोलन था।
ऽ यह तर्क प्रधान रूढ़िवादी धर्म विरोधी एवं सामंत विरोधी था।
ऽ देशी भाषाओं में साहित्य का विकास।
ऽ नवगठित समाज का रूप धर्मनिरपेक्ष था।
भौतिक जगत में आस्था अर्थात् पारलौकिक जीवन की अपेक्षा लौकिक जीवन की ओर ध्यान देना।

प्रश्न: पुनर्जागरण का एक पक्ष था मानववाद। मानववाद अध्ययन के कार्यक्रम के रूप में उभर कर सामने आया जिसमें मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को सुखी बनाने का दृष्टिकोण निहित था। विवेचना कीजिए।
उत्तर: इसका भाषा, साहित्य, इतिहास, नीति-शास्त्र के अध्ययन से संबंध था। लैटिन क्लासिकल ग्रन्थ एवं रचनाएं इस अध्ययन के केन्द्रबिन्दु के रूप में थे। इसके अन्तर्गत मध्यकालीन अध्ययन के दृष्टिकोण को नकारा जाना और मध्यकालीन तर्क और दर्शन, तत्व मीमांसा (Metaphystes) आदि के अध्ययन को नकारे जाने का दष्टिकोण था व्यवहारिक जीवन में इस प्रकार के अध्ययन की महत्ता को नकारा गया। सांसारिकता के अन्तर्गत इसे अर्थहीन माना गया।
पुनर्जागरण के मानववाद के पक्ष का एक बृहद अर्थ जीवित व्यक्ति की गरिमा से संबंद्ध है। मानव को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति के रूप में समझाया जाना और मानव को गौरवान्वित करने का दृष्टिकोण उसकी महत्ता को समझे जाने का दृष्टिकोण व उसकी सर्वश्रेष्ठ पूर्ति को स्थापित करने का दृष्टिकोण था। मध्यकालीन दमन व उत्पीड़न के आदर्शो से मानव को विभिन्न प्रकार के अंकुश के प्रति चेतनाओं को नकारे जाने का दृष्टिकोण निहित था। मानव को मध्यकालीन आदर्शों व मूल्यों से स्वतंत्र करने का दृष्टिकोण। उसकी स्वतंत्र स्थिति को स्थापित करने का दृष्टिकोण। व्यक्तिवाद के प्रति नवीन चेतना। मानववाद के अन्तर्गत दैविक व पारलौकिक को नकारे जाने का दृष्टिकोण। सांसरिक पर बल दिया गया। दैविक और पालौकिक के अन्तर्गत विभिन्न मानव बंधनों को समझा जाना। सांसरिकता का दृष्टिकोण इससे मुक्ति का दृष्टिकोण।
पुनर्जागरण जीवन के प्रति एक नवीन दृष्टि। मानव जीवन में विशेष रूचि। मानव जीवन की महत्ता को गौरवान्वित किये जाने का दृष्टिकोण। जीवन के सौन्दर्य की सराहना का दृष्टिकोण व जीवन को एक महत्वपूर्ण देन व उपलब्धि के रूप में समझना। जीवित रहने की अवस्था को एक आनन्द की अवस्था के रूप में सराहने का दृष्टिकोण। जीवित रहने की तुलना प्रसन्नता से किये जाने का दृष्टिकोण। मानव जीवन को सुखमयी बनाने का दृष्टिकोण। सुखमयी जीवन को लौकिक आदर्शों से जोड़ा जाना। मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं के प्रति जागरण व उसके समाधान का प्रस्तुतीकरण। पुनर्जागरण ईश्वर केन्द्रित सभ्यता से मानव केन्द्रित सभ्यता की ओर परिवर्तन का परिचायक था।
पुनर्जागरण के अन्तर्गत लौकिकता अथवा सांसारिकता का दृष्टिकोण था। एक व्यवहारिक दृष्टिकोण व तर्कसंगत दृष्टिकोण। यह दृष्टिकोण मानव जीवन के सौन्दर्य एवं सुख को स्थापित करने का दृष्टिकोण। मानव जीवन को सुखमयी बनाने के अन्तर्गत जीवन के भौतिक सुखों के प्रति चेतना। इसके अन्तर्गत जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति का दृष्टिकोण जिसका दूसरा पक्ष धन-संग्रह का दृष्टिकोण था।
इस दृष्टिकोण से भौतिकवादी दृष्टि को बल जो नवीन प्रकार के भौतिकवादी चिन्तन के लिए प्रेरणा। भौतिकवादी दृष्टिकोण से वाणिज्यवाद के सिद्धान्तों के विकास की बृहद पृष्ठभूमि का निर्माण। वाणिज्यवाद का सिद्धान्त बहुमूल्य धातुओं के संग्रह का दृष्टिकोण। समुदाय व राष्ट्र की शक्ति को बहुमूल्य धातुओं के संग्रह के साथ जोड़ा गया। राष्ट्र की समद्धि को बहमूल्य धातुओं के संग्रह के साथ जोड़ा गया। पुनर्जागरण के भौतिकवादी दृष्टिकोण और मानव जीवन के विकास के अन्तर्गत इसकी महत्ता को बल मिला।
पुनर्जागरण एक विस्तृत दृष्टि का परिचायक था। इसमें मानव व मानव-जीवन को विस्तृत अर्थों में समझने का प्रयास, उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रयास। विस्तुत दृष्टिकोण जीवन के विभिन्न पहलूओं से संबंद्ध पर जो एक और मानव की खोज व दूसरी ओर विश्व की खोज का परिचायक था। पुनर्जागरण की नवीन दृष्टि ने नवीन विचारों को जन्म दिया। इसने विचारों की एक क्रांति प्रस्तुत की। इसकी अभिव्यक्ति नवीन खोजों व आविष्कारों में मिली। पुनर्जागरण एक वैज्ञानिक दष्टि का परिचायक। इससे वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य में विकास को बल मिला। नवीन खोजों व आविष्कार मानव जीवन व विश्व को विस्तृत रूप से समझाने के साधन बने। पुनर्जागरण का उत्सुकता पूर्ण दृष्टिकोण व अज्ञात को समझने का दृष्टिकोण। इस दष्टिकोण से भौगोलिक खोजों को बल मिला। अज्ञात को समझने का दृष्टिकोण व उत्सुकतापूर्ण दृष्टिकोण यह एक ओर मानव की खोज से जुड़ा व दूसरी ओर विश्व की खाजे से जुड़ा।