JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now

हिंदी माध्यम नोट्स

Categories: indianworld

गिलबर्ट का भ्वाकृतिक सिद्धांत क्या है , नदी अपरदन चक्र परिच्छेदिका किसे कहते है gilbert theory in hindi

gilbert theory in hindi गिलबर्ट का भ्वाकृतिक सिद्धांत क्या है , नदी अपरदन चक्र परिच्छेदिका किसे कहते है ?

भू-आकृति विज्ञानवेत्ता एवं उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्त
भू-आकृति विज्ञान में स्थलम्पों की समस्याओं के समाधान हेतु अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। गिलबर्ट, डेविस, किंग, पाकिस्ट, शूम आदि द्वारा समय-समय पर प्रतिपादित सिद्धान्त अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।
 गिलबर्ट का भ्वाकृतिक सिद्धान्त
गिलबर्ट महोदय एक अन्वेषक थे। इन्होंने सर्वप्रथम ग्रेट बेसिन, बौनबिली मील, अलास्का, बेसिन रैंज, हेनरी पर्वत, कैलीफोर्निया, सियरा पर्वत आदि का पर्यवेक्षण किया, तत्पश्चात समांगढाल का नियन, संरचना का नियम, जल विभाजकों का नियम, सम कार्य की प्रवृत्ति, गतिक संतुलन, परम्परावलन्धित नियम आदि का प्रतिपादन किया। इन्होंने प्रक्रमों की अपरदन दर का मापन करने का प्रयास किया है। इनका नियम क्षेत्र-पर्यवेक्षण पर आधारित है, जिस कारण सत्यता के निकट है। लैकोलिय के अध्ययन में प्राकृतिक दर्शन के ‘साम्यावस्था के सिद्धान्त‘ को आधार माना है। लैकोलिथ के निर्माण में उत्सर्जित मलबा का प्रवाह तब तक क्रियाशील रहता है, जब तक इस पर समान बल द्वारा अबरोध न उत्पन्न हो जाय। प्रतिरोध की अल्प स्थिति मलबा के उर्ध्व प्रवाह में कोई बाधा उपस्थित नहीं कर सकती है। इसके विपरीत विरोधी बल की सम स्थिति में मलबा प्रवाह में साम्यावस्था की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लैकोलिथ के निर्माण एवं विकास में इस सिद्धान्त की सार्थकता स्पष्ट परिलक्षित होती है। इन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा इसकी पुष्टि की है।
गिलबर्ट महोदय ने सरिता प्रवाह एवं उनके कार्यों का विश्लेषण भी साम्यावस्था की संकल्पना के आधार पर स्पष्ट करने का प्रयास किया है। इनके अनुसार – नदी का प्रवाह-वेग ऊर्जा है तथा जल मार्ग में जल द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध बल होता है। यदि प्रतिरोध बल अधिक होता है, तब नदी का वेग मंद तथा कार्य अल्प होता है। नदी जल मार्ग में यदि अवरोध अत्यल्प होगा तो नदी का वेग एवं अपरदन क्षमता अधिक होती है। प्रतिरोधी बल एवं नदी-जल प्रवाह-ऊर्जा दोनों सम है, तब साम्यवास्था की स्थिति होती है। नदी की यह परिच्छेदिका साम्यावस्था की परिच्छेदिका कहलाती है। इन्होंने इसी साम्यावस्था के नियम के आधार पर – प्रवणित पुलिन, प्रवणित पहाड़ी ढाल आदि का विश्लेषण करने का प्रयास किया है।
गिलबर्ट महोदय ने समय स्वतन्त्र अथवा समय-रहित की अवधारणा पर सतत विनाश एवं सतत विकास के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया, जिनका आधार प्राकृतिक दर्शनशास्त्र एवं लयात्मक समय था। इनके अनुसार – पृथ्वी की गति लयात्मक होती है, जिसका प्रभाव जलवायु एवं भूगर्भिक प्रक्रमों पर पड़ता है। बाद में इनकी आलोचना भौतिक एवं भूगर्भशास्त्रियों ने की। इन विद्वानों के अनुसार – समय के सन्दर्भ में क्रमिक अवस्थाओं में या तो बिनाश होगा या विकास। गिलबर्ट महोदय का पूर्ण विश्वास था कि समय के सन्दर्भ में स्थलरूपों का विनाश अथवा विकास नहीं हो सकता है।

Sbistudy

Recent Posts

मालकाना का युद्ध malkhana ka yudh kab hua tha in hindi

malkhana ka yudh kab hua tha in hindi मालकाना का युद्ध ? मालकाना के युद्ध…

4 weeks ago

कान्हड़देव तथा अलाउद्दीन खिलजी के संबंधों पर प्रकाश डालिए

राणा रतन सिंह चित्तौड़ ( 1302 ई. - 1303 ) राजस्थान के इतिहास में गुहिलवंशी…

4 weeks ago

हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ? hammir dev chauhan history in hindi explained

hammir dev chauhan history in hindi explained हम्मीर देव चौहान का इतिहास क्या है ?…

4 weeks ago

तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच हुआ द्वितीय युद्ध Tarain battle in hindi first and second

Tarain battle in hindi first and second तराइन का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच…

4 weeks ago

चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी ? chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi

chahamana dynasty ki utpatti kahan se hui in hindi चौहानों की उत्पत्ति कैसे हुई थी…

1 month ago

भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया कब हुआ first turk invaders who attacked india in hindi

first turk invaders who attacked india in hindi भारत पर पहला तुर्क आक्रमण किसने किया…

1 month ago
All Rights ReservedView Non-AMP Version
X

Headline

You can control the ways in which we improve and personalize your experience. Please choose whether you wish to allow the following:

Privacy Settings
JOIN us on
WhatsApp Group Join Now
Telegram Join Join Now