JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: Biology

परासरण किसे कहते हैं , आलू का परासरणदर्शी (Potato osmoscope in hindi) परासरण का महत्व (Importance of osmosis)

पढेंगे परासरण किसे कहते हैं , आलू का परासरणदर्शी (Potato osmoscope in hindi) परासरण का महत्व (Importance of osmosis) ?

विसरण (Diffusion )

विसरण को हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि वह क्रिया जिसमें गैस, तरल एवं ठोस के अणुओं का अभिगमन उनकी उच्च सांद्रता से निम्न सान्द्रता वाले स्थान को होता है विसरण (diffusion) कहलाती है। उदाहरण के लिए यदि किसी कमरे के एक कोने में इत्र (perfume) अथवा एथिल ईथर (ethyl ether) अथवा अमोनिया (ammonia) की बोतल खोली जाए तो कुछ समय बाद इसकी विशिष्ट गंध सम्पूर्ण कमरे में फैल जाती है। इसी प्रकार यदि कॉपर सल्फेट के कण (crystals) को जल से भरे बीकर में डाला जाये तो इसके पृथक (dissociated) आयन Cu+2 एवं SO4 2 अथवा सम्पूर्ण अणु का विसर जल के धीरे-धीरे बदलते हुए रंग से देखा जा सकता है (चित्र-4)।

अणु अपनी गतिज ऊर्जा के कारण उनकी उच्च सांद्रता से निम्न सांद्रता की ओर तब तक गति करते रहते हैं जब तक कि साम्य स्थापित नहीं हो जाता। एक पदार्थ की विसरण दिशा दूसरे पदार्थ के विसरण दिशा से स्वतंत्र होती है।

विभिन्न अणु विसरण के दौरान एक दूसरे पर दबाव प्रेक्षित करते हैं जिसे विसरण दाब (diffusion pressure) कह हैं। हम इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि अणु अथवा आयन (ठोस, तरल, गैस) की उसके उच्च सान्द्रता के क्षेत्र निम्न सान्द्रता के क्षेत्र की ओर गमन करने की विभव क्षमता (potential ability) को विसरण दाब ( diffussion pressur DP) कहते हैं। विसरण दाब विसरण करने वाले कणों की सान्द्रता अथवा उनकी संख्या के समानुपाती होती है अर्थात् निका में विसरण करने वाले कणों की सान्द्रता अधिक होने पर विसरण दाब अधिक होता है तथा यह सांद्रता कम होने पर विस दाब कम होता है।

विसरण की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting the rate of diffusion)

तापमान बढ़ाने पर विसरण दर बढ़ जाती है। यह कणों की गतिज ऊर्जा को बढ़ा देता है। ग्राहम के विसरण नियम के अनुसार विसरण दर विसरित होने वाले पदार्थ के घनत्व के वर्गमूल के प्रतिलोमानुपाती (inversely proportional) होती है।

D  1/d  D = विसरण, d = घनत्व

इसलिए बड़े अणु होने पर विसराण दर धीमी होती है। यदि माध्यम की सांद्रता (concentration of diffusion) अधिक होती है तो विसरण दर कम होती है ।

विसरण की महत्ता (Significance of diffusion)

  1. प्रकाश संश्लेषण एवं श्वसन में CO2 एवं 02 गैसों का विनिमय स्वतंत्रतापूर्वक विसरण द्वारा होता है।
  2. वाष्पोत्सर्जन एवं निष्क्रिय लवण अवशोषण (passive salt uptake) भी विसरण द्वारा होता है।
  3. विसरण भोज्य पदार्थ की कम दूरी में अभिगमन में सहायता प्रदान करता है।

परासरण (Osmosis)

परासरण एक विशेष प्रकार का विसरण है जिसमें जल अथवा विलायक के अणु अपने उच्च विभव क्षेत्र (शुद्ध विलायक) से निम्न विभव क्षेत्र की ओर अर्धपारगम्य झिल्ली से पारगामी होते हैं।

पादपों में प्रयुक्त विलायक (solvent) जल होता है। वातावरण से जल प्रवेश मृदा से मूल कोशिका का एक कोशिका से दूसरी कोशिका में अथवा कौशिका से वातावरण में प्रवेश परासरण ( osmosis) द्वारा होता है।

अर्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane) विलायक (जल) के अणुओं को इसमें से पार होने देती है तथा विलय (नमक अथवा शर्करा) के अणु इसमें से नहीं गुजर सकते । इसलिए जल अपने उच्च सांद्रण स्थिति से निम्न सांद्रण स्थिति की ओर गमन करता है परासरण की क्रिया को दर्शाने वाले उपकरण को परासरणदशी (ऑस्मोस्कोप, osmoscope) कहते हैं।

जल के अणुओं का कोशिका रस में परासरण क्रिया द्वारा प्रवेश होता है। इस क्रिया को अन्तः परासरण (endosmosis) कहते हैं। यदि उपरोक्त क्रिया की दिशा उल्टी हो जाये अर्थात् कोशिका रस से बाहर की ओर तब इस क्रिया को बहिःपरासरण (exosmosis) कहते हैं।

आलू का परासरणदर्शी (Potato osmoscope)

एक बड़े आकार का आलू लेकर उसका छिलका हटा दिया जाता है। अब इसे चित्र (6) में दर्शाये गए दो भागों में काट – दिया जाता हैं। अब दोनों आलू के टुकड़ों में बीचों बीच तेज धार के चाकू की सहायता से एक गुहा बना दी जाती है। एक आलू की आधी गुहा को सांद्र शर्करा के घोल से भर दिया जाता है। अब विलयन का प्रारम्भिक स्तर सुई की सहायता से चिन्हित (mark) कर दिया जाता । इस आलू को शुद्ध जल से भरी पेट्री डिश में (चित्र – 6) में रख दिया जाता है। आलू के दूसरे भाग में शुद्ध जल भर कर इसे शर्करा के घोल से भरी पेट्री डिश में रख दिया जाता है। कुछ समय पश्चात पहले आलू की गुहा में विलयन का तल बढ़ जाता है तथा दूसरे आलू की गुहा में यह तल गिर जाता है। इस प्रयोग में आलू की कोशिकाओं से बनी दीवार अर्धपारगम्य झिल्ली के समान कार्य करती है। पहला सेट अन्तःपरासरण तथा दूसरा सेट बहि:परासरण दर्शाता है।

समपरासारी, अल्पपरासारी एवं अतिपरासारी विलयन (Isotonic, hypotonic and hypertonic solutions) विलयन में जल एवं विलेय की सांद्रता उनकी कोशिका में सांद्रता की सापेक्षता के आधार पर तीन प्रकार के विलयन होते हैं।

समपरासारी (Isotonic): इस प्रकार के विलयन में जल एवं विलेय (solute) की सांद्रता कोशिका में उनकी सांद्रता के समान होती है। बाहर की तरफ कम अन्दर की तरफ कम अल्पपरासारी (Hypotonic) : इस विलयन में विलेय (solute) की सांद्रता कोशिका में विलेय की सांद्रता से कम होती है।

अतिपरासारी (Hypertonic): इस विलयन में विलेय की सांद्रता कोशिका में उसकी सांद्रता से अधिक होती है। पादप कोशिका तीनों प्रकार के विलयनों में भिन्न-भिन्न प्रकार से व्यवहार करती है परासरण दाब (Osmotic pressure) M

परासरण दाब उस दाब के बराबर होता है जो शुद्ध जल (अथवा विलायक) के अणुओं को उच्च सांद्रणता वाले विलयन (निम्न सांद्रता के विलयन से) में अर्धपारगम्य झिल्ली से आने में रूकावट पैदा करता हैं इससे उस विलयन के आयतन में वृद्धि नहीं होती है। इसलिए “वह अधिकतम दाब जो किसी चिलयन को अर्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा शुद्ध जल से अलग रखने पर विकसित (उत्पन्न) हो सकता है, उसे परासरण दाब ( osmotic pressure) कहते हैं। किसी विलयन के परासरण दाब की गणना निम्न सम्बन्ध द्वारा की जा सकती है।

OP = CST

जहाँ  OP = परासरण दाब

C = विलयन की मोलर सांद्रता,

S = विलयन नियतांक जो 0.082 होता है

T = परम ताप अर्थात + 273°C

शुद्ध जल का परासरण दाब शून्य (zero) माना जाता है इसलिए जैसे-जैसे विलेय की सांद्रता बढ़ती है इसका मान भी धनात्मक मान (positive value) की तरफ बढ़ता जाता है। 0.1M सूक्रोज के विलयन का OP, + 2.3 atm अथवा बार होता है। OP का मान हमेशा धनात्मक होता है। इसका मान विलेय के तापमान एवं सांद्रता के बढ़ने पर बढ़ता है। इसलिए,

OP ∝ T एवं OP c विलेय की सांद्रता

जहाँ  T = तापमान

वास्तव में विलयन द्वारा कोई दाब नहीं लगाया जा सकता जब तक कि यह किसी कला द्वारा परिबद्ध न हो। परासरण दाब एक विभव दाब होता है। इसलिए आज कल परासरण दाब के स्थान पर इसे परासरण विभव (= विलेय विभव) (osmotic potential, ψπ = solute potential, ψs ) कहते हैं।

परासरण विभव (ψπ) का मान OP (परासरण दाब) के बराबर होता है परन्तु यह ऋणात्मक होता है।

ψs = ψπ = – OP

परासरण का महत्व (Importance of osmosis)

  1. इसकी सहायता से पादप जल अवशोषित करते हैं ।
  2. परासरण के द्वारा जीव का आकार बना रहता है।

3.OP के कारण पत्तियाँ स्फीत एवं फैली रहती है।

  1. कोशिकाओं के OP के फलस्वरूप ही उनमें जलाभाव एवं तुषार (drought and frost ) के प्रति प्रतिरक्षा (resistance) होती है
  2. मूल का वृद्धि बिन्दु OP के परिणास्वरूप स्फीत रहता है इसलिए यह मृदा कणों में घुस सकता है।
Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

1 month ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

1 month ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

1 month ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

1 month ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

2 months ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now